जब कोरोनावायरस आया तो जर्मनी में बहुत से लोग नए पालतू जानवर घर ले आए. पर वैज्ञानिक कह रहे हैं कि संक्रमण हो जाते तो पालतू जानवरों से दूर रहें.
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अगर आपको कोरोनावायरस ने संक्रमित कर दिया है, तो बेशक आपको एकांतवास में रहना चाहिए. डॉक्टर कहते हैं कि किसी से मिलना-जुलना उसे बीमार कर सकता है. लेकिन, क्या इस दौरान आप अपने पालतू जानवरों से मिल सकते हैं? वैज्ञानिकों का कहना है, नहीं.
एक नए अध्ययन में नीदरलैंड्स के शोधकर्ताओं ने पाया है कि बहुत बड़ी तादाद में कुत्ते और बिल्लियां कोविड का शिकार हो रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसानों से यह वायरस पालतू जानवरों में जा रहा है.
नीदरलैंड्स के उट्रेष्ट विश्वविद्यालय के डॉ. एल्स ब्रोएन्स कहते हैं कि लगभग 20 फीसदी जानवरों को अपने मालिक से कोविड होने का खतरा है. हालांकि इसका ठीक उलटा, यानी पालतू जानवरों से उनके मालिकों को होने वाले संक्रमण की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. डॉ. ब्रोएन्स कहते हैं, "शुक्र है कि इस वायरस से जानवर बहुत ज्यादा बीमार नहीं होते.”
कुत्तों और बिल्लियों को भी हो सकता है कोरोना
कोविड-19 के मरीजों से कोरोना का संक्रमण उनके पालतू कुत्तों और बिल्लियों में भी फैल सकता है. उनमें भी लक्षण दिखते हैं लेकिन वे अक्सर मामूली होते हैं.
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कोरोना में दूरी रखना ही बेहतर
अगर इंसानों को कोविड-19 है तो उन्हें कुत्तों से घुलने-मिलने और चिपटने से परहेज करना चाहिए. उटरेष्ट के शोधकर्ताओं ने उन 48 बिल्लियों और 54 कुत्तों की नाक और खून के सैंपल लिए जिनके मालिकों को पिछले 200 दिन में कोविड-19 संक्रमण हुआ था. और गजब! 17.4% मामलों में कोरोना निकला. 4.2% जानवरों में लक्षण भी दिखे.
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जानवर भी बीमार पड़ सकते हैं
संक्रमित होने वाले एक चौथाई जानवर भी बीमार पड़े थे. अधिकांश जानवरों में बीमारी हल्की थी, तीन की हालत ज्यादा गंभीर थी. फिर भी चिकित्सा विशेषज्ञ ज्यादा चिंतित नहीं हैं. वे कहते हैं कि महामारी में पालतू जानवरों की खास भूमिका नहीं है. बड़ा खतरा तो मनुष्यों के बीच संक्रमण का है.
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जानवर पालें या नहीं?
ये तो मार्च 2020 में ही पता चल गया था कि बिल्लियों में भी कोरोना हो सकता है. ये बात पहली बार बताई थी, चीन के हार्बिन में वेटेरिनरी रिसर्च इन्स्टीट्यूट ने. उसी ने ये भी बताया था कि कोरोना एक बिल्ली से दूसरी बिल्लियों में भी जा सकता है. लेकिन पशु चिकित्सक हुआलान शेन कहते हैं, ये इतना आसान नहीं.
बिल्लियां पालने वाले लोग घबराएं नहीं. बिल्लियां वायरस के खिलाफ तुरंत एंटीबॉडी बना लेती हैं इसलिए लंबे समय तक संक्रमित नहीं रहतीं. कोविड-19 के गंभीर मरीज अपनी पालतू बिल्लियों को कुछ समय के लिए बाहर न जाने दें. और जो लोग स्वस्थ हैं वे अंजान जानवरों को थपथपाने के बाद करीने से हाथ धो लें.
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कौन किसे संक्रमित करता है?
रोम में घूमते निकले इस पालतू सुअर को क्या कुत्ते से एक सुरक्षित दूरी बनाकर चलना चाहिए? इस सवाल पर भी फिर से गौर करना होगा. सुअर कोरोना वायरस के कैरियर नहीं हैं, ये दावा 2020 में हार्बिन के शोधकर्ताओं ने किया था. लेकिन तब उन्होंने कुत्तों के मामले में भी यही कहा था. क्या आज भी वे ऐसा कह सकते हैं?
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जब इंसान ही बन जाएं खतरा
मलेशिया की चार साल की बाघिन नादिया, न्यू यार्क के एक चिड़ियाघर में रहती है. 2020 में उसमें कोरोना मिला था. चिड़ियाघर के प्रमुख पशु चिकित्सक ने नेशनल ज्योगॉफ्रिक पत्रिका को बताया कि ये मनुष्यों से जंगली जानवरों में होने वाला, कोविड-19 का पहला मामला था.
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चमगादड़ों पर बेकार का दोष?
माना जाता है कि वायरस जंगल से आया. चमगादड़ ही सार्स-कोवि-2 के सबसे पहले कैरियर मान लिए गए. लेकिन पशु चिकित्सक कहते हैं कि दिसंबर 2019 में वुहान में चमगादड़ों और इंसानों के बीच कोई और प्रजाति बतौर इंटरमीडियट होस्ट रही होगी. ये कौनसा जानवर होगा, अभी ठीक से पता नहीं चला है.
ये रकून, ज्ञात सार्स वायरसों का वाहक है. वायरोलॉजिस्ट क्रिस्टियान ड्रॉस्टन इसे एक गंभीर वायरस कैरियर मानते हैं. वो कहते हैं कि चीन में बड़े पैमाने पर फर के लिए रकून का शिकार होता है या फार्मों में उनकी ब्रीडिंग की जाती है. उनके मुताबिक रकून पर ही सबसे ज्यादा शक है.
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या ये नन्हा जानवर है जिम्मेदार?
पैंगोलिन पर भी वायरस फैलाने का शक है. हांगकांग, चीन और ऑस्ट्रेलिया के रिसर्चरों ने मलेशियाई पैंगोलिन में सार्स-कोवि-2 से हूबहू मिलतेजुलते वायरस की पहचान की है.
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गंधबिलावों का क्वारंटाइन
हुआलान शेन ने फैरेट यानी गंधबिलावों पर भी प्रयोग किए. नतीजा ये निकला कि इनमें भी कोरोना वायरस उसी तरीके से पनपता है जैसा आम बिल्लियों में.
विशेषज्ञों ने मुर्गीपालन से जुड़े लोगों को क्लीन चिट दी है. जैसे कि चीन के वुहान का ये व्यापारी. वैज्ञानिक मानते हैं कि, 2019 में वायरस का पहला मामला, वुहान में ही आया था. इंसानों को घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि मुर्गियों में सार्स-कोवि-2 के खिलाफ इम्युनिटी होती है. और बत्तखों और दूसरे परिंदों में भी.
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गंभीर नहीं होती हालत
ब्रोएन्स के अध्ययन को इसी हफ्ते यूरोपीयन कांग्रेस ऑफ माइक्रोबायॉलजी एंड इन्फेक्शियस डिजीज में पढ़ा गया. इस अध्ययन के लिए उन्होंने 196 घरों के 156 कुत्तों और 154 बिल्लियों का अध्ययन किया. ये घर ऐसे थे, जहां किसी सदस्य को कोविड हुआ था.
देखेंः पालतू जानवरों पर खर्च किए अरबों
महामारी के दौरान जर्मनी में लोगों ने पालतू जानवरों पर किए अरबों खर्च
कोरोना वायरस महामारी के दौरान जर्मनी में लोग 10 लाख और पालतू जानवर घर ले आए. इससे देश में पालतू जानवरों की कुल संख्या 3.5 करोड़ हो गई. इंसान के इन साथियों पर महामारी के दौरान खर्च हुए 400 अरब से भी ज्यादा रुपये.
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बड़ी बड़ी आंखें और बड़ा खर्च
पिछले साल पालतू जानवरों के सामान बेचने वाली दुकानों ने 420 अरब से ज्यादा मूल्य के सामान की बिक्री की. यह 2019 के मुकाबले 4.3 प्रतिशत ज्यादा बिक्री थी. इसमें जंगली पक्षियों के भोजन की बिक्री को जोड़ दें तो इस उद्योग ने 470 अरब से भी ज्यादा रुपयों की कमाई की. यह डाटा आईवीएच नाम के पालतू जानवरों के जरूरत का सामान बनाने वाले एक औद्योगिक समूह ने दिया है.
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हर मौसम में आपका साथी
कुत्ते जर्मनी में भी इंसान के सबसे अच्छे दोस्त हैं. देश में अब एक करोड़ से भी ज्यादा कुत्ते हैं और पिछले साल इनकी बिक्री भी बढ़ी और दाम भी. महामारी में कुत्तों ने लोगों को अकेलेपन से बचाने का काम किया. ऐसा कौन है जो परिवार के एक सदस्य को बढ़िया भोजन खिलाने के लिए थोड़ा और खर्च नहीं करेगा?
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लेकिन पहला नंबर कुत्तों का नहीं हैं
कुत्तों की लोकप्रियता में बढ़ोतरी के बावजूद, पालतू जानवरों की दुनिया की असली राजा बिल्लियां हैं. इस समय देश में सवा करोड़ से भी ज्यादा बिल्लियां हैं, जो पालतू जानवरों की कुल संख्या का एक चौथाई है. पिछले साल सबसे ज्यादा इजाफा (9.4 प्रतिशत) बिल्लियों के लिए नाश्ते और दूध पर होने वाले खर्च में हुआ.
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47 प्रतिशत घरों में हैं पालतू जानवर
पिछले साल जर्मनी के लोग करीब 10 लाख नए पालतू जानवर घर ले आए. अब करीब 47 प्रतिशत घरों में पालतू जानवर हैं, लेकिन यह सभी कुत्ते और बिल्लियां नहीं हैं. इनमें करीब 50 लाख खरगोश, गिनी पिग, हैम्स्टर और चूहे भी हैं. पालतू पक्षियों की संख्या है 35 लाख, एक्वेरियम के 18 लाख और छिपकलियों और कछुओं के लिए टेरारियम की संख्या है करीब 13 लाख.
जर्मनी में अधिकांश लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करना पड़ रहा है, लेकिन पालतू जानवर सैर के वक्त अपने दोस्तों से मिल सकते हैं. शायद इसीलिए महामारी के दौरान जानवरों के डॉक्टर, उनकी देख रेख करने वाले और उन्हें सैर कराने वाले काफी व्यस्त रहे. इस खर्च का इस अध्ययन में जिक्र नहीं है, जिसका मतलब जानवरों पर हुए असली खर्च का आंकड़ा कहीं ज्यादा है.
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इसके बावजूद जर्मनी के लोग अमेरिका से पीछे ही हैं
जर्मनी के लोग अपने पालतू जानवरों से मोहब्बत करते होंगे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से वो बहुत पीछे हैं. 'द इकॉनोमिस्ट' के एक शोध के मुताबिक 2019 में पालतू जानवरों पर प्रति व्यक्ति खर्च के मामले में जर्मनी पूरी दुनिया में पांचवें स्थान पर था. इस सूची में जर्मनी से आगे थे स्विटजरलैंड, फ्रांस और यूके. पहले स्थान पर था अमेरिका, जहां पालतू जानवरों पर जर्मनी से दो गुना ज्यादा खर्च हुआ.
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"टशन में"
पालतू जानवरों पर खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा भोजन पर खर्च होता है, लेकिन और भी कई चीजें हैं जो बेहद जरूरी होती जा रही हैं. पैसे वाले लोग अब अपने जानवरों के लिए टिफनी के पट्टे, प्राडा के कैरी-बैग, वर्साचे के कटोरे, राल्फ लॉरेन के स्वेटर और मॉन्क्लेर के मोटे जैकेट भी खरीद रहे हैं.
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घर से काम, तो खरीदारी ऑनलाइन
लोगों का घरों से काम करना पालतू जानवरों के लिए अच्छी खबर रही, लेकिन उनका दिन भर ख्याल रखने वाले केंद्रों का धंधा चौपट हो गया. हां, उनकी जरूरत के सामान की ऑनलाइन खरीदारी जरूर बढ़ गई. पिछले साल ऑनलाइन खर्च कम से कम 70 अरब रुपए के आस पास रहा, जो एक साल पहले के मुकाबले 16 प्रतिशत ज्यादा है.
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तालाबंदी की दोस्ती क्या आगे भी रहेगी
हाल में कई जानवरों के दाम काफी बढ़ तो गए, लेकिन तालाबंदी के बाद क्या होगा इसे ले कर कई तरह की चिंताए जन्म ले रही हैं. जब तालाबंदी और महामारी पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे और सब कुछ पहले जैसा सामान्य हो जाएगा, क्या तब भी लोगों के पास उनके जानवरों के लिए इतना ही समय होगा और वो उन्हें तब भी रखना चाहेंगे? जानवरों को शरण देने वाली जगह चलाने वालों को इसकी सबसे ज्यादा चिंता है. - टिमोथी रूक्स
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डॉ. ब्रोएन्स ने पाया कि करीब 17 प्रतिशत जानवर, यानी 31 बिल्लियां और 23 कुत्तों में कोविड-19 के खिलाफ लड़ने वालीं एंटीबॉडीज मौजूद थीं. यानी उन्हें कोरोनावायरस का संक्रमण हो चुका था. साथ ही, छह बिल्लियों और सात कुत्तों यानी करीब 4 प्रतिशत को अध्ययन के वक्त भी कोविड था, जिसका पता पीसीआर टेस्ट से चला.
गहन जांच के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि ये जानवर बहुत जल्द ठीक हो गए थे और इन्होंने उसी घर में रहने वाले दूसरे जानवरों को भी बीमार नहीं किया था.
सब जानवर नहीं करते बीमार
ऐसा माना जाता है कि कोविड-19 चमगादड़ों से इंसानों में आया है. महामारी फैलने के शुरुआती महीनों में ही यह बात पता चल गई थी कि गैर स्तनधारी जानवर भी इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं लेकिन वे गंभीर रूप से बीमार नहीं होते और जल्दी ही इससे उबर जाते हैं.
फिलहाल उपलब्ध जानकारी के मुताबिक ऊदबिलाव ही ऐसा जानवर है जो इंसान से संक्रमण ले सकता है और दूसरे जानवरों में भी संक्रमित कर सकता है.
ब्रोएन्स कहते हैं कि पालतू जानवरों को कितना संक्रमण होगा, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उनके मालिक उनसे कितना घुलते मिलते हैं. वह कहते हैं, "बहुत से मालिक अपने पालतू जानवरों के बहुत करीबी संपर्क में रहते हैं. मसलन वे एक ही बिस्तर में सोते हैं. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उनका संपर्क कितना करीबी होता है. ऐसे में संक्रमण हो सकता है.”