सोशल मीडिया पर बजट पर बंटी राय
१ फ़रवरी २०२०वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नए दशक के पहले आम बजट 2020-21 को पेश करने के लिए संसद भवन में हल्दी जैसे पीले रंग की साड़ी में पहुंचीं. पीला रंग सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. बसंत पंचमी के ठीक बाद यह बजट पेश किया गया. वित्तमंत्री अपने साथ चटख लाल रंग के बस्ते में बजट दस्तावेज लिए हुए थीं. जो कुछ पुराने हिसाब किताब में उपयोग होने वाले बही खाते जैसा था.
संसद के पटल पर वित्त मंत्री ने आम बजट पेश करते हुए आने वाले साल का रोड मैप पेश किया. पौने तीन घंटे चले बजट भाषण में सरकार ने सभी वर्गों को शामिल करने की कोशिश की. सोशल मीडिया में हैशटैग बजट 2020 ट्रैंड कर रहा है. जिसके जरिए यूजर अपनी राय रख रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीटर के जरिए वित्त मंत्री सीतारमण और उनकी टीम को दशक का पहला सफल बजट पेश करने पर बधाई दी. मोदी ने रिफॉर्म के बार में बात की. कृषि, कपड़ा, इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीक को रोजगार के चार प्रमुख माध्यम करार दिया. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने कहा, "बजट में मुझे रोजगार पर कुछ नहीं दिखा. सरकार ने कंक्रीट रोजगारी पर बात नहीं की. एक ही बात को बार बार दोहराया जा रहा था."
वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "इंफ्रास्ट्रक्चर और सड़कों के जरिए भारत का हर क्षेत्र एक दूसरे के साथ जुड़ेगा. जो रोजगार के नए अवसर देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है."
बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या कहते हैं कि कौशल और शिक्षा में धन आवंटित करने से युवाओं का आज और कल दोनों मजबूत होगा. वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार से सवाल किया कि बजट में नए स्मार्ट सिटी की घोषणा की गई लेकिन पूराने स्मार्ट शहरों को क्या हुआ.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा, "आकांक्षी भारत, सभी के लिए आर्थिक विकास और सभी का ख्याल रखने वाले समाज के स्तंभ पर खड़े इस जनपक्षीय बजट के लिये वित्तमंत्री को हार्दिक बधाई." वहीं जानकारों और कारोबारियों की इसे लेकर अलग-अलग राय देखने को मिली. बायोकॉम की डॉयरेक्टर किरन मजूमदार शॉ कहती हैं, "बजट पर मेरी पहली प्रतिक्रिया संतोषजनक थी लेकिन अब बजट को पढ़ने के बाद आर्थिक पुनरुत्थान के बारे में कम आशावादी हूं. डीडीटी से छूटों को हटाने से करदाताओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा. जिससे उपभोक्ता कम खर्च करेगा. सरकार ने निर्यात में प्रोत्साहन क्यों दिया?"
वहीं दिल्ली के व्यवसायी संगठन "कैट" के प्रमुख प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि सरकार की योजनाएं अगर तय सीमा में शुरू कर दी जाएं तभी देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकती है.
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