भारत सरकार ने सोमवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कोविशील्ड की 1.1 करोड़ खुराक खरीदने का ऑर्डर दिया था. सरकार से ऑर्डर मिलते ही मंगलवार को तड़के इंस्टीट्यूट ने डिलीवरी शुरू कर दी.
विज्ञापन
मंगलवार तड़के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पुणे स्थित उत्पादन केंद्र से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खेप देश के अलग-अलग वैक्सीन केंद्रों के लिए तापमान नियंत्रण ट्रकों के जरिए पुणे हवाई अड्डे के लिए रवाना की गई. विमानों में लोड होने के दौरान पुणे एयरपोर्ट ने ट्वीट किया "तैयार हो जाइए. इस महामारी को मारने के लिए वैक्सीन को एयरक्राफ्ट में लोड किया जा रहा है, ताकि पूरे देश में इसका वितरण हो सके." पुणे हवाई अड्डे से वैक्सीन को हवाई मार्ग के जरिए देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया जा रहा है.
पुणे से विशेष विमान से कोविशील्ड की वैक्सीन दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, गुवाहाटी, शिलॉन्ग, अहमदाबाद, हैदराबाद, विजयवाड़ा, भुवनेश्वर, पटना, बेंगलुरू, लखनऊ और चंडीगढ़ भेजी जा रही हैं. उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया कि पुणे से एयर इंडिया, स्पाइसजेट गोएयर और इंडिगो एयरलाइंस की 9 फ्लाइट्स से वैक्सीन की 56.5 लाख खुराक अलग-अलग शहरों में पहुंचाने का काम शुरू हो गया है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि सुबह पांच बजे से कुछ पहले तापमान नियंत्रित तीन ट्रक कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर पुणे हवाई अड्डे जाने के लिए इंस्टीट्यूट से रवाना हुए. बताया जा रहा है कि टीकों को रवाना करने से पहले पूजा भी की गई. ट्रकों में वैक्सीन के 478 बक्से लोड किए गए और एक बक्से का वजन 32 किलोग्राम है.
पहले चरण का खर्च केंद्र देगा
कोरोना वायरस के खिलाफ शुरू हो रहे टीकाकरण अभियान को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से बात की. उन्होंने कहा, "अब हमारा देश कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक निर्णायक चरण में प्रवेश कर रहा है. ये चरण है- वैक्सीनेशन का. हम सभी के लिए गौरव की बात है कि जिन दो वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है, वो दोनों ही मेड इन इंडिया है. इतना ही नहीं, चार और वैक्सीन्स प्रगति पर हैं." भारत का लक्ष्य अगले कुछ महीनों में 30 करोड़ लोगों को टीका लगाना है.
केंद्र सरकार का कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों के स्वास्थ्य कर्मचारियों, अंग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की संख्या को मिलाकर करीब-करीब तीन करोड़ होती है और सरकार ने तय किया है कि पहले चरण में इन तीन करोड़ लोगों को वैक्सीन देने के लिए जो खर्च होगा, वो राज्य सरकारें नहीं उठाएगी बल्कि केंद्र सरकार देगी.
कितनी है एक टीके की कीमत
सोमवार को केंद्र सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कोविड-19 के टीके कोविशील्ड की 1.1 करोड़ खुराक खरीदने का ऑर्डर दिया. प्रत्येक टीके पर जीएसटी समेत 210 रुपये की लागत आ रही है. सार्वजनिक उपक्रम एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त निदेशक प्रकाश कुमार सिंह के नाम सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लिए सप्लाई ऑर्डर जारी किया गया है.
वैक्सीन को मंजूरी और कंपनियों के बीच "जुबानी जंग"!
भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने 3 जनवरी 2021 को दो टीकों के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. भारत में बनी कोवैक्सीन और कोविशील्ड को मंजूरी के साथ ही कंपनियों के बीच बयानबाजी शुरू हो गई.
3 जनवरी को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दो टीकों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के सीमित आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. इसी के साथ ही भारत एक साथ दो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर देश में तैयार किया है. वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी है और इसको भारत बायोटेक ने तैयार किया है.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
वैक्सीन पर बयानबाजी
भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला ने कहा है कि वैक्सीन पर राजनीति हो रही है और ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा है. उन्होंने दावा किया कि कौवैक्सीन 200 फीसदी तक सुरक्षित है.
तस्वीर: Noah Seelam/AFP/Getty Images
"पानी जैसी वैक्सीन"
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था अब तक सिर्फ तीन ही वैक्सीन की प्रभावशीलता साबित हुई है. उन्होंने कहा था फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एक्स्ट्राजेनेका ही प्रभावशाली है बाकी सभी वैक्सीन सिर्फ "पानी की तरह सुरक्षित" हैं.
तस्वीर: Subhash Sharma/ZUMA Wire/imago images
कोवैक्सीन का बचाव
भारत बायोटेक के चैयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला का कहना है कि कंपनी के पास वैक्सीन बनाने का अनुभव है और लोग ट्रायल पर सवाल ना उठाएं. उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "हम सिर्फ भारत में ही क्लीनिकल ट्रायल नहीं कर रहे हैं. हमने ब्रिटेन समेत 12 से ज्यादा देशों में ट्रायल किए हैं."
तस्वीर: Pavlo Gonchar/Zuma/picture alliance
क्यों उठ रहे हैं सवाल?
कोवैक्सीन पर हेल्थ एक्सपर्ट सवाल उठा रहे हैं, उनका कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल मध्य नवंबर तक शुरू नहीं हुआ था. जानकारों का कहना है कि कोविड वैक्सीन शॉट्स को लेकर डाटा का अध्ययन करना और उसे नियामक के पास जमा करना नामुमकिन है. भारत बायोटेक ने अपने बयान में कहा है कि उसने तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए अब तक 23,000 प्रतिभागियों का सफलतापूर्वक पंजीकरण कर लिया है.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/picture alliance
कोवैक्सीन बैकअप!
भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ मिलकर कोवैक्सीन को विकसित किया है. भारत बायोटेक का कहना है कि टीका सुरक्षित और प्रभावी है. वहीं एम्स दिल्ली के निदेशक के मुताबिक कोवैक्सीन के टीके का इस्तेमाल बैकअप के रूप में हो सकता है. इसपर एल्ला कहते हैं, "यह एक वैक्सीन है, ना कि बैकअप, लोगों को इस तरह के बयान से पहले सोच लेना चाहिए." उन्होंने एम्स के निदेशक का नाम नहीं लिया.
तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images
"मिलकर करेंगे काम"
भारत की वैक्सीन कंपनियों ने विवाद के बाद 5 जनवरी को एक साझा बयान जारी कर कहा है कि वे देश और दुनिया तक वैक्सीन पहुंचाने का प्रण लेती हैं. बयान में कहा गया, "हमारे सामने अधिक महत्वपूर्ण काम देश और दुनिया की आबादी और आजीविका को बचाना है."
तस्वीर: Terry Pierson/ZUMAPRESS/picture alliance
सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू करने की तैयारी में जुटा है. टीकाकरण को लेकर पिछले दिनों ड्राई रन भी किया गया था. टीकाकरण के पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों समेत कोरोना महामारी से अग्रिम मोर्चे पर जूझ रहे लोगों और मृत्यु दर के उच्च जोखिम वाले लोगों का टीकाकरण होना है.