लखीमपुर खीरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि लिंचिंग की प्राथमिकी में एकत्र किए गए सबूत एक विशेष आरोपी को बचाने के लिए एकत्र किए जा रहे थे.
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सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि वह जांच से संतुष्ट नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि दो अलग-अलग केस की एफआईआर ओवरलैप कर एक विशेष आरोपी को लाभ दिया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने ओवरलैप की गई दोनों एफआईआर में अलग-अलग जांच के निर्देश दिए.
एक एफआईआर प्रदर्शनकारी किसानों को कार से कुचलने और दूसरा कथित लिंचिंग के मामले में है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि लिंचिंग की प्राथमिकी में एकत्र किए गए सबूत एक विशेष आरोपी को बचाने के लिए एकत्र किए जा रहे थे.
चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पर सवालों की झड़ी लगा दी. जस्टिस हिमा कोहली ने साल्वे से सवाल किया कि अब तक सिर्फ आशीष मिश्रा का ही फोन क्यों जब्त किया गया है और मामले के अन्य आरोपियों के फोन का क्या हुआ. आशीष मिश्रा केंद्र में मंत्री अजय मिश्रा के बेटे हैं. बेंच ने सवाल किया क्या अन्य आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करते थे.
साल्वे ने उत्तर प्रदेश सरकार की स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कुछ आरोपियों ने कहा कि उनके पास मोबाइल फोन नहीं है, लेकिन सीडीआर प्राप्त कर लिए गए हैं. जस्टिस कोहली ने कहा, "क्या आपका यह बयान है कि किसी अन्य आरोपी के पास मोबाइल फोन नहीं था?"
साल्वे ने कहा कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि आरोपी वहां थे और चश्मदीदों ने उन सभी का ब्योरा दिया है. इस मौके पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि एक विशेष आरोपी को प्राथमिकी को ओवरलैप करके लाभ देने की कोशिश हो रही है.
बेंच ने कहा कि अदालत एसआईटी से उम्मीद करती है कि किसानों की मौत के मामले में गवाही देने आने वालों के लिए स्वतंत्र कार्रवाई होगी और दूसरे मामले में जो सबूत जुटाए जा रहे हैं, उनका इस्तेमाल इसमें नहीं किया जा सकता. इस पर बेंच ने साल्वे से कहा कि ऐसा लगता है कि यह एसआईटी एफआईआर के बीच जांच दूरी बनाए रखने में असमर्थ है.
बेंच ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि दो प्राथमीकियों में सबूत स्वतंत्र रूप से दर्ज किए गए हैं, वह जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने का इच्छुक है और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की है. साल्वे ने सरकार से निर्देश लेने के लिए कुछ समय मांगा. मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
लखीमपुर में किसानों के शांतिपू्र्वक प्रदर्शन के दौरान एक जीप ने किसानों को कुचल डाला था. जिसमें चार किसानों की मौत हुई थी और उसके बाद भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी जिनमें एक पत्रकार भी शामिल था. आरोप है कि जीप अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा चला रहे थे.
खेतों में सौर ऊर्जा से हो रहा दोगुना मुनाफा
पूरी दुनिया में सौर ऊर्जा की मदद से किसान दोगुना कमा रहे हैं. खेतों के ऊपर सौर ऊर्जा के पैनल लगा देने से नीचे फसलें उगती हैं और ऊपर बिजली पैदा होती है. पैनलों की छांव से पानी बचाने में मदद मिलती है और पैदावार भी बढ़ती है.
तस्वीर: picture alliance/blickwinkel/R. Linke
फल भी उगाइए, बिजली भी बनाइए
फाबियान कार्टहाउस जर्मनी में फोटोवोल्टिक पैनलों के नीचे रसबेरी और ब्लूबेरी उगाने वाले पहले किसानों में से हैं. उत्तर-पश्चिमी जर्मनी के शहर पैडरबॉर्न में स्थित उनका सौर खेत करीब एक एकड़ में फैला है, लेकिन वो उसे 10 एकड़ का बनाना चाहते हैं. ऐसे करने से वो इतनी बिजली बना पाएंगे जो करीब 4,000 घरों के काम आएगी. इसके अलावा उन्हें बाजार में बेचने के लिए बेरियां भी मिल जाएंगी.
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प्लास्टिक की छत की जगह शीशे का पैनल
अभी तक कई किसान नाजुक फलों और सब्जियों को प्लास्टिक के पर्दों के नीचे उगाते थे. लेकिन प्लास्टिक के ये पर्दे सिर्फ कुछ ही साल चलते हैं, महंगे होते हैं और इनसे काफी प्लास्टिक कचरा भी उत्पन्न होता है. निदरलैंड में कई किसान फलों, सब्जियों को शीशे के पैनलों के नीचे उगा रहे हैं. ग्रोनलेवेन में ये पैनल फसल को तो बचाते हैं ही, ये 30 सालों तक चलते हैं. बिजली बेचने से अतिरिक्त कमाई होती है.
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चीन बढ़ावा दे रहा है एग्रीवोल्टिक को
चीन बड़े पैमाने पर फोटोवोल्टिक का विस्तार कर रहा है और पिछले कुछ सालों से कृषि संबंधित फोटोवोल्टिक या एग्रीवोल्टिक पर भी निर्भर कर रहा है. उत्तरी चीन के हेबेई में स्थित यह प्लांट 24 एकड़ से भी ज्यादा इलाके में फैला है. नीचे अनाज उगाया जाता है. सौर मॉड्यूल पास ही में बनाए जाते हैं. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं और गरीबी कम करने में भी मदद मिलती है.
दुनिया के सबसे बड़े सौर पार्कों में से कुछ चीन के गोबी रेगिस्तान में हैं, जहां जगह की कोई कमी नहीं है. कुछ स्थानों पर मॉड्यूलों की छांव में फसलें उगाई जाती हैं. इससे मरुस्थलीकरण रुकता है और मिट्टी को फिर से खेती के योग्य बनने में मदद मिलती है.
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सूखे से मुकाबला
चिली के सैंतिआगो में स्थित यह छोटी से सौर छत दक्षिणी अमेरिका के सबसे पहले एग्रीवोल्टिक प्रणालियों में से है. शोधकर्ता यहां ब्रोकोली और गोभी का इस्तेमाल कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रणाली को चलाने का सबसे अच्छा तरीका क्या होगा. इस इलाके में कड़ी धूप होती है और यह कम होती बारिश और बढ़ते सूखे से भी जूझ रहा है. सौर छांव के साथ शुरुआती तजुर्बा सकारात्मक रहा है.
तस्वीर: Fraunhofer Chile
सौर ऊर्जा से पानी
रवांडा की ये किसान सौर ऊर्जा से चलने वाले एक चलते फिरते जल पंप से अपनी जीविका चलाती हैं. एक छोटे से शुल्क के बदले वो अपने पंप को दूसरे किसानों के खेतों तक ले जाती हैं और आस पास के पानी के स्रोतों से उनकी सिंचाई करती हैं. पूरे अफ्रीका में कृषि में सौर ऊर्जा के उपयोग की संभावनाएं हैं.
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सौर ऊर्जा के साथ मछली पालन
यह अनोखा इंतजाम पूर्वी चीन में शंघाई से 150 किलोमीटर दक्षिण की तरफ स्थित है. इस तालाब में पीपे के पुलों पर सौर पैनल तैरते हैं और उनके नीचे मछली पालन होता है. पैनलों को इस तरह सजाया गया है कि मछलियों को भी पर्याप्त रोशनी मिले. लगभग 740 एकड़ में फैले ये पैनल 1,00,000 परिवारों के लिए बिजली बनाते हैं.
एक वैकल्पिक दृष्टिकोण
सौर पैनलों को खेतों में लंबवत रखने से उन्हें दोनों तरफ से रोशनी मिलती है. जर्मनी में इस तरह के ढांचे छतों पर लगे पैनलों के जितनी ही बिजली बना सकते हैं. साथ ही साथ ये एक तरह से बाड़ का भी काम करते हैं और हवा से बचाते हैं. खेती के दूसरे उपकरणों को रखने के लिए काफी जगह भी बच जाती है.
तस्वीर: Next2Sun GmbH
जमीन को खाली रखना
बायोगैस और बायो ईंधन के लिए मक्का, गेहूं और गन्ने उगाने में पूरी दुनिया की कृषि योग्य भूमि का चार प्रतिशत इस्तेमाल में लग जाता है. इस ऊर्जा को सौर स्रोतों से बनाना कहीं ज्यादा सस्ता होगा और इसके लिए अभी जितनी जमीन की जरूरत है उसके सिर्फ दसवें भाग की जरूरत होगी. (गेरो रूटर)