आईएएस-आईपीएस भी क्यों हो रहे यौन उत्पीड़न के आरोपी
७ जुलाई २०२२हाल की ही बात है जब मुंबई के जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में किसी आदिवासी महिला द्वारा टॉप-31 फाइनलिस्ट में जगह बनाने के कारण झारखंड की चर्चा हो रही थी. रांची की रिया तिर्की इस राज्य की पहली आदिवासी महिला बनीं, जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया. लेकिन, इसके ठीक एक दिन बाद इंजीनियरिंग की एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में झारखंड में पदस्थापित एक आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी ने गर्व के अहसास को शर्म में तब्दील कर दिया.
ताजा मामला खूंटी के अनुमंडल अधिकारी (एसडीएम) के पद पर तैनात 2018 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी सैयद रियाज अहमद से संबंधित है. उनके खिलाफ बीते चार जुलाई को हिमाचल प्रदेश से एकेडमिक टूर पर झारखंड आई एक छात्रा ने यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई. एफआईआर दर्ज होने के बाद मंगलवार को रियाज अहमद को हिरासत में ले लिया गया. शाम में आरोपी एसडीएम को जेल भेज दिया गया. बुधवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) सत्यपाल की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. एसडीएम सैयद रियाज अहमद के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354 ए तथा 509 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें एक गैर जमानती धारा है.
पीड़ित छात्रा हिमाचल प्रदेश के मंडी स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के 16 सदस्यीय छात्र-छात्राओं के उस समूह की सदस्य है, जो लगभग एक पखवाड़ा पहले 14 जून को ग्रामीण विकास के क्षेत्र में इंटर्नशिप के लिए खूंटी आया है. जानकारी के अनुसार बीते एक जुलाई को एसडीएम रियाज अहमद के सरकारी आवास पर एक पार्टी का आयोजन किया गया था. इस पार्टी में हिमाचल से आए छात्र-छात्राओं का समूह भी शामिल हुआ था.
अपनी शिकायत में पीड़ित छात्रा ने कहा है कि आवास पर पार्टी के दौरान एसडीएम रियाज अहमद ने शराब मंगवाई तथा पीने के लिए जोर देने लगे. वे खुद भी शराब का सेवन करते रहे तथा इस दौरान मुझे गंदी नजरों से लगातार घूरते रहे. देर रात तक खाने-पीने का दौर चलता रहा. फिर सभी हेल्थ क्लब लौट गए, जहां वे ठहरे हुए थे. एसडीएम ने फिर दो जुलाई को सभी को आवास दिखाने के लिए बुलाया. आरोप है कि इसी दौरान अकेला पाकर एसडीएम रियाज अहमद ने संबंध बनाने के लिए आफर किया, छेड़खानी की और फिर जबरदस्ती चुंबन लेने लगे. किसी प्रकार छात्रा एसडीएम के चंगुल से निकलने में सफल रही.
पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता एमएन तिवारी के अनुसार रियाज अहमद के खिलाफ पहली धारायौन शोषण और दूसरी शब्दों के जरिए भावना को ठेस पहुंचाने से जुड़ी हैं. दोनों धाराओं में तीन साल की जेल, जुर्माना या फिर दोनों ही सजा हो सकती है. रियाज की पत्नी भी आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में एसडीएम के पद पर तैनात हैं.
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है. बिहार हो या झारखंड या फिर देश का कोई अन्य राज्य, उच्च पदस्थ अधिकारियों पर यौन शोषण के आरोप गाहे-बगाहे मीडिया की सुर्खियां बनती रहती हैं. इसी हफ्ते पुलिस ने झारखंड के एक और अधिकारी अंशुमन राजहंस को शादी का झांसा देकर इंजीनियर युवती से दुष्कर्म करने के आरोप में कोलकाता के पास सियालदह स्थित एक होटल से गिरफ्तार किया है. अंशुमन भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के 2020 बैच के झारखंड कैडर के अधिकारी हैं. अंशुमन आईआईटी, दिल्ली से बीटेक हैं जबकि, पीड़ित युवती महाराष्ट्र के ठाणे की निवासी है. वह भी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थी. युवती की शिकायत पर नई दिल्ली के राजेंद्र नगर थाने में बीते 15 मई को दुष्कर्म व अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी.
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इससे पहले भी वर्ष 2020 में झारखंड प्रशासनिक सेवा के 12 अधिकारियों का भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रमोशन एक अधिकारी पर लगाए गए यौन शोषण के आरोप में अटक गया था. भीष्म कुमार नाम के यह अधिकारी सरायकेला खरसावां में बतौर निदेशक, आईटीडीए (मेसो) सह जिला समाज कल्याण पदाधिकारी तैनात थे. अगस्त 2014 में उनके खिलाफ एक बाल विकास परियोजना पदाधिकारी (सीडीपीओ) ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था. हालांकि यह मामला 2019 में लोक अदालत में निष्पादित हो गया था. अधिकारी का कहना था कि मैंने भ्रष्टाचार पकड़ा था, इसलिए सीडीपीओ ने यौन शोषण का मुकदमा दर्ज करा दिया था.
झारखंड के पूर्व आईपीएस अफसर पीएस नटराजन का मामला भी देश भर में काफी चर्चित रहा था. देशभर में प्रसारित एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद उन्हें पहले निलंबित किया गया था और फिर 2012 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. नटराजन के खिलाफ अगस्त, 2005 में सुषमा बड़ाईक नाम की एक महिला ने रांची के लोअर बाजार थाने में बलात्कार व यौन शोषण का मुकदमा दर्ज कराया था. दरअसल, सुषमा बड़ाईक ने 2005 में पलामू के तत्कालीन डीआईजी परवेज हयात पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इसी मामले की जांच रांची के तत्कालीन आईजी पीएस नटराजन को सौंपी गई थी.
आरोप था कि नटराजन ने भी उसका यौन शोषण किया. एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के स्टिंग ऑपरेशन से इस मामले का भंडाफोड़ हुआ था. मामला दर्ज होने के 12 साल बाद अदालत ने साक्ष्य के अभाव में नटराजन को यौन उत्पीड़न के आरोपों से बरी कर दिया था. हालांकि, फैसला सुनाए जाने के बाद नटराजन ने कहा था उन्हें डीजीपी बनने से रोकने के लिए साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया था.
यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर एक पूर्व आईपीएस अधिकारी कहते हैं, ‘‘इक्का-दुक्का घटनाएं तो पहले भी होती रहीं हैं. किंतु, अब हर क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ने से यह समस्या थोड़ी बढ़ी है. जिलों की पुलिस लाइन की स्थिति से आप इसका आकलन कर सकते हैं.'' वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर कुमार का कहना है कि आप पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की आत्मकथा ‘तक्षकों का दमन' पढि़ए. उन्होंने एक ट्रेनिंग के दौरान लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी में मिले एक आईएएस अधिकारी का जो वर्णन किया है, उससे साफ हो जाएगा कि ऊंचे ओहदे से आदमी के संस्कार-विचार का कोई संबंध नहीं होता है.
बिहार में तैनात 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी पुष्कर आनंद पर भी 2014 में भभुआ की एसडीपीओ निर्मला कुमारी ने शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाया था. उस समय आनंद कैमूर में एसपी के पद पर तैनात थे. जांच के बाद आरोपों को सही पाते हुए आईपीएस अधिकारियों वाली तीन सदस्यीय कमेटी ने उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा भी की थी. उस समय डीजीपी रहे पीके ठाकुर ने भी कहा था कि आनंद की गिरफ्तारी अवश्य होगी, हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद (यूपी) हाईकोर्ट की एक महिला वकील ने बिहार के आईएएस अधिकारी संजीव हंस तथा राजद के एक पूर्व विधायक पर गैंगरेप का आरोप लगाया था. उसने कहा था कि गैंगरेप के बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया है. उसका पिता कौन है, इसकी जांच के लिए उसने डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी. पीड़ित महिला वकील ने अपनी सुरक्षा की पटना हाईकोर्ट से भी लगाई थी. इस पर कोर्ट ने प्रयागराज के एसपी को पत्र भेजकर सुरक्षा देने का निर्देश दिया था. पीड़िता ने पुणे व दिल्ली के होटलों में सामूहिक दुष्कर्म किए जाने का आरोप लगाया है. बीते साल नवंबर माह में महिला अपनी गुहार लेकर राजद विधायक तेज प्रताप यादव के पास भी पहुंची थी.
मनोविज्ञान की व्याख्याता अरुणिमा शर्मा ऐसे मामलों को पूरी तरह कुंठा का मामला बताती हैं. वे कहती हैं, ‘‘यह एक प्रवृत्ति है. कुछ ऐसे लोग होते हैं जो चाहे जिस ओहदे पर चले जाएं, नारी उनके लिए भोग्या ही है. यह काफी हद तक उनके उस सामाजिक परिवेश पर भी निर्भर करता है, जिसमें वे पले-बढ़े हैं. वहीं, पति-पत्नी के संबंध एवं परिवार की संकल्पना को भी पुन: परिभाषित करने की जरूरत है. कुत्सित सोच की उपज का यह भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है.''