ग्रीनहाउस उत्सर्जन को रोकने के लिए गायों की पॉटी ट्रेनिंग
१४ सितम्बर २०२१
न्यूजीलैंड और जर्मन शोधकर्ताओं ने गायों को पेशाब करने की खास ट्रेनिंग दी है, इस उम्मीद के साथ कि यह ट्रेनिंग पानी के प्रदूषण और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकती है.
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ऑकलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता लिंडसे मैथ्यूज और डगलस एलिफ ने जर्मनी में इंस्टीट्यूट फॉर फार्म एनिमल बायोलॉजी संस्थान द्वारा चलाए जाने वाले एक तबेले में 16 बछड़ों के साथ शोध किया. उनके साथ जर्मन शोधकर्ताओं ने भी इस प्रयोग में साथ दिया. उन्होंने अपने बयान में कहा कि बछड़ों को "शौच रोकने" की ट्रेनिंग दी जा सकती है और वे ऐसा कर सकते हैं.
गोमूत्र में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए अगर गायों को "शौचालय" में पेशाब करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है तो ऐसे में कम से कम कुछ नाइट्रोजन से निपटा जा सकता है, और उसे पानी को प्रदूषित करने से रोक पाना मुमकिन है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि बछड़े अगर गलत स्थान पर पेशाब करते तो वे उनके गले पर पड़े पट्टे को वाइब्रेट करते हैं. जब बछड़े सही स्थान पर पेशाब करते हैं तो उन्हें इनाम के तौर पर भोजन दिया जाता. शौचालय पेन को अलग-अलग रंगों से दर्शाया गया, गायों को जिस शौचालय पेन में पेशाब करना होता वह हरा रंग का बनाया गया था.
मैथ्यूज कहते हैं, "जिस तरह से कुछ लोग अपने बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं. वे उन्हें टॉयलेट सीट पर बिठाते हैं, बच्चे के पेशाब करने का इंतजार करते हैं और फिर अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें इनाम दिया जाता है. ऐसा ही कुछ काम बछड़ों के साथ किया गया."
ये तापमान देखकर छूट जाएंगे पसीने
कनाडा का लैपलैंड हो या भारत, दुनिया के कई हिस्सों में इस साल गर्मी का रिकॉर्ड टूट गया है. दक्षिणी गोलार्ध में जहां सर्दियां होती हैं, वहां भी तापमान नई ऊंचाई छू रहा है. देखिए, कहां कहां टूट गया रिकॉर्ड.
तस्वीर: kavram/Zoonar/picture alliance
लिटन, कनाडा
कनाडा के शहर लिटन में 2 जुलाई को गर्मी सारी हदें तोड़ गईं जब तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस हो गया. कुछ ही दिन बाद यह शहर जंगल की आग में जल रहा था.
तस्वीर: JENNIFER GAUTHIER/REUTERS
लैपलैंड, फिनलैंड
1914 के बाद फिनलैंड की यह अब तक की सबसे तेज गर्मी है. उत्तरी फिनलैंड में 33.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. स्कैंडेनेविया के कई हिस्सों में तापमान औसत से 10-15 डिग्री तक ज्यादा दर्ज हुआ है. वैज्ञानिकों ने उत्तरी यूरोप में गर्मी को उत्तरी अमेरिका के ऊपर बने डोम से संबंधित बताया है.
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नई दिल्ली, भारत
भारत की राजधानी में जुलाई की शुरुआत में ही 43 डिग्री सेल्सियस तापमान पहुंच गया था, जो नौ साल में सबसे अधिक है. मॉनसून दो हफ्ते की देरी से चल रहा है. गर्मी से भारत में पिछले 11 साल में 6,500 जानें गई हैं.
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निजन्याया पेशा, रूस
साइबेरिया भी इस बार कड़ी गर्मी झेली है. मई में तापमान 30 डिग्री के ऊपर था जो यूरोप के कई हिस्सों से ज्यादा था. सूखे और तेज गर्मी ने उत्तरी रूस के जंगलों को आग में झोंक दिया है और भारी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड वातावरण में जा रही है.
तस्वीर: Thomas Opel
न्यूजीलैंड
जब बाकी दुनिया में गर्मी होती है, दक्षिणी गोलार्ध के देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में सर्दी का मौसम होता है. लेकिन न्यूजीलैंड में इस बार सर्दी पहले से कहीं ज्यादा गर्म है. पिछले महीने तापमान 22 डिग्री पहुंच गया, जिस कारण 110 साल में सबसे गर्म जून रहा. सर्दी में इतनी गर्मी का असर खेती पर भी हो रहा है.
तस्वीर: kavram/Zoonar/picture alliance
मेक्सिको
इस साल जून में मेक्सिको में 51.4 डिग्री तापमान दर्ज हुआ है जो इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा है. देश पिछले 30 सालों के सबसे बुरे सूखे से गुजर रहा है. बाजा कैलिफोर्निया में हालात इतने बुरे हैं कि कॉलराडो नदी वहां सूख चुकी है.
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गडामेस, लीबिया
अरब प्रायद्वीप और उत्तरी अफ्रीका में भी यह साल औसत से ज्यादा गर्म रहा है. सहारा रेगिस्तान में पिछले महीने तापमान 50 डिग्री सेल्यिसस दर्ज किया गया. इस बीच पश्चिमी लीबिया में जून सामान्य से 10 डिग्री ज्यादा गर्म रहा. गडामेस में रिकॉर्ड 46 डिग्री तापमान दर्ज हुआ और राजधानी त्रिपोली में 43 डिग्री.
तस्वीर: DW/Valerie Stocker
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15 दिनों के प्रशिक्षण के अंत तक तीन-चौथाई बछड़े ऐसे थे जो तीन-चौथाई पेशाब शौचालय में करना सीख गए. एलिफ कहते हैं, "अगर हम 10 या 20 प्रतिशत पेशाब इकट्ठा कर सकते हैं, तो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण ढंग से पर्याप्त होगा."
गाय दिन भर जुगाली करती है, यानि घास खाती है, उसे निगलती है, उसे फिर निकालती है और फिर उसे चबाती है. घास खाते समय डकार और गोबर के साथ वह मीथेन गैस भी निकालती है.
मीथेन गैस को सबसे खतरनाक ग्नीनहाउस गैस माना जाता है और यह पृथ्वी के वायुमंडल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती है. खाने के साथ साथ गाय का गोबर भी मीथेन का एक बड़ा स्रोत है.
दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का करीब एक तिहाई हिस्सा जुगाली करने वाले जानवरों से आता है. एक किलो मीथेन कार्बन डायॉक्साइड से जलवायु को कहीं ज्यादा गुना हानि पहुंचा सकती है. गायों से अगर मीथेन उत्सर्जन को कम किया जा सके, तो पर्यावरण को भी फायदा होगा.
एए/सीके (डीपीए)
घायल गायों की मदद
स्विट्जरलैंड के ऐल्प्स की घाटियों में घायल हुई गायों को हेलिकॉप्टर की मदद से घर पहुंचाया गया. देखिए ये अद्भुत तस्वीरें...
तस्वीर: Reuters/D. Balibouse
हेलिकॉप्टर से मदद
गर्मी के मौसम में अपनी यात्रा के दौरान घायल हुई गायों को यूं मदद पहुंचाई गई.
तस्वीर: Arnd Wiegmann/REUTERS
क्लाउजेनपास की चढ़ाई
12 गायों को हेलिकॉप्टर से क्लाउजेनपास पर्वत की तलहटी में लाया गया, जहां वे अपने झुंड की बाकी गायों से मिलेंगी.
तस्वीर: Arnd Wiegmann/REUTERS
घायलों को प्राथमिकता
लगभग हजार गायों का झुंड धीरे-धीरे पर्वत से उतर रहा है. इन घायल गायों को पहले ही पहुंचा दिया गया.
तस्वीर: Arnd Wiegmann/REUTERS
हजारों फुट की चढ़ाई
क्लाउजेनपास पर्वत का दर्रा समुद्र तल से 1950 मीटर यानी 6400 फुट की ऊंचाई पर है. ये गाय वहां से ऊपर गई थीं.
तस्वीर: Arnd Wiegmann/REUTERS
चराई का मौसम
गायों के लिए यह चराई का मौसम था और वे घास के मैदानों पर चरने गई थीं. अब ये गाय नीचे उतर रही हैं.