1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सौर ऊर्जा वाले कोल्डस्टोरेज ने बढ़ाई किसानों की कमाई

२ दिसम्बर २०२२

भारत के छोटे किसान अपनी फसलों की बड़ी बर्बादी झेलते हैं. सौर ऊर्जा से चलने वाले छोटे कोल्ड स्टोरेज उनके लिए बड़े मददगार साबित हो रहे हैं. उनका नुकसान घटने और कमाई बढ़ने के साथ ही पर्यावरण को भी इसका फायदा मिल रहा है.

सोलर कोल्ड स्टोरेज से किसानों का फायदा
सोलर ऊजा से बदल रहा है छोटे किसानों का जीवनतस्वीर: Marinder Manu/AFP

भारत की किसान लालमुआनकिमी बावितलुंग के लिए हर साल संतरे की अपनी सालाना फसल को बेचना गर्मी से एक लड़ाई के रूप में सामने आता है. 38 साल के बावितलुंग के पास पूर्वोत्तर भारत में एक छोटा सा खेत है. पिछले साल उन्हें संतरे की अपनी कुल उपज का एक तिहाई यानी करीब 350 किलो फेंक देना पड़ा क्योंकि वह बिकने से पहले ही जरूरत से ज्यादा पक या सड़ गया.

 मिजोरम के ख्वांजर गांव में रहने वालीं बावितलुंग ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, "मैं हमेशा जल्दी से अपने संतरे बेचने की ताक में रहती हूं चाहे जो कीमत मिले ताकि इस नुकसान को रोक सकूं...बढ़ती गर्मी बुरा हाल कर रही है."

सौर उर्जा से चलने वाला कोल्ड स्टोरेज

बावितलुंग की मुश्किलें जनवरी में कुछ आसान हो गईं जब राज्य सरकार ने सौर उर्जा से चलने वाला 10 टन का कोल्ड स्टोरेज पास के गांव ख्वारजॉल में लगवा दिया. इसमें उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है. यह कोल्ड स्टोरेज आईस बैटरी टेक्नोलॉजी या थर्मल एनर्जी स्टोरेज का इस्तेमाल करती है. इसमें पानी को सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से छह घंटे के भीतर बर्फ में बदला जाता है.  

मिजोरम साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन काउंसिल इसके लिए कोल्ड चेन कंपनी इंफिकोल्ड के साथ काम कर रही है. एक कोल्ड स्टोरेज लगाने का खर्च करीब 22 लाख रुपये है. इसमें बावित्लुंग जैसे 235 किसानों की उपज रखी जाती है.

दूरदराज के इलाकों को सौरऊर्जा से काफी फायदा हो रहा हैतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

नुकसान घटा, कमाई बढ़ी

इसकी मदद से बावित्लुंग अब फरवरी की अपनी पिछली फसल का बाकी बचा हिस्सा सुरक्षित रख सकी हैं. मौसम बीत जाने पर अगस्त में जब वह अपने संतरे बेचने गईं तो वे 250 रुपये किलो बिके जो उन्हें आमतौर पर मिलने वाली कीमत के करीब पांच गुना ज्यादा है. बावित्लुंग ने कहा, "कई घंटों की कमरतोड़ मेहनत के बाद अब मैं आराम से बैठकर अपने खेतों और मेहनत के फल का मजा ले सकती हूं क्योंकि अब शायद ही कोई नुकसान है जिसकी मुझे चिंता करनी है."

2020 के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में 8,200 कोल्ड स्टोरेज हैं लेकिन ये सभी सौर ऊर्जा की बजाय बिजली से चलते हैं. इन कोल्ड स्टोरेज में ऊर्जा का खर्च ज्यादा है जो छोटे किसानों के लिए उठा पाना मुश्किल है. इसके साथ ही बिजली जाने की स्थिति में ये बेकार हो जाते हैं इसलिए जेनरेटर का भी इंतजाम करना पड़ता है जो ज्यादा महंगा और प्रदूषण फैलाने वाला है. इसका हल निकालने के लिए कई कंपनियां, नागरिक समूह और सरकारी मदद के दम पर इस तरह के कोल्ड स्टोरेज बना रहे हैं जो टिकाऊ होने के साथ ही किफायती भी हैं.

उत्तर प्रदेश के गांव के औरतों की सोलर चरखे ने बदल दी जिंदगी

पर्यावरण को फायदा

पिछले दशक में सरकार ने देश भर में कोल्ड चेन सिस्टम लगाने की योजना बनाई है और इसके लिए सब्सिडी भी दी जा रही है ताकि भोजन की बर्बादी को रोका जा सके. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत में पैदा होने वाली उपज का करीब 40 फीसदी बर्बाद हो जाता है जिसकी कीमत हर साल अरबों डॉलर है. यह सिर्फ आर्थिक मसला नहीं है. दुनिया भर में ग्रीन हाउस गैसों का 8 फीसदी हिस्सा इसी भोजन की बर्बादी से पैदा होता है. 

भारत बाढ़ और सूखे के रूप में मौसम के बहुत ज्यादा तीखे तेवरों का सामना कर रहा है. इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ रहा है और किसानों की फसल और बर्बादी को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं. इन परिस्थितियों में बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो बिजली की सप्लाई से नहीं जुड़े हैं और उन्हें इसके लिए डीजल पर निर्भर होना पड़ता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के सौर ऊर्जा वाले कोल्ड स्टोरेज ना सिर्फ किसानों की आय बढ़ाएंगे बल्कि कृषि क्षेत्र को सचमुच हरित बनाने में भी मददगार होंगे. क्लीन एनर्जी एक्सेस नेटवर्क की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रेखा कृष्णन का कहना है, "सौर ऊर्जा वाले कोल्ड स्टोरेज हब बिना कार्बन फुटप्रिंट बढ़ाए पर्यावरण और सामाजिक आर्थिक चुनौतियों का ख्याल रख सकते हैं."

हालांकि अभी भी ढुलाई की समस्या और इन पर आने वाले खर्च की चुनौतियां हैं जिसकी चेतावनी विशेषज्ञ दे रहे हैं.

गांव गांव पहुंच रहे हैं सोलर मैन

04:39

This browser does not support the video element.

 खर्च घटाने की कोशिश

इंफिकोल्ड के सह संस्थापक और सीईओ नितिन गोयल को उम्मीद है कि ज्यादा कोल्ड स्टोरेज बनने के साथ अगले पांच सालों में कंपनी कोल्ड स्टोरेज की कीमत 50 प्रतिशत तक कम करने में सफल होगी. पांच टन की क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज पर करीब 14 लाख रुपये का खर्च आता है. फिलहाल

कंपनी भारत के 19 राज्यों में 116 कोल्ड स्टोरेज चला रही है. इससे करीब 25,000 किसानों को फायदा मिला है. अगले साल तक इनकी संख्या दोगुनी करने की योजना है.

एनआर/वीके (रॉयटर्स)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें