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युवाओं में बढ़ी शराब और सिगरेट पीने की लत

लुइजा राइट
३१ दिसम्बर २०२१

कोविड-19 की वैश्विक महामारी के दौरान कुछ देशों में शराब और सिगरेट पीने की लत बढ़ गई है. इससे सबसे ज्यादा युवा प्रभावित हो रहे हैं. इसकी वजह हैरान करने वाली है.

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तस्वीर: Frank Hoermann/SVEN SIMON/imago images

साल 2020 और 2021 में पूरी दुनिया में तालाबंदी लागू करवा देने वाले कोरोना वायरस से अभी तक निजात नहीं मिली है. दुनिया की एक बड़ी आबादी का टीकाकरण हो गया है. इसके बावजूद, इस वायरस के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से कई देशों में कोविड-19 महामारी की पांचवीं लहर आने की आशंका जताई जा रही है. संक्रमण के बढ़ते खतरे के बीच शराब और सिगरेट पीने की लत भी बढ़ रही है.

इस साल अगस्त महीने में ‘एडिक्शन' जर्नल में छपे अध्ययन के मुताबिक, इंग्लैंड में लगे पहले लॉकडाउन के दौरान, महामारी से पहले की तुलना में 45 लाख से ज्यादा वयस्कों ने शराब पीना शुरू कर दिया. यह करीब 40 फीसदी की वृद्धि थी.

इस अध्ययन के लेखकों ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "यह प्रवृति महिलाओं के साथ-साथ निम्न आय वाले लोगों में भी देखने को मिली, जो काफी चिंताजनक है.अध्ययन के मुताबिक, पहले लॉकडाउन के दौरान 6,52,000 युवाओं को धूम्रपान की लत लगी.

तम्बाकू के सेवन में वृद्धि

अक्टूबर 2021 में यूरोपियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि फ्रांस में पहली बार मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद, धूम्रपान करने वाले मौजूदा लोगों में 27 फीसदी ने बताया कि उनकी तम्बाकू की खपत बढ़ गई. वहीं, 19 प्रतिशत ने कहा कि उनकी तम्बाकू की खपत कम हो गई है.

जिन लोगों के बीच तम्बाकू की खपत बढ़ी उनमें ज्यादातर की उम्र 18 से 34 साल के बीच थी. साथ ही, वे उच्च शिक्षित लोग भी थे. शराब पीने वाले 11 फीसदी लोगों ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से उनकी शराब की खपत बढ़ गई है. वहीं 24.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने पीना कम कर दिया है. जिन लोगों के बीच शराब की खपत बढ़ी है उनकी उम्र 18 से 49 साल के बीच है.

जर्मनी में कुछ सिगरेट के विज्ञापनों की अभी भी अनुमति है. यहां भी सिगरेट पीने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है. धूम्रपान की आदतों को लेकर जर्मनी में लंबे समय तक किए गए अध्ययन के मुताबिक, 2019 में 14 साल से ज्यादा उम्र के 27 फीसदी लोग सिगरेट पीते थे. अभी यह संख्या बढ़कर 31 फीसदी हो गई है.

जर्मनी में सिगरेट पीने की वजह से हर साल करीब एक लाख 20 हजार लोगों की मौत होती है. यह करीब उतनी ही संख्या है जितने लोगों की अब तक कोविड-19 की वजह से पिछले दो साल में मौत हुई है.

चीन में अमीर लोगों की शराब

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शराब का असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक शराब पीने की वजह से हर साल पूरी दुनिया में करीब 30 लाख लोगों की मौत होती है. दुनिया में होने वाली 5.1 फीसदी बीमारियों के लिए शराब जिम्मेदार है. शराब पीने से स्वास्थ्य पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ता है. अमेरिकी राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी ‘सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन' के मुताबिक, शराब के अत्यधिक सेवन की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय से जुड़े रोग, स्ट्रोक, लीवर से जुड़ी बीमारियां सहित कई और तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है. व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हो सकता है. साथ ही, शरीर कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकता है.

तंबाकू सेवन की वजह से मरने वाले लोगों की संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ गई है. दुनिया भर में हर साल करीब 80 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन की वजह से होती है. इनमें 12 लाख ऐसे लोग भी शामिल हैं जो धूम्रपान नहीं करते हैं, लेकिन धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास मौजूद रहते हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनिया में 138 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. इनमें से 80 फीसदी लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं.

तनाव और उदासी

सामाजिक रूप से पीने के कम मौके होने के बावजूद, जर्मनी में कुछ समूहों में शराब की खपत में वृद्धि हुई है. जर्मन सोसाइटी फॉर एडिक्शन रिसर्च ऐंड एडिक्शन थेरेपी के डॉक्टर और अध्यक्ष फाल्क किएफर ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए को बताया कि लगभग 25 फ्रतिशत वयस्कों ने महामारी से पहले की तुलना में ज्यादा शराब पी.

किएफर ने कहा, "पहले जो लोग शाम में आनंद के लिए नियमित तौर पर घर पर शराब पीते थे, महामारी के दौरान वे अकेलापन, तनाव, और उदासी की वजह से ज्यादा शराब पीने लगे.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में इंसानों के व्यवहार से जुड़े मामलों के वैज्ञानिक और एडिक्शन अध्ययन की प्रमुख लेखिका सारा जैक्सन ने कहा कि लॉकडाउन को कई लोगों ने धूम्रपान छोड़ने के अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया. वहीं, कई लोग तनाव की वजह धूम्रपान करने लगे. वहीं, कुछ पहले की तुलना में ज्यादा धूम्रपान करने लगे.

जैक्सन ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "पहली बार लॉकडाउन लगने के दौरान कई लोग काफी ज्यादा तनाव में आ गए थे. जो लोग इस महामारी की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए उनके बीच शराब और सिगरेट पीने की लत में वृद्धि देखी गई.

अल्कोहल का इस्तेमाल कितना फायदेमंद है?

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि सीमित मात्रा में शराब का सेवन करने से स्वास्थ्य को लाभ मिलता है. हालांकि, हाल के अध्ययनों के मुताबिक शराब पीने से स्वास्थ्य पर हमेशा नकारात्मक प्रभाव ही पड़ता है.

कई अध्ययनों में बताया गया है कि काफी ज्यादा मात्रा में शराब पीने या एकदम शराब नहीं पीने की तुलना में सीमित मात्रा में शराब पीने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, पेकिंग यूनिवर्सिटी और चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज के शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि क्या इसके पीछे कोई वजह है.

अप्रैल 2019 में द लांसेट में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों ने 10 वर्षों तक पूर्वी एशिया के पांच लाख लोगों का इंटरव्यू लिया और उनके बारे में जानकारी इकट्ठा की. पूर्वी एशिया में रहने वाले लोग अनुवांशिक तौर पर ऐसे हैं कि जो अल्कोहल से होने वाले असर को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं. इसलिए, यहां अल्कोहल की खपत कम हो जाती है. हालांकि धूम्रपान और अन्य जीवनशैली को लेकर स्थिति इससे बिल्कुल अलग है.

वैज्ञानिकों ने पाया कि अनुवांशिक भिन्नता की वजह से लोगों ने शराब का सेवन कम कर दिया था. इस वजह से उनके बीच ब्लड प्रेशर और स्ट्रोक के खतरे भी कम हो गए थे. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि अल्कोहल का सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा 35 फीसदी बढ़ जाता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्यक्ति सीमित मात्रा में पी रहा है या थोड़ा ज्यादा पी रहा है.

एडिक्शन स्टडी के लिए धन मुहैया कराने वाली संस्था कैंसर रिसर्च यूके की चीफ एक्जीक्यूटिव मिशेल मिचेल ने कहा, "शराब पीने या धूम्रपान करने का कोई ‘सुरक्षित स्तर' नहीं है. अगर कोई व्यक्ति शराब पीना या धूम्रपान करना बंद कर देता है, तो उसे कैंसर होने का खतरा कम हो सकता है.

शराब के ज्यादा सेवन से घरेलू हिंसा में भी वृद्धि होती है. लॉकडाउन के दौरान, कई देशों में यह प्रवृति देखने को मिली. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के अनुसार, यूरोपीय संघ के देशों में घरेलू हिंसा को लेकर आने वाली आपातकालीन कॉल में 60 फीसदी की वृद्धि हुई है.

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