हिमाचल प्रदेश में बारिश से तबाही, 50 से ज्यादा मौतें
१५ अगस्त २०२३
हिमाचल प्रदेश में बाढ़ के कारण तबाही जारी है और इसमें अभी तक लगभग 58 लोग मारे गए हैं. मंगलवार को बचावकर्मियों ने बाढ़ और भूस्खलन में लापता हुए लोगों की तलाश की.
विज्ञापन
मरने वालों में वे नौ लोग भी शामिल हैं जो हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भूस्खलन के कारण एक हिंदू मंदिर के ढह जाने से मरे. अधिकारियों को मलबे के नीचे और लोगों के फंसे होने की आशंका है. कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से हिमालय में कई गाड़ियां बहने के साथ ही इमारतें ध्वस्त हो गईं हैं. इसके अलावा पुल भी नष्ट हो गए हैं. हालांकि बाढ़ और भूस्खलन भारत के मानसून के मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर तबाही का कारण बनते हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से गंभीरता को बढ़ा रही है. रविवार से अब तक हिमाचल प्रदेश में 50 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही सड़कों, बिजली लाइनों और संचार नेटवर्क में व्यवधान के कारण हजारों लोग फंसे हुए हैं.
मुख्यमंत्री का बयान
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार देर रात एक बयान में कहा, "राहत और बचाव कार्य में यथासंभव कर्मियों को तैनात किया जा रहा है." सुक्खू ने पहले कहा था कि भूस्खलन के बाद 20 अन्य लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है. उन्होंने निवासियों से घर के अंदर रहने और नदियों के पास जाने से बचने की अपील की है. हिमाचल प्रदेश के बुरी तरह प्रभावित इलाकों की तस्वीरें शवों को मिट्टी के ढेर से बाहर निकालते दिखा रही हैं. इन्हीं मिट्टी के ढेरों की वजह से इमारतें ढह गई हैं और छतें टूट गई हैं.
रेलवे लाइनों के नीचे से जमीन बह जाने के कारण वे हवा में लटकती हुई दिखाई दीं. सुक्खू ने कहा कि बचाव प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस के वार्षिक समारोह को कम किया जाएगा. भारत में स्वतंत्रता दिवस ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के अंत का प्रतीक है. वहीं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के लाल किले से अपने वार्षिक अवकाश संबोधन के दौरान कहा कि हालिया प्राकृतिक आपदाओं ने देश भर के परिवारों के लिए "अकल्पनीय परेशानी" पैदा कर दी हैं. उन्होंने भीड़ से कहा, "मैं उन सभी के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करता हूं और उन्हें आश्वासन देता हूं कि राज्य और केंद्र सरकारें मिलकर काम करेंगी."
दिल्ली में बाढ़ के अभूतपूर्व हालात
यमुना नदी में पानी का स्तर ज्यादा बढ़ जाने के बाद दिल्ली के कई निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है. माना जा रहा है कि दिल्ली में इससे पहले कभी भी यमुना में पानी का स्तर इतना ऊपर नहीं गया.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
यमुना का स्तर
13 जुलाई, 2023 को यमुना में पानी का स्तर 208 मीटर पार कर गया, जबकि खतरे का निशान 205 मीटर पर है. इसके बाद नदी के पास बसे उत्तरी, पूर्वोत्तर दिल्ली के कई इलाकों और केंद्रीय और दक्षिणी दिल्ली के कुछ इलाकों में बाढ़ आ गई. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यह एक नया रिकॉर्ड है. इससे पहले 1978 में पानी 207.49 मीटर तक पहुंचा था.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
लोग हुए बेघर
दिल्ली में यमुना नदी के किनारे बसे कई लोगों के मकान और दुकानें डूब चुकी हैं. हजारों लोगों को डूबे हुए इलाकों से निकाला गया है और अस्थायी आश्रय गृहों में रखा गया है. दिल्ली सरकार के मुताबिक पूरी राजधानी में करीब 2,500 राहत शिविर बनाए गए हैं.
तस्वीर: Mayank Makhija/NurPhoto/IMAGO
दूसरे राज्यों का योगदान
नदी में बाढ़ के लिए दिल्ली के साथ साथ दूसरे राज्यों में हुई बारिश को जिम्मेदार माना जा रहा है. दिल्ली सरकार ने कहा कि हरियाणा सरकार ने हथिनी कुंड बैराज में पानी छोड़ा और उसकी वजह से दिल्ली में बाढ़ आ गई. हरियाणा सरकार का कहना है कि हिमाचल प्रदेश से पानी छोड़ने की वजह से वहां पानी ज्यादा हो गया था.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
स्कूल, कॉलेज बंद
बाढ़ के मद्देनजर दिल्ली में सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है. सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है. निजी दफ्तरों को भी अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहने की सलाह दी गई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम लोगों को से जब तक जरूरी ना हो तब तक घर से ना निकलने की अपील की है.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
पीने के पानी की व्यवस्था को खतरा
बाढ़ की वजह से दिल्ली के तीन वॉटर ट्रीटमेंट संयंत्रों को बंद कर दिया गया, जिससे 2-3 दिनों के लिए पीने के पानी की सप्लाई बाधित होने की आशंका है.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित
सिंघु बॉर्डर, बदरपुर बॉर्डर, लोनी बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर से दिल्ली में भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित घोषित कर दिया गया है. हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर और उत्तराखंड से आने वाली बसों को भी सिंघु बॉर्डर पर ही खाली कर देने के आदेश दिए गए हैं.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
यातायात प्रभावित
बाढ़ग्रस्त इलाकों में सड़क यातायात के साथ साथ मेट्रो सेवायें भी प्रभावित हुई हैं. मेट्रो के चार पुल नदी के ऊपर बने हुए हैं और उन चारों से होकर गुजरने वाली ट्रेनों की रफ्तार को कम कर दिया गया. कुछ मेट्रो स्टेशनों तक पहुंचने के रास्ते में पानी भरा गया जिसकी वजह से स्टेशनों तक पहुंचना मुश्किल हो गया.
ये महिलाएं बाढ़ के पानी में ही अपने एक मृत रिश्तेदार का अंतिम संस्कार कर रही हैं.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
लाखों क्यूसेक पानी
एक रिपोर्ट के मुताबिक साल भर हथिनी कुंड बैराज से करीब 352 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा जाता है, लेकिन मंगलवार 11 जुलाई को अचानक 3.59 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया.
तस्वीर: Ab Rauoof Ganie/DW
22 किलोमीटर बहती है नदी
दिल्ली में यमुना वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला बैराज तक 22 किलोमीटर की यात्रा तय करती है. यह यमुना की कुल लम्बाई का सिर्फ दो प्रतिशत हिस्सा है लेकिन दिल्ली में यह बेहद प्रदूषित हो जाती है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
पहले भी आई बाढ़
दिल्ली में इससे पहले 2018 और 2013 में भी बाढ़ आई थी, जिनमें नदी के किनारे बसे कई इलाके डूब गए थे और लोगों को अस्थायी शिविरों में जाना पड़ा था. (रऊफ फिदा)
तस्वीर: Arun Sankar/AFP
11 तस्वीरें1 | 11
मॉनसून से तबाही
पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में शुक्रवार से कम से कम आठ और लोग मारे गए हैं. गंगा नदी के तट पर ऋषिकेश के लोकप्रिय योग स्थल के पास एक रिसॉर्ट में भूस्खलनहोने से पांच लोग दब गए. क्षेत्र में भारी बारिश के पूर्वानुमान से दोनों राज्यों में नदी किनारे के कई कस्बों और गांवों में अचानक बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है. दक्षिण एशिया में मानसून में वार्षिक लगभग 80 प्रतिशत तक वर्षा होती है. यह दोनों कृषि और लाखों लोगों की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन यह हर साल भूस्खलन और बाढ़ के रूप में विनाश भी लाता है. पिछले महीने लगातार मानसूनी बारिश के कारण कम से कम 90 लोगों की मौत हो गई. वहीं राजधानी नई दिल्ली में यमुना नदी 1978 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंची.