वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि बुजुर्गों की नींद रात को बार-बार क्यों खुलती है. इसके लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक दिलचस्प प्रयोग किया.
विज्ञापन
यह बात तो जानी-मानी है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ नींद की गुणवत्ता खराब होती जाती है और बढ़िया नींद लेना मुश्किल होता जाता है. लेकिन ऐसा होता क्यों है, यह गुत्थी अब तक अनसुलझी रही है. अब अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने इस गुत्थी के कुछ उलझे धागे सुलझाए हैं.
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि मस्तिष्क का जो सर्किट नींद की गहराई और जागने की जगाई को नियंत्रित करता है, वह कैसे समय के साथ-साथ कमजोर पड़ता जाता है. शोधकर्ताओँ को उम्मीद है कि इस खोज से बेहतर दवाएं बनाने में मदद मिलेगी.
सोते हुए हमारे शरीर में क्या क्या सब चलता है?
07:09
शोध के सहलेखक स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लुईस डे लेसिया ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "65 साल से अधिक की उम्र वाले आधे से ज्यादा लोग शिकायत करते हैं कि उन्हें अच्छी नींद नहीं आती." शोध कहता है कि नींद खराब होने का संबंध सेहत के अन्य कई पहलुओं से है. इनमें हाइपरटेंशन से लेकर हार्ट अटैक, डायबिटीज, डिप्रेशन और अल्जाइमर तक शामिल हैं.
कैसे हुआ शोध
नींद ना आने की स्थिति में जो दवाएं दी जाती हैं, उन्हें हिप्नोटिक्स की श्रेणी में रखा जाता है. इनमें एंबियन भी शामिल है. लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ इन दवाओं का असर भी कम होता जाता है.
नए शोध के लिए डे लेसिया और उनके साथियों ने मस्तिष्क के उन रसायनों का अध्ययन किया जिन्हें हाइपोक्रेटिन्स कहते हैं. ये रसायन आंखों और कानों के बीच के हिस्से में मौजूद न्यूरोन्स द्वारा पैदा किये जाते हैं. मस्तिष्क में मौजूद अरबों न्यूरोन्स में से सिर्फ 50 हजार ही हाइपोक्रेटिन्स पैदा करते हैं.
1998 में डे लेसिया और अन्य वैज्ञानों ने पता लगाया था कि हाइपोक्रेटिन ही वे सिग्नल छोड़ते हैं जो इंसान को जगाए रखते हैं. चूंकि बहुत से जीवों की प्रजातियों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ नींद की कमी अनुभव की जाती है, इसलिए माना जाता है कि स्तनधारियों में भी वही प्रक्रिया काम करती है जो अन्य प्रजातियों में. हाइपोक्रेटिन्स पर पहले भी इंसानों, कुत्तों और चूहों से जुड़े शोध हो चुके हैं.
विज्ञापन
चूहों पर प्रयोग
शोधकर्ताओं ने तीन से पांच महीने के और 18 से 22 महीने के चूहों के दो समूह बनाए. उन्होंने फाइबर के जरिए प्रकाश का इस्तेमाल मस्तिष्क के कुछ न्यूरोन्स को उत्तेजित करने के लिए किया. इमेजिंग तकनीक से इस शोध के नतीजे दर्ज किए गए.
वैज्ञानिकों ने पाया कि ज्यादा उम्र के चूहों ने युवा चूहों के मुकाबले 38 प्रतिशत ज्यादा हाइपोक्रेटिन्स गंवाए. उन्हें यह भी पता चला कि बुजुर्ग चूहों में जो हाइपोक्रेटिन बचे थे वे बहुत आसानी से उत्तेजित किए जा सकते थे, यानी जीवों के जगाए रखने की संभावना बढ़ाते थे.
नींद में जरूर महसूस की होंगी ये 8 रहस्यमयी चीजें
आप नींद में होते हैं तब आपके मस्तिष्क के साथ क्या-क्या होता है, यह बात विज्ञान के लिए अब भी कई स्तर पर रहस्य है. लेकिन हम आपको बता रहे हैं ऐसी 8 बातें जिनका कारण विज्ञान जानता है और आपने भी उनको जरूर महसूस किया होगा.
तस्वीर: Colourbox/S.Mironov
स्लीप पैरेलिसिस
कई बार नींद में लगा होगा कि आप जाग रहे हैं, लेकिन हिल नहीं पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में डरावनी चीजों का भी अहसास होता है. यह स्लीप पैरेलिसिस होता है. जब आप सो रहे होते हैं तो मस्तिष्क आपके शरीर की मांसपेशियों को आराम करने के निर्देश देता है और यह लगभग पैरेलिसिस की स्थिति होती है. लेकिन जब यह स्थिति ठीक से नहीं बन पाती है तो कई बार आप नींद से जाग जाते हैं और डर का अहसास होता है.
तस्वीर: Colourbox/S.Mironov
शरीर से बाहर होने का अनुभव
एक ऐसा अनुभव जिसमें व्यक्ति को लगता है कि वह अपने शरीर से बाहर है और फिर भी अपने शरीर को बिस्तर पर लेटा हुआ देख सकता है. अभी तक इस तरह के अनुभवों का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं मालूम पड़ पाया है. हालांकि, बहुत से लोग इसे आत्मा के होने के प्रमाण के तौर पर देखते हैं. कई लोग इस अनुभव के बारे में और जानने के लिए इस स्थिति में होने का अभ्यास करते हैं.
तस्वीर: Colourbox
सपने में सपना देखना
ऐसा हो सकता है कि सपना देखते हुए आपको लगे कि आप जाग गए हैं. हालांकि, सपना जारी रहता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि असल में आप नींद से जागते नहीं हैं. इसी थीम पर ‘इन्सेप्शन’ फिल्म भी बनायी गयी थी. इस स्थिति का कारण अब तक आध्यात्म का झुकाव बताया जा रहा है. हालांकि, वैज्ञानिक अब भी इस विषय में खोज कर रहे हैं.
तस्वीर: Fotolia/olly
नींद में सेक्स
इस स्थिति में कई बार सेक्स के बीच में नींद खुलती है और ध्यान आता है कि व्यक्ति सेक्स कर रहा था. यहे सेक्सोम्निया कहलाता है. दरअसल शरीर नींद से बाहर आ जाता है लेकिन दिमाग नींद से पूरी तरह बाहर नहीं होता. इस प्रक्रिया में नींद में होने के बावजूद व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ सेक्स करना शुरू कर देता है.
तस्वीर: Fotolia/bonninturina
डरावने ख्याल
कई बार ठीक सोने जाने के वक्त पर आपको ऐसा लगा होगा कि आपके आसपास कोई डरावनी चीज है. यह खासकर बच्चों में होता है. विशेषज्ञ कहते हैं कि जब आप सोना नहीं चाहते तब खासकर ऐसा होता है. इस अनिच्छा से कई बार डरावने ख्याल आते हैं और कई बार आप कोई अच्छी कल्पना गढ़ते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Tetra Images
एक से सपने
सपनों की यह सबसे दिलचस्प दुनिया है, जहां कई बार ये महसूस होता है कि आप एक से सपना बार बार देख रहे हैं. दरअसल हमारा दिमाग बहुत सी घटनाओं से उबरने की कोशिश करता है. खासकर बुरी घटनाओं से. इस प्रक्रिया में उसी तरह की अहसासों वाली घटनाएं या मिलती जुलती चीजें आप सपनों में देखते हैं. आम दिन की चीजें आपको बार बार नहीं दिखतीं क्योंकि दिमाग उनको भूल चुका होता है और उससे उबरने की कोशिश नहीं कर रहा होता है.
तस्वीर: Colourbox/Monkey Business Images
नींद में चलना
नींद में चलना काफी खतरनाक हो सकता है. क्योंकि नींद में चलने के दौरान कई बार लोग खुद को काफी नुकसान पहुंचा लेते हैं. सबसे खतरनाक बात ये है कि नींद से जागने के बाद व्यक्ति को कुछ भी याद नहीं रहता है. व्यक्ति नींद में इसलिए चलने लगता है क्योंकि नींद के दौरान उसका शरीर तो जाग जाता है लेकिन मस्तिष्क नींद में ही होता है. अभी तक नींद में चलने के ठीक ठीक कारण पता नहीं चल पाये हैं.
कई बार, हम जीवन के कई सवालों के जवाब खोज रहे होते हैं और उनके जवाब हमें सपने में मिलता है. मशहूर दिमित्री मेंडेलीव ने पीरियॉडिक टेबल अपने सपने में ही बनाया था. यह इसलिए होता है क्योंकि कई बार हमारा अवचेतन मन कई सवालों के जवाब जानता है लेकिन उन्हें चेतन मन तक पहुंचने में वक्त लगता है.
तस्वीर: Fotolia/bramgino
8 तस्वीरें1 | 8
डे लेसिया कहते हैं कि ऐसा उन पोटाशियम चैनलों के समय के साथ नष्ट होने के कारण हो सकता है, जो कई तरह की कोशिकाओं के कामकाज के लिए शरीर के अंदर स्विच की तरह काम करते हैं. वह कहते हैं, "न्यूरोन्स के ज्यादा सक्रिय रहने की संभावना ज्यादा रहती है. वे जिससे आपके ज्यादा जगने की संभावना बढ़ती है."
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह जानकारी नींद की बेहतर दवाएं बनाने में मददगार साबित होगी. इस शोध पर टिप्पणी करते हुए ऑस्ट्रेलिया के फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस ऐंड मेंटल हेल्थ के लॉरा जैकबसन और डेनियल होयर लिखते हैं कि नीद खराब होने की जगह विशेष का पता लगने का फायदा बेहतर दवा बनाने में हो सकता है.