पहले अंतरिक्ष नागरिक यात्री दल के लिए सभी सीटें भरी
३१ मार्च २०२१
एक विज्ञान के प्रोफेसर और एक एयरोस्पेस डाटा एनालिस्ट के नाम की घोषणा मंगलवार को स्पेस एक्स के चार सदस्यीय चालक दल के सदस्यों के रूप में की गई है. यह दल पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाएगा. यह पहली नागरिक अंतरिक्ष उड़ान होगी.
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फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से हुए वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दो नए नागरिक अंतरिक्ष यात्रियों को पेश किया गया. स्पेस एक्स की ओर से मानव अंतरिक्ष यान के प्रमुख बेनजी रीड और अरबपति उद्यमी जेरेड इसाकमैन, जिन्होंने इस मिशन की कल्पना की थी अंतरिक्ष यात्रियों को दुनिया के सामने पेश किया. इसाकमैन ने ही एक चैरिटी अभियान के रूप में मिशन की कल्पना की थी.
इसाकमैन शिफ्ट4 पेमेंट्स के संस्थापक और सीईओ हैं. वे तीन और अन्य लोगों के साथ अंतरिक्ष की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं. इसके लिए वे एक मोटी रकम खर्च करना चाहते हैं. इसाकमैन के साथ स्पेस एक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर अंतरिक्ष की सैर पर निकलने वाले हैं. यह उड़ान 15 सितंबर से पहले निर्धारित नहीं है और लॉन्च के बाद तीन से चार दिनों तक अंतरिक्ष में रहने की उम्मीद है.
38 साल के इसाकमैन ने पत्रकारों से कहा, "जब यह मिशन पूरा हो जाएगा, तो लोग देखेंगे और बोलेंगे कि यह पहली बार था जब आम लोग अंतरिक्ष में गए थे."
इस मिशन को इंसपिरेशन4 नाम दिया गया है और इस मिशन का मकसद बच्चों में होने वाले कैंसर के लिए जागरूकता बढ़ाना है. इसाकमैन ने सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल के लिए 10 करोड़ डॉलर देने का वादा किया है. सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल एक अग्रणी बाल कैंसर केंद्र है.
मिशन के "कमांडर" की भूमिका संभालने के बाद इसाकमैन ने फरवरी में सेंट जूड की सहायक चिकित्सक हेली अर्केन्यु को अपने पहले चालक सदस्य के रूप में नामित किया, हेली बोन कैंसर सर्वाइवर हैं. अरिजोना के फिनिक्स के साउथ माउंटेन में 51 साल के जियोसाइंस के प्रोफेसर सियान प्रोक्टर को भी इस उड़ान के लिए अलग से हुई प्रतियोगिता के दौरान चुना गया है. शिफ्ट4 पेमेंट्स की ओर से आयोजित बिजनेस प्रतियोगिता में उनका चयन किया गया. वे कभी नासा के अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार थे. दल के सभी सदस्यों की कठिन ट्रेनिंग होगी और स्पेस एक्स मिशन के लिए उन्हें तैयार किया जाएगा.
एए/सीके (रॉयटर्स)
कोरोना काल: अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी, गरीब हुए और गरीब
ऑक्सफैम की 2021 की रिपोर्ट कहती है कि लॉकडाउन के दौरान भारत में अरबपति 35 फीसदी और अधिक अमीर हुए. इसके विपरीत लाखों नौकरियां भी गईं. रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे लोग बेरोजगार हुए और उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हुई.
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महामारी में धनी हुए और धनी
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम की रिपोर्ट कहती है कि भारत के 100 अरबपतियों की संपत्ति में मार्च 2020 के बाद की अवधि में 12,97,822 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है. इतनी राशि का वितरण अगर देश के 13.8 करोड़ सबसे गरीब लोगों में किया जाए तो इनमें से हर व्यक्ति को 94,045 रुपये दिए जा सकते हैं.
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असमानता की खाई
एक ओर लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि दर्ज की गई तो वहीं पिछले साल अप्रैल महीने में हर घंटे 1,70,000 लोगों की नौकरी चली गई. ऑक्सफैम का कहना है कि महामारी ने असमानता को और बढ़ाया है.
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"द इनइक्वालिटी वायरस"
"द इनइक्वालिटी वायरस" रिपोर्ट में सिर्फ भारत का ही जिक्र नहीं है बल्कि इसमें दुनिया का हाल बयान किया गया है. ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कैसे कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में असमानता की खाई चौड़ी हो रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर लोग और अमीर हो रहे हैं और गरीब और गरीब हो रहे हैं, उन्हें इससे निकलने में वर्षों लग सकते हैं.
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अमीरों ने नुकसान की भरपाई जल्द की
अरबपति जेफ बेजोस और टेस्ला के संस्थापक ईलॉन मस्क की संपत्ति कोविड-19 के दौरान तेज गति से बढ़ी जबकि दुनिया के गरीबों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ऑक्सफैम इंटरनैशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने एक बयान में कहा, "हम असमानता में सबसे बड़ी वृद्धि के गवाह बन रहे हैं."
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अमीरों पर अधिक टैक्स की मांग
रिपोर्ट में आय की असमानता का जिक्र तो किया ही गया है साथ ही मांग की गई है कि जो धनी लोग हैं उन पर उच्च संपत्ति कर लगाया जाए और श्रमिकों के लिए मजबूत संरक्षण का इंतजाम हो. रिपोर्ट में कहा गया है अमीर लोग महामारी के समय में आरामदायक जिंदगी का आनंद ले रहे हैं वहीं स्वास्थ्य कर्मचारी, दुकान में काम करने वाले और विक्रेता जरूरी भुगतान करने में असमर्थ हैं.
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मुकेश अंबानी की आय
भारत के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी ने महामारी के दौरान प्रति घंटा 90 करोड़ रुपये कमाए जबकि देश में 24 प्रतिशत लोग 3,000 प्रति माह से कम कमा रहे थे. महामारी के दौरान मुकेश अंबानी को एक घंटे में जितनी आमदनी हुई, उतनी कमाई करने में एक अकुशल मजदूर को दस हजार साल लग जाएंगे.
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गरीबों पर टूटा आर्थिक कहर
कोविड-19 ने सबसे ज्यादा गरीबों को प्रभावित किया है, कोरोना का तूफान ऐसे आया कि गरीब, हाशिये पर खड़े श्रमिकों, महिलाओं और कमजोर लोगों की नौकरी इसमें नौकरी चली गई. विश्व बैंक की चेतावनी है कि 10 करोड़ से अधिक लोग चरम गरीबी में धकेले जा सकते हैं.
तस्वीर: DW/A. Ansari
संकट से उबारने में एक दशक
ऑक्सफैम का कहना है कि लोगों को संकट के पूर्व (कोरोना महामारी) पर ले जाने में एक दशक से ज्यादा का समय लग सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक इस बीच दुनिया भर के अरबपतियों की कुल संपत्ति 3.9 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 11.95 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गई.
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गरीबों का बोझ उठा सकते हैं अरबपति
ऑक्सफैम के शोधकर्ताओं ने हिसाब लगाया कि दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों की नेट वर्थ किसी को भी गरीबी में जाने से रोकने के लिए काफी है और यह राशि धरती पर हर इंसान के लिए कोरोना के टीके के भुगतान के लिए पर्याप्त होगी.
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दुनिया भर से ली गई राय
रिपोर्ट के लिए ऑक्सफैम द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 79 देशों के 295 अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय दी. 87 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महामारी के चलते अपने देश में आय असमानता में बड़ी या बहुत बड़ी बढ़ोतरी का अनुमान जताया