पहले रिटेल नेटवर्क को ऑनलाइन कर दिया गया, अब रिटेल में नेटवर्किंग आ रही है. चीन की ऑनलाइन कंपनियां पूरी तरह से डिजीटाइज हो रही हैं, कर्मचारी विहीन सुपर मार्केट बन रहे हैं.
मॉल्स कैसे बनाए जाते हैं? ऐसा क्या होता है कि आप उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं? सोचा है कभी? जर्मनी के शहर म्यूनिख में एक आर्किटेक्चर म्यूजियम में मॉल्स की प्रदर्शनी में कुछ ऐसे ही सवाल उठे.
मॉल कमाल
मॉल्स कैसे बनाए जाते हैं? ऐसा क्या होता है कि आप उसकी ओर खिंचे चले जाते हैं? सोचा है कभी? जर्मनी के शहर म्यूनिख में एक आर्किटेक्चर म्यूजियम में मॉल्स की प्रदर्शनी में कुछ ऐसे ही सवाल उठे.
तस्वीर: Pietro Paolini/TerraProject
मॉल का जन्म
1956 में अमेरिका के मिनेसोटा में साउथडेल सेंटर खुला था. यह पहला मॉल था. ऑस्ट्रिया के आर्किटेक्ट विक्टर ग्रुएन ने इसे डिजाइन किया था. और इसके पीछे सोच यह थी कि लोगों को कार से इधर-उधर दौड़ने से छुटकारा मिले. वे एक जगह पूरी मस्ती कर सकें. इस सिद्धांत को ग्रुएन इफेक्ट कहा गया.
तस्वीर: Gruen and Associates
मोहभंग
पूरी दुनिया में ग्रुएन के आइडिया को कॉपी किया गया. लेकिन जिस तरह कॉपी किया गया, उसे देखकर ग्रुएन का भी मोहभंग हो गया. उनका मानना था कि हर जगह मॉल की जरूरत नहीं है. तस्वीर में आप जर्मनी का पहला मॉल देख रहे हैं जो फ्रैंकफर्ट के पास बना था.
तस्वीर: ECE Projektmanagement GmbH&Co.KG
महल का बन गया मॉल
जर्मनी के ब्राउनश्वाइग शहर में बने इस मॉल को देखिए. यह एक महल था जो दूसरे विश्वयुद्ध में तबाह हो गया था. 2005 से 2007 के बीच इसे ग्रैजिओली और मुथसियस नाम के दो आर्किटेक्टों ने मॉल बना दिया.
तस्वीर: Thomas Mayer
जर्मनी का सबसे बड़ा मॉल
जब कुछ महत्वपूर्ण उद्योग बंद हो गए तो उन इलाकों के नए इस्तेमाल की चुनौती थी. 1994 से 1996 के बीच ओबरहाउजेन शहर में बना सेंटर ओ जर्मनी का सबसे बड़ा मॉल है.
तस्वीर: Thomas Mayer
इस्तांबुल की नई पहचान
तुर्की के खचाखच भरे शहर की पहचान तो उसके पारंपरिक बाजारों से है लेकिन 2013 में बनकर तैयार हुए जोरलू सेंटर ने शहर का चेहरा ही बदल दिया है.
तस्वीर: Thomas Mayer
सैन डिएगो की भूल भुलैया
1985 में बन कर तैयार हुए वेस्टफील्ड हॉर्टन प्लाजा को तीन साल में बनाया गया. कहीं से ऊंचा कहीं से नीचा यह भूल भुलैया सा लगता है.
तस्वीर: The Jerde Partnership
मरे हुए मॉल
लोगों की खरीदारी की आदतें तेजी से बदली हैं जिसका नतीजा फ्लॉप मॉल्स के रूप में देखने को मिला है. ओहायो का रोलिंग एकर्स इसी की मिसाल है जहां लोगों ने आना बंद कर दिया.
तस्वीर: Seph Lawless
विफल प्रयोग
वेनेजुएला की राजधानी कराकस में बनी यह इमारत है अल हेलिकोएडे डे ला रोका तारपेया. इसे एक ड्राइव-इन मॉल के रूप में बनाया जा रहा था. लेकिन 1960 में निर्माण रोक दिया गया. फिर यहां कभी बस्ती बनी तो कभी दफ्तर. फिलहाल यह जेल है.