भारत ने चीन के तीन पत्रकारों का वीसा बढ़ाने से इनकार कर दिया जिस पर चीनी मीडिया ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है. चीन के एक सरकारी अखबार ने चेतावनी दी है कि इस कदम के गंभीर नतीजे होंगे.
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चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि चीन ने एनएसजी सदस्यता के लिए भारत की दावेदार का समर्थन नहीं किया था और उसी का बदला लिया जा रहा है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि तीन पत्रकारों का वीसा न बढ़ाकर भारत तुच्छता का प्रदर्शन किया है. अखबार के मुताबिक वीसा न बढ़ाए जाने के लिए कोई आधिकारिक कारण नहीं दिया गया है.
अखबार लिखता है, "ऐसी अटकलें सुनने में आ रही हैं कि भारत चीन से एनएसजी में समर्थन ना करने का बदला ले रहा है. अगर यह बात है तो इसके नतीजे गंभीर होंगे." अखबार के संपादकीय का शीर्षक हैः भारत की ओछी हरकत.
भारत ने तीन चीनी पत्रकारों का वीसा बढ़ाने से इनकार कर दिया है. उनमें एक दिल्ली के ब्यूरो चीफ वू कियांग हैं. बाकी दो रिपोर्टर मुंबई में हैं. तांग लू और मा कियांग दोनों ही सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के रिपोर्टर हैं. उनका वीसा इस महीने के आखिर में खत्म हो रहा है. उन्होंने कुछ महीनों के लिए वीसा मांगा था जब तक कि उनकी जगह लेने के लिए नए लोग ना आ जाएं. लेकिन भारत सरकार ने वीसा बढ़ाने से इनकार कर दिया.
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निवेश के लिहाज से टॉप 10 देश
अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों, एटी कैर्नी और संयुक्त राष्ट्र एजेंसी अंकटैड ने निवेश के लिहाज से पसंदीदा देशों की सूची जारी है. इसमें भारत भी है. जानिए कौन सा देश किस जगह है.
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10. जापान
कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां और विकास योजनाएं रिसर्च के लिए जापान पर निर्भर हैं. देश पूर्वी एशिया में लॉजिस्टिक का प्रमुख केंद्र है. आर्थिक रूप से भले ही जापान की विकास दर धीमी हो लेकिन घरेलू बाजार, पढ़े लिखे कामगारों और ग्राहकों की वजह से देश निवेशकों को लुभाता है.
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9. इंग्लैंड
यूरो जोन के वित्तीय तंत्र के करीब जाने की कोशिश करने वाले निवेशक ब्रिटिश अर्थव्यव्स्था की रीढ़ हैं. हालांकि ब्रिटेन 2017 में यूरोपीय संघ में बने रहने के फैसले पर वोटिंग करेगा. ब्रिटेन को अब भी दुनिया के वित्तीय और कारोबारी केंद्र के तौर पर देखा जाता
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8. थाइलैंड
थाइलैंड लंबे समय से निवेशकों को लुभाता रहा है. कभी हाथियों के लिए मशहूर थाइलैंड अब दुनिया में टोयोटा का तीसरा बड़ा प्रोडक्शन सेंटर है. मलेशिया की तरह थाइलैंड भी ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक सेक्टर के निवेशकों की पसंद है.
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7. मेक्सिको
सस्ती मजदूरी और परिवहन का कम खर्चा, अमेरिकी निवेशकों को अपना पड़ोसी देश मेक्सिको लुभाता है. मेक्सिको ने ऊर्जा क्षेत्र को निजी निवेशकों के लिए खोल दिया है, इसका असर साफ तौर पर देखा जा रहा है.
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6. जर्मनी
मैनुफैक्चरिंग में जर्मनी दुनिया का सबसे विकसित देश है. यूरोप की धुरी कहा जाने वाला जर्मनी लंबे समय से निवेश के लिए सुरक्षित जगह खोजने वाले कारोबारियों को आकर्षित करता है. यूरोप की बाकी अर्थव्यवस्थाओं के गोता लगाने के बावजूद जर्मनी विकास कर रहा है.
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5. ब्राजील
फुटबॉल और सांबा के लिए मशहूर ब्राजील विकासशील देश से औद्योगिक शक्ति बनना चाह रहा है. पोर्टफोलियो इनवेस्टरों के जाने के बावजूद ब्राजील में लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के लिए अच्छी जगह है. ऊर्जा और खनन सबसे ज्यादा फायदे के इनवेस्टमेंट हैं.
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4. इंडोनेशिया
बड़े घरेलू बाजार और प्राकृतिक संसाधनों के चलते निवेशक इंडोनेशिया की तरफ देखते हैं. लेकिन कच्चे माल के निर्यात पर लगी रोक से निवेशक चिंता में हैं. सरकार की यह नीति देश के निवेश को प्रभावित कर सकती है.
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3. भारत
भारत ने अपने यहां 25.5 अरब डॉलर का सीधा विदेशी निवेश खींचा है. भारत अब भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए पंसदीदा जगह है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद निवेशकों का भरोसा लौट रहा है. निवेशकों के लिए भारत की लालफीताशाही अब भी एक समस्या बनी हुई है.
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2. अमेरिका
चीन के बाद अमेरिका अब भी निवेशकों की दूसरी पसंद है. विदेशी निवेश के लिए भरोसे के सूचकांक में वह पहले नंबर पर है. विदेशी कंपनियां अमेरिका में इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर और वित्तीय सेक्टर में निवेश करने को बेताब रहती हैं.
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1. चीन
दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था चीन अब भी निवेशकों की पहली पसंद है. सर्वे में शामिल 150 बहुराष्ट्रीय कंपनियों में से 45 फीसदी ने चीन को निवेश के लिहाज से सबसे अच्छा करार दिया. चीन में टेलीकम्युनिकेशन, ऑटोमोबाइल और कंस्ट्रक्शन आसमान पर है.
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ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय के मुताबिक कुछ विदेशी अखबारों ने भारत की इस कार्रवाई को देश निकाला माना है. अखबार लिखता है, "वीसा नवीनीकरण खारिज करने का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है. कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों ने दावा किया है कि इन तीन पत्रकारों ने छद्म नामों से दिल्ली और मुंबई के कुछ संस्थानों में घुसने की कोशिश की और कुछ दस्तावेज हासिल करने की कोशिश की. ऐसी भी खबरें थीं कि इन पत्रकारों ने तिब्बत के निष्कासित कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी." इन खबरों का विश्लेषण करते हुए अखबार लिखता है कि भारत कुछ ज्यादा ही संदेह करता है. उसने लिखा है, "भारत का दिमाग शक्की है. चीनी पत्रकार लंबे समय के लिए वीसा मांगें या कम समय के लिए, उन्हें मुश्किलों का सामना करना ही होगा. भारत से वास्ता रखने वाले कुछ और चीनी भी इस तरह की शिकायतें कर चुके हैं कि भारतीय वीसा मिलने में बहुत दिक्कतें होती हैं."
अखबार कहता है कि चीन को भारत की इस कार्रवाई का जवाब देना चाहिए. और ऐसा कहते वक्त अखबार की जबान काफी तीखी हो जाती है. उसने लिखा है, "इस बार वीसा के इस मुद्दे पर हमें अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए कुछ कदम उठाने ही चाहिए. कम से कम कुछ भारतीयों को तो इस बात का अहसास दिलाया जाना चाहिए कि चीन का वीसा मिलना भी ऐसी कोई आसान बात नहीं." अपने एक पूर्व भारतीय संवाददाता लू पेंगफेई के हवाले से अखबार लिखता है कि चीनी पत्रकारों को भारत में किसी छद्म नाम से कोई इंटरव्यू करने की कोई जरूरत नहीं है और दलाई लामा ग्रुप के लोगों से मुलाकात के लिए समय मांगना भी एक सामान्य प्रक्रिया है.
ये तस्वीरें याद हैं आपको?
चीनी योद्धाओं के बीच प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक यात्रा पर चीन पहुंचे हैं. मोदी की चीन यात्रा को दुनिया की प्रमुख आर्थिक सत्ता बनने की कोशिश कर रहे दोनों देशों के बीच नए संबंधों की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.
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परंपरागत स्वागत
शियान हवाई अड्डे पर परंपरागत ड्रैगन लोक नृत्य के साथ मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया. हवाई अड्डे और रास्ते में हिन्दी में भारत और चीन के बीच दोस्ताना संबंधों वाले बैनर लगे थे. "हिन्दी चीनी बहती नदी की अटूट धारा", "हिन्दी चीनी दोस्ती सदियों पुरानी" जैसे नारे प्रधानमंत्री के स्वागत में लिखे गए.
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मोदी मोदी के नारे
मोदी हवाई अड्डे से सीधे शंगरीला होटल के लिए रवाना हुए. होटल तक के मार्ग पर सड़कों के दोनों ओर खड़े लोगों ने हाथ हिलाकर मोदी का अभिवादन किया. कई लोगों ने सड़कों पर मोदी मोदी के नारे भी लगाए.
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मूर्तियों के बीच मोदी
मोदी शियान शहर के विश्व सांस्कृतिक धरोहरों में शामिल युद्ध स्मारक वॉरियर्स म्यूजियम देखने गए. यहां चीनी सम्राट हुयांग की सेना के शहीद जवानों की याद में मिट्टी की हजारों मूर्तियां कतारबद्ध तरीके से रखी हुई हैं.
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बीजिंग नहीं शियान
शियान राष्ट्रपति शी जिनपिंग का गृहनगर है. यह शहर चीन की चार प्रमुख प्राचीन राजधानियों में से एक रहा है. शियान में एक दिन के प्रवास के दौरान मोदी चीनी राष्ट्रपति के साथ शिखर बैठक करेंगे. यह चीन में पहली बार किसी देश के प्रमुख के साथ चीनी राष्ट्रपति की राजधानी बीजिंग के बाहर बैठक है.
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पहला चीन दौरा
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला चीन दौरा है. गत वर्ष भारत यात्रा पर आए चीनी राष्ट्रपति ने मोदी को अपने देश आने का न्योता दिया था. उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस जयशंकर और वरिष्ठ अधिकारी भी इस दौरे पर गए हैं.
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बौद्ध मंदिर के दर्शन
प्रधानमंत्री मोदी शियान के प्राचीन दा शिंग शान बौद्ध मंदिर के दर्शन करने भी गए. उनके होटल से लेकर इस मंदिर तक चप्पे चप्पे पर शहर के लोग उनकी एक झलक पाने को आतुर खड़े दिखे.
तस्वीर: UNI
लोगों से रूबरू
मंदिर में दर्शन के बाद प्रधानमंत्री की कारों का काफिला अचानक एक चौराहे पर रुक गया और चीनी पुलिस में अफरातफरी मच गई क्योंकि इस बीच मोदी अपनी कार से उतरकर भीड़ की ओर बढ़ चले.
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सुरक्षा का घेरा
मोदी ने भीड़ में लोगों से हाथ भी मिलाया और मोबाइल पर लोगों को तस्वीरें खींचने का मौका भी दिया. मोदी सुरक्षा और भीड़ की परवाह किए बिना लोगों से रूबरू हो रहे थे. भीड़ को देखते हुए चीनी पुलिस ने उनके चारों ओर एक मानवीय घेरा बना दिया ताकि सरकारी मेहमान की सुरक्षा को किसी तरह का जोखिम पैदा न हो.
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भारत के इस कदम से अखबार खासा नाराज नजर आता है. उसका कहना है कि भारत के ऐसे कदम एक नकारात्मक संदेश भेजते हैं और इसका भारत-चीन के संचार संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा. अखबार ने चीन के एनएसजी सदस्यता के लिए भारत के विरोध पर भी सफाई दी है. उसका दावा है कि सदस्यता का विरोध करके चीन भारत का अपमान नहीं करना चाहता था बल्कि नियमों का पालन कर रहा था जिनके तहत एनएसजी की सदस्यता से पहले एनपीटी पर दस्तखत जरूरी हैं.