गरीबों से कई गुना तेजी से अमीर हो रहे हैं अमीरः रिपोर्ट
विवेक कुमार, सिडनी से
३ अक्टूबर २०२३
ऑस्ट्रेलिया में हुआ एक ताजा अध्ययन बताता है कि अमीर लोग कई गुना ज्यादा तेजी से अमीर हो रहे हैं जबकि गरीबों के पास संपत्ति घट रही है.
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आर्थिक गैरबराबरीपिछले दो दशकों के दौरान इतनी तेजी से बढ़ी है कि अमीर चार गुना ज्यादा तेजी से अमीर हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के एक ताजा अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने इन हालात को बेहद गंभीर और चिंताजनक बताया है.
ऑस्ट्रेलियन काउंसिल ऑफ सोशल सर्विस (ACOSS) और न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी (UNSW) ने मिलकर यह अध्ययन किया है, जिसमें पता चला कि सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की दौलत सबसे गरीब 20 फीसदी से चार गुना ज्यादा तेजी से बढ़ी है.
पावर्टी एंड इनिक्वलिटी पार्टनरशिप की ताजा रिपोर्ट ‘इनिक्वलिटी इन ऑस्ट्रेलियाः 2023 ओवरव्यू' दिखाती है कि पिछले दो दशकों में देश में गैरबराबरी बढ़ने की रफ्तार चिंताजनक रूप से तेज रही है. 2003 से 2022 के बीच सबसे धनी 20 फीसदी लोगों की औसत संपत्ति 82 फीसदी बढ़ी है. सबसे अमीर पांच फीसदी लोगों की दौलत तो 86 फीसदी बढ़ी है.
टूट गयी शर्म की दीवार
पेरू की राजधानी लीमा में अमीर और गरीब इलाकों को बांटने वाली शर्मनाक दीवार तोड़ दी गयी है.
तस्वीर: SEBASTIAN CASTANEDA/REUTERS
शर्मनाक दीवार
लीमा की 4.5 किलोमीटर लंबी शर्मनाक दीवार तोड़ दी गयी है. यह दीवार राजधानी लीमा में अमीरों के रिहायशी इलाकों को गरीब बस्तियों से अलग करती थी.
तस्वीर: SEBASTIAN CASTANEDA/REUTERS
चार दशक से
यह दीवार चार दशक पहले बनायी गयी थी. तीन मीटर ऊंची इस दीवार पर कांटेदार तार लगी थी ताकि कोई अमीरों के इलाके में ना घुस सके.
तस्वीर: SEBASTIAN CASTANEDA/REUTERS
दो समाज
इस दीवार की एक तरफ धनी लोग अपने विशाल घरों में स्विमिंग पूल जैसी तमाम सुविधाओं के साथ रहते हैं जबकि दूसरी तरफ रहने वालों को मूलभूत सुविधाएं जैसे कि पक्की सड़क तक उपलब्ध नहीं थी.
तस्वीर: SEBASTIAN CASTANEDA/REUTERS
गैरबराबरी का प्रतीक
यह दीवार देश में असमानता का एक भौंडा प्रतीक बन गयी थी. चार साल चली कानूनी लड़ाई के बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने इस दीवार को तोड़ने का आदेश दिया था.
तस्वीर: SEBASTIAN CASTANEDA/REUTERS
अमीरों ने बनायी
धनी ला मोलीना इलाके में रहने वाले धनी लोगों ने 1980 के दशक में यह दीवार सुरक्षा और हिंसा का हवाला देते हुए बनायी थी. तब देश में उग्रवादी गतिविधियां चरम पर थीं. हालांकि उग्रवादी संगठन 1990 के दशक में खत्म हो गया, लेकिन दीवार खड़ी रही.
तस्वीर: SEBASTIAN CASTANEDA/REUTERS
खुश नहीं अमीर
इस दीवार को तोड़े जाने को लेकर ला मोलीना के बहुत से लोग खुश नहीं हैं. आलीशान पार्कों वाले इलाके में रहने वाले कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें डर है, बाहरी लोग उनके यहां आ जाएंगे.
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बीच के 20 फीसदी लोगों की संपत्ति में 61 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि सबसे गरीब 20 प्रतिशत लोगों की संपत्ति सिर्फ 20 प्रतिशत बढ़ी है. इस गैरबराबरी के बढ़ने की मुख्य वजहों में सुपरएन्युएशन या प्रोविडेंट फंड में 155 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
यह अनिवार्य बचत है, जो नौकरीपेशा लोगों को करनी होती है प्रॉपर्टी में निवेश भी गैरबराबरी की तस्वीर को साफ करता है. ऑस्ट्रेलिया में जितनी इन्वेस्टमेंट प्रॉपर्टी हैं, उनमें से 82 फीसदी तो सबसे धनी 20 फीसदी लोगों के पास ही हैं.
कैसे घटे असमानता?
रिपोर्ट में कोविड़ महामारी के दौरान हालात पर विशेष अध्ययन किया गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक महामारी के दौरान सरकार द्वारा समय पर उठाये गये कदमों के कारण असमानता कुछ कम हुई लेकिन यह अस्थायी थी.
2020 में सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों की आय 5.3 प्रतिशत बढ़ी जबकि मध्य वर्ग के 20 फीसदी लोगों की आय सिर्फ दो फीसदी बढ़ी. सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की संपत्ति में 2.4 फीसदी का इजाफा हुआ. इस तरह गैरबराबरी में कुछ हद तक कमी आयी.
21 भारतीयों के पास 70 करोड़ लोगों से ज्यादा संपत्ति
दावोस में वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम का वार्षिक आयोजन जारी है. इसी दौरान आधिकार संगठन ऑक्सफैम ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसमें दिए आंकड़े भारत में अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ते फासले की हैरतअंगेज तस्वीर पेश करते हैं.
तस्वीर: Sotheby´s
आधी जनता के पास बस 3 फीसदी
ऑक्सफैम की ताजा रिपोर्ट बताती है कि 5 प्रतिशत भारतीयों के पास देश की संपत्ति का 60 प्रतिशत हिस्सा है. जबकि निचले 50 प्रतिशत लोगों के पास देश की संपत्ति का मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा है.
तस्वीर: Sotheby´s
कितने अमीर हुए अरबपति
ऑक्सफैम की रिपोर्ट ‘सरवाईवल ऑफ़ द रिचस्ट: द इंडिया स्टोरी’ के मुताबिक, 2022 में भारत के सबसे धनी व्यक्ति की संपत्ति 46 प्रतिशत बढ़ी है.
तस्वीर: dapd
धन से आया धन
2012 से 2021 के दौरान भारत में जितना धन बढ़ा, उसका 40 प्रतिशत हिस्सा सबसे धनी एक प्रतिशत लोगों को मिला है. जबकि निचली 50 प्रतिशत जनसंख्या को मात्र 3 प्रतिशत हिस्सा मिला है.
तस्वीर: Soumyabrata Roy/NurPhoto/IMAGO
64 नए अरबपति
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अरबपतियों की संख्या वर्ष 2020 में 102 से बढ़कर वर्ष 2022 में 166 हो गई. भारत के 100 सबसे धनी लोगों की कुल संपत्ति 54 लाख करोड़ रुपये हो गई है. यह इतना पैसा है कि डेढ़ साल तक का केंद्रीय बजट इससे बन सकता है.
तस्वीर: Francis Mascarenhas/REUTERS
दोगुनी हुई भुखमरी
रिपोर्ट कहती है कि भूख से त्रस्त भारतीयों की संख्या 2018 में 19 करोड़ थी, जो 2022 में बढ़कर 35 करोड़ हो गई. मौत का शिकार हुए 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के 65 प्रतिशत बच्चे इसी कारण मारे गए.
तस्वीर: Subhash Sharma/Zumapress/picture alliance
10 लोगों के पास है 30 साल का बजट
सबसे धनी 10 भारतीयों की कुल संपत्ति 27 लाख करोड़ रुपये हो गई है. पिछले वर्ष से इसमें 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई. आज की तारीख में यह संपत्ति स्वास्थ्य व आयुष मंत्रालयों के 30 वर्ष के बजट, शिक्षा मंत्रालय के 26 वर्ष के बजट व मनरेगा के 38 वर्ष के बजट के बराबर है.
तस्वीर: Dinodia Photo Library/picture alliance
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लेकिन 2021-22 में जब महामारी के दौरान लागू विशेष उपाय हटा दिये गये तो गरीबों की आय फिर से घट गयी. यूं तो सबकी ही आय घटी लेकिन सबसे गरीब लोगों की आय में ज्यादा कमी देखी गयी. सबसे गरीब 20 फीसदी की आय 3.5 फीसदी घटी जबकि सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की आय में सिर्फ 0.1 फीसदी की गिरावट आयी.
यूएनएसडब्ल्यू के सोशल पॉलिसी रिसर्च सेंटर की प्रोफेसर कार्ला ट्रेलोअर कहती हैं, "यह रिपोर्ट सरकार की हालिया जनहित संरचना पर आधारित है जो दिखाती है कि आय आधारित असमानता औसतन स्थिर रही है लेकिन संपत्ति के आधार पर देखा जाए तो बीते दशकों में इसमें गिरावट आयी है. सस्ते घर और ज्यादा न्यायसंगत कर वह सुपरएन्युएशन प्रणाली से हम इस चलन को उलट सकते हैं. साथ ही, आय समर्थन जैसे भुगतान को स्थायी करके भी आय असमानता को कम किया जा सकता है.”
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भारत में भी बढ़ रही है असमानता
भारत में भी बीते सालों में असमानता तेजी से बढ़ी है. हाल ही में समाजसेवी संस्था ऑक्फैम ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसके मुताबिक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत असल में दुनिया में सबसे ज्यादा असमानता वाले देशों में है.
गरीब देशों पर कितना कर्ज
वर्ल्ड बैंक की अंतरराष्ट्रीय कर्ज रिपोर्ट 2021 के मुताबिक इन देशों पर जीडीपी से कई गुना ज्यादा कर्ज है.
अफ्रीकी देश सूडान पर जीडीपी का 181.9 फीसदी लोन है. सरकारी राजस्व का बड़ा हिस्सा कर्ज की अदायगी में खर्च हो रहा है.
तस्वीर: AP/dpa/picture alliance
03. इरीट्रिया
कर्ज अदायगी पर बजट का 20 फीसदी खर्च करने वालों में अफ्रीकी देश इरीट्रिया भी शामिल है. लंबे वक्त से हिंसा का सामना कर रहे इरीट्रिया पर जीडीपी का 176.25 फीसदी ऋण है.
तस्वीर: Mey Dudin/dpa/picture alliance
04. लेबनान
50 लाख की आबादी वाला लेबनान मध्यपूर्व के सबसे छोटे देशों में शामिल है. 10,452 वर्ग किलोमीटर भूभाग में फैले लेबनान पर 150.6 प्रतिशत कर्ज है.
तस्वीर: Hassan Ammar/AP/picture alliance
05. केप वेर्डे
मध्य अटलांटिक महासागर में 10 द्वीप समूहों से बने देश केप वेर्डे पर 142.3 फीसदी लोन है. 1975 में पुर्तगाल से आजाद होने वाला यह देश जलवायु परिवर्तन से भी परेशान है.
तस्वीर: Seyllou/AFP/Getty Images
06. सूरीनाम
दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के एकदम उत्तरी सिरे पर बसे सूरीनाम पर जीडीपी का 125.7 फीसदी लोन है. देश एल्युमीनियम के अयस्क बॉक्साइट और कृषि उत्पादों के निर्यात पर काफी हद तक निर्भर है.
तस्वीर: Ranu Abhelakh/AFP
07. मालदीव
भारत का पड़ोसी मालदीव, सफेद रेत वाले तटों और टूरिज्म के लिए मशहूर हैं. लेकिन टूरिज्म की इस चमक के पीछे छुपी अर्थव्यवस्था पर 124.8 प्रतिशत कर्जा है.
तस्वीर: Nikolai Okhitin/Zoonar/picture alliance
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ऑक्सफैम के मुताबिक भारत के सबसे धनी दस फीसदी लोगों के पास 77 प्रतिशत संपत्ति है. 2017 में देश में जितनी संपत्ति पैदा हुई, उसका 73 फीसदी सिर्फ एक फीसदी लोगों को मिला जबकि निचले तबके के 67 करोड़ लोगों की संपत्ति में सिर्फ एक फीसदी की वृद्धि हुई. 2021 में देश की 40.5 प्रतिशत संपत्ति सिर्फ एक फीसदी लोगों के पास थी.
भारत में अरबपतियों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है. 2020 में वहां 102 अरबपति थे जो 2022 में बढ़कर 166 हो गये. इसी साल जनवरी में स्विट्जरलैंड के दावोस में जारी ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचस्ट‘ रिपोर्ट में कहा गया था कि 2012 से 2021 के बीच भारत में जितना धन पैदा हुआ, उसका 40 फीसदी से ज्यादा सिर्फ एक फीसदी लोगों को मिला.