इंसान की नाक में पाए जाने वाले एक बैक्टीरिया से एक ऐसा असरदार एंटीबायोटिक बनाने की संभावना जगी है जो सुपरबग तक को मार सकता है.
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जर्मनी के वैज्ञानिकों ने इंसान की नाक में एक ऐसे बैक्टीरिया का पता लगाया है जिससे निकलने वाला कम्पाउंड कई खतरनाक रोगाणुओं को मार सकता है, यहां तक कि सुपरबग एमआरएसए को भी.
नया एंटीबायोटिक बनाने की राह अभी काफी लंबी है. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल नेचर में छपी इस खोज से यह उम्मीद जरूर जगी है कि एक दिन ऐसी कई एंटीबायोटिक दवाएं होंगी जो आज की दवाओं से बेअसर हो चुके रोगों और बैक्टीरियल संक्रमणों को ठीक कर सकेंगी.
वायरस से होने वाले कई संक्रमणों में नाक पर सीधा असर होता है. असल में नाक के अंदर रहने वाले 50 से भी अधिक तरह के बैक्टीरिया का पता चल चुका है. इस खोज पर काम करने वाले ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर आंद्रेयास पेशेल ने बताया, "यही कारण है कि हमने शरीर के इसी हिस्से पर ध्यान दिया. और इससे हमें कई दिलचस्प और अप्रत्याशित चीजें मिलीं, जिनसे भविष्य के एंटीबायोटिक्स के विकास में मदद मिलेगी."
केवल अस्पतालों में ही नहीं बल्कि सुपरबग की पहुंच आपके किचन में हो सकती है. एंटीबायोटिक दवाइयों से नियंत्रण में ना आने वाले सुपरबग को खुद से दूर रखने के लिए उठाएं ये कदम.
सुपरबग को रखें रसोई से दूर
केवल अस्पतालों में ही नहीं बल्कि सुपरबग की पहुंच आपके किचन में हो सकती है. एंटीबायोटिक दवाइयों से नियंत्रण में ना आने वाले सुपरबग को खुद से दूर रखने के लिए उठाएं ये कदम.
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सूअर से घर तक
औद्योगिक स्तर पर की जा रही जानवरों की ब्रीडिंग में एंटीबायोटिक्स का खूब इस्तेमाल होता है. इन्हीं जानवरों का कच्चा मांस जब पैक होकर हमारे नजदीकी सुपरमार्केट की रैक पर पहुंचता है, तब उसमें कई सारे जिद्दी एंटीबायोटिकरोधी बैक्टीरिया पनप चुके होते हैं. यह सुपरबग हमें गंभीर रूप से बीमार कर सकते हैं.
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डीफ्रॉस्ट करना है जरूरी
जितना बड़ा मांस का टुकड़ा होगा, उतना जरूरी हो जाता है उसे ठीक से डीफ्रॉस्ट करना. इसके बाद जब इसे पकाया जाएगा तो मांस का टुकड़ा उस तापमान तक पहुंच पाएगा, जिस पर बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं.
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सही बर्तनों का इस्तेमाल
विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां या मांस काटने के लिए जिस कठोर चॉपिंग बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है, वह कांच का बना होना चाहिए. प्लास्टिक या लकड़ी के बने बोर्ड में चाकु से लगने वाले कटों में खाने की चीजें फंस जाती हैं और उसमें कीटाणु पनप सकते हैं.
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सही तापमान तक पकाना
70 डिग्री सेल्सियस तक पकाने पर भोजन के सभी रोगाणु मर जाते हैं. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि कच्चे मांस को खूब अच्छी तरह तेज आंच पर पकाया जाए. कई बार माइक्रोवेव में पकाने पर सभी रोगाणु नहीं मरते.
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हाथों को धोना
हाथ साफ पानी और साबुन से धोने के बाद ही खाना पकाएं. इसके अलावा कच्चे मांस, अंडे, मछली वगैरह छूने के बाद भी हाथों को जरूर धोना चाहिए.
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अब तक बनाए गए कई एंटीबायोटिक्स को मिट्टी या फिर पर्यावरण में पाए जाने वाले दूसरे बैक्टीरिया से विकसित किया गया है. रिसर्चरों ने बताया कि इंसानों से मिलने वाले माइक्रोऑर्गेनिज्म की दुनिया को खंगालना अभी बाकी है. पेशेल का मानना है, "शायद इंसानों के लिए नए एंटीबायोटिक खोजने के लिए यही सही जगह है."
इस नए आविष्कार को लुगडुनिन नाम दिया गया है. रिसर्चर इसे पेप्टाइड एंटीबॉडीज की एक नई श्रेणी की मिसाल मान रहे हैं. नाक के छेद में रहने वाले बैक्टीरिया स्टेफाइलोकॉक्कस लुगडुनेसिस से ही लुगडुनिन पैदा होता है. चूहे पर किए परीक्षण में पेशेल ने पाया कि इस कंपाउंड से त्वचा का इंफेक्शन ठीक हो गया. इसके अलावा यह कंपाउंड से कई ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया पर भी असर हुआ पाया गया, जिनमें सुपरबग एमआरएसए भी शामिल है.
सूक्ष्मजीवों का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है. कभी ये जानलेवा बीमारी के लिए जिम्मेदार होते हैं, तो कभी खाने पीने की जरूरत भी बन जाते हैं.
कितने जरूरी हैं बैक्टीरिया और फंगस?
सूक्ष्मजीवों का हमारे जीवन में बड़ा महत्व है. कभी ये जानलेवा बीमारी के लिए जिम्मेदार होते हैं, तो कभी खाने पीने की जरूरत भी बन जाते हैं.
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फंगस से बचें
खाना पुराना होने पर अक्सर उस पर फंगस लग जाती है. यह हानिकारक हो सकती है. जिन लोगों का इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर होता है, उनकी फंगस के संपर्क में बने रहने से मौत भी हो सकती है. कई लोग फंगस दिखने पर ब्रेड का टुकड़ा फेंक देते हैं और बाकी की ब्रेड का इस्तेमाल करने लगते हैं, ऐसा करने से बचें.
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कुछ फायदे भी
सारे बैक्टीरिया, फंगस या वायरस नुकसानदायक नहीं होते, कई फायदेमंद भी होते हैं. जैसे केक में डालने वाला खमीर, दही का बैक्टीरिया या चीज में इस्तेमाल होने वाला फंगस. प्रोसेस्ड फूड बनाने में भी फंगस का इस्तेमाल किया जाता है. ये वसा को जलाने का भी काम करते हैं.
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पहचानना मुश्किल
सलामी बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. इसके लिए मांस को कई कई हफ्तों तक मसाले मिला कर सुखाया जाता है. इस दौरान साफ सफाई और सही तापमान का ध्यान रखना बहुत जरूरी हैं, क्योंकि गर्मी और नमी से फंगस पैदा हो सकता है. चिंता के बात यह है कि सलामी की बनावट ऐसी होती है कि इसे देख कर पता भी नहीं चलता कि यह सलामी का ही रंग है या फिर फंगस का.
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बिना ऑक्सीजन के भी
क्लॉसट्रीडियम बोटुलीनम - यह नाम है एक ऐसे बैक्टीरिया का जो बिना ऑक्सीजन के भी जिंदा रह सकता है. यह बोटॉक्स बनाता है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक सर्जन त्वचा को कोमल बनाने के लिए करते हैं. लेकिन यही बैक्टीरिया अगर खाने में डल जाए तो जान ले सकता है. इससे ना केवल हाथों पैरों की, बल्कि सांस और धड़कन के लिए जिम्मेदार मांसपेशियों को में भी लकवा मार सकता है.
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सलाद से खतरा
यूरोप में लोग सलाद बहुत चाव से खाते हैं. 2011 तक जर्मनी में अंकुरित दाल भी काफी लोकप्रिय थी. उस साल देश में ई. कोलाई बैक्टीरिया के कारण 53 लोगों की जान गयी. पहले माना गया कि यह बैक्टीरिया खीरे और टमाटर से आया. इसलिए कई टन खीरे टमाटर फेंक दिए गए. फिर पता चला कि यह अंकुरित दाल से फैला. हालांकि खाने को पकाने पर यह बैक्टीरिया मर जाता है.
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दूध से दोस्ती
20 डिग्री के तापमान वाला दूध बैक्टीरिया के लिए जन्नत जैसा है. इस तापमान पर वे बहुत ही तेजी से बढ़ते हैं. इंसान को यह बात सदियों पहले ही पता चल गयी थी. इसी का इस्तेमाल करते हुए किसी संस्कृति में दही का तो किसी में चीज का चलन शुरू हुआ. चीज के रूप में दूध को कई महीनों तक संभाल कर रखा जा सकता है.
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लाखों जानें
कैम्पाइलोबैक्टर और सालमोनेला जैसे बैक्टीरिया मांसाहारी आहार से फैलते हैं. कई देशों में मांस को बहुत ज्यादा पकाने का चलन नहीं है. ऐसे में इनके फैलने का खतरा और बढ़ जाता है. इनसे होने वाली बीमारी टाइफस के कारण हर साल दुनिया भर में तीन करोड़ से ज्यादा मौतें दर्ज की जाती हैं.
साफ पानी जरूरी
नोरोवायरस का संक्रमण बहुत आसानी से एक से दूसरे व्यक्ति को फेलता है. यह वायरस पेट में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है. बहुत ज्यादा उल्टी दस्त होने से जान पर भी बन सकती है. बचाव के लिए जरूरी है कि हमेशा साफ पानी पिएं.
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जर्मन रिसर्चरों ने इस बात पर जोर दिया कि यह शोध अभी काफी शुरुआती चरण में है और किसी फार्मा कंपनी के साथ मिलकर रिसर्चरों की टीम कई सालों तक काम करेगी. इसके बाद ही एक नई एंटीबायोटिक दवा का निर्माण हो सकेगा, जिसे क्लीनिकल ट्रायलों में इस्तेमाल किया जाएगा.