दो दशक में पहली बार एक महिला को मृत्युदंड
२८ जुलाई २०२३सिंगापुर की 45 वर्षीय महिला श्रीदेवी जमानी को मौत की सजा गयी है. शुक्रवार को जमानी की सजा पर अमल किया गया. जमानी को 2018 में नशीली दवा हेरोइन की तस्करी का दोषी पाया गया था. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि लगभग दो दशक में सिंगापुर में किसी महिला को मौत की सजा दी गयी है.
जमानी के रूप में तीन दिन में सिंगापुर में दूसरे व्यक्ति को मौत की सजा दी गयी है. इसी हफ्ते एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद अजीज को मौत की सजा दी गयी थी. मार्च 2022 के बाद से यह 15वीं मौत की सजा है.
सिंगापुर को नशीली दवाओं को लेकर दुनिया के सबसे सख्त सजा वाले देशों में गिना जाता है. देश का कहना है कि ऐसा समाज की रक्षा के लिए जरूरी है. लेकिन मौत की सजाओं की बहुत बड़ी संख्या के कारण मानवाधिकार संगठन उसकी आलोचना करते रहे हैं.
जमानी को 30 ग्राम हेरोइन रखने का दोषी पाया गया था. अजीज पर 50 ग्राम हेरोइन की तस्करी का दोष साबित हुआ था. सिंगापुर का कानून कहता है कि 15 ग्राम से ज्यादा हेरोइन या 500 ग्राम से ज्यादा अफीम की तस्करी के दोषी को मौत की सजा दी जा सकती है.
एक के बाद एक मृत्युदंड
इससे पहले अप्रैल में एक अन्य सिंगापुरी नागरिक थंगाराजू सुपैया को एक किलोग्राम अफीम की तस्करी के लिए मौत की सजा दी गयी थी. हालांकि सुपैया ने उस अफीम को हाथ भी नहीं लगाया था लेकिन अधिकारियों ने उस पर फोन के जरिये तस्करी करने का आरोप लगाया था.
कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और दुनिया की जानीमानी हस्तियों ने जमानी को मौत की सजा ना देने की अपील की थी. इनमें मशहूर ब्रिटिश उद्योगपति सर रिचर्ड ब्रैन्सन भी शामिल हैं, जिन्होंने ट्विटर पर सिंगापुर की आलोचना की.
ब्रैन्सन ने लिखा, "छोटे-मोटे ड्रग तस्करों को मदद की जरूरत होती है क्योंकि अक्सर उन्हें हालात का शिकार बनाया जाता है.” उन्होंने यह भी कहा था कि जमानी की मौत रोकने में अभी बहुत देर नहीं हुई है.
सिंगापुर स्थित मानवाधिकार संगठन ट्रांसफॉर्मेटिव जस्टिस कलेक्टिव के मुताबिक जमानी उन कुल दो महिलाओं में से एक थीं, जो इस वक्त देश में मौत की सजा का इंतजार कर रही हैं. 2004 के बाद यह सजा पाने वाली वह सिर्फ दूसरी महिला थीं. 2004 में येन मे वोएन नाम की एक महिला को मौत की सजा दी गयी थी. वोएन पर भी नशीली दवाओं की तस्करी का दोष साबित हुआ था.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक जमानी ने अपने मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा था कि वह रमजान के दौरान अपने निजी इस्तेमाल के लिए हेरोइन जमा कर रही थीं. सुनवाई कर रहे जज सी की ऊन ने आदेश में कहा था कि जमानी ने अपने घर से हेरोइन और मेथाफेटामाइन जैसी नशीली दवाएं बेचने से इनकार नहीं किया लेकिन उन गतिविधियों के दायरे को बहुत छोटा करके बताया था.
सिंगापुर का रिकॉर्ड खराब
मौत की सजा देने के मामले में सिंगापुर का रिकॉर्ड दुनिया में कुछ सबसे खराब देशों में गिना जाता है. इसी साल जारी एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में कहा गया था कि मौत की सजाओं के मामले में 2022 बेहद खराब साल रहा था. 2021 की तुलना में कुवैत,म्यांमार, फलीस्तीन, सिंगापुर और अमेरिका में मौत की सजाओं की संख्या में बड़ी वृद्धि दर्ज हुई. 2021 में 18 देशों में 579 लोगों को मौत की सजा दी गई थी जबकि 2022 में 20 देशों में 883 लोग मारे गए.
2022 में दुनिया में 883 लोगों को मौत की सजा दी गई जो 2021 से 53 फीसदी ज्यादा है और पांच साल में सबसे अधिक है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की सालाना रिपोर्ट कहती है कि ईरान और सऊदी अरब में मौत की सजाओं में हुई बड़ी वृद्धि के चलते खासतौर पर एशिया में मौत की सजा में इतनी अधिक बढ़ोतरी देखी गई है.
सिंगापुर सरकार का कहना है कि नशीली दवाओं के खिलाफ सख्त कानून देश को दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक बनाने में मदद करते हैं और जनता भी बड़े पैमाने पर मौत की इस सजा का समर्थन करती है. लेकिन मृत्युदंड का विरोध करने वाले लोग इस तर्क को गलत बताते हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की कियारा सैंगियोर्गियो ने एक बयान में कहा, "इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मृत्युदंड से नशीली दवाओं के इस्तेमाल या उपलब्धता पर फर्क पड़ता है. इससे सिर्फ एकमात्र संदेश जाता है कि सिंगापुर की सरकार एक बार फिर मृत्युदंड देने के लिए तय किये गये अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने को तैयार है.”
एमनेस्टी के मुताबिक चीन, ईरान और सऊदी अरब के अलावा सिंगापुर ही ऐसा देश है जहां नशीली दवाओं संबंधी अपराधों में हाल के सालों में मौत की सजा दी गयी है.
वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)