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समाज

गुरुद्वारे की रसोई रोजाना भर रही है लाखों लोगों का पेट

२१ मई २०२०

दिल्ली स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब ने जब लॉकडाउन के कारण भूखे लोगों के लिए खाना बनाना शुरू किया तो उस वक्त 40,000 लोग रोजाना खाना खाते थे.सड़क पर सोने वाले और अन्य लोगों की भूख को देखते हुए संख्या लाखों में पहुंच गई है.

Indien Fladenbrot Chapati Roti
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma

भारत में जब लॉकडाउन लागू हुआ तो सड़कों पर सोने वाले या फिर तालाबंदी की वजह से बेरोजगार हुए लोगों के लिए नई दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में रोजाना 40,000 लोगों के लिए खाना बनना शुरू हुआ था, लेकिन भोजन की मांग इससे कहीं अधिक थी.  गुरूद्वारे के सेवादार भोजन की मांग को देखते हुए हर रोज 80,000 लोगों को भोजन मुहैया कराने लगे और इसके बाद एक लाख और अब संख्या तीन लाख होने जा रही है. लाखों भूखे लोगों को गुरुद्वारा मुफ्त में भोजन कराता है. सदियों से श्रद्धालु इस गुरुद्वारे में आकर सामुदायिक रसोई में बनने वाले लंगर की सेवा लेते हैं और यह सभी के लिए खुला रहता है.

गुरुद्वारा बंगला साहिब ना केवल युद्ध बल्कि महामारी के समय भी खुला रहा. लाखों लोगों को संकट के समय में विशाल रसोई में बना भोजन दिया जाता रहा है. देश में लागू तालाबंदी की वजह से धार्मिक स्थल भी बंद हैं, इसलिए वहां श्रद्धालु नहीं जा पा रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से धार्मिक आयोजन बंद कर दिए गए हैं. गुरुद्वारे की रसोई खुली है और चार दर्जन सेवादार गुरुद्वारे के ही गेस्ट हाउस में रहकर अपनी सेवा दे रहे हैं. ये लोग 25 मार्च से ही गुरुद्वारे के गेस्ट हाउस में रुककर रसोई में अपनी सेवा दे रहे हैं. वे घर जाने में लगने वाला समय तो बचा ही लेते हैं साथ ही संक्रमण से अपना और परिजनों का भी बचाव कर रहे हैं. लॉकडाउन लागू होने के बाद से उन्होंने अपने परिवार से मुलाकात तक नहीं की है.

फाइल तस्वीरतस्वीर: DW/S. Waheed

पगड़ी के कपड़ों से मुंह और नाक को ढंककर बड़े-बड़े बर्तनों में सेवक सामुदायिक रसोई में 18-18 घंटे काम करते हैं. रसोई के प्रमुख रसोइये बलबीर सिंह आलू और सोयाबीन की सब्जी एक बड़े से बर्तन में बना रहे हैं और इसमें घी भी पड़ेगा. दूसरी तरफ एक मशीन है जिसमें हर एक घंटे में 5,000 रोटियां बनकर तैयार होती हैं. बलबीर सिंह कहते हैं कि तड़के 3 बजे रसोई में काम शुरू हो जाता है ताकि सुबह 9 बजे भोजन ले जाने के लिए तैयार हो जाए. बलबीर कहते हैं, ''अगर हम इस समय में सेवा करेंगे तो ईश्वर हमें और देगा. यह एक तरह की लेनदेन प्रणाली है."

बंगला साहिब दिल्ली के सबसे बड़े गुरुद्वारों में से एक है. दिल्ली के और गुरुद्वारों में भी सामुदायिक रसोई के जरिए गरीबों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के मुताबिक लॉकडाउन के शुरू होते ही दिल्ली सरकार ने उनसे संपर्क किया था. बंगला साहिब में आम तौर पर हर हफ्ते दान किए सामानों से करीब 5 लाख लोगों के लिए भोजन तैयार होता है और जल्द ही इसे छह गुना बढ़ाने की योजना है. दिल्ली सरकार हर रोज ट्रक भेज कर भोजन बांटने के लिए गुरुद्वारे से मुफ्त में भोजन लेती है. इसके बाद शेल्टर होम और अन्य जगहों पर भोजन वितरित कर दिया जाता है.

एए/सीके (एपी)

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