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मानवाधिकारसंयुक्त राज्य अमेरिका

बंधुआ मजदूरी के खिलाफ कार्रवाई बढ़ी, रोका जा रहा है माल

१९ सितम्बर २०२४

दुनियाभर में बंधुआ मजदूरी के खिलाफ सख्ती बढ़ी है. पिछले कुछ सालों में ऐसी कंपनियों का माल रोकने के मामले बढ़े हैं, जिनके निर्माण में बंधुआ मजदूरी का संदेह हो.

उज्बेकिस्तान में कपास की खेती
तस्वीर: YURI KORSUNTSEV/AFP/Getty Images

मानवाधिकार के सबसे बड़े मुद्दों में शामिल फोर्स्ड लेबर यानी बंधुआ मजदूरी रोकने के लिए अब कई देश ऐसी कंपनियों पर सख्ती बरत रहे हैं जो अपना माल बनाने या बनवाने के दौरान मजदूरों से जबरन काम करवाती हैं. हालांकि वैश्विक स्तर पर इस सख्ती का निशाना चीन में बना माल है लेकिन असल में कई देश इन कार्रवाइयों की जद में आ रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार में श्रमिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए अमेरिका में नियम लगभग 100 वर्षों से टैरिफ अधिनियम, 1930 के तहत मौजूद हैं. हालांकि यह अधिनियम अधिकतर समय निष्क्रिय रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में इसे लागू करने में काफी सख्ती दिखाई गई है. इसके तहत आयात किए गए सामान को रोकने या लौटाने जैसी कार्रवाई की जा रही है. यह कार्रवाई मुख्य रूप से "विदहेल्ड रिलीज ऑर्डर्स" के जरिए हुई है, जो अमेरिका के सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सीबीपी) विभाग को ऐसे माल को रोकने की अनुमति देती है, जिसके बंधुआ मजदूरों से बनवाए जाने का संदेह होता है. इसके साथ ही जून 2022 में उइगुर फोर्स्ड लेबर प्रिवेंशन एक्ट (यूएफएलपीए) के पारित होने से भी नियमों को और लागू करने को मजबूती मिली है.

यूएफएलपीए अमेरिका में चीन के शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में पूरी तरह या आंशिक रूप से खनन, उत्पादित या निर्मित किए गए किसी भी कपड़े, सामान और माल के आयात पर प्रतिबंध लगाता है, या कुछ खास कंपनियों द्वारा बनाए गए सामान पर रोक लगाता है.

दुनिया भर के अन्य देशों ने भी व्यापार में श्रमिक अधिकारों को लागू करने के लिए या तो अपने खुद के नियम पारित किए हैं या जबरन श्रम के उपयोग पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने वाले न्यायिक फैसले जारी किए हैं.

अमेरिका में बंधुआ मजदूरी पर कार्रवाई

2022 के बाद से, सीबीपी ने 9,000 से अधिक मामलों में आयातित माल की समीक्षा की है, जिसका कुल मूल्य 3.5 अरब डॉलर से अधिक है. इनमें कपड़े, ऑटोमोटिव पुर्जे, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, भवन निर्माण सामग्री और सौर पैनलों जैसे उत्पाद शामिल हैं. इनमें से लगभग 4,000 मामलों में माल को अमेरिका में प्रवेश से मना कर दिया गया. 2024 में अब तक अकेले यूएफएलपीए के तहत रोके गए माल का कुल मूल्य 1.63 अरब डॉलर से ज्यादा है.

सीबीपी ने सबसे अधिक चीन में उत्पादित माल की शिपमेंट्स को रोका है, चाहे वह किसी देश का भी हो. आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो इस नियम के तहत जिन देशों का माल रोका गया, उनमें चीन चौथे स्थान पर है, जबकि मलेशिया 1.54 अरब डॉलर के माल के साथ सबसे ऊपर है. दूसरे नंबर पर वियतनाम है जिसका 1.01 अरब डॉलर का माल रोका गया. थाईलैंड 0.50 अरब डॉलर के मूल्य के साथ तीसरे स्थान पर है.

चीन का जो माल रोका गया, उसका कुल मूल्य केवल 0.39 अरब डॉलर है. इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि यूएलएफपीए भले ही चीन में जबरन श्रम के खिलाफ बनाया गया है लेकिन अन्य देशों का माल भी, अगर चीन में जबरन श्रम से बने होने का संदेह है तो उसे भी रोका जा रहा है. चीन के शिनजियांग क्षेत्र पर बंधुआ मजदूरी का गढ़ होने का आरोप लगाया जाता है. 

कई कंपनियां सूची में

अमेरिकी सरकार ने यूएफएलपीए इकाई सूची में कई नई कंपनियों को जोड़ा है. इस सूची उन संस्थाओं को जोड़ा जाता है, जिन्हें अमेरिकी सरकार ने जबरन श्रम के इस्तेमाल के संदेह के तहत पहचाना है और जिनके माल को अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है. फिलहाल इस सूची में 73 कंपनियां शामिल हैं, जिनमें से 53 को पिछले 14 महीनों में जोड़ा गया है. ये कंपनियां कई उद्योगों में फैली हुई हैं, मसलन कृषि, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड प्रोसेसिंग, घरेलू उपकरण, नॉनफेरस धातु, प्लास्टिक और कपड़ा आदि. ये संस्थाएं शिनजियांग और अन्य प्रांतों में स्थित हैं. यह सूची उन व्यापारियों के लिए बनाई गई है, जो चीन से व्यापार करते हैं, ताकि उन्हें पता रहे कि वे जिस कंपनी के साथ साझेदारी कर रहे हैं, उसके माल उत्पादन की प्रक्रिया में जबरन श्रम का इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है.

इसके अलावा 2022 से अमेरिका ने उन उद्योग क्षेत्रों को भी चिह्नित किया है, जिनमें जबरन श्रम की संभावना सबसे ज्यादा होती है. इनमें कपड़ा, कपास और कपास उत्पाद, सिलिका-आधारित उत्पाद जिनमें पॉलीसिलिकॉन शामिल है, टमाटर और संबंधित उत्पादों को सबसे अधिक खतरे वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है. 2024 में कुछ नए क्षेत्रों को भी इनमें जोड़ा गया है, जिनमें एल्यूमिनियम, पॉलीविनाइल क्लोराइड और समुद्री भोजन शामिल हैं. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि इन क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों पर अधिक सख्ती बरती जाएगी और आर्थिक प्रतिबंध, वीजा प्रतिबंध और निर्यात नियंत्रण जैसी कार्रवाइयां की जा सकती हैं.

वैश्विक स्तर पर कार्रवाई

दुनिया के कई देशों ने जबरन श्रम के खिलाफ अमेरिकी कदमों की नकल की है. मई 2023 में, मेक्सिको ने जबरन श्रम से बने उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पारित किया. हालांकि इसका अमल कितना सफल रहा है, इस पर कोई सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़े नहीं हैं. मई 2023 में, कनाडा ने "फोर्स्ड लेबर एंड चाइल्ड लेबर इन सप्लाई चेन्स एक्ट" पारित किया, जो कंपनियों को उनकी सप्लाई चेन में जबरन श्रम पर रिपोर्ट करने के लिए बाध्य करता है.

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कनाडा ने भी संशोधित सीमा शुल्क टैरिफ के जरिए जबरन श्रम द्वारा निर्मित आयातित वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऑस्ट्रेलिया ने 2022 में जबरन श्रम के उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल की पुष्टि की और अपने आधुनिक दासता अधिनियम के तहत कार्रवाई को बढ़ाया है. ब्रिटेन ने इसी साल जून में यह निर्धारित किया कि चीन में निर्मित कपास के कपड़े जबरन श्रम से बने हैं, और यह गैरकानूनी है. जर्मनी और नॉर्वे ने भी जबरन श्रम के खिलाफ अपने कानून पारित किए हैं.

करोड़ों बंधुआ मजदूर

2024 में भी बंधुआ मजदूरी एक बड़ी वैश्विक समस्या बनी हुई है. एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में लगभग पांच करोड़ लोग किसी तरह की बंधुआ मजदूरी में फंसे हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़े बताते हैं कि 2.76 करोड़ लोग विभिन्न प्रकार की बंधुआ मजदूरी में फंसे हुए हैं. इनमें 1.73 करोड़ लोग निजी अर्थव्यवस्था में शोषित होते हैं, 63 लाख लोग व्यापारिक गतिविधियों के दौरान यौन शोषण के शिकार होते हैं, और 39 लाख लोग राज्य द्वारा थोपी गई मजदूरी का सामना कर रहे हैं. महिलाओं और लड़कियों का हिस्सा 39.4 फीसदी है, जबकि बच्चों का हिस्सा 12 प्रतिशत है. इनमें बड़ी संख्या में लोग व्यापारिक यौन शोषण में फंसे हुए हैं.

बंधुआ मजदूरी का आर्थिक प्रभाव चौंकाने वाला है. बंधुआ मजदूरी से सालाना 236 अरब डॉलर की अवैध कमाई होती है, जो 2014 की तुलना में 37 फीसदी ज्यादा है. एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक पीड़ित हैं, जबकि अरब देशों में बंधुआ मजदूरी का प्रचलन सबसे अधिक है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का कहना है कि प्रवासी श्रमिकों को विशेष रूप से अधिक जोखिम होता है, जिनके बंधुआ मजदूरी में फंसने की संभावना तीन गुना अधिक होती है.

विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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