सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा और 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा के साथ नीट-पीजी दाखिलों को हरी झंडी दिखा दी है. हालांकि ईडब्ल्यूएस कोटा पर सुनवाई जारी रहेगी.
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अदालत के आदेश के बाद अब 2021 के लिए नीट-पीजी में दाखिले के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ के आदेश के मुताबिक राज्य सरकारों के मेडिकल कॉलेजों में भी अखिल भारतीय कोटा की सीटों पर काउंसलिंगओबीसी छात्रों के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस छात्रों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ होगी.
ओबीसी कोटा पर अदालत का यह अंतिम फैसला है. ईडब्ल्यूएस कोटा पर सुनाई जारी रहेगी. अदालत ने कहा कि इस समय ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए सरकार द्वारा तय की गई आठ लाख रुपए सालाना आय की योग्यता को ही माना जाएगा.
दाखिले का रास्ता खुला
हालांकि उस पर अलग से मार्च में सुनवाई होगी और उसके बाद जो भी फैसला आएगा उसके हिसाब से आगे के दाखिलों में परिवर्तन लाए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट में इन दोनों कोटा के तहत आरक्षण को चुनौती दी गई थी.
इस चुनौती की वजह से काउंसलिंग की प्रक्रिया रुक गई थी जिसके विरोध में देश भर में हजारों रेजिडेंट डॉक्टर पिछले कई दिनों से विरोध कर रहे थे. हाल ही में ये डॉक्टर हड़ताल पर भी चले गए थे जिसकी वजह से कई अस्पतालों का काम बाधित हुआ था.
अदालत के फैसले का अधिकांश रेजिडेंट डॉक्टरों ने स्वागत किया है. इस फैसले से करीब 50 हजारों डॉक्टरों के पीजी में दाखिले का रास्ता खुल गया है. पीजी में डॉक्टर आगे की पढ़ाई के साथ अस्पतालों में काम भी करते हैं. इस वजह से अस्पतालों ने भी इस फैसले से राहत की सांस ली है.
ईडब्ल्यूएस कोटा पर विवाद जारी
लेकिन ईडब्ल्यूएस कोटा का मामला वहीं का वहीं है. याचिकाकर्ताओं ने आठ लाख आय की योग्यता का विरोध किया था. अदालत ने भी सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि आखिर वो इस आंकड़े तक कैसे पहुंची.
इसके बाद सरकार ने इस मामले पर एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. समिति में पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे, आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव वी के मल्होत्रा और केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल थे.
समिति ने 31 दिसंबर, 2021 को अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें उसने आठ लाख की सीमा को सही ठहराया. याचिकाकर्ता चाह रहे थे कि यह सीमा 2.5 लाख पर ला दी जाए. इस आय तक की सीमा में आने वाले लोगों को आय कर नहीं देना होता है.
नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण का क्या हो सकता है असर
हरियाणा में अब कंपनियों को 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों को ही देनी पड़ेंगी. भविष्य में इसके होने वाले असर को समझने के लिए आईटी कंपनियों के संगठन नैस्कॉम ने एक सर्वेक्षण कराया, जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं.
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स्थानीय कोटा
नए कानून के तहत हरियाणा में हर कंपनी को 50,000 रुपए तक के मासिक वेतन वाले पदों पर 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा में रहने वाले लोगों को देनी होंगी. कानून का पालन ना करने पर 10,000 से लेकर पांच लाख रुपयों तक के जुर्माने का प्रावधान है.
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कंपनियां परेशान
निजी कंपनियों के बीच इस कानून को लेकर शुरू से अच्छी राय नहीं थी, लेकिन नैस्कॉम के सर्वेक्षण में यह खुल कर सामने आ गया. संगठन ने यह सर्वेक्षण आईटी क्षेत्र की 73 कंपनियों में किया जिनके हरियाणा स्थित दफ्तरों में 1.4 लाख लोग काम करते हैं.
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गंभीर असर
नैस्कॉम के सर्वेक्षण में सामने आया है कि इन में से अधिकतर कंपनियों को लगता है कि इस कानून का आईटी क्षेत्र पर गंभीर असर होगा. कुल 80 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि इस कानून का भविष्य में उनके व्यापार पर और निवेश की योजनाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा.
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चली जाएंगी कंपनियां
अधिकतर कंपनियों ने कहा कि इसकी वजह से उन्हें मजबूरन अपनी परियोजनाओं और अपने दफ्तरों को किसी दूसरे राज्य में ले जाना पड़ेगा. इतने वेतन तक के पदों पर जो लोग काम कर रहे हैं वो कर्मचारियों की कुल संख्या का 44 प्रतिशत हैं और उनमें से 81 प्रतिशत हरियाणा से बाहर के हैं.
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दूसरी जरूरतों में कमी
कंपनियों ने यह भी कहा कि इस की वजह से उन्हें भर्ती में विविधता और समावेश जैसी दूसरी नीतियों का पालन करने में दिक्कत आएगी.
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गुरुग्राम में सबसे ज्यादा असर
इस कानून का सबसे बड़ा असर गुरुग्राम पर पड़ेगा जहां हरियाणा में सक्रिय आईटी क्षेत्र की 500 से भी ज्यादा कंपनियों में से अधिकतर के दफ्तर हैं. इनमें चार लाख से भी ज्यादा लोग काम करते हैं. नए कानून का इनमें से करीब 1.5 लाख नौकरियों पर असर पड़ेगा.
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अनुपालन बोझ बढ़ेगा
अधिकांश कंपनियों ने कहा कि नए कानून से उनका अनुपालन का बोझ बढ़ जाएगा और वो अपनी जरूरतों के हिसाब से भर्तियां नहीं कर सकेंगी.
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हुनर में कमी
कंपनियों ने यह भी कहा कि इस कानून का पालन इसलिए भी मुश्किल होगा क्योंकि इस वेतन तक के स्तरों पर काम करने वाले स्थानीय उम्मीदवारों में कम्युनिकेशन और तकनीक दोनों तरह के हुनर की कमी है.