रोबोट हैं तो अंतरिक्ष में इंसान भेजने पर फिजूलखर्ची क्यों!
२७ मार्च २०२४
ब्रिटेन के प्रतिष्ठित सांसद और वैज्ञानिक मामलों के सलाहकार मार्टिन रीस का कहना है कि जब रोबोट से काम लिया जा सकता है, तो इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना संसाधनों की बर्बादी है.
विज्ञापन
एस्ट्रोनॉमर रोयाल खिताब से सम्मानित ब्रिटेन के मार्टिन रीस का कहना है कि शोध के लिए इंसान को अंतरिक्ष में भेजना जनता के पैसे की बर्बादी है और यह काम रोबोट्स से लिया जाना चाहिए. रीस ने कहा कि अंतरिक्ष में घूमने-फिरने का काम अरबपतियों के लिए छोड़ देना चाहिए, जो अपना खर्च खुद उठाएं.
ब्रिटिश संसद के ऊपरी सदन के सदस्यों के साथ बातचीत करने वाले पॉडकास्ट लॉर्ड स्पीकर्स कॉर्नर से बातचीत में रीस ने कहा कि उन्हें इस बात को लेकर संदेह है कि इंसान को अंतरिक्ष में भेजने से बहुत फायदा हो रहा है.
रीस ने कहा, "अब रोबोट सब काम कर सकते हैं जिनके लिए 50 साल पहले इंसान की जरूरत पड़ती थी. इसलिए इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की उपयोगिता कम हो रही है.”
रोबोट हैं तो खर्च क्यों करें
एस्ट्रोनॉमर रोयाल एक खिताब है जो रीस को विज्ञान जगत में अपनी उपलब्धियों के लिए दिया गया था. यह खिताब 1675 में इंग्लैंड के राजा किंग चार्ल्स द्वितीय ने अपने वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में स्थापित किया था. हालांकि अब यह स्थापित वैज्ञानिकों को सम्मान के रूप में दिया जाता है.
अंतरिक्ष में रहने का वर्ल्ड रिकॉर्ड
रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको ने अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. वह कुल मिलाकर 879 दिन अंतरिक्ष में बिता चुके हैं.
तस्वीर: Roscosmos Space Corporation/AP/picture alliance
अंतरिक्ष में 879 दिन
अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का रिकॉर्ड अब रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको के नाम दर्ज हो गया है. 59 वर्ष के कोनोनोंको 879 दिन अंतरिक्ष में बिता चुके हैं.
तस्वीर: Bill Ingalls/NASA/Getty Images
पिछला रिकॉर्ड
अब तक अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का रिकॉर्ड रूसी एस्ट्रोनॉट गेनादी पडाल्का के नाम था जिन्होंने 879 दिन, 11 घंटे, 29 मिनट और 48 सेंकड बिताए थे. यह रिकॉर्ड 2015 में बना था.
तस्वीर: AP/NASA/BILL INGALLS
पांच बार अंतरिक्ष यात्रा
ओलेग कोनोनेंको 2008 से अब तक पांच बार अंतरिक्ष यात्रा कर चुके हैं. वह कहते हैं, “इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की हर यात्रा अलग होती है क्योंकि वहां लगातार बदलाव होते रहते हैं और उसी हिसाब से तैयारी करनी पड़ती है. लेकिन अंतरिक्ष की यात्रा मेरा बचपन का सपना था.“
तस्वीर: Bill Ingalls/NASA/Getty Images
1,000 दिन की ओर
कोनोनेंको की मौजूदा यात्रा 15 सितंबर 2023 को शुरू हुई थी. जब तक यह अभियान खत्म होगा वह कुल मिलाकर 1,000 दिन अंतरिक्ष में बिता चुके होंगे.
तस्वीर: Shamil Zhumatov/AFP/Getty Images
रिकॉर्ड के लिए नहीं
पेशे से इंजीनियर कोनोनेंको ने एक इंटरव्यू में कहा, “मैं अंतरिक्ष में रिकॉर्ड बनाने नहीं जाता बल्कि इसलिए जाता हूं कि मुझे अपने काम से प्यार है. जब मैं बच्चा था, तब से अंतरिक्ष में जाने के बारे में सोचा करता था. पृथ्वी की कक्षा में रहने और काम करने का मौका मुझे बार-बार यहां आने को प्रेरित करता है.”
तस्वीर: Mikhail Metzel/AFP/Getty Images
छोटी शुरुआत से बड़ी मंजिल तक
कोनेनेंको रूस तुर्कमेनिस्तान के चारद्जू में जन्मे थे जो तब सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था. उनके पिता ड्राइवर थे और मां तुर्कमेनिस्तान एयरपोर्ट पर टेलीफोन ऑपरेटर. पहली कोशिश में वह इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने में नाकाम रहे थे और उन्होंने मकैनिक के तौर पर काम किया. लेकिन दूसरी कोशिश में वह कामयाब रहे.
तस्वीर: Roscosmos Space Corporation/AP/picture alliance
6 तस्वीरें1 | 6
रीस ने कहा कि अंतरिक्ष यात्राएं सिर्फ उन लोगों के लिए होनी चाहिए जो "अत्यधिक खतरा उठाने को तैयार हैं और इसके लिए खर्च देने को तैयार हैं” ना कि जनता के पैसे खर्च किए जाएं.
अब तक ब्रिटेन का अंतरिक्ष कार्यक्रम शोध पर सीमित रहा है और उसने यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने को लेकर ज्यादा उत्सुकता नहीं दिखाई है. हेलेन शर्मन अंतरिक्ष में जाने वाली पहली ब्रिटिश नागरिक थीं जब वह 1991 में सोवियत संघ के सोयूज टीएम-12 मिशन पर गई थीं.
शर्मन की अंतरिक्ष यात्रा के 24 साल बाद ब्रिटेन से टिम पीक अंतरिक्ष में गए थे, जब यूरोपीयन स्पेस एजेंसी ने अपना दल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजा था. ब्रिटेन से चार और लोग अंतरिक्ष जा चुके हैं, लेकिन अपनी यात्रा के वक्त वे अमेरिकी नागरिकता ले चुके थे.
विज्ञापन
कितनी महंगी है अंतरिक्ष यात्रा
रीस को 1995 में एस्ट्रोनॉमर रोयाल नियुक्त किया गया था. वह कहते हैं कि मंगल पर बस्ती बसाने के इलॉन मस्क के विचार से भी वह सहमत नहीं हैं. हालांकि उद्यमी इलॉन मस्क की रॉकेट और इलेक्ट्रिक कारों के क्षेत्र में उपलब्धियों की वह तारीफ करते हैं.
लौट आया अंतरिक्ष में फंसा यात्री
एक साल से ज्यादा वक्त बिताने वाले नासा एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रूबियो पृथ्वी पर लौट आये हैं. तकनीकी खराबी के कारण वह आईएसएस पर फंस गये थे.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/POOL AP/dpa
लौट आये फ्रैंक रूबियो
नासा एस्ट्रोनॉट फ्रैंक रूबिया पृथ्वी पर लौट आये हैं. बीते बुधवार वह अपने दो और सहयोगियों के साथ कजाखस्तान में उतरे. सोयूज एमएस-3 कैप्सुल में उनके साथ रूसी अंतरिक्ष यात्री सर्गेई प्रोकोपयेव और दिमित्री पेटेलियन भी थे.
तस्वीर: Frank Rubio/NASA/ZUMAPRESS/picture alliance
371 दिन अंतरिक्ष में
रुबियो ने अंतरिक्ष में 371 दिन बिताये. हालांकि वह सिर्फ छह महीने के लिए गये थे लेकिन उन्हें जिस यान से लौटना था, उसमें खराबी आ गयी और वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर फंस गये.
तस्वीर: AFP
अमेरिकी रिकॉर्ड
रूबियो अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले अमेरिकी बन गये हैं. पिछले हफ्ते आईएसएस से ही दिये एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यह एक अविश्वसनीय चुनौती थी और बहुत कठिन थी.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/ASSOCIATED PRESS/picture alliance
अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड
अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा वक्त बिताने का रिकॉर्ड रूसी यात्री वालेरी पोल्यकोव के नाम है, जिन्होंने 473 दिन बिताये थे. वह 1990 के दशक में अंतरिक्ष में रहे थे.
तस्वीर: Maxim Shemetov/REUTERS
धरती के 6,000 चक्कर
रूबियो ने पृथ्वी की कक्षा के लगभग 6,000 चक्कर लगाये और 15.70 करोड़ किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा की. नासा के मुताबिक यह धरती से चांद की 328 यात्राओं के बराबर है.
तस्वीर: Dmitri Lovetsky/POOL AP/dpa
5 तस्वीरें1 | 5
रीस ने कहा, "मस्क ने उन बड़ी-बड़ी कंपनियों से कहीं बेहतर काम किया है जो नासा के लिए रॉकेट बनाते थे. उन्होंने ज्यादा सक्षम रॉकेट बनाए हैं जिन्हें दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है. वह अंतरिक्ष में सामान भेजना काफी सस्ता बना देंगे.”
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सोयूज रॉकेट से एक अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर भेजने पर आठ करोड़ अमेरिकी डॉलर से ज्यादा खर्च आता था. अब सोयूज प्रोजेक्ट बंद हो चुका है. नासा ने कहा था कि हर सोयूज मिशन पर उसे 45 करोड़ डॉलर का खर्च आया था.
अब स्पेस एक्स या बोइंग जैसी निजी कंपनियों के इस क्षेत्र में आ जाने से इस खर्च में कमी की उम्मीद की जा रही है. नासा के मुताबिक स्पेस एक्स के क्रू ड्रैगन या बोइंग के सीएसटी-100 रॉकेट से एक यात्री को आईएसएस पर भेजने का खर्च औसतन 5.8 करोड़ डॉलर होने की संभावना है.
पहली बार उल्कापिंड की धूल लेकर लौटा रेक्स
सात साल की यात्रा के बाद नासा का अंतरिक्ष यान उल्कापिंडों के नमूनों का सबसे बड़ा जखीरा लेकर धरती पर लौट आया.
तस्वीर: Rick Bowmer/AP/dpa/picture alliance
सात साल बाद लौटा रेक्स
सात साल तक चले एक अभियान का 24 सितंबर 2023 को सफल पटाक्षेप हुआ जब नासा का अंतरिक्ष यान उल्कापिंडों के नमूनों का सबसे बड़ा जखीरा लेकर धरती पर लौट आया. 24 सितंबर को अमेरिका के यूटा राज्य के रेगिस्तान में यह यान सुरक्षित उतर गया.
तस्वीर: Keegan Barber/AFP
बेनू की धूल
रेक्स ने बेनू की सतह से 250 ग्राम धूल जमा की. नासा का कहना है कि यह थोड़ी सी धूल भी जानकारियों से भरपूर होगी. वे यह भी पता लगा सकेंगे कि किस तरह के उल्कापिंड भविष्य में पृथ्वी के लिए खतरनाक हो सकते हैं.
तस्वीर: Keegan Barber/AFP
बड़ी उम्मीदें
वैज्ञानिकों को बड़ी उम्मीदें हैं कि ये नमूने हमारे सौर मंडल की रचना-संरचना के बारे में समझ में नये अध्याय जोड़ेंगे. साथ ही इस सवाल के जवाब मिलने की भी उम्मीद है कि पृथ्वी का वातावरण कब और कैसे इंसान के रहने लायक बना.
तस्वीर: George Frey/AFP
भावुक पल
ऑसिरिस-रेक्स मिशन की मुख्य वैज्ञानिक दांते लॉरेटा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब वैज्ञानिकों को पता चला कि कैपसुल का मुख्य पैराशूट खुल चुका है तो बहुत से लोग भावुक हो गये. लॉरेटो ने कहा, “मेरी आंखों से सच में आंसू बहने लगे थे. यह वो पल था जब हमें यकीन हो गया था कि हम घर लौट आए हैं. मेरे लिए असली साइंस तो अभी शुरू हो रही है.”
तस्वीर: George Frey/AFP
6.21 अरब किलोमीटर की यात्रा
नासा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि 6.21 अरब किलोमीटर की यह यात्रा अपनी तरह का पहला अभियान है. नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने अभियान की जमकर तारीफ की और कहा कि उल्कापिंडों की धूल के नमूने “वैज्ञानिकों को हमारे सौर मंडल के शुरुआती दिनों के बारे में अभूतपूर्व जानकारी देंगे.”
तस्वीर: George Frey/AFP
बेनू की यात्रा
ऑसिरिस-रेक्स अभियान का अंतिम चरण बेहद जटिल था लेकिन अमेरिका के स्थानीय समय के मुताबिक सुबह 8.52 बजे यूटा के रेगिस्तान में सेना के ट्रेनिंग रेंज पर उसकी आरामदायक लैंडिंग हुई. इसे 2016 में भेजा गया था और वह बेनू उल्कापिंड पर उतरा था.
तस्वीर: NASA/Goddard/University of Arizona/Handout via REUTERS
भविष्य के लिए
अब इन नमूनों को ह्यूस्टन के जॉनसन स्पेस सेंटर को भेजा जाएगा. करीब एक चौथाई नमूनों का तो फौरन परीक्षण के लिए इस्तेमाल कर लिया जाएगा जबकि कुछ हिस्से को जापान और कनाडा भी भेजा जाएगा. एक हिस्से को भविष्य की पीढ़ियों के लिए संभाल कर रख दिया जाएगा.
तस्वीर: Rick Bowmer/AP/dpa/picture alliance
7 तस्वीरें1 | 7
अब भारत भी अपने अंतरिक्ष यात्री भेजने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अगले साल आईएसएस में भेजने के लिए भारत के एक अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षित कर रही है. भारत चार अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित कर रहा है. उनमें से दो का प्रशिक्षण नासा में होगा और एक को भारत-अमेरिका संयुक्त मिशन के तहत आईएसएस पर भेजा जाएगा.