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समाजभारत

शाहरुख खान: इंसान, अभिनेता, मिथक या दंतकथा

२ नवम्बर २०२५

शाहरुख खान सिर्फ अभिनेता ही नहीं, एक एहसास हैं—मेहनत, मोहब्बत और सपनों पर यकीन का नाम. आज उनका जन्मदिन है. लेकिन क्या 60 की उम्र में भी उनका जादू उतना ही गहरा है, जितना “तुझे देखा तो ये जाना सनम” के वक्त था?

शाहरुख खान
तस्वीर: Aijaz Rahi/AP Photo/picture alliance

भारत से लगभग 7,000 किलोमीटर के फासले पर, दूर मोरक्को के रेगिस्तान में अमाजिग नाम का एक आदिवासी समुदाय रहता है जो वहां सैलानियों को ऊंट की पीठ पर मर्जुगा रेगिस्तान की सवारी कराता है. उनके पास ज्यादा संसाधन तो नहीं हैं, और आम तौर पर समुदाय के लोग तंबुओं में ही रहते हैं. लेकिन जब जब उन्हें कोई भारतीय सैलानी मिलता है, वो उससे सबसे पहले यही कहते हैं ‘अरे आप तो शाहरुख खान के देश से हैं.' और यह कहकर वो 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' का मशहूर गाना ‘तुझे देखा तो यह जाना सनम' भी गाते हैं.

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में शाहरुख खान की दीवानगी इस कदर है कि किसी अफ्रीकी देश का एक कबीला दूसरे देश को एक अभिनेता से जान पा रहा है. 2 नवंबर को शाहरुख खान का जन्मदिन होता है. आज वे 60 साल के हो गए हैं. फिर भी आज की पीढ़ी यानी कि जेन जी उनके गाने रीमिक्स कर रही है, मिलेनियल्स यानी 90 के दशक की शुरुआत में पैदा हुए लोग उनके साथ बड़े हुए हैं और बूमर यानी उससे पहले की पीढ़ी ने शाहरुख खान को सफलता की सीढ़ी चढ़ते देखा है.

शाहरुख खान के सितारे की चमक का राज

कई लोग आज भी शाहरुख के सितारे की चमक का राज नहीं समझ पाए. कोई कहता है कि वह बहुत मेहनती हैं, तो कोई उनकी किस्मत को श्रेय देता है, कोई कहता है कि शुरुआत से ही उन्हें बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्में मिलने लगी थीं, तो कई लोग मशहूर प्रोड्यूसर करण जौहर से उनकी दोस्ती को भी इसकी वजह मानते हैं. लेकिन जिन लोगों ने उनकी शोहरत के सफर को करीब से देखा है वो कह सकते हैं कि शाहरुख खान सिर्फ इसलिए मशहूर नहीं हुए क्योंकि उनकी फिल्में हटकर थीं, या फिर उनके किरदार निराले थे. बेशक, वो सब भी बड़ी वजहें रही होंगी. लेकिन एक‘जबरा' फैन के लिए यह भी बहुत मायने रखता है कि वे जिसे अपना आदर्श मान रहे हैं, वह इंसान असल जिंदगी में कैसा है.

फिल्मों से इतर, आप जब शाहरुख खान के इंटरव्यू देखते हैं, तो उनमें आपको एक ऐसा इंसान नजर आता है जो मजाकिया तो है लेकिन आखिरी मजाक भी उसी का होगा, जो दूसरों को इज्जत देने के साथ साथ खुद अपना मजाक उड़ाने में शर्म नहीं करता, जो अपने साथ आई अभिनेत्री की बातों को काटता नहीं, उसकी बातों में टांग यहीं अड़ाता (ज्यादातर), और जो हाजिरजवाब है. एक यूट्यूब पॉडकास्ट में मशहूर कलाकार और कॉमेडियन तन्मय भट्ट ने कहा था कि अच्छा है कि शाहरुख कॉमेडियन नहीं अभिनेता हैं. वरना इंडस्ट्री के सभी कॉमेडियन्स का हुक्का-पानी बंद हो जाता.

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शाहरुख में लोगों को अपना अक्स दिखता है

शाहरुख खान एक ऐसे परिवार से आते हैं जो पढ़ा लिखा तो था, लेकिन जिनका हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से कोई लेना देना नहीं था. शाहरुख खान ने खुद कई बार बताया है कि वह मुंबई कुछ भी लेकर नहीं आए थे. बस अभिनेता बनना था और अपना घर खरीदना था, यह उनके दो सपने थे. आज वो एक ऐसे अभिनेता हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और कई लोग जो मुंबई भ्रमण पर जाते हैं, उनकी बकेट लिस्ट में शाहरुख खान के घर ‘मन्नत' के नीचे एक तस्वीर लेना भी शामिल होता है.

इसलिए शाहरुख खान की उपलब्धियां आम भारतीय को यह एहसास दिलाती हैं कि अगर वो इस मुकाम पर पहुंच सकते हैं तो कोई और भी यह कर सकता है. भारत की आम जनता के साथ उनका रिश्ता ऐसा है जैसे वो ‘हम में से एक हैं', जैसे ‘हमारी दिल्ली का एक लड़का आज दुनियाभर में मशहूर है' कि लोग देश को उसके नाम से जान रहे हैं. इसलिए शाहरुख खान की सफलता में लोग अपनी उम्मीदें देखते है. और यह हर अभिनेता के साथ मुमकिन नहीं है.

समय के साथ खान का बदलता स्वभाव

जहां आप शाहरुख को उनके पुराने इंटरव्यूज में एक बेबाक शख्स की तरह देखते हैं, वहीं आज के शाहरुख काफी संभल कर बात करने वाले नजर आते हैं. सिम्मी ग्रेवाल के साथ एक इंटरव्यू में शाहरुख ने अपनी पत्नी गौरी से लेकर अपने बेटे आर्यन के बारे में कई भावुक बातें कही थीं, सरकार, देश और राजनीति पर जहां वो पहले धड़ल्ले से अपना मत सामने रख देते थे, वहीं आज वो ऐसे इंटरव्यूज कम ही देते हैं.

1997 में शाहरुख खान ने फरीदा जलाल से एक इंटरव्यू में उस समय की भारत की राजनीति पर अपना मत साझा किया था. उन्होंने कहा था कि चूंकि उनके पिता ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था, इसलिए वो उन्हें आजादी को कभी भी हल्के में ना लेने की नसीहत दिया करते थे. शाहरुख ने फरीदा जलाल से कहा, "बचपन में मुझे लगता था कि आजादी यानी बाहर की हुकूमत से आजादी. लेकिन आज मुझे समझ आता है कि गरीबी से आजादी, प्रेस की आजादी, बोलने की आजादी.” आज उनके ऐसे इंटरव्यू कम ही नजर आते हैं. हालांकि उनकी आखिरी फिल्म ‘जवान' में वोट चोरी और भ्रष्टाचार और देश प्रेम जैसे मुद्दों पर खुलकर बात हुई थी. हो सकता है कि खान अब इंटरव्यू से नहीं, फिल्मों से जवाब दे रहे हों.

आलोचना उनके किरदारों से लेकर उनके व्यक्तित्व की

ऐसे कई लोग हैं जिन्हें शाहरुख खान पहले पसंद थे, वो उनके फैन हुआ करते थे. लेकिन अब उन्हें उनमें कुछ खास नजर नहीं आता. कई भारतीयों को उनकी हालिया फिल्में बेतुकी, पुरानी रोमांटिक फिल्में मिसोजिनिस्ट (महिला विरोधी) भी लगती हैं. उनके फैन, देश में चल रहे मुद्दों पर बात ना करने पर भी खासा नाराज रहते हैं. और यह गुस्सा या फिर यह नाराजगी लाजमी है, खासकर कि एक ऐसे इंसान से जो पढ़ा लिखा है, जिसका स्टार पावर ऐसा है कि एक आम साबुन को घर घर पहुंचा दे, वही अपनी आवाज बड़े मुद्दों को उठाने में इस्तेमाल नहीं करेगा तो लोग उसे अपना आदर्श कैसे मानेंगे. शाहरुख खान की हाल की फिल्में भले ही बॉक्स ऑफिस पर चली हों लेकिन उनके बहुत से मिलेनियल फैन, जो उन्हीं के साथ बड़े हुए हैं और कह लें, उन्हीं के साथ प्रेम की परिभाषा सीखी, उनके लिए खान को ऐसे स्टंट करते देखना, हिंसक किरदार निभाते देखना, मार-पिटाई करते देखना बर्दाश्त नहीं होता. फिल्म जगत के आलोचकों के लिए अब उनकी फिल्मों में पहले की तरह प्रेम और धैर्य नहीं दिखता.

कभी दमकता तो कभी मंद, लेकिन चमक बरकरार

अफगानिस्तान से लेकर चीन तक और अमेरिका से लेकर अफ्रीका तक, अकसर लोगों को भारत के बारे में तीन चीजें जरूर मालूम होती हैं - ताज महल, इंदिरा गांधी और शाहरुख खान. यह सच है कि समय कभी एक जगह नहीं ठहरता — हर दौर बदलता है, चेहरे बदलते हैं, कहानियां बदलती हैं. लेकिन मतभेदों, प्यार और नाराजगियों के बीच भी शाहरुख खान का सितारा आज भी बुलंदी पर है. उनकी मुस्कान आज भी उतनी ही जादुई है, उनकी अदाकारी में वही जुनून है, और उनके शब्द अब भी दिलों को वैसे ही छू जाते हैं जैसे 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में या 'कुछ कुछ होता है' में छुए थे. शाहरुख सिर्फ एक अभिनेता नहीं हैं, बल्कि एक भावना हैं — मेहनत, मोहब्बत और सपनों में यकीन का दूसरा नाम.

हर पीढ़ी के लिए शाहरुख किसी ना किसी याद का हिस्सा हैं — किसी के कॉलेज के दिनों की रोमांस की कहानी, किसी के बचपन की ईद और दिवाली की शाम वाली फिल्म, तो किसी के लिए प्रेरणा का सबसे बड़ा जरिया. उन्होंने सिखाया कि है कि ‘जिस चीज को दिल से चाहो, उसे कायनात भी आपसे मिलाने में लग जाती है."

 

साहिबा खान साहिबा 2023 से DW हिन्दी के लिए आप्रवासन, मानव-पशु संघर्ष, मानवाधिकार और भू-राजनीति पर लिखती हैं.https://x.com/jhansiserani
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