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ऊर्जा संकट के सामने फीके पड़ते वैश्विक साझेदारी के वादे

२० अक्टूबर २०२२

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने गैस की कीमतों पर अंकुश लगाने के खिलाफ चेतावनी तो दी है, लेकिन जलवायु संकट के बीच वह कोयले के ज्यादा इस्तेमाल को लेकर भी चिंता जता रहे हैं.

ब्रसेल्स में ओलाफ शॉल्त्स
तस्वीर: PIROSCHKA VAN DE WOUW/REUTERS

यूरोपीय संघ के 27 देश, गैस की कीमतों पर अकुंश लगाया जाए या नहीं, इस पर चर्चा कर रहे हैं. जर्मनी किसी तरह के अंकुश के खिलाफ है. गुरुवार को ब्रसेल्स में शुरू हुए यूरोपीय सम्मेलन से पहले जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने जर्मन संसद को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने साफ कहा कि यूरोपीय गैस प्राइस कैप अपने साथ कई जोखिम लाएगी. अपनी ऊर्जा नीतियों को सामने रखते हुए शॉल्त्स ने कहा, "राजनीतिक सहमति से गैस के दाम पर अकुंश लगाने में एक जोखिम यह है कि प्रोड्यूसर कहीं और गैस बेच सकते हैं- और इसका नतीजा यह हो सकता है कि हम यूरोपियनों को ज्यादा के बदले कम गैस मिल सकती है."

ऊर्जा संकट में जर्मनी हलकान लेकिन इटली को दिक्कत नहीं

फ्रांस और पोलैंड समेत यूरोपीय संघ के 15 देश गैस के दाम पर नियंत्रण की वकालत कर रहे हैं. वहीं जर्मनी और नीदरलैंड्स इसका विरोध कर रहे हैं. अब विरोध करने वाले देश भारी दबाव में हैं. जर्मनी का कहना है कि गैस का दाम नीचे लाना जरूरी होता जा रहा है.

ब्रसेल्स में ईयू सम्मेलन के दौरान प्रेस से बात करते कई देशों के नेतातस्वीर: Olivier Matthys/AP Photo/picture alliance

यूरोप में विरोध प्रदर्शन

जर्मनी यूरोपीय संघ में रूसी गैस का सबसे बड़ा खरीदार था. जर्मन चांसलर का कहना है कि जल्द ही यह निर्भरता पूरी तरह खत्म कर दी जाएगी. गैस के महंगे बिल से जर्मन जनता को राहत देने का संकेत देते हुए उन्होंने कहा, "किसी को भी, किसी भी परिवार, पेंशनर, छात्र और कारोबार को बिजली और गैस के अतिरिक्त बिल की चिंता नहीं करनी चाहिए."

गैस के महंगे दाम के विरोध में हाल के दिनों में जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और चेक गणराज्य में प्रदर्शन भी हुए हैं. गुरुवार को रोमानिया में बड़े प्रदर्शन हुए, जिनमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया. बयानों में यूरोपीय एकता की बात कर रहे नेताओं पर अपने देशों के भीतर हो रहे जन प्रदर्शनों का दबाव दिखने लगा है.

यूक्रेन युद्ध और रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों के कारण दुनिया ऊर्जा संकट का सामना कर रही है. यूक्रेन के शुरुआती महीनों तक यूरोप रूस से करीब आधी गैस खरीद रहा था. पेट्रोल और डीजल का बड़ा हिस्सा भी रूस से ही आ रहा था. लेकिन अब यूरोपीय संघ के देश रूसी तेल और गैस पर अपनी निर्भरता पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं. अब यूरोप के ज्यादातर देश खाड़ी और अफ्रीकी देशों से गैस खरीद रहे हैं. बिजली की मांग को पूरा करने के  लिए जर्मनी ने अपने परमाणु बिजलीघरों को बंद करने समयसीमा भी आगे बढ़ा दी है.

रूसी गैस की सप्लाई घटने से जर्मनी को 60 अरब यूरो का नुकसान

बर्लिन में बढ़ती महंगाई के खिलाफ एएफडी के समर्थकों का प्रदर्शनतस्वीर: Fabian Sommer/dpa/picture alliance

विरोधाभासी बयान

तेल और गैस कंपनियां महंगे दाम पर यूरोप को जीवाश्म ईंधन बेच रही हैं और लंबे वक्त बाद भारी मुनाफा कमा रही हैं. वहीं आम जनता महंगाई से जूझ रही है. तेल और गैस के बढ़े दाम इसकी एक अहम वजह हैं. शॉल्त्स एक तरफ कीमतों पर अंकुश लगाने का विरोध कर रहे हैं और दूसरी तरफ कोयले का इस्तेमाल ना बढ़ जाए, इस पर भी चिंता जता रहे हैं.

यूरोपीय देशों की ऊंची बोली की वजह से आर्थिक रूप से कमजोर देशों के लिए प्राकृतिक गैस बहुत महंगी हो गई है. पाकिस्तान और बांग्लादेश में गैस से चलने वाले कई बिजलीघर ठप्प होने का खतरा झेल रहे हैं. जर्मन चासंलर ने कहा कि ऊर्जा संकट की वजह से दुनिया फिर से कोयले का इस्तेमाल बढ़ा सकती है. शॉल्त्स ने जोर देकर कहा कि यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व मंच पर कोयले की वापसी नहीं होनी चाहिए.

बांग्लादेश और पाकिस्तान को अंधेरे में डुबो रही है यूरोप की गैस की मांग

ब्रसेल्स में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्सतस्वीर: PIROSCHKA VAN DE WOUW/REUTERS

सामने आया गैस फील्ड डॉक्यूमेंट

इस बीच एक ऐसा डॉक्यूमेंट भी सामने आया है जिसमें यूरोपीय देशों से मिलकर नये गैस फील्ड खोजने और विकसित करने की अपील की गई है. यह अपील जर्मनी ने की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जर्मनी ने यूरोपीय संघ के देशों से अपील करते हुए कहा है कि "पेरिस जलवायु समझौते के वादे को ध्यान में रखते हुए ऐसे देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए जिनके पास नये गैस फील्ड विकसित करने की क्षमता हो." ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट के बारे में पूछने पर जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि चांसलर ने रूसी गैस के जिस विकल्प की बात की है, यह उसी दिशा में बढ़ाया जा रहा कदम है.

ओएसजे/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स)

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