सेबी ने अदाणी मामले में अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग को नोटिस भेजा था, जिसके जवाब में हिंडनबर्ग ने कहा है कि सेबी निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने की जगह धोखेबाजों को बचाने की ज्यादा कोशिश कर रही है.
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अमेरिकी इन्वेस्टमेंट रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट पर छपे एक लेख में दावा किया गया है कि कंपनी ने जनवरी 2023 में अदाणी समूह को लेकर जो खुलासे किए थे, उनके जवाब में भारत में शेयर बाजार की नियामक संस्था सिक्यॉरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने उसे ही एक नोटिस भेज दिया है.
हिंडनबर्ग के मुताबिक, सेबी ने 27 जून 2024 को ईमेल के जरिए उसे 'कारण-बताओ' नोटिस भेजा, जिसमें नियामक ने हिंडनबर्ग पर भारतीय नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है.
क्या हैं सेबी के आरोप
नोटिस के मुताबिक, सेबी का आरोप है कि हिंडेनबर्ग और उसके एकमात्र मालिक नेथन एंडरसन ने अदाणी समूह के खिलाफ अपनी रिपोर्ट जारी कर जानबूझ कर समूह का नुकसान कराया और अपने एक क्लायंट मार्क किंग्डन और उनकी कंपनी का मुनाफा करवाया. आरोप यह भी है कि खुद हिंडनबर्ग ने भी इस मुनाफे में से 25 प्रतिशत हिस्सा लिया.
सेबी की जांच के मुताबिक, हिंडनबर्ग ने अदाणी पर अपनी रिपोर्ट जारी करने से पहले किंग्डन को दिखाई, जिसके बाद किंग्डन ने अदाणी के शेयरों में शॉर्ट-सेलिंग की तैयारी कर ली. रिपोर्ट जारी होने के बाद शॉर्ट-सेलिंग हुई और शेयर का मूल्य 59 प्रतिशत गिर गया.
रिपोर्ट ऐसे समय पर जारी की गई थी, जब अदाणी समूह एक फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के बीच में था. बाद में समूह को एफपीओ वापस लेना पड़ा था.
सेबी के नोटिस के मुताबिक, रिपोर्ट छपने से कुछ ही दिन पहले 'के. इंडिया अपॉरच्यूनिटीज फंड लिमिटेड - क्लास एफ' नाम की एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेश कंपनी (एफपीआई) ने भारत में ट्रेडिंग के लिए खाता खोला और अदाणी के शेयरों में ट्रेडिंग शुरू की.
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एक भारतीय कंपनी की भी है भूमिका
फिर इसी एफपीआई ने रिपोर्ट छपने के बाद अपने सारे शेयर बेच दिए और 183.24 करोड़ का मुनाफा कमाया. सेबी ने अपने नोटिस में इस एफपीआई का पूरा नाम नहीं बताया है, लेकिन हिंडनबर्ग ने अपने जवाब में बताया कि यह कोटक बैंक का एफपीआई था जिसका किंग्डन ने अदाणी के खिलाफ दांव लगाने के लिए इस्तेमाल किया.
इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी के आरोप का सामना कर रहे गौतम अदाणी
गौतम अदाणी कभी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे लेकिन एक रिपोर्ट ने उनके व्यापार को इतना नुकसान पहुंचा दिया कि अदाणी समूह की पूंजी 8000 अरब से ज्यादा गिर गई. जानिए गौतम अदाणी और उनके साम्राज्य के बारे में.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
अपार संपत्ति
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी को कभी एशिया के सबसे अमीर और दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में जाना जाता था. अहमदाबाद के एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले और शिक्षा भी पूरी ना कर पाने वाले एक व्यक्ति के लिए इसे एक अचंभित करने वाली उपलब्धि माना जाता था.
तस्वीर: Amit Dave/REUTERS
सादा शुरुआत
कहा जाता है कि गौतम अदाणी ने कॉलेज शिक्षा छोड़ कर मुंबई में हीरों का कारोबार शुरू किया. बाद में अहमदाबाद लौट कर उन्होंने अपने भाई के साथ मिल कर प्लास्टिक आयात करने का व्यापार किया. फिर 1980 के दशक में उन्होंने अदाणी एंटरप्राइजेज की स्थापना की.
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आर्थिक सुधारों का लाभ
1990 के दशक में जब भारतीय अर्थव्यवस्था में उदारीकरण और वैश्वीकरण का दौर आया तब अदाणी ने अपने व्यापार का विस्तार किया और बंदरगाहों, निर्माण और कोयला खनन में निवेश करना शुरू किया. उनकी पहली बड़ी परियोजना मुंद्रा बंदरगाह आज भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक बंदरगाह है और वो देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटर हैं.
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तेजी से विस्तार
इसके बाद एक दशक के अंदर ही वो भारत में कोयला खदानों के सबसे बड़े डेवलपर और ऑपरेटर बन गए. आज अदाणी समूह बड़े शहरों में एयरपोर्ट चलाता है, सड़कें, बिजली, सैन्य उपकरण, कृषि उपकरण और उत्पाद आदि बनाता है और मीडिया संस्थान भी चलाता है. अदाणी समूह का लक्ष्य है 2030 तक अक्षय ऊर्जा में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनना.
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ऋण पर खड़ा साम्राज्य
शेयर बाजार में अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों के दाम सिर्फ पांच सालों में 1,000 प्रतिशत बढ़ गए. लेकिन समीक्षकों का कहना है कि अदाणी समूह का इतनी तेजी से हुआ विस्तार ऋण के दम पर हुआ है. समूह के ऊपर करीब 2,400 अरब रुपयों का ऋण है, जिसमें से करीब 730 अरब रुपयों का ऋण भारतीय बैंकों से लिया गया है.
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मोदी से संबंध
समीक्षकों का यह भी कहना है कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब गौतम अदाणी ने उनसे हाथ मिलाया और जब मोदी प्रधानमंत्री बने तब उनके करीब संबंधों का फायदा अडानी को राष्ट्रीय स्तर पर मिला. पहली बार प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी चुनाव अभियान में अक्सर अदाणी के चार्टर्ड विमान में यात्रा करते हुए नजर आते थे.
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सरकारी समर्थन के आरोप
आलोचकों का कहना है कि मोदी से दोस्ती होने की वजह से अदाणी अपने प्रतिद्वंदियों से आगे निकल पाए, व्यापार का विस्तार किया और बिना पर्याप्त निगरानी के ज्यादा से ज्यादा ऋण भी उठाया. गौतम अदाणी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में एक रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर इतिहास की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का आरोप लगाया. हिंडनबर्ग का आरोप है कि गौतम अदाणी ने लेखा धोखाधड़ी की है और ऑफशोर कर पनाह वाले देशों के रास्ते पैसे लगा कर अपनी कंपनियों के शेयरों के दामों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया.
एक रिपोर्ट का असर
अदाणी समूह ने इन आरोपों का भी खंडन किया है लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद समूह को बड़ा धक्का लगा है. बाजार में समूह की पूंजी में 8000 अरब से ज्यादा की गिरावट आई है और गौतम अदाणी ने भी सबसे अमीर लोगों की सूची में अपना स्थान खो दिया है.
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सेबी ने हिंडनबर्ग को 21 दिनों के अंदर जवाब देने के लिए कहा है. कारण-बताओ नोटिस जारी करने के बाद अगर सेबी आरोपी को दोषी पाता है, तो उसपर जुर्माना लगा सकता है और भारतीय शेयर बाजार में भाग लेने से प्रतिबंधित कर सकता है.
हिंडनबर्ग ने अपनी वेबसाइट पर छपे लेख में सेबी के सभी आरोपों से इनकार किया है और सेबी पर ही सवाल उठाए हैं. कंपनी ने कहा है कि उसने पहले ही बताया था कि वह अदाणी के शेयरों में शॉर्ट-सेलिंग कर रही है.
साथ ही कंपनी का कहना है कि उसने उसकी रिपोर्ट के पाठकों से खुल कर कहा था कि वह इस मामले में खुद भी रिसर्च करें. अपने मुनाफे के बारे में हिंडनबर्ग ने कहा कि उसने अपने निवेशक के जरिए करीब 34 करोड़ रुपए और अदाणी में खुद शॉर्ट-सेलिंग कर करीब 25 लाख रुपए कमाए हैं.
कंपनी ने आगे कहा कि उसकी रिपोर्ट दो साल तक चली एक वैश्विक जांच का नतीजा थी, जिसका सिर्फ खर्च ही इस कमाई से निकल पाएगा, यानी कोई मुनाफा नहीं बचेगा. कंपनी ने कहा है कि यह रिपोर्ट उसके लिए कमाई का साधन नहीं थी, बल्कि उसकी मंशा भारत में हो रही एक बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने की थी.
हिंडनबर्ग ने सेबी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सेबी का काम इस तरह की गतिविधियों को रोकना है जिन्हें कंपनी ने उजागर किया, लेकिन नियामक ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है. कंपनी ने आरोप लगाया कि ऐसा लग रहा है कि सेबी निवेशकों को धोखा करने वालों से बचाने की जगह धोखेबाजों को ही बचाने की ज्यादा कोशिश कर रही है.