सातवीं बार बढ़ी हथियारों की बिक्री, पर अमेरिका की गिरी
५ दिसम्बर २०२२
2021 में दुनिया में हथियारों की बिक्री में सातवें साल लगातार वृद्धि दर्ज की गई. हथियारों की खरीद-बिक्री पर नजर रखने वाली स्वीडन की संस्था सिप्री ने कहा है कि हथियार बनाने वालों के सामने भी कुछ चुनौतियां हैं.
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स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट, सिप्री ने कहा है कि 2021 में हथियारों की वैश्विक बिक्री में करीब दो फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. यह लगातार सातवां साल है जबकि हथियारों की बिक्री बढ़ी है. सिप्री की रिपोर्ट कहती है कि यूक्रेन युद्ध के कारण बीते साल वृद्धि देखी गई. हालांकि इसका एक संकेत यह भी है कि युद्ध के कारण सप्लाई चेन के टूटने से हथियार निर्माता भी जूझ रहे हैं क्योंकि रूस इस उद्योग के लिए कच्चे माल का बड़ा सप्लायर है.
सिप्री का अनुमान है कि सप्लाई चेन में बाधा का असर हथियारों के निर्माण पर पड़ सकता है और अमेरिका व यूरोप की अपने जखीरे को और मजबूत करने की कोशिशें प्रभावित हो सकती हैं. दोनों ही पक्षों ने यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार और गोला बारूद सप्लाई किये हैं.
कितना ताकतवर है चीन
चीन को अमेरिका ने अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था. यह चुनौती कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा चीन की सैन्य और रक्षा क्षमताओँ पर एक नजर डालने से हो जाता है. देखिए, कितना ताकतवर है चीन.
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सबसे बड़ी नौसेना
नौसेना के आकार के मामले में चीन अमेरिका को पहले ही पीछे छोड़ चुका है. उसके पास 348 युद्धक जहाज हैं जबकि अमेरिका के पास 296 जहाज हैं. इसी साल जून में उसने फूजियान टाइप 3 विमान वाहक जहाज उतारा था जो उसका तीसरा विमानवाहक है. यह जहाज उसके इंजीनियरों ने खुद बनाया है.
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विशाल बजट
चीन का रक्षा बजट अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 2021 में उसने 270 अरब डॉलर रक्षा मद में खर्च किए, जबकि अमेरिका ने 768 अरब डॉलर. भारत तीसरे नंबर पर है और उसने 74 अरब डॉलर खर्च किए थे.
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परमाणु जखीरा
बीते साल नवंबर में अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने एक अनुमान जारी किया था जिसके मुताबिक 2030 तक चीन के पास अब से चार गुना ज्यादा यानी लगभग 1,000 परमाणु हथियार होंगे. यह अमेरिका के 5,550 हथियारों के मुकाबले काफी कम है लेकिन बढ़ने की रफ्तार बहुत तेज है.
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भविष्य के हथियार
कई रिपोर्ट कहती हैं कि चीन हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों जैसे हथियार विकसित कर रहा है जो दुनिया में कहीं भी, किसी भी सूरत में मार कर सकती हैं. हालांकि चीन हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने से इनकार करता है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल उसने दो रॉकेट परीक्षण के लिए दागे थे, जो असल में मिसाइल थे.
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर अटैक
यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें चीन बेहद तेजी से निवेश और विकास कर रहा है. उसकी सेना को भविष्य के युद्ध लड़ने के मकसद से तैयार किया जा रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के पास रोबोटिक सैनिकों जैसी अत्याधुनिक तकनीकें हो सकती हैं.
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सिप्री के वरिष्ठ शोधकर्ता डिएगो लोपे सदा सिल्वा कहते हैं, "हथियार उत्पादन बढ़ाने में वक्त लगता है. अगर सप्लाई चेन की बाधा जारी रहती है तो कुछ हथियार उत्पादकों को यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुई मांग पूरी करने में सालों लग सकते हैं.”
सप्लाई चेन की बाधाओं का असर
सिप्री ने जोर देकर कहा है कि कुछ समाचारों में ऐसा बताया गया है कि यूक्रेन युद्ध के कारण रूसी कंपनियां उत्पादन तो बढ़ा रही हैं लेकिन उन्हें सेमीकंडक्टर नहीं मिल रहे हैं. साथ ही, वे युद्ध के कारण पश्चिमी देशों के लगाए गए प्रतिबंधों से भी परेशान हैं. रिपोर्ट में एक कंपनी का उदाहरण दिया गया है जिसने कहा है कि उसे अपने कुछ हथियारों की डिलीवरी के लिए धन नहीं मिल पाया है.
जर्मन सेना अलग से मिले 100 अरब की रकम से क्या खरीदेगी
कई दशकों से पुराने हथियार और साजो सामान से काम चलाने वाली जर्मन सेना को आधुनिक बनाने के लिए जर्मनी 100 अरब यूरो की रकम अलग से खर्च करने जा रहा है. आखिर इतनी बड़ी रकम से सेना के लिए क्या क्या खरीदा जाएगा.
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सबसे बड़ा हिस्सा वायु सेना को
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक 100 अरब में से तकरीबन 40 अरब रकम से ज्यादा की रकम वायु सेना पर खर्च होगी. जर्मन नौसेना के लिए 19.3 और थल सेना के लिए 16.6 अरब यूरो की रकम खर्च की जाएगी. बाकी रकम संयुक्त रूप से सेना के लिये नई तकनीकों के विकास पर खर्च होगी.
तस्वीर: Sean Gallup/Getty Images
लड़ाकू विमान
जर्मन वायु सेना के पास फिलहाल टोरनाडो लड़ाकू विमान है जो बहुत पुराना हो चुका है और कई विमान तो अब उड़ने के काबिल भी नहीं रहे. जर्मन सरकार अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने की इच्छा रखती है. इतना ही नहीं वायु सेना में नया यूरोफाइटर और टोरनाडो की जगह लेने के लिए एक और विमान बेड़ा भी तैयार होगा.
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एयर डिफेंस सिस्टम
जर्मनी इस्राएल से एक नया एयर डिफेंस सिस्टम एरो खरीदने की तैयारी में है. जर्मनी के पास पहले से पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम है लेकिन यह कम ऊंचाई और दूरी की मिसाइलों के लिए है. एरो पृथ्वी से बहुत ज्यादा ऊंचाई पर और लंबी दूरी तय कर के आने वाली मिसाइलों को रोकता है.
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अर्ली वार्निंग सिस्टम
जर्मनी एक अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने की भी तैयारी में है. यह वार्निंग सिस्टम अंतरिक्ष में रहते हुए काम करेगा और मिसाइलों से हमले की जानकारी मुहैया करायेगा जिससे कि समय रहते एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हमलावर मिसाइल को बेकार किया जा सके. एक ड्रोन डिफेंस सिस्टम भी विकसित करने की बात हो रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
हथियारबंद ड्रोन
जर्मनी की संसद ने हेरॉन टीपी ड्रोन के लिए 140 मिसाइल खरीदने की मंजूरी दे दी है. इसके लिए करीब 15.26 करोड़ यूरो का करार होगा. हाल के महीनों तक जर्मन सेना को हथियारबंद ड्रोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी लेकिन अब मिल गयी है.
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कमांड और कंट्रोल सिस्टम
सेना के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए जर्मन सेना 20.7 अरब यूरो की रकम खर्च कर रही है. इसमें एनक्रिप्टेड रेडियो, बैटल मैनेजमेंट सिस्टम और कई दूसरी चीजें शामिल हैं. इससे पहले माली जैसे देशों में जर्मन सेना उधार के एनक्रिप्टेड रेडियो का इस्तेमाल करती थी ताकि संयुक्त अभियानों में समस्या ना हो.
तस्वीर: AP
लड़ाकू जलपोत और पनडुब्बी
नौसेना के लिए जंगी जहाज, मिसाइल और पनडुब्बी भी जर्मन सेना की खरीदारी की लिस्ट में शामिल है. जर्मनी के-130 टाइप के पांच और लड़ाकू जलपोत खरीदेगा. ये जलपोत इसी तरह के पुराने जहाजों की जगह लेंगे. इसके साथ ही एफ-126 टाइप के दो और फ्रिगेट भी खरीदने के विकल्प पर भी विचार हो रहा है.
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समुद्री गश्ती विमान
जर्मन सेना को बोइंग के बनाये पी8ए विमान भी मिलेंगे जो समुद्र में गश्त के लिए इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा भारी हथियारों से लैस लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर भी सेना में शामिल होंगे. फिलहाल सेना एच145एम इस्तेमाल कर रही है जिन्हें भारी हथियारों से लैस करने के बाद इनमें भी हमलावर हेलीकॉप्टर की क्षमता आ जायेगी.
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वर्दी और हेलमेट
सरकार जर्मन सैनिकों के यूनिफॉर्म, हेलमेट और नाइट विजन जैसे उपकरणों पर करीब 2 अरब यूरो की रकम खर्च करेगी.
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मार्डर टैंक बदला जायेगा
थल सेना के लिए खरीदारी में मार्डर टैंक के दस्ते को बदलना भी शामिल है. इसके लिए नये टैंकों के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है.
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2021 में 592 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री हुई जो 2020 के मुकाबले 1.9 फीसदी ज्यादा है. हालांकि यह कोविड से पहले के चार सालों की कुल औसत से कम है. सोमवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट में सिप्री ने कहा कि हथियार उद्योग के कई हिस्से "अब भी महामारी के कारण 2021 में सप्लाई चेन में आई बाधाओं से जूझ रहे हैं. इनमें जरूरी पुर्जों की कमी और वैश्विक परिवहन का ठप्प पड़ना शामिल है.”
सिप्री में सैन्य खर्च और हथियार उत्पादन प्रोग्राम की प्रमुख डॉ. लूसी बेरॉद-सुदेरो ने कहा, "अगर सप्लाई चेन की दिक्कतें ना होतीं तो 2021 में हम हथियारों की बिक्री में और ज्यादा वृद्धि का अनुमान लगाए हुए थे.” उन्होंने एयरबस और जनरल डायनामिक्स जैसी कंपनियों का उदाहरण दिया जो कामगारों की कमी से जूझ रही हैं.
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100 सबसे बड़ी कंपनियां
सिप्री ने दुनिया की सौ सबसे बड़ी कंपनियों की सूची भी बनाई है जो हथियार या उनसे जुड़ीं सेवाएं उपलब्ध कराती हैं. इनमें अमेरिका की सबसे ज्यादा 40 कंपनियां हैं, जिन्होंने 2021 में कुल 299 अरब डॉलर के हॉथियार बेचे. हालांकि उत्तरी अमेरिका से हथियारों की बिक्री में 0.9 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.
रूसी सेना पर भारी पड़ रहे हैं यूक्रेन को मिले ये हथियार
छोटी सी यूक्रेनी सेना, रूस को इतनी कड़ी टक्कर कैसे दे रही है? इसका जवाब है, यूक्रेन को मिले कुछ खास विदेशी हथियार. एक नजर इन हथियारों पर.
ये अमेरिकी पोर्टेबल एंटी टैंक मिसाइलें हैं. इन्हें आसानी से कंधे पर रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. पेड़ या इमारत की आड़ में छुपा एक सैनिक भी इसे अकेले ऑपरेट कर सकता है. इस मिसाइल ने यूक्रेन में रूसी टैंकों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
यूक्रेन को अमेरिका और तुर्की ने बड़ी मात्रा में हमलावर ड्रोन मुहैया कराए हैं. बीते एक दशक में तुर्की हमलावर ड्रोन टेक्नोलॉजी में बहुत आगे निकल चुका है. अमेरिकी ड्रोन भी अफगानिस्तान में जांचे परखे जा चुके हैं. यूक्रेन को मिले इन ड्रोनों ने रूसी काफिले को काफी नुकसान पहुंचाया है.
तस्वीर: UPI Photo/imago images
S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
स्लोवाकिया की सरकार ने यूक्रेन को रूस में बने S-300 एयरक्राफ्ट एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम दिया है. यह सिस्टम 100 किलोमीटर की दूरी से लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का पता लगा लेता है. इस सिस्टम के मिलने के बाद यूक्रेन के ऊपर रूसी लड़ाकू विमानों का प्रभुत्व कमजोर पड़ चुका है.
तस्वीर: AP
MI-17 हेलिकॉप्टर
अमेरिका ने यूक्रेन को रूसी MI-17 हेलिकॉप्टर भी दिए हैं. अमेरिका ने काफी पहले रूस से ये हेलिकॉप्टर खरीदे थे. रूस के यही हेलिकॉप्टर अब रूसी सेना के लिए आफत बन रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देश अब तक यूक्रेन को 1.5 अरब डॉलर की सहायता दे चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/Kacper Pempel
NLAW-लाइट एंटी टैंक वीपन
टैंकों को निशाना बनाने वाला बेहद हल्का यह मिसाइल सिस्टम स्वीडिश कंपनी साब बनाती हैं. 12.5 किलोग्राम वजन वाला ये सिस्टम 800 मीटर दूर तक सटीक मार करता है. ब्रिटेन ने अब तक ऐसे करीब 3600 लाइट एंटी टैंक वीपन यूक्रेनी सेना को दिए हैं.
तस्वीर: picture alliance/Vadim Ghirda/AP Photo
हमर और रडार सिस्टम
अमेरिका ने यूक्रेन को 70 हमर गाड़ियां दी हैं. साथ ही यूक्रेन को दी गई करोड़ों डॉलर की सैन्य मदद के तहत अमेरिका ने आधुनिक रडार सिस्टम और गश्ती नाव भी दी हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Supinsky
FIM-92 स्ट्रिंगर
एक इंसान के जरिए ऑपरेट किया जाने वाला FIM-92 स्ट्रिंगर सिस्टम असल में एक पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है. अमेरिका में बनाया गया यह सिस्टम तेज रफ्तार लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाता है. अमेरिका और जर्मनी ने ऐसी 1900 यूनिट्स यूक्रेन को दी हैं.
तस्वीर: picture alliance/newscom/D. Perez
बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां
जर्मनी ने यूक्रेन की सेना को 80 बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां दी हैं. इन गाड़ियों से फायरिंग और रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं. जर्मनी ने यूक्रेन को 50 एंबुलेंस भी दिए हैं.
तस्वीर: Daniel Karmann/dpa/picture alliance
नीदरलैंड्स के हथियार
यूक्रेन को सबसे पहले सैन्य मदद देने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड्स भी शामिल है. डच सरकार ने कीव को 400 एंटी टैंक वैपन, 200 एंटी एयरक्राफ्ट स्ट्रिंगर मिसाइलें और 100 स्नाइपर राइफलें दीं.
तस्वीर: Bundeswehr/Walter Wayman
नाइट विजन इक्विपमेंट्स
अमेरिका से मिले नाइट विजन ग्लासेस भी यूक्रेनी सेना की बड़ी मदद कर रहे हैं. पश्चिमी देशों से मिले नाइट विजन चश्मे और ड्रोन, इंफ्रारेड व हीट सेंसरों से लेस है. रूस फिलहाल इस टेक्नोलॉजी में पीछे है.
तस्वीर: Philipp Schulze/dpa/picture alliance
इंटेलिजेंस सपोर्ट
अमेरिका और यूरोपीय संघ के पास ऐसी कई सैटेलाइट हैं जो बेहद हाई रिजोल्यूशन में धरती का डाटा जुटाती हैं. इन सैटेलाइटों और दूसरे स्रोतों से मिला खुफिया डाटा भी इस युद्ध में यूक्रेनी सेना की काफी मदद कर रहा है.
तस्वीर: Maxar Technologies/AFP
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2021 में 100 सबसे बड़े हथियार सप्लायरों में 27 के मुख्यालय यूरोप में हैं. 2020 के मुकाबले इस क्षेत्र से हथियार बिक्री 4.2 फीसदी ज्यादा रही और कुल 123 अरब डॉलर के हथियार बिके. फ्रांस और इटली ने रिकॉर्ड 15 प्रतिशत ज्यादा के हथियार बेचे जो अब तक की सबसे ज्यादा वृद्धि है.
एशिया और ओशेनिया में 21 कंपनियां हैं जो सबसे बड़ी सौ कंपनियों में सामिल हैं. 2021 में इन कंपनियों ने 136 अरब डॉलर के हथियार बेचे जो बीते साल के मुकाबले 5.8 प्रतिशत ज्यादा है. इन सौ कंपनियों में छह रूस की हैं जिन्होंने 2020 के मुकाबले 0.4 फीसदी ज्यादा यानी 17.8 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री की.