इतिहास रचने की उम्मीद कर रहे हैं मोदी के दोस्त मॉरिसन
२० मई २०२२
शनिवार को ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक चुनाव के लिए मतदान होगा. पहली बार एक पार्टी चौथी बार लगातार सरकार बनाने की उम्मीद में है. और ऐसा होता है तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्त स्कॉट मॉरिसन एक इतिहास रच देंगे.
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शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के लोग अपनी नई केंद्र सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे. पिछले एक हफ्ते से मतदान शुरू हो चुका है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में वोटिंग के लिए तय समय से पहले भी मतदान किया जा सकता है, लिहाजा काफी लोग पोलिंग बूथ पर जाकर मतदान कर भी चुके हैं. फिर भी, यदि किसी से पूछा जाए कि किसकी हवा है तो कोई साफ जवाब देने की स्थिति में नहीं होगा.
सिडनी में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर एंथनी कहते हैं कि ऐसा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा. वह कहते हैं, "कल वोटिंग है और आज तक हमें साफ पता नहीं है कि कौन जीत रहा है. ऐसा पहले नहीं देखा.”
लेखिका मिशेल ग्राटन ने भी एक इंटरव्यू में ऐसी ही बात कही. स्थानीय चैनल एबीसी से बातचीत में मिशेल ग्राटन कहती हैं, "महामारी और दिग्भ्रमित राजनेताओं से तो पूरी तरह थक चुके हैं. और हममें से बहुत से लोग नहीं जानते कि किसे वोट करना है.”
बेहद नजदीकी चुनाव
ऑस्ट्रेलिया के इन संघीय चुनावों को हाल के दशकों का सबसे नजदीकी चुनाव माना जा रहा है. और ऐसा तब है जबकि मौजूदा लिबरल-नेशनल गठबंधन तीन बार से सत्ता में है. लिबरल पार्टी के नेता और देश के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन यदि चुनाव जीतते हैं तो यह जीत ऐतिहासिक होगी क्योंकि अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी पार्टी की सरकार चार बार लगातार बनी हो.
ऑस्ट्रेलिया की इन 7 चीजों ने बदल दी दुनिया
ऑस्ट्रेलिया दुनिया के केंद्र से दूर एक अलग-थलग देश है. लेकिन वहां जो खोजें हुई हैं, उन्होंने दुनिया के केंद्र को भी बदलकर रख दिया. जानिए, वे 7 चीजें जो ऑस्ट्रेलिया ने खोजीं...
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वाई-फाई
आज दुनियाभर में लोग जिस वाई-फाई की तलाश में भटकते हैं, उस तकनीक को ऑस्ट्रेलिया ने ही दुनिया को दिया. 1992 में CSIRO ने जॉन ओ सलिवन के साथ मिलकर इस तकनीक को विकसित किया था.
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गूगल मैप्स
मूलतः डेनमार्क के रहने वाले भाइयों लार्स और येन्स रासमुसेन ने गूगल मैप का प्लैटफॉर्म ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में ही बनाया था. उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई दोस्तों नील गॉर्डन और स्टीफन मा के साथ मिलकर 2003 में एक छोटी सी कंपनी बनाई जिसने मैप्स जैसी तकनीक बनाकर तहलका मचा दिया. गूगल ने 2004 में इस कंपनी को खरीद लिया और चारों को नौकरी पर भी रख लिया.
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ब्लैक बॉक्स फ्लाइट रिकॉर्डर
विमान के भीतर की सारी गतिविधियां रिकॉर्ड करने वाला ब्लैक बॉक्स ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक डॉ. डेविड वॉरेन ने ईजाद किया था. 1934 में उनके पिता की मौत के विमान हादसे में हुई थी. 1950 के दशक में हुई यह खोज आज हर विमान के लिए अत्यावश्यक है.
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इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर
डॉ. मार्क लिडविल और भौतिकविज्ञानी एजगर बूथ ने 1920 के दशक में कृत्रिम पेसमेकर बनाया था. आज दुनियाभर के तीस लाख से ज्यादा लोगों के दिल इलेक्ट्रॉनिक पेसमेकर की वजह से धड़क रहे हैं.
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प्लास्टिक के नोट
रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया और देश की प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्था CSIRO ने मिलकर 1980 के दशक में दुनिया का पहला प्लास्टिक नोट बनाया था. 1988 में सबसे पहले 10 डॉलर का नोट जारी किया गया. 1996 तक ऑस्ट्रेलिया में सारे करंसी नोट प्लास्टिक के हो गए थे.
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इलेक्ट्रिक ड्रिल
इस औजार के बिना दुनिया की शायद ही कोई फैक्ट्री चलती हो. 1889 में एक इंजीनियर आर्थर जेम्स आर्नोट ने अपने सहयोगी विलियम ब्रायन के साथ मिलकर इसे बनाया था.
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स्थायी क्रीज वाले कपड़े
कपड़ों पर क्रीज टूटे ना, इसके लिए कितनी जद्दोजहद की जाती है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया के CSIRO ने 1957 में एक ऐसी तकनीक ईजाद की थी जिसके जरिए ऊनी कपड़ों को भी स्थायी क्रीज दी जा सकती है. इस तकनीक ने फैशन डिजाइनरों के हाथ खोल दिए और वे प्लेट्स वाली पैंट्स और स्कर्ट बनाने लगे
तस्वीर: Fotolia/GoodMood Photo
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भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी दोस्त स्कॉट मॉरिसन ने इतिहास को रच देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. पिछले एक महीने से लगातार प्रचार अभियान में लगे मॉरिसन ने सर्वेक्षणों में लगातार अपनी स्थिति को मजबूत किया है. जब चुनाव का ऐलान हुआ था, तब विपक्ष के नेता और लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार एंथनी अल्बानीजी स्पष्ट बढ़त के साथ मॉरिसन से आगे थे. लेकिन अब दोनों के बीच फासला बहुत कम हो चुका है.
गुरुवार को ऑस्ट्रेलियन फाइनैंशल रिव्यू और इप्सोस के पोल के सर्वे में 36 फीसदी लोग लेबर पार्टी का समर्थन कर रहे थे जबकि 35 प्रतिशत लोगों ने लिबरल-नेशनल गठबंधन का समर्थन किया. पिछले दो हफ्ते में ही यह अंतर पांच अंकों तक घट गया है. ऐसी स्थिति में दोनों ही पक्ष उन लोगों के भरोसे हैं जिन्होंने अब तक भी यह मन नहीं बनाया है कि किसे वोट दिया जाए. इसी वजह से प्रधानमंत्री मॉरिसन ने एक बयान में कहा था कि ज्यादातर मतदाता ऐसे ही हैं और "जब आखिरी धक्का लगेगा” तो चुनाव उनके पक्ष में आ जाएगा.
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विपक्ष भी आश्वस्त नहीं
एंथनी अल्बानीजी भी इस बात से सहमत हैं कि चुनाव बहुत नजदीकी हो गया है और वह ऐसा मानकर नहीं चल रहे हैं कि उनकी जीत सुनिश्चित है. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह पहाड़ चढ़ना है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद सिर्फ तीन बार ऐसा हुआ है कि लेबर ने विपक्ष से चुनाव जीता हो. इसलिए मैं जानता हूं कि सर्वेक्षण में उतार-चढ़ाव हो रहा है.”
ऑस्ट्रेलिया ने लौटाईं चुराई गईं कलाकृतियां
ऑस्ट्रेलिया ने चुराई गईं 14 कलाकृतियां भारत को लौटाने का फैसला किया है. जानिए, क्या है इन कलाकृतियों की कहानी...
तस्वीर: The National Gallery of Australia
गुजराती परिवार
यह है गुरुदास स्टूडियो द्वारा बनाया गया गुजराती परिवार का पोट्रेट. पिछले 12 साल से यह बेशकीमती पेंटिंग ऑस्ट्रेलिया नैशनल गैलरी में थी. इसे भारत से चुराया गया था और गैलरी ने एक डीलर से खरीदा था. अब गैलरी इसे और ऐसी ही 13 और कलाकृतियां भारत को लौटा रही है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
बाल संत संबन्दार, तमिलनाडु (12वीं सदी)
नैशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने इसे 1989 में खरीदा था. कुछ साल पहले गैलरी ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसके तहत चुराई गईं कलाकृतियों के असल स्थान का पता लगाना था. दो मैजिस्ट्रेट के देखरेख में यह जांच शुरू हुई.
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नर्तक बाल संत संबन्दार, तमिलनाडु (12वीं सदी)
यह मूर्ति खरीदी गई थी 2005 में. गैलरी ने ऐसी दर्जनों मूर्तियों, चित्रों और अन्य कलाकृतियों का पता लगाया कि वे कहां से चुराई गई थीं.
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अलम, तेलंगाना (1851)
इस अलम को 2008 में खरीदा गया था. ऑस्ट्रेलिया की गैलरी अब 14 ऐसी कलाकृतियां भारत को लौटा रही है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
जैन स्वामी, माउंट आबू, राजस्थान (11वीं-12वीं सदी)
2003 में खरीदी गई जैन स्वमी की यह मूर्ति दो अलग अलग हिस्सों में खरीदी गई थी. गैलरी का कहना है कि उसके पास अब एक भी भारतीय कलाकृति नहीं बची है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
लक्ष्मी नारायण, राजस्थान या उत्तर प्रदेश (10वीं-11वीं सदी)
यह मूर्ति राजस्थान या उत्तर प्रदेश से रही होगी. इसे 2006 में खरीदा गया था. नैशनल गैलरी ऑफ ऑस्ट्रेलिया 2014, 2017 और 2019 में भी भारत से चुराई गईं कई कलाकृतियां लौटा चुकी है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
दुर्गा महिषासुरमर्दिनी, गुजरात, (12वीं-13वीं सदी)
इस मूर्ति को गैलरी ने 2002 में खरीदा था. गैलरी ने कहा है कि सालों की रिसर्च, सोच-विचार और कानूनी व नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इन कलाकृतियों को लौटाने का फैसला किया गया है.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
विज्ञप्तिपत्र, राजस्थान (1835)
जैन साधुओं को भेजा जाने वाला यह निमंत्रण पत्र 2009 में गैलरी ने आर्ट डीलर से खरीदा था. गैलरी की रिसर्च में यह देखा जाता है कि कोई कलाकृति वहां तक कैसे पहुंची. अगर उसे चुराया गया, अवैध रूप से खनन करके निकाला गया, तस्करी करके लाया गया या अनैतिक रूप से हासिल किया गया तो गैलरी उसे लौटाने की कोशिश करेगी.
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महाराज सर किशन प्रशाद यमीन, लाला डी. दयाल (1903)
2010 में यह पोर्ट्रेट खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
मनोरथ, उदयपुर
इस पेंटिंग को गैलरी ने 2009 में खरीदा था.
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हीरालाल ए गांधी, (1941)
शांति सी शाह द्वारा बनाया गया हीरा लाल गांधी का यह चित्र 2009 से ऑस्ट्रेलिया की गैलरी में था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अनाम पोट्रेट, 1954
वीनस स्टूडियो द्वारा बना यह पोट्रेट 2009 में खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
अनाम पोर्ट्रेट, उदयपुर
एक महिला का यह अनाम पोर्ट्रेट कब बनाया गया, यह पता नहीं चल पाया. इसे 2009 में खरीदा गया था.
तस्वीर: The National Gallery of Australia
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ऑस्ट्रेलियन फाइनैंशल रिव्यू अखबार के मुताबिक लेबर पार्टी के अंदरूनी सर्वेक्षण के मुताबिक वह 52-48 के अनुपात से आगे चल रहे हैं, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन 49-51 के अनुपात से खुद को पीछे मान रहा है. लिबरल पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की छवि है, जो पिछले कुछ समय में खराब हुई है. यदि सिर्फ प्रधानमंत्री पद के दावेदारों की बात करें तो इप्सोस के सर्वे में स्कॉट मॉरिसन के साथ 39 प्रतिशत लोग हैं जबकि विपक्षी अल्बानीजी के साथ 42 प्रतिशत लोगों समर्थन है.
एंथनी अल्बानीजी की इस छवि को और मजबूती मिली जब पार्टी में उनकी प्रतिद्वन्द्वी और विरोधी मानी जाती रहीं पूर्व प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने उनके समर्थन का ऐलान किया. गिलार्ड ने कहा कि अल्बानीजी 40 साल से भी ज्यादा समय से उनके दोस्त हैं और प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं.
गिलार्ड ने कहा, "40 साल से ज्यादा लंबी दोस्ती ने मुझे जो अधिकार दिया है, उस अधिकार से मैं कह सकती हूं कि एल्बो प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं. वह एक शानदार प्रधानमंत्री होंगे.”
मुद्दा-विहीन चुनाव
बहुत से जानकार यह मानते हैं कि 2022 का ऑस्ट्रेलिया का चुनाव एक मुद्दा विहीन चुनाव है क्योंकि दोनों ही मुख्य दलों के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. ग्रीन पार्टी के सीनेट सीट के उम्मीदवार डेविड शूब्रिज कहते हैं कि दोनों दल एक जैसे हैं और निर्दलीय व ग्रीन पार्टी ही मुद्दों में फर्क तय करेंगे.
एक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए शूब्रिज ने कहा, "लेबर और गठबंधन दोनों ने पिछले तीन साल में 35 लाख डॉलर की डोनेशन बड़े कॉरपोरेट घरानों से ली है, जो जीवाश्म ईंधन में व्यापार करते हैं. और यही वजह है कि वे कोयले के खिलाफ नहीं बोलते हैं, जलवायु परिवर्तन की नीति पर नहीं बोलते हैं. हम बोलते हैं.”
दुनिया को मिले 52 लाख नए करोड़पति
2020 में जब पूरी दुनिया महामारी की मार से बेहाल थी, धन बढ़ रहा था. क्रेडिस स्विस की हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2020 में दुनिया में 52 लाख नए करोड़पति जुड़े हैं. किन देशों में सबसे ज्यादा करोड़पति जुड़े, जानिए...
तस्वीर: Ed Jones/AFP
नंबर 6: ब्रिटेन
दुनिया में करोड़पतियों की संख्या कुल आबादी के एक फीसदी से ज्यादा हो गई है. सिर्फ ब्रिटेन में 2020 में दो लाख 58 हजार नए करोड़पति जुड़े हैं, यानी उनकी कुल संपत्ति एक मिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गई.
तस्वीर: Dominic Lipinski/empics/picture alliance
नंबर 5: फ्रांस
2020 में दुनिया में कुल पांच करोड़ 61 लाख करोड़पति थे. सिर्फ फ्रांस में तीन लाख नौ हजार नए करोड़पति जुड़े.
तस्वीर: ROBIN UTRECHT/picture alliance
नंबर 4: जापान
क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट दिखाती है कि महामारी के दौरान सरकार द्वारा खर्चे गए और अनुदान में दिए गए धन का फायदा अमीरों को हुआ. जापान में इस साल तीन लाख 90 हजार नए लोगों की आय एक मिलियन डॉलर यानी पांच करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई.
तस्वीर: Yuri Smityuk/TASS/dpa/picture alliance
नंबर 3: ऑस्ट्रेलिया
पिछले एक साल में ऑस्ट्रेलिया में तीन लाख 92 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर को पार कर गई.
तस्वीर: picture alliance/dpa/DUMONT Bildarchiv
नंबर 2: जर्मनी
जर्मनी में एक मिलियन डॉलर से ज्यादा संपत्ति वाले लोगों में छह लाख 33 हजार लोग और जुड़ गए, जो दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा संख्या है.
2020 में करोड़पतियों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी अमेरिका में देखी गई. वहां 17 लाख 30 हजार नए लोगों की कुल संपत्ति एक मिलियन डॉलर यानी लगभग साढ़े पांच करोड़ रुपये को पार कर गई.
तस्वीर: Ed Jones/AFP
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लेखक इयान वेरेंडर भी कहते हैं कि दोनों मुख्य दलों के पास कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. इसी हफ्ते की शुरुआत में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "चुनाव को एक हफ्ते से भी कम समय बचा है और दोनों मुख्य पार्टियां एक ऐसी लड़ाई लड़ रही हैं जिनमें दांव पर कुछ भी नहीं है.”
अपने भाषणों और बहसों में दोनों नेताओं और पार्टियों ने अर्थव्यवस्था पर खासा जोर दिया है लेकिन वे एक-दूसरे से बहुत ज्यादा अलग कुछ पेश नहीं कर पाए हैं. दोनों ही नेता बेहतर अर्थव्यवस्था, छोटे व्यापारियों के लिए ज्यादा सुविधाएं, ज्यादा रोजगार आदि कि बातें करते रहे हैं जो कमोबेश एक जैसी हैं. यहां तक कि दोनों ने जो वादे किए हैं वे भी एक जैसे ही हैं. मसलन, भारतीय समुदाय के लिए लिबरल पार्टी ने धार्मिक संस्थाओं को पांच लाख डॉलर देने का वादा किया तो लेबर पार्टी ने भी वही वादा कर दिया. लेबर पार्टी ने लिटल इंडिया नाम से सिडनी में एक भारतीय व्यापारिक क्षेत्र बनाने का वादा किया तो लिबरल पार्टी ने भी उसे दोहरा दिया.
ऐसे में लोगों के सामने चुनाव बहुत मुश्किल हो गया है और बड़ी संख्या में मतदाताओं ने फैसला आखिरी पलों के लिए छोड़ रखा है. लेबर पार्टी को एक ही बात का भरोसा है, जो लिबरल पार्टी का डर है. सिडनी के सॉफ्टवेयर इंजीनियर एंथनी टिंक कहते हैं, "अगर हम वही प्रधानमंत्री दोबारा चुनते हैं तो बहुत बहुत अन-ऑस्ट्रेलियन होगा. अब तक हमने ऐसा किया तो नहीं है.”