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समानताजापान

स्मार्ट महिलाएं शादी नहीं करतींः जापान में बदलाव की कोशिश

१२ जुलाई २०२३

जापान में महिलाओं द्वारा विज्ञान के विषयों में करियर ना बनाने पर देश काफी चिंतित है. कई कोशिशें की जा रही हैं ताकि रूढ़िवादी सोच को बदला जा सके.

जापान में शादी
जापान में शादीतस्वीर: Philip Fong/AFP/Getty Images

जापान के सबसे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक में थर्ड ईयर की छात्रा युना कातो रिसर्च में अपना करियर बनाना चाहती हैं. लेकिन उन्हें डर है कि अगर उनके बच्चे हुए तो उनका करियर बहुत छोटा हो जाएगा.

कातो कहती हैं कि उनके रिश्तेदारों ने उन्हें विज्ञान, तकनीकी, इंजीनियरिंग और गणित जैसे विषयों से दूर रहने की सलाह दी थी क्योंकि वे मानते हैं कि इन विषयों में करियर बनाने वाली महिलाओं की जिंदगी बहुत व्यस्त होती है इसलिए उन्हें लोगों से मिलने-जुलने या फिर पतियों के लिए समय निकालने की फुर्सत नहीं मिलती.

कातो कहती हैं, "मेरी दादी और मां अक्सर मुझे कहती थीं कि अगर मैं बच्चे चाहती हूं तो विज्ञान से अलग किसी विषय में करियर बनाऊं.”

हो रहा है नुकसान

अपने दम पर कातो इंजीनियरिंग में इस जगह पहुंच गयी हैं कि अब करियर के बारे में सोचने लगी हैं लेकिन उनके जैसी बहुत सी जापानी महिलाएं ऐसी ही सोच के कारण विज्ञान विषयों को नहीं चुनतीं, जो जापान के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया है. सिर्फ आईटी में जापान में 7,90,000 कुशल कर्मचारियों की कमी है. इसकी बड़ी वजह महिलाओं का इस क्षेत्र से दूर रहना है.

विशेषज्ञों की चेतावनी है कि पिछली सदी में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बने देश को इसका नुकसान खोज, उत्पादकता और प्रतिद्वन्द्विता में गिरावट के रूप में झेलना पड़ रहा है.

मॉलीक्यूलर बायोलॉजी में पीएचडी कर चुकीं चीनी मूल की शिक्षक यिनुओ ली कहती हैं, "यह बहुत बड़ी बर्बादी है और देश का भारी नुकसान है.” ली एक सफल वैज्ञानिक हैं और विज्ञान विषयों में महिलाओं की आदर्श के तौर पर बार्बी कंपनी ने उनकी हमशक्ल गुड़िया भी बनायी है.

जापान में एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत काम कर रहीं तीन बच्चों की मां ली कहती हैं, "अगर लैंगिक संतुलन नहीं होगा तो आपकी तकनीक में बहुत सारी खामियां होंगी.”

पिछड़ रहा है जापान

सबसे धनी देशों की सूची में इंजीनियरिंग या साइंस विषयों की पढ़ाई कर रहीं महिलाओं की संख्या के मामले में जापान सबसे नीचे है. वहां विश्वविद्यालयों में सिर्फ 16 फीसदी महिलाएं हैं. हर सात वैज्ञानिकों में सिर्फ एक महिला वैज्ञानिक है. ऐसा तब है जबकि ओईसीडी के मुताबिक जापान में गणित में लड़कियों के अंक दुनिया में दूसरे नंबर पर हैं जबकि साइंस में तीसरे नंबर पर.

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फिर भी, लैंगिक समानता के मामले में जापान की रैंकिंग में इस साल रिकॉर्ड गिरावट आयी है. हालांकि देश इस अंतर को पाटने की भरसक कोशिश कर रहा है. 2024 में शुरू होने वाले शिक्षा सत्र में कातो के टोक्यो इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी समेत लगभग एक दर्जन विश्वविद्यालय सरकार की महिलाओं के लिए विज्ञान विषयों में कोटा तय करने की अपील पर अमल करने जा रहे हैं. कई विश्वविद्यालयों ने तो इसी साल से ऐसा शुरू कर दिया था.

यह जापान में एक बड़ा बदलाव होगा जहां कि इस बात को लेकर विवाद हो चुका है कि महिलाओं को जानबूझ कर पीछे रखा जा रहा है. 2018 में तब खासा हंगामा मचा था जब यह बात सामने आई थी कि टोक्यो मेडिकल स्कूल में महिला प्रार्थियों के अंक जानबूझ कर कम किये गये ताकि उन्हें दाखिला ना मिले. एक रिपोर्ट में कहा गया था कि स्कूल के अधिकारियों को लगा कि बच्चों के कारण महिलाओं के करियर अधर में छोड़ने की संभावना ज्यादा है और वे अपनी पढ़ाई को बर्बाद करेंगी.

सोच बदलने की कोशिश

इस सोच को बदलने के मकसद से सरकार ने कुछ महीने पहले साढ़े नौ मिनट का एक वीडियो जारी किया था जिसमें दिखाया गया कि कैसे शिक्षकों और अन्य वयस्कों की रूढ़िवादी सोच के कारण लड़कियां विज्ञान विषयों से परहेज कर रही हैं.

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इस वीडियों में एक एक्टर शिक्षक बनकर एक छात्रा से कहता है कि लड़की होने के बावजूद उसने गणित में अच्छे नंबर हासिल किये. एक अन्य मामले में एक महिला अपनी बेटी को यह कहकर इंजीनियरिंग पढ़ने से हतोत्साहित करती है कि यह "पुरुष प्रधान क्षेत्र है.”

सरकार का लैंगिक समानता विभाग निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम कर रहा है. वह आने वाले समय में विज्ञान विषयों की सौ से ज्यादा वर्कशॉप आयोजित करेगा जिसमें महिला छात्रों को प्रोत्साहित करने की कोशिश की जाएगी. इसके लिए माज्दा जैसी कार कंपनियों के इंजीनियरों की मदद ली जाएगी.

वीके/सीके (रॉयटर्स)

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