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विज्ञानऑस्ट्रेलिया

खुल गया 26 साल पहले मिले जीवाश्म का रहस्य

१० अगस्त २०२३

26 साल पहले सनसनी फैलाने वाली एक अनोखी चीज का रहस्य खुल गया है. वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि 1997 में ऑस्ट्रेलिया में मिली वह चीज क्या थी.

प्रोफेसर लाखलन हार्ट
ऑस्ट्रेलिया के यूएनएसडब्ल्यू के प्रोफेसर लाखलन हार्टतस्वीर: UNSW Sydney/Richard Freeman

वैज्ञानिकों ने 26 साल पहले मिले जीवाश्म की पहेली को सुलझा लिया है. उन्होंने पता लगा लिया है कि 1997 में ऑस्ट्रेलिया के एक मुर्गीपालक को जो जीवाश्म मिला था, वो किस जीव का था. बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने बताया कि आखिरकार पता लगा गया है, वह रहस्यमयी जीव कौन था जिसका 24 करोड़ साल पुराना अंश 26 साल से एक संग्रहालय में रखा हुआ था.

यह जीवाश्म 1997 में सिडनी के पास उमीना बीच कस्बे में मिला था.तस्वीर: UNSW Sydney/Richard Freeman

यह जीवाश्म 1997 में मिहैल मिहालीदिस नाम के एक मुर्गीपालक को अपने घर के आंगन में मिला था. उन्होंने इसे ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम को दान दे दिया था. तब से ही वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश में थे कि यह जीव कौन सा था.

मगरमच्छ से मिलता-जुलता

बुधवार को न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी लाखलन हार्ट ने कहा कि यह एक उभयचर का अंश है जिसके तीखे दांत थे और सूंड भी थी जो करीब 24 करोड़ साल पहले धरती पर विचरता था. प्रोफेसर हार्ट ने बताया कि वह जीव एक भारी-भरकम शरीर रखता था. उसकी लंबाई करीब चार फुट थी और वह मगरमच्छ से मिलता-जुलता था.

प्रोफेसर हार्ट ने बताया कि संभवतया यह जीव ताजा पानी की मछलियों का शिकार करता था जिसमें उसके पैने दांत उसके खूब काम आते थे. उसके मुंह की जड़ के पास उसके दो सूंड भी थे. हार्ट कहते हैं, "हमें उसके सिर और शरीर से जुड़े कंकाल अक्सर नहीं मिलते हैं और नरम उत्तकों का संरक्षण तो और भी दुर्लभ है.”

इस नये जीव को वैज्ञानिकों ने एरेनाएरपेटन सुपिनेटस नाम दिया है, जिसे आसान भाषा में रेंगने वाला रीढ़धारी कहा जा सकता है. हार्ट बताते हैं कि यह जीव बहुत दुर्लभ प्रजाति टेमनोसपॉन्डिल्स से आता है जो डायनासॉर के जन्म के पहले धरती पर मौजूद थे.

कैसे हुई पहचान?

जीवाश्म की पहचान के लिए वैज्ञानिकों ने भारी-भरकम जीवाश्म का ऑस्ट्रेलिया की बॉर्डर पुलिस के जवानों की मदद से एक्स-रे किया. इसके लिए वैज्ञानिकों ने उसी एक्स-रे स्कैनर का इस्तेमाल किया जो विदेशों से आने वाले माल की जांच के लिए प्रयोग होता है.

1997 में यह जीवाश्म सिडनी से करीब 100 किलोमीटर दूर उमीना बीच नाम के कस्बे में मिला था. तब इस जीवाश्म को देखकर खासी सनसनी फैल गयी थी और टाइम मैग्जीन ने इस पर खबर छापते हुए लिखा था कि यह मानव विकास की कहानी की दिशा बदल सकता है.

ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम के जीवविज्ञानी मैथ्यू मैक्करी ने कहा, "न्यू साउथ वेल्स में पिछले 30 साल में मिले सबसे महत्वपूर्ण जीवाश्मों में से यह एक है. इसलिए औपचारिक रूप से इसकी पहचान होना उत्साहजनक है. यह ऑस्ट्रेलिया की जीवाश्म विरासत का एक अहम हिस्सा है.”

वीके/सीके (एएफपी)

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