26 साल पहले सनसनी फैलाने वाली एक अनोखी चीज का रहस्य खुल गया है. वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है कि 1997 में ऑस्ट्रेलिया में मिली वह चीज क्या थी.
विज्ञापन
वैज्ञानिकों ने 26 साल पहले मिले जीवाश्म की पहेली को सुलझा लिया है. उन्होंने पता लगा लिया है कि 1997 में ऑस्ट्रेलिया के एक मुर्गीपालक को जो जीवाश्म मिला था, वो किस जीव का था. बुधवार को ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने बताया कि आखिरकार पता लगा गया है, वह रहस्यमयी जीव कौन था जिसका 24 करोड़ साल पुराना अंश 26 साल से एक संग्रहालय में रखा हुआ था.
यह जीवाश्म 1997 में मिहैल मिहालीदिस नाम के एक मुर्गीपालक को अपने घर के आंगन में मिला था. उन्होंने इसे ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम को दान दे दिया था. तब से ही वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश में थे कि यह जीव कौन सा था.
मगरमच्छ से मिलता-जुलता
बुधवार को न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी लाखलन हार्ट ने कहा कि यह एक उभयचर का अंश है जिसके तीखे दांत थे और सूंड भी थी जो करीब 24 करोड़ साल पहले धरती पर विचरता था. प्रोफेसर हार्ट ने बताया कि वह जीव एक भारी-भरकम शरीर रखता था. उसकी लंबाई करीब चार फुट थी और वह मगरमच्छ से मिलता-जुलता था.
54 करोड़ रुपयों में बिका टी-रेक्स का कंकाल
स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में टिरैनोसौरस रेक्स के एक दुर्लभ कंकाल की करीब 54 करोड़ रुपयों में नीलामी हुई है. देखिए इस डायनासोर के कंकाल की तस्वीरें.
तस्वीर: Michael Buholzer/dpa/picture alliance
दुर्लभ कंकाल
ज्यूरिख में हुई एक नीलामी में 6.7 करोड़ साल पुराने टिरैनोसोर रेक्स (टी-रेक्स) का यह कंकाल करीब 60 लाख यूरो या करीब 54 करोड़ रुपयों में बिका. नीलामी कराने वाले कोल्लर ऑक्शन हाउस ने खरीदार की पहचान का खुलासा नहीं किया लेकिन इतना बताया कि कंकाल यूरोप में ही रहेगा.
तस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP
293 हड्डियों का कंकाल
कोल्लर के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस दाम में ऑक्शन हाउस का कमीशन भी शामिल है. इस टी रेक्स का नाम "टीआरएक्स-293 ट्रिनिटी" है. इस कंकाल में कुल 293 हड्डियां हैं और कोल्लर के मुताबिक इनमें से आधी से भी ज्यादा "ओरिजिनल बोन मैटेरियल" हैं.
तस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP
तीन नमूनों से मिल कर बना "ट्रिनिटी"
इन हड्डियों को 2008 से 2013 के बीच अमेरिकी राज्यों व्योमिंग और मोंटाना के बीच एकत्रित किए गए तीन अलग अलग नमूनों से लिया गया है. दुनिया में इससे भी बड़े डायनासोरों के अवशेष मिले हैं लेकिन टी-रेक्स को सबसे कीमती माना जाता है.
तस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP
1.4 मीटर लंबी साबुत खोपड़ी
ट्रिनिटी नीलामी में बिकने वाला इतिहास में तीसरा टी-रेक्स कंकाल है. कोल्लर के मुताबिक यह 11.6 मीटर लंबा और 3.9 मीटर ऊंचा है. इसकी सबसे अनूठी विशेषता इसकी 1.4 मीटर लंबी साबुत खोपड़ी है. कोल्लर के वैज्ञानिक सलाहकार के मुताबिक खोपड़ी "बेहद नाजुक और बेहद दुर्लभ" है.
तस्वीर: Fabrice Coffrini/AFP
नीलामी पर सवाल
ऑक्शन हाउस के मुताबिक इसके तुलना योग्य लगभग सभी दूसरे कंकाल संग्रहालयों में है, जिसकी वजह से यह "खरीदने के लिए उपलब्ध एक दुर्लभ नमूना" है. लेकिन जीवाश्म वैज्ञानिक थॉमस होल्त्ज इस तरह के नमूनों की बिक्री का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि "अलग अलग कंकालों से असली हड्डियां निकाल कर उन्हें मिला कर एक कंकाल बनाना भ्रामक और अनुचित" है.
तस्वीर: Ted Shaffrey/AP Photo/picture alliance
विज्ञान का नुकसान?
होल्त्ज का मानना है कि ट्रिनिटी "स्पेसिमेन" नहीं बल्कि "आर्ट इंस्टॉलेशन" है. विशेषज्ञ इस तरह डायनासोरों के कंकालों की बिक्री का भी विरोध करते आए हैं. उनका कहना है कि ऐसा करने से नमूने निजी हाथों में जाते हैं और फिर वो शोधकर्ताओं की पहुंच से दूर हो सकते हैं, जो विज्ञान के लिए नुकसानदेह होगा. (रॉयटर्स, डीपीए)
तस्वीर: Travis Te/REUTERS
6 तस्वीरें1 | 6
प्रोफेसर हार्ट ने बताया कि संभवतया यह जीव ताजा पानी की मछलियों का शिकार करता था जिसमें उसके पैने दांत उसके खूब काम आते थे. उसके मुंह की जड़ के पास उसके दो सूंड भी थे. हार्ट कहते हैं, "हमें उसके सिर और शरीर से जुड़े कंकाल अक्सर नहीं मिलते हैं और नरम उत्तकों का संरक्षण तो और भी दुर्लभ है.”
इस नये जीव को वैज्ञानिकों ने एरेनाएरपेटन सुपिनेटस नाम दिया है, जिसे आसान भाषा में रेंगने वाला रीढ़धारी कहा जा सकता है. हार्ट बताते हैं कि यह जीव बहुत दुर्लभ प्रजाति टेमनोसपॉन्डिल्स से आता है जो डायनासॉर के जन्म के पहले धरती पर मौजूद थे.
कैसे हुई पहचान?
जीवाश्म की पहचान के लिए वैज्ञानिकों ने भारी-भरकम जीवाश्म का ऑस्ट्रेलिया की बॉर्डर पुलिस के जवानों की मदद से एक्स-रे किया. इसके लिए वैज्ञानिकों ने उसी एक्स-रे स्कैनर का इस्तेमाल किया जो विदेशों से आने वाले माल की जांच के लिए प्रयोग होता है.
कौन सा देश कब छोड़ेगा पेट्रोल-डीजल वाहन
यूरोपीय संघ ने 2035 तक जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाले वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद करने के समझौते को पारित कर दिया है. देखिए, कौन-कौन से देश कब जीवाश्म ईंधन पर चलने वाले वाहन पूरी तरह बंद कर देंगे.
तस्वीर: Oliver Ruhnke/IMAGO
यूरोपीय संघ में 2035 तक
यूरोपीय संघ के 27 देशों के बीच 2035 तक जीवाश्म ईंधनों पर चलने वाले वाहन पूरी तरह बंद करने को लेकर समझौता हो गया है. उसके बाद से सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही यूरोप की सड़कों पर चल पाएंगे.
तस्वीर: Oliver Ruhnke/IMAGO
नॉर्वे सबसे आगे
पेट्रोल और डीजल आदि से चलने वाले वाहनों को सड़कों से हटाने के मामले में नॉर्वे सबसे आगे है. 2025 के बाद से वहां वही वाहन बेचे जाएंगे जो इलेक्ट्रिक बैट्री या फिर हाइड्रोजन पर चलते हों. 2022 में वहां कुल कार बिक्री का 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन थे.
तस्वीर: Roberto Moiola/Cavan Images/imago images
ब्रिटेन, इस्राएल, सिंगापुर
ये तीनों देश 2030 तक इंटरनल कंबस्चन इंजन (ICE) वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद कर देना चाहते हैं. ब्रिटेन में नई ‘हरित औद्योगिक क्रांति‘ की योजना बन रही है, जिसके तहत हजारों नौकरियां पैदा करने की कोशिश है.
तस्वीर: DANIEL LEAL-OLIVAS/AFP
चीन का हाल
इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के मामले में चीन बाकी देशों से आगे है. वहां सैकड़ों कंपनियां इलेक्ट्रिक कारें बना रही हैं और उन पर भारी सब्सिडी भी दी जा रही है. दुनिया का सबसे बड़ा प्रदूषक चीन 2035 तक अधिकतर आईसीई वाहनों को हटा लेना चाहता है. लेकिन 2025 तक कुल बिक्री का सिर्फ 20 फीसदी ही इलेक्ट्रिक होने का अनुमान है.
तस्वीर: Mark Schiefelbein/AP Photo/picture alliance
अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की क्लाइमेट योजना के तहत 2030 तक कुल बिक्री की आधी कारें शून्य उत्सर्जन करने वाली होने का लक्ष्य तय किया गया है. लेकिन इस लक्ष्य में हाइब्रिड कारों को भी शामिल किया गया है, जिनमें पेट्रोल या डीजल इंजन के साथ-साथ बैट्री होती है.
तस्वीर: Patrick Pleul/dpa/picture alliance
नीदरलैंड्स, स्वीडन और आयरलैंड
इन तीनों देशों के लक्ष्य बाकी यूरोप से ज्यादा महत्वाकांक्षी हैं. यूरोपीय संघ के सदस्य होने के बावजूद वे 2030 तक अपने यहां से आईसीई वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं.
तस्वीर: Johan Nilsson/TT/REUTERS
जापान
जापान कारों की बड़ा निर्माता है. हाइब्रिड कारों के मामले में टोयोटा दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में से एक है. इसके बावजूद 2022 में जापान की कुल कार बिक्री का मात्र 1.7 फीसदी इलेक्ट्रिक कारें थीं. 2030 तक सरकार आइस वाहनों को सड़कों से हटाना चाहती है लेकिन हाइब्रिड कारें इनमें शामिल नहीं हैं.
तस्वीर: Kyodo News/AP/picture alliance
भारत
भारत में कारों की बिक्री और तेज होने की संभावना है. प्रदूषण की मार से जूझ रहे भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक देश की कुल कार बिक्री का 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन हों.
तस्वीर: Divyakant Solanki/picture alliance/dpa
चिली
चिली लीथियम के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जो कारों के लिए बैट्री बनाने में काम आता है. उसका लक्ष्य है कि 2035 तक देश में आईसीई वाहनों की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए.
तस्वीर: DW
9 तस्वीरें1 | 9
1997 में यह जीवाश्म सिडनी से करीब 100 किलोमीटर दूर उमीना बीच नाम के कस्बे में मिला था. तब इस जीवाश्म को देखकर खासी सनसनी फैल गयी थी और टाइम मैग्जीन ने इस पर खबर छापते हुए लिखा था कि यह मानव विकास की कहानी की दिशा बदल सकता है.
ऑस्ट्रेलियन म्यूजियम के जीवविज्ञानी मैथ्यू मैक्करी ने कहा, "न्यू साउथ वेल्स में पिछले 30 साल में मिले सबसे महत्वपूर्ण जीवाश्मों में से यह एक है. इसलिए औपचारिक रूप से इसकी पहचान होना उत्साहजनक है. यह ऑस्ट्रेलिया की जीवाश्म विरासत का एक अहम हिस्सा है.”