एक नए शोध के मुताबिक शार्कों का गजब का सोशल नेटवर्क होता है और उनका सालों तक एक दूसरे से गहरा संबंध होता है. शार्क सुबह समूहों में मिलती हैं और फिर अलग-अलग हो जाती हैं.
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एक नए शोध में शार्कों के बारे में रोचक जानकारी सामने आई है. पहले से ज्ञात जानकारी के मुताबिक शार्क का सामाजिक जीवन जटिल है लेकिन नए अध्ययन से पता चला है कि प्रशांत महासागर में ग्रे रीफ शार्क आश्चर्यजनक रूप से सामाजिक नेटवर्क विकसित करती हैं और एक दूसरे से उनके संबंध सालों साल तक बने रहते हैं.
दक्षिण पश्चिम हवाई से 1,600 किलोमीटर की दूरी पर पालमीरा अटॉल पर शोधकर्ताओं ने 41 रीफ शार्कों के सामाजिक व्यवहार पर आधारित शोध किया. वैज्ञानिकों ने उन्हें ट्रैक करने के लिए ध्वनि ट्रांसमीटर और उनकी गतिविधियों को ज्यादा स्पष्टता से देखने के लिए कैमरा टैग्स का इस्तेमाल किया.
यह शोध चार साल तक चला और इस दौरान शार्कों ने सामाजिक समुदाय का गठन किया, एकांत प्रणाली में रहने वाली शार्क समय बीतने के साथ स्थिर रहीं. शोध में सामने आया कि कुछ शार्क रिसर्च के दौरान एक साथ रही. कभी-कभी 20 के करीब समूहों में शार्क सुबह का वक्त बिताती, फिर वे अलग-अलग हो जाती और अगले दिन दोबारा इकट्ठा हो जाती.
शोध के मुख्य लेखक और फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के सुमद्र जीवविज्ञानीय यानिस पापस्टैमाटिऊ के मुताबिक, "शार्क अविश्वसनीय जानवर हैं और अभी भी उन्हें काफी गलत समझा जाता है." पापस्टैमाटिऊ कहते हैं, "मैं उनके गुप्त सामाजिक जीवन के बारे में बात करना चाहता हूं क्योंकि हमने हाल ही में उनके सामाजिक जीवन को देखने और समझने के लिए ऐसे उपकरण विकसित किए हैं. सभी शार्क सामाजिक नहीं हैं, कुछ अकेले रहती हैं."
रीफ शार्क मध्यम आकार की होती हैं, वे दो मीटर तक लंबी होती हैं. शोधकर्ताओं को शक है कि शार्क इसलिए एक साथ घूमती हैं क्योंकि उन्हें शिकार का पता लगाने में मदद मिल सकती है.
लंदन के जीवविज्ञान इंस्टीट्यूट के समुद्र जीवविज्ञानी डेविड जकूबी के मुताबिक, "कुछ समय से हमें पता है कि शार्क के अंदर एक खास समूह के सदस्यों को पहचानने और सामाजिक होना पसंद है. हमारे शोध से पहली बार पता चलता है कि वे वास्तव में कई सालों तक सामाजिक साझेदार को बनाए रखने में सक्षम हैं."
लोग शार्क और बिच्छू से बहुत डरते हैं और उन्हें सबसे खतरनाक जीव-जंतुओं की सूची में रखते हैं. लेकिन अगर उनके शिकार बने लोगों की संख्या देखें, तो पता चलेगा कि उनसे बहुत कम खतरा है. जानिए, कौन हैं विश्व के सबसे खतरनाक जीव.
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11. शार्क और भेड़िये
इन दोनों जानवरों के कारण हर साल दुनिया भर में महज दस लोगों की जान जाती है. इसमें कोई शक नहीं है कि भेड़िये और शार्क की कुछ प्रजातियां आपकी जान भी ले सकती हैं. लेकिन वास्तव में बहुत कम लोग ही इनका शिकार बनते हैं. आपकी जान को इनसे ज्यादा खतरा तो घर पर रखे टोस्टर से हो सकता है.
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10. शेर और हाथी
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 100. जंगल का राजा शेर आपको अपना शिकार बना ले, यह कल्पना के परे नहीं है. लेकिन अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि एक हाथी द्वारा आपके मारे जाने की भी उतनी ही संभावना है. हाथी, जो कि भूमि पर रहने वाला सबसे बड़ा जानवर है, काफी आक्रामक और खतरनाक हो सकता है.
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9. दरियाई घोड़ा
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 500. दरियाई घोड़े शाकाहारी होते हैं. लेकिन इसका कतई यह मतलब नहीं कि वे खतरनाक नहीं होते. वे काफी आक्रामक होते हैं और अपने इलाके में किसी को प्रवेश करता देख उसको मारने से पीछे नहीं रहते.
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8. मगरमच्छ
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 1,000. मगरमच्छ जितने डरावने दिखते हैं, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक भी होते हैं. वे मांसाहारी होते हैं और कभी-कभी तो खुद से बड़े जीवों का भी शिकार करते हैं जैसे कि छोटे दरियाई घोड़े और जंगली भैंस. खारे पानी के मगरमच्छ तो शार्क को भी अपना शिकार बना लेते हैं.
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7. टेपवर्म
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 2,000. टेपवर्म परजीवी होते हैं जो कि व्हेल, चूहे और मनुष्य जैसे रीढ़धारी जीव-जंतुओं की पाचन नलियों में रहते हैं. वे आम तौर पर दूषित भोजन के माध्यम से अंडे या लार्वा के रूप में शरीर में प्रवेश करते हैं. इनके संक्रमण से शार्क की तुलना में 200 गुना ज्यादा मौतें होती हैं.
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6. एस्केरिस राउंडवर्म
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 2,500. एस्केरिस भी टेपवर्म जैसे ही परजीवी होते हैं और ठीक उन्हीं की तरह हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं. लेकिन ये सिर्फ पाचन इलाकों तक सीमित नहीं रहते. दुनिया भर में लगभग एक अरब लोग एस्कारियासिस से प्रभावित हैं.
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5. घोंघा, असैसिन बग, सीसी मक्खी
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 10,000. इन मौतों के जिम्मेदार दरअसल ये जीव खुद नहीं होते, बल्कि इनमें पनाह लेने वाले परजीवी हैं. स्किस्टोसोमियासिस दूषित पानी पीने में रहने वाले घोंघे से फैलता है. वहीं चगास रोग और नींद की बीमारी असैसिन बग और सीसी मक्खी जैसे कीड़ों के काटने से.
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4. कुत्ता
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 25,000. रेबीज एक वायरल संक्रमण है जो कई जानवरों से फैल सकता है. मनुष्यों में यह ज्यादातर कुत्तों के काटने से फैलता है. रेबीज के लक्षण महीनों तक दिखाई नहीं देते लेकिन जब वे दिखाई पड़ते हैं, तो बीमारी लगभग जानलेवा हो चुकी होती है.
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3. सांप
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 50,000. सांपों की सभी प्रजातियां घातक नहीं होतीं. कुछ सांप तो जहरीले भी नहीं होते. पर फिर भी ऐसे काफी खतरनाक सांप हैं जो इन सरीसृपों को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हत्यारा बनाने के लिए काफी हैं. इसलिए सांपों से दूरी बनाए रखें.
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2. इंसान
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 4,75,000. जी हां, हम भी इस खतरनाक सूची में शामिल हैं. आखिर इंसान एक-दूसरे की जान लेने के कितने ही अविश्वसनीय तरीके ढूंढ लेता है.
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1. मच्छर
हर साल मारे गए लोगों की संख्या: लगभग 7,25,000. मच्छरों द्वारा फैलने वाला मलेरिया अकेले सलाना छह लाख लोगों की जान लेता है. डेंगू बुखार, येलो फीवर और इंसेफेलाइटिस जैसी खतरनाक बीमारियां भी मच्छरों से फैलती हैं.