कोरोना के कोहराम के बीच सेक्स
२५ मार्च २०२०कोरोना वायरस ने हर चीज को बदल दिया है. यौन संबंधों को भी. मार्च के मध्य तक जर्मनी की राजधानी बर्लिन में क्लब बंद कर दिए गए, हालांकि रेस्तरां और कैफे खुले हुए थे. एक बार के सामने अपनी दोस्त के साथ बैठी एक युवती ने कहा, "कोरोना वायरस को वसंत के इस मौसम में ही आना था. हम जैसे सिंगल लोगों के लिए यह अच्छा नहीं है."
लेकिन फिर डांस स्कूल, रेस्तरां और बार जैसी वे सभी जगहें बंद कर दी गईं जहां आम तौर पर सिंगल लोग जाकर एक दूसरे से मिलते जुलते हैं, प्यार में पड़ते हैं या फिर सेक्स की संभावनाएं तलाशते हैं.
लेखक और कपल्स थेरेपिस्ट वोल्फगांग क्रुगर कहते हैं, "कोरोना वायरस हो या ना हो, सिंगल लोगों की जिंदगी आमतौर पर एकाकी ही रहती है. 60 साल की किसी शादीशुदा महिला को 30 साल की सिंगल महिला के मुकाबले कहीं ज्यादा सेक्स मिलता है. यही नहीं, सिंगल लोगों के लिए सेक्स की क्वालिटी भी आम तौर पर खराब होती है."
सिंगल रहने के नुकसान
अपने लिए पार्टनर तलाशने के लिए लाखों लोग डेटिंग साइट्स का सहारा लेते हैं. ऐसी ही एक जर्मन साइट है पारशिप, जो अपने विज्ञापन में दावा करती है कि उसके यहां हर 11 मिनट में एक आदमी किसी के प्यार में पड़ रहा है.
पारशिप की प्रवक्ता जाना बोगात्स कहती हैं कि उन्होंने अपने यहां मेंबरशिप में अभी कोई गिरावट नहीं देखी है, बल्कि वह तो मौजूदा हालात को अपने बिजनेस के लिए फायदेमंद मानती हैं. वह कहती हैं, "हर किसी से सामाजिक दूरी बनाने को कहा जा रहा है, जिससे निश्चित तौर पर डेटिंग की संभावनाएं सीमित होंगी. लेकिन लोग ऑनलाइन तो एक दूसरे के संपर्क में रह ही सकते हैं और नए लोगों से जान पहचान बढ़ा सकते हैं क्योंकि लोगों से आमने सामने मिलना तो इस वक्त कम ही संभव है."
लेकिन सवाल यह है कि क्या लोग महीनों तक एक दूसरे को टेक्स्ट मैसेज भेज कर ही संतुष्ट हो जाएंगे. अब चूंकि सिंगल लोगों को अपना समय घर पर ही गुजारना पड़ रहा है तो ऐसे में पोर्न और सेक्स टॉयज से जुड़े उत्पादों की मांग बढ़ेगी. सेक्स शॉप्स अब ऑनलाइन कारोबार में उतर रही हैं. बहुत से शॉप मालिक अपने ग्राहकों को टैक्सी के जरिए सामान पहुंचा रहे हैं. इससे टैक्सी वालों की भी कुछ आमदनी हो रही है जिनका काम कोरोना वायरस की वजह से ठप पड़ गया है.
कपल्स के लिए मौका
जिन लोगों को सेक्स के लिए पार्टनर नहीं ढूंढना है, उनके लिए यह समय अच्छा है. जिंदगी की भागदौड़ के बीच मानो सब कुछ थम सा गया है. घर पर अब समय ही समय है और ज्यादा कुछ करने को बचा नहीं है. जिम, सिनेमा और थिएटर, सभी कुछ तो बंद है. क्रिकेट और फुटबॉल भी बीते जमाने की चीजें लगने लगी हैं. तो घर पर रह कर यह एक दूसरे के करीब आने का अच्छा मौका है.
हालांकि कुछ लोगों के लिए मामला उल्टा भी पड़ रहा है. जैसे कि राल्फ, जिन्हें काम के चलते कई साल से हफ्तों के दिनों में अपनी पत्नी से दूर रहना पड़ा है. वे सिर्फ वीकेंड पर ही घर आते थे. तो शुरू में वर्क फ्रॉम होम उन्हें बहुत अच्छा लगा कि वे सिर्फ वीकेंड पर मिलने की बजाय अब अच्छे से एक दूसरे के साथ रहेंगे.
एक हफ्ते में ही चीजें बदल गईं. मिलकर खिड़की साफ करने जैसे काम आपस में तनातनी और झगड़े की वजह बनने लगे. आखिरकार रोल्फ ने बर्लिन जाकर अकेले अलग रहने का फैसला किया. वह कहते हैं, "जबरदस्ती साथ रहना भी जबरदस्ती की गई शादी जैसा है. और फिर सेक्स में भी मजा नहीं आता."
कपल्स थेरेपिस्ट क्रुगर को ऐसे मामलों पर हैरानी नहीं होती. वह कहते हैं, "लोगों को एक दूसरे से दूर रहने की आदत हो जाती है और साथ रहने पर सब गड़बड़ा जाता है," क्योंकि अब पार्टनर आपके साथ है और हमेशा मौजूद है. उनके मुताबिक, "दूर रहने और फिर पास आने के खेल से यौन इच्छा पैदा होती है." जिन कपल्स ने इस खेल को साध लिया है, वे इस समय का बेहतरीन इस्तेमाल कर सकते हैं. क्रुगर कहते हैं, "भय और अस्थिरता के समय में भी यौन इच्छा पैदा हो सकती है. वैसे भी यौन संबंध चिंता को भगाने का सबसे अच्छा तरीका है."
बेबी बूम?
अगर लोगों के पास सेक्स करने के लिए भरपूर इच्छा और वक्त है तो सोचिए इसका क्या नतीजा होगा. क्रुगर नौ महीने बाद की स्थिति के बारे में सोचते हैं और कहते हैं, "ज्यादा बच्चे पैदा होंगे."
वैसे ऐसा कोई वैज्ञानिक डाटा मौजूद नहीं है जो साबित करता हो कि संकट के बाद ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं. जब भी ब्लैक आउट होता है या लंबे समय तक मौसम खराब होता है तो हर बार ऐसी ही संभावनाएं जताई जाती हैं कि लोग घर पर हैं तो ज्यादा बच्चे पैदा होंगे.
रिपोर्ट: बेटिना श्टेहकैंफर/एके
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