दुनिया भर में फिनलैंड में लोग सबसे ज्यादा फोन करते है. इतना कि सरकार परेशान हो गई है. यहां के लोग महीने में 9 जीबी से ज्यादा डाटा प्रति सिम यूज कर लेते हैं.
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हेलसिंकी में एक आम सुबह. लोग दफ्तर जा रहे हैं. स्टेशनों पर खूब भीड़ है. लेकिन शोर जरा भी नहीं. ज्यादातर सिर झुके हुए हैं. हाथों में स्मार्टफोन हैं. वीडियो चल रहे हैं और लोग उन्हीं में खोए हैं. फिनलैंड की राजधानी में यह नजारा सामान्य है क्योंकि ये लोग उस देश में रहते हैं जो दुनिया का सबसे मोबाइल डेटा खर्च करता है.
जिस फिनलैंड की कंपनी नोकिया ने कभी मोबाइल फोन की दुनिया पर राज किया है, उसमें लोगों का फोन के प्रति मोह हैरान नहीं करता. 2015 और 2016 के पहले हिस्से के आंकड़ों के आधार पर स्वीडन की कंपनी टेफिशिएंट ने जो निष्कर्ष निकाले हैं, उनके मुताबिक फिनलैंड में प्रति सिम कार्ड सबसे ज्यादा डेटा इस्तेमाल होता है. यूरोप और एशिया के 32 देशों में किए गए इस सर्वे में फिनलैंड टॉप पर रहा है. उसके यहां जून महीने में प्रति सिम 9 जीबी से भी ज्यादा डाटा खर्च हुआ. दूसरे नंबर पर रहे दक्षिण कोरिया के डेटा से यह दोगुने से भी ज्यादा है.
तेजी से बदलती स्मार्टफोन की दुनिया
दुनिया भर के अरबों लोग आज बिना स्मार्टफोन के अपने दिन की कल्पना नहीं कर सकते. 20 साल पहले किसने सोचा होगा कि बाजार में आने वाली एक चीज इतनी अहम हो जाएगी. देखिए स्मार्टफोन के विकास क्रम की कुछ खास बातें.
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प्रभावशाली 'डायनासोर'
यह दुनिया का पहला स्मार्टफोन है. नाम है नोकिया 9000 कम्युनिकेटर. इसमें पर्सनल कंप्यूटर की खूबिया थीं जैसे ऑफिस सॉफ्टवेयर, वेब ब्राउजिंग और फैक्स की सुविधा. 15 अगस्त 1996 से इसकी बिक्री शुरु हुई और जर्मनी में इसकी कीमत थी 1,400 यूरो (यानि आज के करीब एक लाख भारतीय रूपये).
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हल्का, लेकिन ताकतवर
आधुनिक स्मार्टफोनों तक का सफर बहुत लंबा तो नहीं लेकिन बहुत तेज विकास वाला रहा है. आज के स्मार्टफोन पहले के मॉडलों के मुकाबले बहुत हल्के हैं लेकिन ऐसा नहीं कि वे उनसे कम काम करते हैं. बल्कि आज के आधुनिक स्मार्टफोनों में उस कंप्यूटर से भी कई लाख गुना कंप्युटिंग की शक्ति है, जिसकी मदद से अपोलो 11 को चांद पर उतारा गया था.
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अच्छे साइड इफेक्ट्स
ऐसे कई ऐप स्मार्टफोनों में इस्तेमाल होने लगे हैं जो मनोरंजक और सुविधाजनक तो हैं साथ ही प्रशासन के बड़े काम आ रहे हैं. जैसे कि इंडोनेशिया का एक स्मार्टफोन ऐप देश में अवैध रूप से काटे जाने वाले जंगलों का पता लगा रहा है. फोन के एक सॉफ्टवेयर से पेड़ कटने की आवाज का पता चल जाता है और अलार्म बज जाता है.
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वेदरमैन
ओपनसिग्नल नामके एक नेटवर्किंग समूह के रिसर्चरों ने एंड्रायड-आधारित स्मार्टफोनों के लिए ऐसे सेंसर बनाए हैं जिनसे फोन की बैटरी का तापमान, उस पर प्रकाश की तीव्रता और दबाव के आंकड़े जानकर किसी जगह के मौसम की बेहद सटीक रिपोर्ट दी जा सकती है.
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पेशाब की शक्ति
ब्रिस्टल, इंग्लैंड के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा फ्यूल सेल विकसित किया है जो "एक बार के पेशाब से ही" स्मार्टफोन को चार्ज कर सकता है. 600 मिलीलीटर मूत्र से स्मार्टफोन पर करीब 3 घंटे तक बात करने की ऊर्जा मिल सकती है. मूत्र के बैक्टीरिया लिक्विड को बिजली में बदल देते हैं.
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रोमिंग का जमाना
कुछ साल पहले दक्षिण फ्लोरिडा की स्मार्टफोन यूजर सेलीन आरोन्स के नाम सबसे बड़ा रोमिंग बिल आया था. कनाडा में अपनी छुट्टियों के दौरान बहुत लंबे चले मैसेजिंग के सिलसिले के कारण उन्हें 201,000 डॉलर भरने पड़े थे. काफी समय तक रोमिंग चार्ज एक बड़ा सिरदर्द हुआ करते थे जिसकी आज आप उतनी परवाह नहीं करते.
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सफलता की दास्तान
आज हमारे विश्व में लगभग 1.9 अरब स्मार्टफोन यूजर्स हैं. यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है. इस साल की पहली तिमाही में ही दुनियाभर में स्मार्टफोनों की बिक्री में एक साल पहले के मुकाबले करीब 3.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई. सबसे ज्यादा बिका सैमसंग गैलेक्सी S7 और उसके बाद का स्थान लिया एप्पल आईफोन 6S और 6S प्लस ने.
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फिनलैंड के लोग फोन पर इतना ज्यादा वक्त खर्च करने लगे हैं कि अधिकारी चिंतित हैं. हेलसिंकी के स्वास्थ्य और समाज सेवा विभाग ने हाल ही में एक अभियान भी शुरू किया है जिसके तहत माता-पिता को बताया जा रहा है कि वे अपने बच्चों का ध्यान दूसरे कामों में भी बटाएं.
हाल ही में इसके लिए एक वीडियो भी तैयार किया गया. इस वीडियो में देखा जा सकता था कि एक महिला फोन पर कुछ देखती रही जबकि उसके दुधुमुंहे बच्चे पर विशाल कौए ने हमला कर दिया. यह वीडियो लोगों को जागरूक करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. वीडियो में संदेश दिया जाता है: लापरवाही आधुनिक हिंसा है.
देखिए, मोबाइल की आंधी में उड़ गईं क्या क्या चीजें
मोबाइल की आंधी में उड़ गई चीजें
तकनीक, लोगों का व्यवहार बड़ी तेजी से बदलती है. एक दौर में बहुत अहम मानी जाने वाली कई मशीनों की छुट्टी आज मोबाइल फोन ने कर दी है. एक नजर तकनीक की मार झेलने वाली इन चीजों पर.
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तुम्हारे खत
"आदरणीय/प्यारे...., यहां सब कुशल है." इन शब्दों के साथ शुरू होने वाली चिट्ठियां भी तकनीक की आंधी में उड़ गई. टेलीफोन और उसके बाद आई मोबाइल क्रांति ने खतों को सिर्फ आधिकारिक दस्तावेज में बदल दिया. चिट्ठियां खत्म होने के साथ उनका इंतजार करने की आदत भी गुम हो गई.
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पॉकेट कैमरा
आज बाजार में अच्छे कैमरे से लैस कई मोबाइल फोन हैं. फोटो और वीडियो रिकॉर्ड करना अब पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान हो चुका है. इनके चलते पॉकेट साइज कैमरे गायब होते जा रहे हैं.
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फोटो एल्बम
किसी आत्मीय परिवार से बहुत समय बाद मिलने पर फोटो एल्बम देखना बहुत सामान्य बात होती थी. आज तस्वीरें इंटरनेट और कंप्यूटर पर होती हैं. उन्हें देखने के लिए यात्रा करने की भी जरूरत नहीं पड़ती. फोटो एल्बम अब शादियों तक सिमट चुकी हैं.
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टेप और वॉक मैन
1990 के दशक तक घरों में टेप रिकॉर्डर गूंजता था तो स्टाइलिश युवा वॉक मैन की धुन पर थिरकते हुए कदम बढ़ाते थे. MP3 के आविष्कार ने कैसेट वाले युग को भी इतिहास के गर्त में डाल दिया. आज म्यूजिक लाइब्रेरी मोबाइल फोन में समा चुकी है.
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वीडियो कैसेट प्लेयर
एक जमाना था जब किराये पर वीसीआर या वीसीपी लेकर परिवार व पड़ोसियों के साथ फिल्म देखना सामान्य बात होती थी. कैसेट बीच बीच में अटकती भी थी. फिर वीसीडी प्लेयर आया. अब तो कंप्यूटर, यूएसबी और वीडियो फाइलों ने वीसीआर, वीसीपी और वीसीडी को भुला सा दिया है.
टॉर्च की जरूरत अक्सर पड़ा करती है, लेकिन हर वक्त इसे लेकर घूमना, बैटरी बदलना या चार्ज करना झमेले से कम नहीं. मोबाइल फोन के साथ आई फ्लैश लाइट ने परंपरागत टॉर्च के कारोबार को समेट दिया है. हालांकि स्पेशल टॉर्चों की मांग आज भी है.
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कलाई की घड़ी
समय के साथ चलने के लिए कभी कलाई पर घड़ी बांधना जरूरी समझा जाता था. लेकिन मोबाइल फोन ने घड़ी को भी सिर्फ आभूषण सा बना दिया. आज कलाई पर घड़ी न हो, लेकिन जेब में मोबाइल फोन हो तो बड़े आराम से काम चलता है.
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अलार्म घड़ी
कभी छात्र जीवन और नौकरी पेशा लोगों को इसकी बड़ी जरूरत हुआ करती थी. यही सुबह जगाती थी, लेकिन अब यह काम मोबाइल फोन बड़ी आसानी से करता है, वो भी स्नूज के ऑप्शन के साथ. स्टॉप वॉच भी तकनीकी विकास की भेंट चढ़ी है.
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कैलकुलेटर
सन 2000 तक हिसाब किताब या पढ़ाई लिखाई से जुड़े हर शख्स के पास कैलकुलेटर आसानी से देखा जा सकता था, लेकिन मोबाइल फोन ने कैलकुलेटर को भी बहुत ही छोटे दायरे में समेट दिया. आज कैलकुलेटर का इस्तेमाल करते बहुत कम लोग दिखते हैं.
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नोट पैड
किसी के साथ हुई बातचीत में प्वाइंट बनाना, फटाफट लिखना और बाद में दूसरों से पूछना कि कुछ मिस तो नहीं हुआ, मोबाइल फोन के रिकॉर्डर ने इस परेशानी को भी हल किया है. किसी के भाषण या लेक्चर को रिकॉर्ड किया और बाद में आराम से पूरा जस का तस सुना.
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कैलेंडर
कागज का कैलेंडर आज शो के काम ज्यादा आता है. असली काम मोबाइल के कैलेंडर में हो जाता है. इसमें पेज पलटने की भी जरूरत नहीं पड़ती. रिमाइंडर भी सेट हो जाता है. और यह वक्त साथ भी रहता है.
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कंपास
कभी दिशाज्ञान के लिए चुंबक वाले कंपास का सहारा लिया जाता था, फिर नेवीगेशन सिस्टम आए. आज स्मार्टफोन ही दिशाओं की सटीक जानकारी देता है. स्मार्टफोन ने नेवीगशन सिस्टम और ट्रैवल मैप की भी हालत खस्ता कर दी है.
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पीसीओ
1990 के दशक में भारत में दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांति सी हुई. छोटे कस्बों और गांवों तक सार्वजनिक टेलीफोन बूथ पहुंच गए. एसटीडी और आईएसडी कॉल करना जोरदार अनुभव से कम नहीं था. फिर घर घर टेलीफोन लगे. आज मोबाइल फोनों ने इन पर धूल जमा दी है.
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बहुत से लोगों को यह वीडियो नागवार गुजरा. लोगों ने कहा कि हर तरह का फोन का इस्तेमाल बुरा नहीं होता. यह भी कहा गया कि महिला को अपराधी की तरह क्यों दिखाया गया. हालांकि अधिकारियों ने कहा कि वे बस इतना दिखाना चाहते थे कि मांएं अपने बच्चों से ज्यादा फोन के साथ वक्त बिता रही हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बच्चों के साथ पिता से ज्यादा वक्त मां बिताती है.
देश की सबसे बड़ी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी एलिसा के मुताबिक देश के माता-पिता अपने किशोर बच्चों के नक्शे कदम पर चल रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा फोन डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं. एलिसा के ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन के प्रमुख मटियास कैस्ट्रेन कहते हैं, "सबसे ज्यादा वृद्धि फोटो या वीडियो देखने में हो रही है." वह कहते हैं कि सबसे ज्यादा इस्तेमाल शाम के वक्त होता है जबकि ज्यादातर लोग फिल्म, टीवी या न्यूज देखने के लिए फोन से चिपके होते हैं.