गर्भपात के अधिकार के छिन जाने के बाद पुरुष करा रहे नसबंदी
९ मार्च २०२३वीडियो में एक शख्स कस कर अपनी आंखें बंद किए हुए नजर आ रहा है. खुद को ही फिल्माते हुए वो अचानक एक गाना गाने लगता है. अगर आपको स्पष्ट रूप से बताया ना जाए तो शायद आप जान नहीं पाएंगे कि यह व्यक्ति अपनी नसबंदी करवाते हुए अपना वीडियो बना रहा है.
अमेरिका में कई डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जब से सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात के अधिकार को रद्द किया है तब से देश भर में कई पुरुषों ने अपनी नसबंदी करवाई है. और अब कई पुरुष नसबंदी करवाते समय अपना वीडियो बना कर टिक टॉक पर भी डाल रहे हैं ताकि इसे लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों से लड़ा जा सके.
मिथकों को तोड़ते वीडियो
इन वीडियो में इन पुरुषों का कमर से ऊपर का हिस्सा ही नजर आता है. नसबंदी को लेकर लंबे समय से इंटरनेट पर कई तरह की भ्रांतियां उपलब्ध रही हैं. टेक्सास में रहने वाले इन्फ्लुएंसर कीथ लौ कहते हैं कि इनमें सबसे आम मिथक है कि नसबंदी अंडकोष निकाल देने जैसा ही है या यह कि नसबंदी से कामलिप्सा या हॉर्मोन के बनने पर असर पड़ता है.
लौ ने खुद भी अपनी नसबंदी के बारे में कई वीडियो बनाए हैं. जानकारों का कहना है कि इन मिथकों की वजह से नसबंदी को लेकर नकारात्मक रवैया बन जाता है.
लेकिन मसखरेपन और हंसी से भरे वायरल टिक टॉक वीडियो न सिर्फ इनमें से कुछ मिथकों को तोड़ रहे हैं, बल्कि नसबंदी को अपने प्रजनन संबंधी मूल अधिकार गंवा चुकी महिलाओं के प्रति एकजुटता दिखाने के उद्देश्य से पुरुषों के लिए एक विकल्प के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं.
लास वेगास में रहने वाले कॉमेडियन जिमी मैकमर्रिन ने अपने एक ऐसे ही वीडियो का शीर्षक दिया था "आपको नपुंसक बनाया जा रहा है." इस वीडियो को पचास लाख से भी ज्यादा बार देखा गया.
बढ़ रही है नसबंदी दर
23 साल के मैकमर्रिन कहते हैं, "मैं यह जरूर मानता हूं कि ये टिक टॉक वीडियो नसबंदी से जुड़े मिथकों और गलत जानकारी के खिलाफ लड़ाई में मदद कर रहे हैं. मेरे पास अभी भी मेरा अंडकोष है. सब सामान्य है."
हालांकि यह चलन टिक टॉक को लेकर बनी लोकप्रिय धारणा के बिल्कुल विपरीत है. विशेषज्ञों का कहना है कि टिकटॉक पर ऐसे अयोग्य इन्फ्लुएंसरों की भरमार है जो स्वास्थ्य के बारे में काफी गलत जानकारी देते हैं. वो अक्सर ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उन्हें ज्यादा बार देखा जाए, वीडियो पर कमेंट किया जाए और उसे लाइक और शेयर किया जाए.
इलिनॉय विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर कैटरीन वॉलेस कहती हैं, "टिक टॉक पर हाल के कई नसबंदी वाले वीडियो रो बनाम वेड मामले (गर्भपात वाले) फैसले को नसबंदी करवाने का फैसला करने के कारण के रूप में रेखांकित करते हैं और यह भी कि गर्भ निरोध की जिम्मेदारीज्यादातर सिर्फ महिलाओं पर ही नहीं पड़नी चाहिए."
सही जानकारी जरूरी
कॉर्नेल विश्वविद्यालय के वील कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजिस्ट मार्क गोल्डस्टीन का कहना है कि इस बात के प्रमाण हैं कि अदालत के फैसले के बाद से नसबंदी दर "काफी बढ़ गई है."
कई और यूरोलॉजिस्टों और फर्टिलिटी विशेषज्ञों ने भी इस बात की पुष्टि की. कइयों ने तो बताया कि नसबंदी के मामले कई गुना बढ़ गए हैं और उसके बारे में इंटरनेट पर जानकारी ढूंढने की गतिविधियों में भी उछाल आया है.
हालांकि कुछ जानकार इसमें भी सावधान रहने पर जोर दे रहे हैं. ड्यूक विश्वविद्यालय के जोनास स्वार्ट्ज कहते हैं, "मेरी चिंता यह है कि कभी कभी इन वीडियो में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी की गुणवत्ता कम होती है. लोगों को सटीक, प्रमाण-आधारित जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए. ऐसी जानकारी को फिल्टर करने के लिए टिक टॉक को डिजाइन नहीं किया गया है."
जैसे कई वीडियो में सही जानकारी के साथ साथ यह गलत जानकारी भी थी कि नसबंदी को पूरी तरह से पलटा भी जा सकता है. वॉलएस और दूसरे विशेषज्ञों ने बताया कि नसबंदी को पलटने की कोशिश की तो जा सकती है लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि नसबंदी कराए कितना समय बीत गया और वो किस तरीके से की गई थी.
सीके/एए (एएफपी)