अप्रैल में इतनी गर्मी पड़ी कि एशिया के कई देशों में स्कूल बंद करने पड़े. यह सिर्फ एक झांकी है कि कैसे जलवायु परिवर्तन बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित कर सकता है.
विज्ञापन
अप्रैल लगातार 11वां महीना रहा जब सबसे ज्यादा गर्मी के ऐतिहासिक रिकॉर्ड टूटे. एशिया में कुछ देशों में बारिश का मौसम शुरू हो गया है, जिससे गर्मी में राहत मिली है. लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी समस्याएं खत्म नहीं हुई हैं और बहुत से देश जलवायु परिवर्तन के कारण शिक्षा और बच्चों पर होने वाले प्रभाव से लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं.
एशिया में तापमान पूरी दुनिया के औसत से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण अन्य हिस्सों के मुकाबले इस महाद्वीप में ताप लहरें कहीं ज्यादा लंबी, तेज और तीव्र हो रही हैं. लेकिन गर्मी ही एकमात्र चुनौती नहीं है.
ज्यादा गर्म वातावरण में नमी भी ज्यादा होती है इसलिए बारिश और बाढ़ का खतरा भी ज्यादा होता है. इससे स्कूलों की इमारतों को नुकसान होता है. वे बच्चों की पढ़ाई के लिए सुरक्षित नहीं रह जाती. इसके अलावा बाढ़ या अन्य मौसमी आपदाएं आने पर स्कूलों की इमारतों को शिविरों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लिहाजा पढ़ाई प्रभावित होती है.
हाथ से लिखने की ओर लौट रहा है अमेरिका
अमेरिका में जिन बच्चों ने स्मार्ट स्कूलों में कंप्यूटर स्क्रीन पर लिखना सीखा है, अब वे हाथ से लिखने की ओर लौट रहे हैं. कैलिफॉर्निया के स्कूलों ने बच्चों को दोबारा हाथ से लिखना सिखाने का फैसला किया है.
तस्वीर: Mike Blake/REUTERS
हाथ से लिखने के लिए कानून
इस साल की शुरुआत से कैलिफॉर्निया के स्कूलों में बच्चों के लिए कर्सिव राइटिंग यानी हाथ से अक्षर जोड़-जोड़ कर लिखना जरूरी किया जा रहा है. पिछले साल अक्तूबर में इस संबंध में एक बिल पारित किया गया था.
तस्वीर: Mike Blake/REUTERS
प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा
राज्य के प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 26 लाख बच्चों के लिए कर्सिव राइटिंग कोर्स शुरू किए जा रहे हैं. 6 से 12 साल तक के बच्चों को हाथ से लिखना सिखाया जाएगा.
तस्वीर: Mike Blake/REUTERS
जरूरी है हाथ से लिखना
इस बारे में लाए गए कानून को एक प्राथमिक स्कूल अध्यापिका शैरन क्वर्क-सिल्वा के अभियान पर लाया गया. विशेषज्ञों का मानना है कि हाथ से लिखने से बच्चों का मानसिक विकास होता है. उनके मोटर स्किल्स सुधरते हैं और पाठ करने की क्षमता भी बढ़ती है.
तस्वीर: Mike Blake/REUTERS
प्रेरणा भी है
बच्चों को हाथ से लिखे गए पुराने दस्तावेज भी दिखाए जा रहे हैं. मसलन, लाइब्रेरी में रखी संविदान की प्रति जिसे 1787 में हाथ से लिखा गया था.
तस्वीर: Richard Drew/AP/picture alliance
बच्चों को समझाना जरूरी
लॉस एंजेल्स के पास फुलरटन शहर में एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ाने वालीं पैमेला केलर ने 1 जनवरी से बच्चों को लिखना सिखाना शुरू कर दिया है. वह बच्चों को बताती हैं, “यह आपको ज्यादा स्मार्ट बनाएगा. इससे आपके ब्रेन में कुछ कनेक्शन बनेंगे और आप आसानी से अगले लेवल पर जा पाएंगे.” यह बात सुनकर बच्चे उत्साहित हो जाते हैं.
तस्वीर: Mike Blake/REUTERS
2010 में हुए थे बदलाव
2010 में अमेरिका के केंद्रीय शिक्षा लक्ष्य तय किए गए थे और हाथ से लिखना उनमें शामिल नहीं था. उसके बाद शिक्षकों की ट्रेनिंग से भी बच्चों को हाथ से लिखना सिखाना बाहर कर दिया गया था.
तस्वीर: Mike Blake/REUTERS
6 तस्वीरें1 | 6
गर्मी के कारण जंगलों की आग और वायु प्रदूषण भी बढ़ता है. हाल में भारत से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक तमाम देशों में प्रदूषण के कारण स्कूल बंद करने पड़े हैं. संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली एजेंसी यूनिसेफ ने पिछले साल चेतावनी दी थी, "जलवायु परिवर्तन का संकट पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के बच्चों के लिए एक सच्चाई बन चुका है."
झुलसते बच्चे
13 साल की महुआ अख्तर नूर इस संकट का जीता-जागता उदाहरण हैं. बांग्लादेश की राजधानी ढाका में उसका स्कूल बंद हो गया है. अब वह एक कमरे के अपने घर में तपती दोपहरी बिताती हैं. बिजली आती-जाती रहती है, इसलिए गर्मी से बचने के लिए उन्हें पंखे तक की राहत नहीं है.
नूर बताती हैं, "गर्मी असहनीय हो गई है. हमारा स्कूल बंद हो गया है. मैं घर पर भी नहीं पढ़ सकती.”
एक स्कूल जहां क्लास में मिलते हैं पशु
ब्रिटेन के वुडचर्च हाई स्कूल में बच्चे गणित और भूगोल जैसे सामान्य विषयों के साथ साथ पशु विज्ञान भी पढ़ते हैं. स्कूल का मानना है कि इससे बच्चों के भविष्य और उनकी सामाजिक जिंदगी को आकार देने में मदद मिलती है.
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
पशुओं वाला स्कूल
लिवरपूल के पास स्थित बर्कनहेड शहर के वुडचर्च हाई स्कूल में 13 साल पहले एक फार्म खोला गया था. इस फार्म में स्कूल के छात्रों को पशुओं के साथ व्यवहार करना सिखाया जाता है. उद्देश्य है छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास को प्रोत्साहन देना. इस स्कूल के पूर्व छात्रों में किसान और पशुओं के डॉक्टर शामिल हैं जिन्होंने स्कूल के इसी फार्म की बदौलत अपना पेशा चुना.
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
बेहतर भविष्य के लिए
वुडचर्च ब्रिटेन के उन इलाकों में से है जो आमदनी की गैर बराबरी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. इस स्थिति को बदलने के लिए स्कूल कोशिश कर रहा है कि छात्रों को करियर के ऐसे विकल्पों के बारे में भी बताया जाए जो बड़े शहरों की आम नौकरियों से बिल्कुल अलग हो.
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
मेधावी छात्र
छात्र हर साल रॉयल चेशायर और वेस्टमोरलैंड काउंटी जैसे प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं और भेड़ों, अल्पाकाओं, बकरियों, सूअरों और मुर्गियों की देखभाल के दौरान सीखे गए हुनर का प्रदर्शन करते हैं. कई छात्रों को कृषि विशेषज्ञों से पुरस्कार और सम्मान भी हासिल होता है.
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
सांस लेने की जगह
14 साल की एला-रोज मिचिंसन को 140 स्कूलों के नेटवर्क "स्कूल फार्म्स नेटवर्क" ने स्टूडेंट ऑफ द ईयर का पुरस्कार दिया. उनके लिए यह फार्म सोशल मीडिया की दुनिया और किशोर जीवन के तनावों से दूर एक सुरक्षित जगह है. पशुओं की नर्स बनने की चाह रखने वाली मिचिंसन कहती हैं, "यह मुझे सांस लेने देता है."
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
पशु आपको आंकेंगे नहीं
मेगन पिट और कोरी गिब्सन दोनों 13 साल के हैं और वेस्टमोरलैंड काउंटी शो की "यंग हैंडलर्स" क्लास में प्रतियोगिता के लिए अपने भेड़ों को तैयार करते हैं. यह शो इस इलाके में मवेशियों का एक बड़ा और महत्वपूर्ण शो है. गिब्सन कहते हैं, "यह एक खुशहाल जगह है जहां आप अपने असली रूप में रह सकते हैं. पशु आपको आंकेंगे नहीं."
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
दुर्लभ नस्लें
फार्म की मैनेजर लिंडा हैकेट छात्रों को भेड़ पालने वाले एक किसान के गुण सिखा रही हैं. वो कहती हैं, "13 सालों में हमारे छोटे से स्कूल ने हमारे डेढ़ एकड़ में 60 से भी ज्यादा भेड़ों को पाला है. यहां हर साल भेड़ों ने जन्म दिया है." 10 साल पहले स्कॉटिश ऑर्कनी आइलैंड्स ने स्कूल को दुर्लभ नॉर्थ रोनाल्डसे भेड़ उपहार में दी थी.
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
संरक्षण का हुनर
मवेशियों की देशज नस्लों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था "रेयर ब्रीड्स सर्वाइवल ट्रस्ट" भेड़ों का एक राष्ट्रीय सेंसस कराता है जिसमें नॉर्थ रोनाल्डसे भेड़ों को गिना जाता है.
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
शैक्षणिक और सामाजिक लाभ
स्कूल की प्रिंसिपल रेबेका फिलिप्स कहती हैं, "यह बेहद जरूरी है कि उन्हें (युवाओं को) कुछ हासिल करने, उन्नति करने का, हुनर दिखाने का मौका मिलना चाहिए." दूसरे स्कूल भी फार्म में रुचि दिखा रहे हैं, लेकिन अकैडेमिक रिव्यु प्रणाली में इसके कई फायदों को अभी आधिकारिक रूप से शामिल नहीं किया गया है." (क्लाउडिया डेन)
तस्वीर: PHIL NOBLE/REUTERS
8 तस्वीरें1 | 8
बांग्लादेश में समाजसेवी संस्था सेव द चिल्ड्रन के निदेशक शुमोन सेनगुप्ता कहते हैं, "ना सिर्फ तापमान अधिक है बल्कि उसके अधिक बने रहने की अवधि भी ज्यादा है. पहले कुछ ही इलाकों में ऐसी ताप लहर चलती थी. अब ऐसे इलाके कहीं ज्यादा हो गए हैं.”
एशिया के अधिकतर स्कूल इस बदलाव के लिए तैयार नहीं हैं. सेनगुप्ता कहते हैं कि बांग्लादेश के स्कूल मजबूत तो हैं लेकिन अक्सर वहां भीड़ क्षमता से ज्यादा होती है और हवा के आने-जाने की सुविधा कम है.
ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की टीन की छतें तो कमरों को भट्ठी में तब्दील कर देती हैं, जिनमें पंखे भी काम नहीं करते. एशिया के बहुत से देशों में ग्रामीण इलाकों में बच्चे पैदल स्कूल जाते हैं. इससे हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए सरकारें स्कूल बंद करने जैसे कदम उठाती हैं.
विज्ञापन
चारों तरफ से मार
स्कूल बंद करने के भी बड़े नुकसान हैं, खासकर गरीब और कमजोर तबकों से आने वाले बच्चों के लिए. पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में यूनिसेफ की स्वास्थ्य विशेषज्ञ साल्वा एलेरयानी कहती हैं, "इन बच्चों को कंप्यूटर, इंटरनेट और किताबों जैसे संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. इनके घरों में भी ताप लहर से सुरक्षा के इंतजाम अच्छे नहीं होते.”
गर्मी से बेहाल हुए भारत-बांग्लादेश
03:36
जलवायु परिवर्तन ने स्कूली शिक्षा को कई तरह से प्रभावित किया है. म्यांमार में यूनिसेफ के एक शोध में पाया गया कि मौसमी आपदाओं के कारण जब खेती और रोजगार प्रभावित होते हैं तो माता-पिता बच्चों को स्कूल से निकाल लेते हैं क्योंकि वे खर्च वहन नहीं कर पाते.
क्षेत्र के कुछ धनी देशों ने जलवायु परिवर्तन से शिक्षा को बचाने के लिए कदम भी उठाए हैं. जैसे जापान में 2018 तक आधे से कम स्कूलों में एयर कंडिशनर थे लेकिन 2022 तक यह संख्या बढ़कर 95 फीसदी हो गई.
लेकिन गरीब देशों में ये सुविधाएं नहीं हैं और उनके बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने के खतरे और उसके नुकसान कहीं ज्यादा हैं. सेनगुप्ता कहते हैं, "यह बेहद जरूरी है कि सरकारें और नीति निर्माता इस बारे में तुरंत कदम उठाएं.”