स्मार्टफोन और पर्यावरण सुरक्षा
१८ सितम्बर २०१८
मुसीबत बना ई कचरा
मुसीबत बना ई कचरा
इंसानी जिंदगी में इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक चीजों का दखल लगातार बढ़ता जा रहा है. बेशक इनसे हमारी जिंदगी आसान हुई है लेकिन इनकी वजह जमा होने वाले टनों ई-कचरे के बारे में भी सोचना होगा.
बेतहाशा वृद्धि
संयुक्त राष्ट्र यूनिवर्सिटी की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले पांच साल के दौरान पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में ई-कचरे की मात्रा में 63 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
चीनियों की भूख
रिपोर्ट में इस वृद्धि की बड़ी वजह चीन के मध्य वर्ग में नए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की भूख को बताया गया है. ई-कचरे में खराब हुए कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, रिमोट कंट्रोल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान शामिल हैं.
12 इलाकों में स्टडी
यूएन की रिपोर्ट में पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया में कंबोडिया, चीन, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान, थाइलैंड और वियतनाम में ई-कचरे से बारे में जानकारी जुटाई गई.
कितना ई-कचरा
रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से 2015 के बीच इन जगहों पर 1.23 करोड़ मीट्रिक टन ई-कचरा जमा हुआ. 2005 से लेकर 2010 की अवधि से तुलना करें तो हालिया पांच साल के भीतर ई-कचरे में 63 प्रतिशत का उछाल आया है.
चीन यहां भी अव्वल
शोधकर्ताओं का कहना है कि अकेले चीन ने पांच सालों में 67 लाख मीट्रिक टन का ई-कचरा पैदा किया और इस तरह उसके यहां 107 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
अमेरिका और चीन
यूएन की 2014 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दुनिया में जितना भी ई-कचरा पैदा होता है, उसके एक तिहाई यानी 32 प्रतिशत हिस्से के लिए केवल दो देश अमेरिका और चीन जिम्मेदार हैं.
प्रति व्यक्ति हिसाब
प्रति व्यक्ति के हिसाब से देखें तो क्षेत्र में ई-कचरा पैदा करने में हांगकांग अव्वल है. वहां 2015 में प्रति व्यक्ति 21.5 किलो ई-कचरा पैदा हुआ जबकि इसके बाद सिंगापुर (19.95 किलो) और ताइवान (19.13 किलो) का नंबर आता है.
गैरकानूनी डंपिंग
यूएन रिपोर्ट कहती है कि कई देशों में ई-कचरे से निपटने के कानून होने के बावजूद वहां गलत और गैरकानूनी तरीके से डंपिंग हो रही है. ई-कचरे को सही तरीके ना निपटाए जाने से इंसान और पर्यावरण दोनों पर बुरा असर होता है.
रीसाइकिल कारोबार
कई देश अपना ई-कचरा रीसाइकिल करवाने चीन भेजते हैं. वहां इनमें से कई चीजों को थोड़ी मरम्मत के बाद दोबारा सस्ते दामों में बेच दिया जाता है. बाकी के अंदरूनी हिस्सों को अलग कर सोने या तांबे जैसी धातुएं निकाल ली जाती हैं.
भारी कीमत
ऐसे निपटारे के कारोबार के कारण पर्यावरण को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. भट्टी में ई-कचरे को जलाया जाता है. प्लास्टिक और केमिकल के जलने से धुआं वायु को प्रदूषित करता है. पानी और हवा में हानिकारक तत्व घुल रहे हैं.