दुनिया के सबसे रईस देशों में से एक सिंगापुर मच्छरों को भगाने पर खूब खर्चा कर रहा है. सड़कों पर धुएं के छिड़काव से ले कर फिल्मी अंदाज में गाने बनाने तक, हर तरकीब इस्तेमाल की जा रही है.
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आप ही को क्यों काटते हैं मच्छर?
अगर आप उन लोगों में से हैं जिनका मच्छर चुन चुन कर पीछा करते हैं, तो आपने कभी ना कभी किसी ना किसी से जरूर सुना होगा कि आपका खून मीठा है, इसीलिए आप मच्छरों की पसंद हैं. पर क्या वाकई ऐसा होता है?
तस्वीर: Colourbox
खून
रिसर्च में देखा गया है कि मच्छर 'ओ' ब्लड ग्रुप की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं. खून के चार प्रकार होते हैं, ए, बी, एबी और ओ. कम ही लोगों का ब्लड ग्रुप ओ होता है. इस तरह के खून में कुछ खास प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो मच्छरों को आकर्षित करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J.Gathany
सांस
यह थोड़ी अजीब वजह है लेकिन शोध दिखाता है कि जो लोग लंबी लंबी सांसें लेते हैं, उन्हें मच्छर ज्यादा काटते हैं. दरअसल इसकी वजह सांस छोड़ने के दौरान शरीर से बाहर आने वाली कार्बन डाय ऑक्साइड है जिसमें शरीर की गंध मिली होती है. मच्छर इस गंध से ही तय करते हैं कि वे किस ओर जाना चाहते हैं. सांस जितनी लंबी होगी, उनके लिए अनुमान लगाना उतना आसान होगा.
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लैक्टिक एसिड
आपकी त्वचा पर लैक्टिक एसिड की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, मच्छरों के लिए आप उतने ही अधिक आकर्षिक साबित होंगे. और अगर शरीर का तापमान अधिक हो तो मच्छरों के लिए सोने पे सुहागा! इसीलिए कसरत करने के बाद मच्छरों के काटने का खतरा ज्यादा होता है.
गर्भवती महिलाओं को वैसे भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना होता है. और मच्छर भी उन्हें परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. शोध दिखाता है कि गर्भवती महिलाएं अन्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा गहरी सांसें लेती हैं. साथ ही उनके शरीर का तापमान भी अधिक होता है.
तस्वीर: Fotolia/Subbotina Anna
बीयर
इस शोध पर बहस जारी है. रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों ने बीयर पी रखी थी, बाकी लोगों की तुलना में उन्हें मच्छरों ने ज्यादा काटा. लेकिन क्या ऐसा हर शराब के साथ होता है या फिर सिर्फ बीयर के मामले में ही, यह अब तक साफ नहीं हो पाया है.
तस्वीर: picture alliance/F. May
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मच्छर के काटने से अगर थोड़े बहुत चकत्ते पड़ते, तो बात अलग थी. लेकिन मच्छर अपने साथ मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी जानलेवा बीमारियां ले कर आते हैं. इसलिए इनसे निपटना बेहद जरूरी हो जाता है. भारत में हर साल मलेरिया के कम से कम दस लाख मामले सामने आते हैं. जैसे ही तापमान मच्छरों के प्रजनन के अनुरूप होता है, इनकी संख्या तेजी से बढ़ जाती है.
ऐसे में जरूरी है कि इन्हें पनपने ही ना दिया जाए. ज्यादातर मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं. ऐसा भी नहीं है कि ये केवल गंदगी के कारण फैलते हैं. घर में बाल्टियों में मौजूद साफ पानी में भी ये अंडे दे सकते हैं. इसलिए अपने इर्दगिर्द इस बात का ध्यान रखें कि कहीं भी पानी ना रुका हो.
मच्छरों से परेशान सिर्फ गरीब देश ही नहीं हैं बल्कि दुनिया के सबसे रईस देशों में से एक सिंगापुर में उनका प्रकोप खूब है. वहां मच्छरों को भगाने के लिए हर इलाके में हफ्ते में एक बार दवाओं का छिड़काव किया जाता है. हालांकि कुछ लोगों को डर है कि ये रासायनिक दवाएं नुकसानदेह हैं लेकिन दवा छिड़कने वाले कर्मचारियों का दावा है कि मच्छरों के खिलाफ वे बहुत प्रभावी हैं.
आप ही को क्यों काटते हैं मच्छर?
अगर आप उन लोगों में से हैं जिनका मच्छर चुन चुन कर पीछा करते हैं, तो आपने कभी ना कभी किसी ना किसी से जरूर सुना होगा कि आपका खून मीठा है, इसीलिए आप मच्छरों की पसंद हैं. पर क्या वाकई ऐसा होता है?
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खून
रिसर्च में देखा गया है कि मच्छर 'ओ' ब्लड ग्रुप की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं. खून के चार प्रकार होते हैं, ए, बी, एबी और ओ. कम ही लोगों का ब्लड ग्रुप ओ होता है. इस तरह के खून में कुछ खास प्रकार के तत्व पाए जाते हैं, जो मच्छरों को आकर्षित करते हैं.
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सांस
यह थोड़ी अजीब वजह है लेकिन शोध दिखाता है कि जो लोग लंबी लंबी सांसें लेते हैं, उन्हें मच्छर ज्यादा काटते हैं. दरअसल इसकी वजह सांस छोड़ने के दौरान शरीर से बाहर आने वाली कार्बन डाय ऑक्साइड है जिसमें शरीर की गंध मिली होती है. मच्छर इस गंध से ही तय करते हैं कि वे किस ओर जाना चाहते हैं. सांस जितनी लंबी होगी, उनके लिए अनुमान लगाना उतना आसान होगा.
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लैक्टिक एसिड
आपकी त्वचा पर लैक्टिक एसिड की मात्रा जितनी ज्यादा होगी, मच्छरों के लिए आप उतने ही अधिक आकर्षिक साबित होंगे. और अगर शरीर का तापमान अधिक हो तो मच्छरों के लिए सोने पे सुहागा! इसीलिए कसरत करने के बाद मच्छरों के काटने का खतरा ज्यादा होता है.
गर्भवती महिलाओं को वैसे भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना होता है. और मच्छर भी उन्हें परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते. शोध दिखाता है कि गर्भवती महिलाएं अन्य महिलाओं की तुलना में ज्यादा गहरी सांसें लेती हैं. साथ ही उनके शरीर का तापमान भी अधिक होता है.
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बीयर
इस शोध पर बहस जारी है. रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों ने बीयर पी रखी थी, बाकी लोगों की तुलना में उन्हें मच्छरों ने ज्यादा काटा. लेकिन क्या ऐसा हर शराब के साथ होता है या फिर सिर्फ बीयर के मामले में ही, यह अब तक साफ नहीं हो पाया है.
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छिड़काव की धुंध में छुपे खेल के मैदान, गलियां और पूल सिंगापुर में आम दृश्य है. लोगों को जागरूक करने के लिए जगह जगह पोस्टर भी लगाए गए हैं. एक पोस्टर पर लिखा है, "इससे पहले कि यह आपको मार दे, इसे रोकिए."
साथ ही एक बिंदास गीत भी बनाया गया है, जो अक्सर सिंगापुर में टीवी पर चलता दिखता है. गाना मस्खरा सा है लेकिन संदेश गंभीर है. जिस तरह से भारत में बॉलीवुड के गाने लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं, ऐसे ही सिंगापुर के पूरी आबादी पर इस गाने का जादू चलाने की योजना है.
जागरूकता अभियान के तहत घर घर जाकर डेंगू को रोकने के उपायों पर भी जानकारी दी जाती है. मच्छररोधी पुलिस लोगों के घरों में जा कर देखती है कि कहीं पानी तो नहीं ठहरा हुआ है. सरकारी इंस्पेक्टर को अगर किसी घर में मच्छर मिल जाए, तो 10 हजार रुपये का जुर्माना लगता है. सिंगापुर सरकार इस पूरे अभियान पर सालाना करोड़ों डॉलर खर्च कर रही है ताकि वहां के लोग स्वस्थ रह सकें.
सांड्रा रात्सोव
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