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प्राइवेट पार्ट्स के बाल साफ करने पर यौन रोग ज्यादा: शोध

७ दिसम्बर २०१६

जो लोग अपने निजी अंगों के आसपास के बालों को शेव या वैक्स करते हैं या काटते भी हैं, उन्हें यौन रोग होने का खतरा बाकियों के मुकाबले ज्यादा होता है. इस बारे में एक शोध का अध्ययन जारी किया गया.

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तस्वीर: Colourbox

अमेरिका में 18 से 65 साल के 7500 से ज्यादा लोगों पर हुए सर्वे में पता चला कि जो लोग प्राइवेट पार्ट्स के आसपास के बाल साफ करते हैं उन्हें यौन रोग होने का खतरा 80 फीसदी ज्यादा होता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि हर्प्स और क्लामीडिया जैसे कुछ संक्रमण ऐसे होते हैं जिनके होने का खतरा उन लोगों में सबसे ज्यादा होता है, जो बाल अक्सर या नियमित तौर पर साफ करते हैं.

यह अध्ययन दोनों परिस्थितियों यानी यौन रोग और बाल काटने के संबंधों पर था ना कि कारणों पर. यानी इस शोध से यह पता नहीं चलता कि बाल काटना भी किसी रोग का कारण हो सकता है या नहीं. लेकिन शोधकर्ताओं का अनुमान है कि शेव या वैक्स करने से त्वचा की परत फट जाती है. इस कारण विषाणु आसानी से हमला कर सकते हैं. रेजर आदि साझा करना खतरे को और बढ़ा देता है. जैसे कि एक ही ब्लेड के इस्तेमाल से एचआईवी फैल सकता है.

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सेक्शुअली ट्रांसमिटिड इन्फेक्शंस नाम की पत्रिका में यह शोध छपा है. इसके मुताबिक बाल काटने से रोगों का खतरा बढ़ने की संभावना होने का एक कारण यह भी हो सकता है कि जो लोग बाल काटते हैं उनके खतरनाक यौन संबंधों में पड़ने की संभावना ज्यादा होती है. शोध कहता है, "प्राइवेट पार्ट्स के बाल काटना यौन संबंध बनाने की तैयारी के रूप में देखा जाता है. इसका संबंध यौन साथियों की संख्या से है."

सर्वे में शामिल कुल 7850 लोगों में से 74 फीसदी प्राइवेट पार्ट्स के बाल साफ करते थे. ऐसा करने वालों में 66 फीसदी पुरूष थे और 84 फीसदी महिलाएं. बाल साफ करने के लिए जो तरीके इस्तेमाल होते हैं उनमें सबसे ज्यादा लोग रेजर, कैंची या वैक्स अपनाते हैं. पुरूष ज्यादातर इलेक्ट्रिक रेजर का इस्तेमाल करते हैं जबकि महिलाएं मैन्युअल रेजर का. 20 प्रतिशत लोग कैंची का इस्तेमाल करते हैं.

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इस अध्ययन से पता चला कि जो लोग बाल साफ करते हैं उनके सेक्शुअल पार्टनर्स की संख्या भी ज्यादा थी. उनके सेक्स करने की बारंबारता भी दूसरों से ज्यादा थी. और यौन रोगों से पीड़ित होने वालों में बाल साफ करने वाले लोग 14 फीसदी ज्यादा निकले.

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन सेक्श एजुकेशन में जरूरी सुधार लाने में मददगार साबित होगा.

वीके/एके (एएफपी)

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