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कानून और न्यायभारत

कई कानूनों का गलत इस्तेमाल करते हैं राजनीतिक दल

चारु कार्तिकेय
१६ मई २०२२

भारत में राजद्रोह पर भले ही अस्थायी रोक लग गई हो, लेकिन और भी कानून हैं जिनका राजनीतिक दल बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं. महाराष्ट्र में अभिनेत्री केतकी चितले को एक फेसबुक पोस्ट लिखने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है.

Indien Justiz l Gefängnis in Neu Delhi
तस्वीर: Anindito Mukherjee/dpa/picture alliance

केतकी चितले ने फेसबुक पर मराठी में किसी और की लिखी एक कविता डाली थी जिसमें एक ऐसे शख्स की आलोचना है जिसका चित्रण एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार से मिलता जुलता है. किरदार का उपनाम पवार है, उम्र 80 साल है और उसे कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं जिनसे शरद पवार भी ग्रसित हैं.

इस फेसबुक पोस्ट के लिए ठाणे पुलिस की अपराध शाखा ने 29 साल की चितले के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 (मानहानि), 501 (मानहानि करने वाली सामग्री छापना) और 153ए (दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया.

सभी पार्टियां शामिल

रविवार 15 मई को अदालत की छुट्टी के दिन उन्हें एक अवकाश मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया जहां मजिस्ट्रेट ने उन्हें 18 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया. इसी तरह अहमदाबाद पुलिस ने फिल्म निर्देशक अविनाश दास के खिलाफ उनकी एक सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर एक मामला दर्ज लिया है.

कथित रूप से शरद पवार के खिलाफ फेसबुक पोस्ट डालने के लिए केतकी चितले को गिरफ्तार किया गयातस्वीर: Hindustan Times/imago images

दास ने हाल ही में धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार की गई आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की थी.

इसी तरह कुछ ही दिनों पहले पंजाब पुलिस ने बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा को आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए दिल्ली में अचानक गिरफ्तार कर लिया था.

राजद्रोह से मानहानि तक

उससे पहले कांग्रेस नेता जिग्नेश मेवानी को असम पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट के लिए गिरफ्तार कर लिया था. ये सभी मामले दिखाते हैं कि भले ही राजद्रोह जैसी धारा पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रूप से रोक लगा दी हो, ऐसे और भी कई कानून हैं जिनका राजनीतिक दल आलोचना की आवाजों को दबाने के लिए गलत इस्तेमाल करते हैं.

जिग्नेश मेवानी को ट्विटर पर प्रधानमंत्री की आलोचना करने के लिए गिरफ्तार किया गयातस्वीर: Naveen Sharma/ZUMAPRESS.com/picture alliance

मानहानि से जुड़े कानून ऐसे ही उदाहरणों में शामिल हैं. आईपीसी की धारा 499 के तहत मानहानि एक अपराध है, जिसके लिए दोषी पाए जाने पर जुर्माना और दो साल की जेल की सजा का प्रावधान है.

2020 में मद्रास हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था सरकारी मुलाजिमों और संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को अपने प्रतिद्वंदियों को परेशान करने के लिए मानहानि कानून का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. लेकिन इसके बावजूद कानून का मनमाना इस्तेमाल आज भी जारी है.

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