अमेरिका में बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव लोगों को आइसोलेशन में रखने की समयसीमा आधी कर दी गई है. साथ ही, उन्हें इसके बाद जांच कराने की भी जरूरत नहीं है. वैज्ञानिकों को चिंता है कि कहीं इससे महामारी और ना फैले.
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अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी ने बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव लोगों को आइसोलेशन में रखने की समयसीमा को कम कर दिया है. स्वास्थ्य एजेंसी के इस फैसले ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस फैसले से कोरोना वायरस महामारी तेजी से फैलेगी और अस्पतालों पर बोझ बढ़ेगा.
हाल ही में अमेरिकी एजेंसी 'सेंटर फॉर डिजीज ऐंड प्रिवेंशन' (सीडीसी) ने कहा था कि बिना लक्षण वाले कोविड-19 पॉजिटिव लोगों को सिर्फ पांच दिन आइसोलेशन में रहना होगा. इसके बाद, उन्हें पीसीआर या रैपिड एंटीजन की नेगेटिव रिपोर्ट की भी जरूरत नहीं होगी. पांच दिन आइसोलेशन के बाद, उन्हें अगले पांच दिनों तक मास्क पहनना अनिवार्य है.
यह नियम उन लोगों पर भी लागू होगा जिनकी स्थिति आइसोलेशन में पांच दिन रहने के दौरान पहले से बेहतर होती है. सरकार का यह फैसला ऐसी स्थिति में आया है जब स्वास्थ्य और पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी की आशंका जताई जा रही है. देश को हाल के हफ्तों में रैपिड-एंटीजन टेस्ट की कमी का सामना भी करना पड़ा है.
हालांकि सीडीसी का कहना है कि आइसोलेशन से जुड़ा यह फैसला वैज्ञानिक डेटा पर आधारित है. वैज्ञानिक डाटा से पता चलता है कि किसी व्यक्ति में लक्षण दिखने के एक से दो दिन पहले या लक्षण दिखने के एक से दो दिन बाद तक ही वह कोरोना वायरस का प्रसार कर सकता है.
डाटा देखना चाहते हैं वैज्ञानिक
सीडीएस जिस आंकड़े के आधार पर अपने फैसले को सही साबित करना चाहती है वह सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है. अगस्त महीने में जेएएमए (जामा) इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, किसी व्यक्ति में कोरोना का लक्षण दिखने की शुरुआत से, एक से दो दिन पहले और तीन दिन बाद तक वायरस का प्रसार करने की क्षमता सबसे अधिक थी. हालांकि, इसके बाद भी वह व्यक्ति वायरस का प्रसार कर सकता है.
तस्वीरें जो 2021 को भूलने नहीं देंगी
2021 काफी उथल-पुथल भरा रहा. दुनियाभर में लोगों ने तमाम मुश्किलों के साथ साल बिताया. कहीं कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया तो कहीं विरोध प्रदर्शनों ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. देखिए वे तस्वीरें जो सुर्खियां बन गईं.
तस्वीर: AP Photo/picture alliance
काबुल से रवानगी
जब 15 अगस्त, 2021 को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया तो हजारों अफगान किसी तरह से देश से निकलने की कोशिश में जुट गए. इस तस्वीर में सैकड़ों लोग अमेरिकी विमान सी-17 ग्लोबमास्टर में सवार दिख रहे हैं.
तस्वीर: Chris Herbert/US Airforce/AFP
अमेरिकी संसद पर हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की हार को अस्वीकार करने वाले उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन करते करते कैपिटल बिल्डिंग पर ही धावा बोल दिया. उन्होंने वहां तोड़फोड़ और आगजनी की. इस तस्वीर में सीनेट चैंबर के अंदर ट्रंप समर्थक "आजादी" के नारे लगाता हुआ.
तस्वीर: Win McNamee/Getty Images
बाइडेन बने राष्ट्रपति
20 जनवरी, 2021 को जो बाइडेन ने अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के पद की शपथ ली. बतौर राष्ट्रपति अपने पहले भाषण में जो बाइडेन ने कहा कि यह दिन इतिहास रच रहा है और उम्मीदें जगा रहा है.
तस्वीर: Saul Loeb/Getty Images
जलती चिताएं
भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश को झकझोर दिया. अस्पताल में बिस्तरों की कमी, ऑक्सीजन के लिए भागते लोग और श्मशान में एक साथ जलती दर्जनों चिताएं. इन तस्वीरों ने सिस्टम की पोल खोल दी.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
फंस गया जहाज
चीन के यानतियान से नीदरलैंड के रॉटरडम जा रहा यह विशालकाय जहाज तूफान की वजह से टकरा गया और करीब एक हफ्ते तक स्वेज नहर में फंसा रहा. 400 मीटर लंबे मालवाहक जहाज के फंस जाने के बाद दुनिया के सबसे व्यस्त पानी के रास्ते पर जहाजों का ट्रैफिक जाम लग गया.
तस्वीर: 2021 Maxar Technologies/AFP
जी-7 के आलोचक
साल 2021 में इंग्लैंड में हुई जी-7 की सालाना बैठक के विरोध में कई संगठनों और लोगों ने अपने-अपने तरीके से विरोध दर्ज कराया. इस तस्वीर में जी-7 नेताओं की मूर्ति इलेक्ट्रॉनिक कचरे से बनाई गई है.
तस्वीर: Adrian Dennis/Joe Ruch und Alex Wreckage/AFP/Getty Images
टिड्डी दल का हमला
31 जनवरी, 2021 को केन्या के रुमुरुती शहर के पास रेगिस्तानी टिड्डियों का झुंड उड़ता हुआ. टिड्डी दल के हमले से कई देशों के किसान परेशान रहते हैं.
तस्वीर: Baz Ratner/REUTERS
मंजिल अभी दूर है
पोलैंड और बेलारूस की सीमा पर सैकड़ों प्रवासियों ने बर्फीले तापमान के बीच शिविर लगा लिए. इनका मकसद किसी तरह से यूरोप में दाखिल होना है. सीमा पर लोग प्लास्टिक के सहारे रात बिताने को मजबूर हैं.
ओलाफ शॉल्त्स के जर्मनी के नए चांसलर बनने के साथ ही साथ ही अंगेला मैर्केल का युग खत्म हो गया. अंगेला मैर्केल जर्मनी की दूसरी सबसे लंबे समय तक चांसलर रहीं. यूरोप की सबसे प्रभावशाली नेताओं में उनकी गिनती होती है.
तस्वीर: Miachel Kappeler/picture alliance/dpa
किसान आंदोलन
दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों ने 9 दिंसबर को आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया. संसद द्वारा आधिकारिक रूप से तीन कृषि कानूनों को वापस करने के बाद आंदोलनकारी किसानों ने इसे खत्म कर दिया.
तस्वीर: Naveen Sharma/SOPA Images via ZUMA Wire/picture alliance
मंगल नहीं धरती है
यूरोप और इस्राएल के कुछ अंतरिक्ष यात्री इस्राएल के नेगेव रेगिस्तान में माख्तेश रामोन कार्टर पर मंगल ग्रह जैसे इलाके पर एक मिशन पर चलते हुए.
तस्वीर: Jack Guez/AFP
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स्विट्जरलैंड स्थित बर्न विश्वविद्यालय में आण्विक महामारी विशेषज्ञ एमा होडक्रॉफ्ट ने डीडब्ल्यू को बताया, "क्वॉरन्टीन की अवधि इस आधार पर तय होनी चाहिए कि हमारे शरीर में कितने समय तक वायरस जीवित रहता है. दूसरे शब्दों में, संक्रमित व्यक्ति संभावित तौर पर कितने दिनों तक किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है.
वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में महामारी विशेषज्ञ जोई हाइड ने डीडब्ल्यू को बताया, "लक्षण दिखने के शुरुआती कुछ दिनों में संक्रमित लोग तेजी से दूसरे लोगों के बीच वायरस का प्रसार कर सकते हैं. हालांकि, बाद में यह क्षमता कम हो जाती है. इसके बावजूद, आइसोलेशन की अवधि तभी कम करनी चाहिए, जब संक्रमित व्यक्ति की जांच रिपोर्ट नेगेटिव हो."
हाइड ने कहा, "नेगेटिव रिपोर्ट की जरूरत को खत्म करना सही फैसला नहीं है. ऐसा करने पर वायरस का प्रसार तेज हो सकता है. साथ ही बिना लक्षण वाले व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे लोग भी संक्रमित और बीमार हो सकते हैं. उनकी जान खतरे में पड़ सकती है."
बेहतर हेल्थ सिस्टम बनाने के लिए WHO की सात सिफारिशें
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बनाने के लिए एक रिपोर्ट में सात सिफारिशें की हैं. महामारी से जूझ रही दुनिया को जिस तरह की स्वास्थ्य व्यवस्था की जरूरत है, उसे हासिल करने के लिए ये कदम उठाने होंगे.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
ये सात कदम उठाने होंगे
कोविड ने दुनिया में 49 लाख जानें ली हैं. भारत में चार लाख 53 हजार लोग मर चुके हैं. ऐसा फिर ना हो, इसके लिए ये सात कदम उठाने होंगे.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
तैयारी
महामारी से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का फायदा उठाएं. भविष्य में ऐसे संकट से निपटने की तैयारी को और स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत किया जाए.
तस्वीर: Avishek Das/Zuma/picture alliance
निवेश
जन स्वास्थ्य सेवा में निवेश किया जाए, खासकर उन क्षेत्रों में जो आपातकालीन संकटों से निपटने के लिए जरूरी हैं.
तस्वीर: Sakib Ali/Hindustan Times/imago images
प्राथमिक स्वास्थ्य
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत बनाया जाए. प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की नींव मजबूत की जाए.
तस्वीर: Himanshu Sharma/abaca/picture alliance
तंत्र
पूरे समाज को शामिल करने के लिए एक संस्थागत तंत्र बनाने में निवेश किया जाए.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
शोध
शोध, खोज और अध्ययन का माहौल बनाया जाए और इन क्षेत्रों को बेहतर बनाने पर काम किया जाए.
सिर्फ घरेलू स्तर पर नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए निवेश किया जाए. जो खतरनाक क्षेत्र हैं, उनमें आपातकालीन संकट से निपटने की तैयारी के लिए निवेश हो.
तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images
समीक्षा
आबादी के उन हिस्सों पर विशेष ध्यान दिया जाए जो कोविड के दौरान ज्यादा प्रभावित हुए. उन तबकों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में जो कमी रह गई, उसे दूर किया जाए.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
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राजनीतिक फैसला
वैज्ञानिकों को आशंका है कि बिना लक्षण वाले और तेजी से ठीक होने वाले रोगियों के लिए आइसोलेशन के समय को आधा करने का फैसला सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से जुड़ा हुआ नहीं है. जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित शारिटे अस्पताल में सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान के प्रोफेसर टोबियास कुर्थ ने कहा, "यह निश्चित तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य दिशानिर्देश नहीं है. यह पक्का करने के लिए कि हम कई चीजों को संभाल सकते हैं, इसलिए यह आर्थिक दिशानिर्देश है. कुछ क्षेत्रों में नियमों में थोड़ी छूट दी जा सकती है, लेकिन इसे सामान्य नियम के तौर पर लागू नहीं किया जाना चाहिए."
हाइड भी कुर्थ की चिंताओं का समर्थन करती हैं. वह कहती हैं, "यह फैसला वैज्ञानिक आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक आधार पर लिया गया है. यह पूरी तरह राजनीतिक फैसला है." वहीं, एमा होडक्रॉफ्ट का कहना है कि कार्यस्थल पर कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए कोरोना के प्रसार को रोकना होगा, ताकि कम के कम लोग इसकी चपेट में आएं. उन्होंने कहा, "जो लोग कोरोना वायरस का प्रसार कर सकते हैं उन्हें काम करने की अनुमति देने से ज्यादा लोग संक्रमित हो सकते हैं."
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अस्पतालों पर दबाव
अगर बिना लक्षण वाले कोरोना पॉजिटिव लोग लंबे समय तक आइसोलेशन में नहीं रहते हैं और उनकी जांच नहीं होने की वजह से तेजी से संक्रमण फैलता है, तो अस्पताल इस स्थिति को कैसे संभालेंगे? कुर्थ चेतावनी भरे लहजे में कहते हैं कि ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में अगर ओमिक्रॉन तेजी से फैलता है तो स्वास्थ्य से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो जाएंगी. हाइड का कहना है ,"यह वाकई डरावना है कि एक ओर ओमिक्रॉन वैरिएंट फैल रहा है और दूसरी ओर पाबंदियों में छूट दी जा रही है."
सीडीसी का यह फैसला तब आया है जब कई देश टीकाकरण की स्थिति के मुताबिक, आइसोलेशन के नियम बदलने पर चर्चा कर रहे हैं. जर्मनी में बिना लक्षण वाले उन लोगों के लिए आइसोलेशन के नियमों में बदलाव पर विचार किया जा रहा है जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं. हालांकि, अमेरिका के विपरीत यहां आइसोलेशन में रहने वाले लोगों की जांच होगी और निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही वे सामान्य रूप से जीवन जी सकते हैं.