बढ़ती गर्मी में चैन की नींद कैसे आएगी
१३ मई २०२५
इंसान का दिमाग गर्मी के प्रति बेहद संवेदनशील होता है. तापमान बढ़ने पर यह शरीर का तापमान नियत रखने की प्रणाली को तेज करने के साथ ही तनाव के तंत्र को भी सक्रिय कर देता है. वैज्ञानिक लगातार ये जानने के लिए रिसर्च कर रहे हैं कि कैसे शरीर को तापमान के साथ अनुकूलित किया जाए. बढ़ता तापमान हमारी नींद के साथ ही सेहत और स्वास्थ्य की जटिलताओं को बढ़ा रहा है.
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बढ़ता तापमान और घटती नींद
जर्नल स्लीप मेडिसिन में छपी एक समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, "जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के कारण बढ़ता तापमान इंसान की नींद के लिए पूरे संसार में एक खतरा है जो स्वास्थ्य, प्रदर्शन और सुख को प्रभावित करता है." 21वीं सदी के पहले दो दशकों में इंसान ने पुराने समय की तुलना में औसतन 44 घंटे की नींद गंवाई है. वन अर्थ जर्नल में 2022 की एक रिसर्च रिपोर्ट छपी थी जिसमें यह जानकारी दी गई. इसके पीछे बढ़ते तापमान को जिम्मेदार बताया गया.
पृथ्वी का तापमान बढ़ने की वजह से 2099 तक औसतन प्रति व्यक्ति 50 से 58 घंटे तक की नींद में कमी आ सकती है. यह आकलन कोपेनहेगेन यूनिवर्सिटी की रिसर्च का नेतृत्व कर रहे केल्टन माइनर का है. इस रिसर्च के लिए 68 देशों के 47,000 से ज्यादा लोगों के आंकड़े जुटाए गए.
तापमान को नियंत्रित करने वाले न्यूरॉन्स और दिमाग में नींद दोनों एक दूसरे से काफी ज्यादा जुड़े हुए हैं. इसके साथ ही शरीर के अंदरूनी थर्मोस्टैट को नीचे ले जाना नींद को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है. पेरिस साइट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर फाबियन साउवे के मुताबिक गर्मी के साथ अनुकूलन शरीर की कीमत पर हासिल होता है. साउवे ने कहा, "उदाहरण के लिए हमें ज्याद और तेजी से पसीना आता है लेकिन इसके लिए शरीर में अतिरिक्त पानी की जरूरत होती है, और इसकी सीमाएं हैं तो लू चलने के दौरान सबसे जरूरी है अपने व्यवहार को अनुकूलित करना" जैसे कि हमारी गतिविधियां, दिनचर्या और कपड़े.
सोना छोड़ कर एसी खरीद रहे हैं लोग
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इंसान "जितना सोचा गया था उससे कहीं ऊंचा तापमान सहन कर सकता है." कई अध्ययनों ने यह दिखाया है कि कमरे का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस तक रख कर अच्छी नींद हासिल की जा सकती है. अच्छी नींद के लिए "18-22 डिग्री सेल्सियस के तापमान की गलत धारणा" को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि टीशर्ट और शॉर्ट्स जैसे हल्के कपड़ों में और हल्की चादर ओढ़ कर हवादार कमरे में सोना कुछ और डिग्री ज्यादा वाले तापमान में भी अच्छी नींद दिला सकता है. उन्होंने कहा, "अगर हम हमेशा एयर कंडिशनर के साथ सोएंगे तो हम कभी अनुकूलित नहीं हो पाएंगे."
अच्छी नींद नहीं आने के नुकसान
आरमेले रॉन्सियाक सेंटर फॉर इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च इन बायोलॉजी में न्यूरोसाइंटिस्ट हैं. उनका कहना है कि 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने पर स्थितियां बहुत जटिल हो जाएंगी. नींद में जरूरत से ज्यादा कमी शरीर के रिकवरी वाले तंत्र में बाधा डालती है. कम समय के लिए ऐसा होने पर इसकी वजह से ऊंघने या थकावट के साथ ही कार्यस्थल या सड़क पर हादसे का खतरा है.
इसका दीर्घकालीन असर नुकसानदेह नींद की "कमी" पैदा करेगा जो हमारे मेटाबॉलिज्म पर असर डालने के साथ ही वजन बढ़ना, डायबिटिज, दिल की बीमारियां और अल्जाइमर जैसे रोग को जन्म दे सकता है. नींद में कमी के कारण तनाव प्रतिरोधक क्षमता भी घटती है और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर होगा.
गर्म वातावरण में अच्छी नींद पाने के लिए रॉन्सियाक ने इस बात पर जोर दिया कि नींद के दुश्मनों को खत्म किया जाए या फिर कम से कम उन पर ध्यान दिया जाए.
सोने से ठीक पहले ठंडे पानी (बर्फीले नहीं) से स्नान और कॉफी और अल्कोहल जैसी चीजों का कम प्रयोग अच्छी नींद में मददगार है. हालांकि इनकी वजह से शरीर का अंदरूनी तापमान थोड़ा बढ़ जाता है. वर्कआउट के बाद हॉट टब की बजाय ठंड़े पानी से नहाना ज्यादा अच्छा है. अत्यधिक गर्मी वाले घंटों में कुछ देर की नींद भी नींद की कमी को खत्म करने में सहायक होती है. दोपहर के 2 बजे से पहले 30-40 मिनट की नींद आदर्श है, यह रात की अच्छी नींद के लिए बाधा नहीं बनती.