सिक्किम की आबादी बढ़ाने के लिए सरकार की अनूठी पहल
२५ जनवरी २०२३![Indien Bundesstaat Sikkim | Chief Minister Prem Singh Tamang](https://static.dw.com/image/64513730_800.webp)
पश्चिम बंगाल से सटे छोटे से पर्वतीय राज्य सिक्किम में प्रजनन दर घट रही है. इस पर अंकुश लगाने के लिए और आबादी बढ़ाने की दिशा में सूबे की सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) सरकार ने अनूठी पहल की है. इस योजना के तहत जो सरकारी कर्मचारी महिलाएं एक से ज्यादा बच्चा पैदा करेंगे, उन्हें वेतनवृद्धि समेत अन्य कई सुविधाएं दी जाएंगी.
ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह भारत में किसी भी राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई अपने किस्म की पहली योजना है. वहीं सरकार उन आम लोगों को भी कई सुविधाएं देगी, जिनके एक से ज्यादा बच्चे हैं या होंगे.
फिलहाल सिक्किम की अनुमानित आबादी सात लाख से भी कम है. इसमें 80 फीसदी स्थानीय जनजातियों के लोग शामिल हैं. राज्य की प्रजनन दर 1.1 फीसदी है. स्थानीय आदिवासियों में लगातार घटती प्रजनन दर सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई है.
क्यों हो रही है चिंता?
एक अध्ययन के मुताबिक सिक्किम की 52 फीसदी ग्रेजुएट महिलाओं का एक ही बच्चा है, जबकि 36 फीसदी गैर-ग्रेजुएट महिलाओं के दो या तीन बच्चे हैं. सरकार का कहना है कि इस असंतुलन को पाटने के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी था ताकि राज्य की भाषा व संस्कृति पर खतरा न पैदा हो.
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा है कि दूसरे बच्चे को जन्म देने के बाद महिला कर्मचारियों के वेतन में एक अतिरिक्त इन्क्रीमेंट जोड़ा जाएगा. तीसरा बच्चा पैदा होने पर उन्हें दो अतिरिक्त इन्क्रीमेंट मिलेंगे. इससे पहले 14 नवंबर, 2021 को सरकार ने महिला कर्मचारियों को 365 दिनों यानी एक साल का मातृत्व अवकाश और पुरुषों को 30 दिनों का पितृत्व अवकाश देने का एलान किया था.
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तमांग बताते हैं, "हमारी प्राथमिकता राज्य में घटते प्रजनन दर पर अंकुश लगाना है. इसके लिए स्थानीय लोगों को कई सहूलियतें दी जाएगी, ताकि वे एक से ज्यादा बच्चे पैदा कर सकें. फिलहाल राज्य में प्रजनन दर प्रति महिला एक बच्चे की है."
और क्या सुविधाएं देगी सरकार?
तमांग का कहना था कि सरकार राज्य में IVF तकनीक को भी बढ़ावा दे रही है, ताकि चिकित्सीय वजहों से मां बनने में अक्षम महिलाएं भी मातृत्व का सुख हासिल कर सकें. ऐसी महिलाओं को IVF तकनीक के जरिए इलाज के लिए सरकार की ओर से एकमुश्त तीन लाख रुपए की सहायता दी जाएगी. अब तक 38 महिलाओं ने सरकार की इस योजना का लाभ उठाया है.
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि राज्य में रहने वाले उन आम लोगों को भी ऐसी कई सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, जिनके एक से ज्यादा बच्चे हैं. फिलहाल इस योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है.
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सरकारी अधिकारियों का कहना है कि राज्य की 12 स्थानीय जनजातियों में से भूटिया व लिंबू नाम की दो जनजातियों की आबादी तेजी से घट रही है. इसी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने सरकारी महिला कर्मचारियों के बच्चों की देखभाल के लिए उनके घरों पर महिला सहायकों की नियुक्ति का फैसला किया है.
महिलाओं को मिलेगा काम
मुख्यमंत्री के मुताबिक सरकार 40 साल या उससे अधिक उम्र वाली एक महिला को सरकारी महिला कर्मचारियों के घर में एक साल के लिए तैनात करेगी, ताकि वे नवजात बच्चे की देखभाल कर सकें. कई महिलाओं ने सवाल उठाया था कि दूसरे बच्चे का जन्म होने पर उनकी देखभाल कौन करेगा. इसे ध्यान में रखते हुए ही यह फैसला किया गया है. तैनात की जाने वाली महिलाओं को सरकार की ओर से 10 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री तमांग बताते हैं, "पहले हमने राज्य के विभिन्न स्थानों पर चाइल्ड केयर यूनिट खोलने पर विचार किया था, लेकिन विभिन्न वजहों से व्यवहारिक तौर पर ऐसा करना संभव नहीं था. इसलिए अब इसके बजाय हम सरकारी कर्मचारियों के घरों में बच्चों की देखरेख के लिए महिला कर्मचारियों को तैनात करेंगे."