नोबेल पुरस्कार विजेता:सोशल मीडिया प्रेस की आजादी के लिए खतरा
९ मई २०२२फिलीपींस के समाचार संगठन 'रैपलर' की सीईओ मारिया रेसा का कहना है कि जहां सोशल मीडिया ने प्रगति की है, वहीं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने भी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि फर्जी खबरों और नकारात्मक प्रचार के कारण कई लोग और संस्थान प्रभावित हो रहे हैं. साथ ही पत्रकारों के लिए स्थिति नाटकीय रूप से "निराशाजनक" है.
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के साथ एक इंटरव्यू में रेसा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मीडियाकर्मियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. उन्होंने कहा कि इस स्थिति का एक कारण यह भी था कि सूचना प्रसारित करने के साधन नाटकीय रूप से बदल गए हैं.
58 वर्षीय रेसा ने कहा कि सोशल मीडिया ने झूठी खबरें फैलाना आसान बना दिया है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने प्रोपेगेंडा फैलाना आसान कर दिया है, इसके जरिए तथ्यों से इनकार किया जा सकता है और ऐतिहासिक संदर्भों को बिगाड़ा जा सकता है.
मारिया रेसा और उनके मीडिया संगठन को राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते की सरकार के कामों की आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए कई बार निशाना बनाया जा चुका है. वह गलत जानकारियों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का भी एक अहम हिस्सा हैं.
रेसा ने कहा कि फिलीपींस का उदाहरण लें, जहां सोमवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इस चुनाव में फर्डिनांड मार्कोस जूनियर की जीत निश्चित है.
रेसा कहती हैं फर्डिनांड के पिता एक तानाशाह थे और अपने मानवाधिकारों के हनन और भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते थे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सोशल मीडिया पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया और नायकों के रूप में चित्रित किया गया, उससे जनता की राय में बहुत फर्क पड़ा है और अगर वे जीतते हैं तो यह सोशल मीडिया के प्रचार के कारण होगा.
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वे कहती हैं ऐसी स्थिति में ऐसी फर्जी खबरों को बेनकाब करने की जिम्मेदारी पत्रकारों की होती है. रेसा के मुताबिक, ''पत्रकारिता का महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है.''
रेसा यूक्रेन युद्ध का भी उदाहरण देती हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद यह प्रोपेगेंडा तेज हो गया कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है क्योंकि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रही है.
रेसा जोर देकर कहती हैं कि ऐसी अनिश्चितताओं में प्रामाणिक समाचारों तक पहुंच महत्वपूर्ण है. वे कहती हैं, "मुझे लगता है कि ये ऐसे क्षण हैं जब पत्रकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है और वे जो कुछ भी करते हैं वह महत्वपूर्ण हो जाता है."
एए/सीके (एपी)