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राजनीतिस्लोवाकिया

स्लोवाकिया चुनाव: नतीजों ने यूक्रेन के लिए बजाई खतरे की घंटी

२ अक्टूबर २०२३

स्लोवाकिया चुनाव के नतीजों में किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिसो के लिए उम्मीद जरूर जग गई है.

Slowakei | Robert Fico
चुनावी नतीजों का एलान होने के बाद पार्टी के सदस्यों के साथ रॉबर्ट फिसो (बाएं से दूसरे). इस चुनाव में उनकी पार्टी को सबसे ज्यादा वोट मिले हैं.तस्वीर: TOMAS BENEDIKOVIC/AFP/Getty Images

यूरोपीय देश स्लोवाकिया में हुए चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिसो और उनकी वामपंथी राष्ट्रवादी पार्टी सबसे आगे रही. फिसो की पार्टी 'डायरेक्शन: स्लोवाक सोशल डेमोक्रेसी' (SMER-SSD) रूस-समर्थक मानी जाती है. ऐसे में माना जा रहा है कि अभी तक यूक्रेन को अपने पड़ोसी देश स्लोवाकिया से जो सैन्य मदद मिल रही थी, वह रुक सकती है.

फिसो ने चुनाव प्रचार में वादा किया था कि चुनाव जीतने पर वह यूक्रेन को होने वाली सिर्फ सिविलियन मदद जारी रखेंगे और सैन्य मदद रोक देंगे. हालांकि, सत्ता पर काबिज होने के लिए अभी फिसो को गठबंधन की कई मुश्किल वार्ताओं से गुजरना होगा. स्लोवाकिया में सिर्फ धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां ही यूक्रेन की सैन्य मदद रोकने का विचार रखती हैं और फिसो ने खुद को बार-बार उनसे दूर रखा है.

फिसो चुनाव प्रचार में कहते आए हैं कि वह सत्ता में आए, तो यूक्रेन को सैन्य मदद बंद कर देंगे.तस्वीर: Aureliusz M. Pędziwol/DW

क्या रहा चुनाव का नतीजा

स्लोवाकिया के चुनाव आयोग ने रविवार को शुरुआती नतीजे पेश किए. एलान के समय 99.98 फीसदी सीटों पर मतगणना हो चुकी थी, जिनमें फिसो की पार्टी SMER-SSD ने 22.9 फीसदी वोट हासिल किए. इसी के साथ फिसो की पार्टी को दूसरे नंबर पर रही लिबरल पार्टी 'प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया' (पीएस) पर महत्वपूर्ण बढ़त हासिल हो गई. 18 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही पीएस का अभी तक स्लोवाकिया की संसद में एक भी सदस्य नहीं रहा है.

अब गठबंधन से जुड़ी वार्ताओं में स्लोवाकिया की विदेश नीति का भविष्य तय होगा. स्लोवाकिया यूरोपीय संघ का सदस्य है और नाटो का सदस्य भी है.

अनुमान लगाया जा रहा है कि फिसो गठबंधन के लिए तीसरे नंबर पर रही 'वॉइस: सोशल डेमोक्रेसी' (HLAS-SD) का रुख करेंगे. HLAS-SD को इस चुनाव में 14.7 फीसदी वोट मिले हैं. पूर्व प्रधानमंत्री पेटर पेलिग्रीनी के नेतृत्व वाली HLAS-SD तीन साल पहले फिसो की पार्टी से अलग हो गई थी.

स्लोवाकिया की राष्ट्रपति जुजाना चापुतोवा ने पिछले गठबंधन को आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ लूडोवित ओदॉर के नेतृत्व में टेक्नोक्रेट्स के एक मंत्रिमंडल से बदल दिया था.तस्वीर: Zuzana Gogova/Getty Images

गठबंधन की संभावनाएं

फिसो की पार्टी की तरह पेलिग्रीनी की पार्टी भी मजबूत वेलफेयर स्टेट की वकालत करती है. वेलफेयर स्टेट यानी जहां लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक जरूरतों की सबसे ज्यादा जिम्मेदारी सरकार पर होती है. लेकिन, पेलिग्रीनी की पार्टी यूक्रेन को सैन्य मदद जारी रखने के हक में रही है.

पेलिग्रीनी के पास लिबरल पार्टी PS के साथ मिलकर भी गठबंधन सरकार बनाने का विकल्प है. ऐसे में पेलिग्रीनी भी इस चुनाव के बाद किंगमेकर की भूमिका निभाने के लिए तैयार दिख रहे हैं. वहीं फिसो के पास गठबंधन का कोई और साफ विकल्प नहीं दिख रहा है.

पेलिग्रीनी की पार्टी के उप-नेता एरिक तोमा ने रविवार को एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि HLAS-SD फिसो की पार्टी के साथ गठबंधन पर चर्चा करने के लिए तैयार है. हालांकि, इसके कुछ देर बाद पेलिग्रीनी ने खुद कहा कि अगर दूसरी पार्टियां उनकी मांगों पर सहमत होती हैं, तो वह उनके साथ भी बातचीत करने के लिए तैयार हैं.

स्लोवाकिया की पिछली गठबंधन सरकार में हुई कलह ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद फिसो की वापसी की राह खोली.तस्वीर: Jaroslav Novák/TASR/dpa/picture alliance

यूक्रेन को सैन्य मदद की पक्षधर तीन छोटी पार्टियों के साथ-साथ रूस-समर्थक राष्ट्रवादी स्लोवाक नेशनल पार्टी (SNS) ने भी संसद में प्रतिनिधित्व करने लायक वोट हासिल किए हैं.

दक्षिणपंथी पार्टी SNS ने फिसो के गठबंधन में शामिल होने की उम्मीद भी जताई है. वहीं तीन अन्य छोटी पार्टियां फिसो की धुर-विरोधी हैं, जो उनके खिलाफ इकट्ठी होकर PS और HLAS-SD के व्यापक गठबंधन का हिस्सा बन सकती हैं.

स्लोवाकिया में 44 लाख वोटर्स हैं, जिनमें से 68.5 फीसदी मतदाताओं ने इस चुनाव में वोट डाला. रविवार शाम को एक गलत शुरुआती एग्जिट पोल ने PS की जीत का इशारा किया था.

HLAS-SD के नेता पेलिग्रीनी किंगमेकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं और उन्होंने सभी दलों से बातचीत के रास्ते खुले रखे हैं.तस्वीर: Eva Korinkova/REUTERS

किन मुद्दों पर लड़ा गया चुनाव

बाहरी पर्यवेक्षक स्लोवाकिया के चुनाव को यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोप की एकता की परीक्षा के रूप देख रहे हैं. स्लोवाकिया यूक्रेन के सबसे मजबूत सैन्य और राजनीतिक समर्थकों में से एक रहा है.

इससे देश की एक आबादी को चिंता सता रही है कि अगर स्लोवाकिया का रूस के साथ सीधा संघर्ष होता है, तो देश को ज्यादा खतरा हो सकता है. वहीं कई देशवासी घरेलू मुद्दों पर ज्यादा चिंतित हैं.

जिन देशों में यूरो मुद्रा चलती है, उनमें स्लोवाकिया में महंगाई सबसे ज्यादा है. देश की स्वास्थ्य प्रणाली की आर्थिक हालत भी खस्ता है. बहुत सारे लोग पेंशनभोगियों और कम विकसित क्षेत्रों के लोगों की देखभाल के बारे में चिंतित हैं, वहीं कई बढ़ते प्रवासन से परेशान हैं.

स्लोवाकिया में इस चुनाव में 68.5 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला. घरेलू मुद्दों पर भी इस चुनाव में खूब बात हुई.तस्वीर: Eva Korinkova/REUTERS

भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद फिसो की वापसी

फिसो इससे पहले 2006 से 2010 और फिर 2012 से 2018 के बीच स्लोवाकिया का नेतृत्व कर चुके हैं. 2018 में खोजी पत्रकार यान कुत्सियाक और उनकी मंगेतर मार्तीना कुश्नीरोवा की हत्या के बाद जब कई बड़े अधिकारियों के भ्रष्टाचार में डूबे होने का खुलासा हुआ, तो बड़े विरोध प्रदर्शनों के दबाव में फिसो इस्तीफा देना पड़ा.

2020 से प्रधानमंत्री इगोर मातोविच और फिर उनके उत्तराधिकारी एदुआर्द हेगर के नेतृत्व में चार पार्टियों के एक निष्प्रभावी गठबंधन ने स्लोवाकिया की राजनीति को उलट दिया. इससे भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद फिसो की वापसी की जमीन तैयार हुई.

गठबंधन में बार-बार कलह होने और कोरोना वायरस महामारी के दौरान लिए गए फैसलों की वजह से हेगर की सरकार ने समर्थन खो दिया. इस साल मई में राष्ट्रपति जुजाना चापुतोवा ने गठबंधन को आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ लूडोवित ओदॉर के नेतृत्व में टेक्नोक्रेट्स के एक मंत्रिमंडल से बदल दिया, जबकि पहले गठबंधन में शामिल रहे दल छोटे-छोटे गुटों में बंद गए.

वीएस/ओएसजे (डीपीए)

 

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