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सोचने वाले कलपुर्जे

८ अप्रैल २०१३

इस साल हनोवर के इंडस्ट्री मेले में एकीकृत उद्योग की चर्चा है. पहले तो मशीने बुद्धिमान थी अब उसके पुर्जे भी स्मार्ट बना दिए गए हैं. वे खुद को आपके काम के हिसाब से ढालते हैं और खराब होने पर खुद ही अलार्म बजा देते हैं.

तस्वीर: Fraunhofer IGD Darmstadt

भाप से चलने वाली इंजन के अविष्कार के साथ औद्योगिक क्रांति शुरू हुई. 20वीं सदी की शुरुआत में कन्वेयर बेल्ट भी इससे जुड़ा और फिर देखते देखते कंप्यूटर दुनिया पर छा गया. अब चौथी औद्योगिक क्रांति की दस्तक है. आखेन में फ्राउनहोफर संस्थान के प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी विभाग प्रमुख फ्रित्स क्लोके कहते हैं, "इंडस्ट्री 4.0 का मतलब है कि हम कारखाने में इंटरनेट ला रहे हैं."

इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कार उद्योग. जहां कारें अब पूरी तरह ऑटोमैटिक बनने लगी हैं. उन्हें उच्च सुरक्षा देनी है और लंबे समय तक चलना है. कार में सब ठीक है या नहीं, ये देखने के लिए कार बनाने वाला कार बिकने के बाद भी मॉडल से कभी संपर्क बना सकता है.

एक दूसरे जुड़े कलपुर्जे

इसके लिए कारों को एक नेटवर्क से जोड़ दिया जाता है. क्लोके बताते हैं, "भविष्य की कारें इंटरनेट का हिस्सा होंगी." सेंसर से पता लग जाएगा कि कहीं कोई गंभीर गड़बड़ी तो नहीं. कोई मशीन बहुत गर्म तो नहीं हो रही, कहीं गैरजरूरी वाइब्रेशन तो नहीं हो रहा या कोई पुर्जा ढीला तो नहीं हो गया. ये सारी जानकारी अपने आप सेंसरों के जरिए निर्माता तक पहुंच जाएंगी.

इतना ही नहीं कलपुर्जे भी स्वतंत्र हो जाएं ऐसी इच्छा है आखेन के तकनीकी संस्थान के वैर्नेर हैर्फ्स की. "हर पुर्जा खुद अपनी परेशानी बता दे और फिर क्लाउड के जरिए इंटरनेट में पूछे कि क्या यह मेरी सामान्य स्थिति है या मुझे बदलने की जरूरत है. क्या मैं खराब हो गया हूं. क्या मुझे ठीक करने या बदलने की जरूरत है?"

नए पुराने में फर्कतस्वीर: DW/F. Schmidt

अहम हिस्सा

पुर्जों का खुद की स्थिति बता सकना वहां सबसे जरूरी है जहां ये बहुत ज्यादा क्षमता के साथ काम करते हैं और जहां उच्च सुरक्षा की जरूरत होती है. जैसे कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र में या फिर बड़े उद्योगों में. आने वाले समय में पुर्जों या मशीन के हिस्सों को दो पहचान मिलेंगी. एक उनके आकार प्रकार के बारे में और दूसरी डिजिटल. 

इसका फायदा, जब भी कंपनी को पुर्जे के बारे में जानकारी हासिल करनी होगी उसे जल्दी से मिल जाएगी. और उन्हें तेजी से यह भी पता चल सकेगा कि क्या कोई खास समस्या उस हिस्से में आ रही है. और विशेष मुश्किल के समय कंपनी सीधे ग्राहकों से संपर्क बना सकेगी. इसके अलावा डेटा यह भी दिखाएगा कि पुर्जे नकली बनाए हुए नहीं हैं बल्कि सीधे कंपनी से आए हैं. 

तो उत्पादन के दौरान कंपनी अपने उत्पादों में विशेष पहचान डाल सकेगी. यह सपहचान डेटा रिकॉर्ड से जुड़ी होगी. इंटेग्रेटिव उत्पादन तकनीक पर काम कर रहे क्रिस्टियान ब्रेषर कहते हैं, "अगर ये जानकारी पुर्जे पर नहीं है तो मुझे पता है कि यह पुर्जा ओरिजिनल नहीं है." अगर मशीन के पार्ट्स में चिप लगा दी जाए तो नकली पार्ट्स नहीं बन सकेंगे. 

आखेन में फ्राउनहोफर संस्थान के प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी विभाग के आक्सेल डेमर आश्वासन देते हैं कि डेटा रिकॉर्ड रखने के अलावा उसकी कुछ और भी खासियत हो सकती हैं. गैस से बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले टरबाइन में इस्तेमाल होने वाले पंखे कई हिस्सों को जोड़ कर बनाए जाते हैं और फिर उन्हें बीच की रिंग में डाला जाता है जिसके आसपास टरबाइन घूमती है. 

आजकल कंप्यूटर से चलने वाली एक ही मशीन बड़े से मेटल में से ये पुर्जा तैयार करती है. इसे कुछ इस तरह से बनाया जाता है कि यह ज्यादा तापमान और दबाव सहन कर सके. आखिर में एक रोबोट टरबाइन के इन पंखो को व्यवस्थित तरीके से पॉलिश करता है. यह मशीन 50 दूसरे उपकरणों को तैयार रख सकती है. इसमें कटर, ग्राइंडर और पॉलिश करने वाली मशीने हैं. इससे काम के दौरान कभी भी देखा जा सकता है कि टरबाइन के पंख ठीक ठाक काम कर रहे हैं या नहीं.

आने वाले दिनों में मशीन के कई हिस्सों में डिजिटल पहचान लगाई जाएगी. लेकिन इंसान की अहमियत कभी भी कम नहीं होगी. उद्योग मेले से उत्पादकों और अविष्कार करने वालों की रचनात्मकता को नए पंख मिलते हैं. क्योंकि आज के समय में नए उत्पाद बनाना, उन्हें ठीक करना आसान हो गया है.

एक्सपर्ट टेकनिशियन, कंप्यूटर विशेषज्ञ और इंजीनियरों के बिना अब कारखाने का भी कोई भविष्य नहीं. इसलिए इनकी ट्रेनिंग पर भी खूब ध्यान दिया जा रहा है.
तकनीक उच्च से उच्चतम होती जा रही है लेकिन मशीनों का इस्तेमाल और और आसान हो रहा है.

रिपोर्टः फाबियान श्मिट/एएम

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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