सर्वे: हिंदू-मुस्लिम के बीच सोशल मीडिया भड़का रहा आग
७ दिसम्बर २०२१
बड़ी संख्या में भारतीय मानते हैं कि देश में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच बढ़ती खाई के लिए सोशल मीडिया जिम्मेदार है.
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5 दिसंबर को 1942 लोगों पर किए एक सर्वेक्षण में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. सर्वेक्षण में शामिल आधे उत्तरदाताओं के करीब, 48.2 प्रतिशत ने महसूस किया कि सोशल मीडिया ने समुदायों के बीच की खाई को काफी हद तक बढ़ा दिया है. लगभग 23 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि सोशल मीडिया ने कुछ हद तक खाई को बढ़ा दिया है. वास्तव में 71 प्रतिशत से अधिक भारतीय सोशल मीडिया को दोनों समुदायों के बीच हाल के संघर्ष के लिए जिम्मेदार मानते हैं.
इसके विपरीत 28.6 प्रतिशत की राय थी कि इस घटना में सोशल मीडिया की कोई भूमिका नहीं है. अगर आप राजनीतिक विभाजन को देखें, तो एनडीए के 40.7 प्रतिशत मतदाताओं ने सोशल मीडिया को काफी हद तक जिम्मेदार माना, जबकि 53.6 प्रतिशत विपक्षी मतदाताओं ने ऐसा ही महसूस किया.
भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म गलत सूचना, फर्जी खबरें, अपमानजनक और मानहानिकारक सामग्री फैलाने और हिंसा को सीधे भड़काने में उनकी कथित भूमिका के लिए देर से जांच के दायरे में आ गए हैं. तनाव और हिंसा की आशंका वाले क्षेत्रों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तक पहुंच पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाना राज्य और स्थानीय स्तर के प्रशासन के लिए नियमित हो गया है.
एक संसदीय समिति ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए सिफारिशों का एक सेट प्रस्तुत किया है. एक प्रमुख सिफारिश उन्हें प्रकाशकों के रूप में मानने की है जबकि दूसरी उनकी गतिविधियों को विनियमित करने के लिए भारतीय प्रेस परिषद की तर्ज पर एक नियामक निकाय बनाने की है.
स्टैटिस्टा के मुताबिक भारत में दो करोड़ 20 लाख से ज्यादा ट्विटर यूजर्स हैं. भारत की आधी से ज्यादा आबादी तक इंटरनेट की पहुंच है और 30 करोड़ लोग फेसबुक इस्तेमाल करते हैं. 20 करोड़ से ज्यादा लोग वॉट्सऐप इस्तेमाल करते हैं, जो किसी भी अन्य देश से ज्यादा है. कई अन्य देशों की तरह भारत ने भी हाल ही में फर्जी खबरों को रोकने और सरकार की आलोचना करने वाली सामग्री पर नियंत्रण करने के लिए नए कानून लागू किए हैं.
एए/सीके (आईएएनएस)
अखबार, टीवी या इंटरनेट: कौन है खबरों की दुनिया का बादशाह
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में भारत में समाचारों की खपत को लेकर दिलचस्प नतीजे सामने आए हैं. आइए देखते हैं भारत में लोग किस माध्यम से खबरें देखना ज्यादा पसंद करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/P. Kumar
खबरों पर भरोसा कम
संस्थान ने पाया कि भारत में सिर्फ 38 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. यह अंतरराष्ट्रीय स्तर से नीचे है. पूरी दुनिया में 44 प्रतिशत लोग खबरों पर भरोसा करते हैं. फिनलैंड में खबरों पर भरोसा करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है (65 प्रतिशत) और अमेरिका में सबसे कम (29 प्रतिशत). भारत में लोग टीवी के मुकाबले अखबारों पर ज्यादा भरोसा करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Pan
खोज कर खबरें देखना
45 प्रतिशत लोगों को परोसी गई खबरों के मुकाबले खुद खोज कर पढ़ी गई खबरों पर ज्यादा भरोसा है. सोशल मीडिया से आई खबरों पर सिर्फ 32 प्रतिशत लोगों को भरोसा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
इंटरनेट पसंदीदा माध्यम
82 प्रतिशत लोग खबरें इंटरनेट पर देखते हैं, चाहे मीडिया वेबसाइटों पर देखें या सोशल मीडिया पर. इसके बाद नंबर आता है टीवी का (59 प्रतिशत) और फिर अखबारों का (50 प्रतिशत).
तस्वीर: DW/P. Samanta
स्मार्टफोन सबसे आगे
खबरें ऑनलाइन देखने वाले लोगों में से 73 प्रतिशत स्मार्टफोन पर देखते हैं. 37 प्रतिशत लोग खबरें कंप्यूटर पर देखते हैं और सिर्फ 14 प्रतिशत टैबलेट पर.
तस्वीर: Reuters/A. Abidi
व्हॉट्सऐप, यूट्यूब की लोकप्रियता
इंटरनेट पर खबरें देखने वालों में से 53 प्रतिशत लोग व्हॉट्सऐप पर देखते हैं. इतने ही लोग यूट्यूब पर भी देखते हैं. इसके बाद नंबर आता है फेसबुक (43 प्रतिशत), इंस्टाग्राम (27 प्रतिशत), ट्विटर (19 प्रतिशत) और टेलीग्राम (18 प्रतिशत) का.
तस्वीर: Javed Sultan/AA/picture alliance
साझा भी करते हैं खबरें
48 प्रतिशत लोग इंटरनेट पर पढ़ी जाने वाली खबरों को सोशल मीडिया, मैसेज या ईमेल के जरिए दूसरों से साझा भी करते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
सीमित सर्वेक्षण
यह ध्यान देने की जरूरत है कि ये तस्वीर मुख्य रूप से अंग्रेजी बोलने वाले और इंटरनेट पर खबरें पढ़ने वाले लोगों की है. सर्वेक्षण सामान्य रूप से ज्यादा समृद्ध युवाओं के बीच किया गया था, जिनके बीच शिक्षा का स्तर भी सामान्य से ऊंचा है. इनमें से अधिकतर शहरों में रहते हैं. इसका मतलब इसमें हिंदी और स्थानीय भाषाओं बोलने वालों और ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की जानकारी नहीं है.