सौर ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे विश्वव्यापी अपार निवेश को देखते हुए नौकरियों के बड़े अवसर खुल गए हैं. जानकारों का मानना है कि इससे लाखों कामगारों को ही नहीं बल्कि पर्यावरण का भी लाभ होगा, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं.
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फाबियान रोखास कहते हैं, "मुझे अपना जॉब वाकई अच्छा लगता है. मैं रोमांचित हूं और बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है.” 26 साल के अर्जेंटीनी इंजीनियर, फाबियान पश्चिमी जर्मनी के कोलोन शहर में एक छोटी कंपनी में पिछले अक्टूबर से काम कर रहे हैं. यह कंपनी छतों पर सौर पैनल लगाती है.
खुद बिजली बनाने का रोमांच
2008 से सौर पैनल बेच रही कंपनी के सीईओ रेने हेगेल ने रोखास को नौकरी पर रखा था. उस समय वो जर्मनी घूमने आए थे. इस तरह कंपनी इलाके में तेजी से बढ़ रही मांग का कुछ हिस्सा पूरा करने में सक्षम हो पा रही है.
रोखास ने डीडब्ल्यू को बताया, "हमारे पास बहुत सारी इन्क्वायरी आयी हुई हैं. मैं एक हफ्ते में कम से कम छह ऑफर सामने रखता हूं. हमारे पास अगले चार से पांच महीनों के लिए पहले से ही ऑर्डर पड़े हैं. ग्राहक अपनी बिजली खुद पैदा करना चाहते हैं, अपनी इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करना चाहते हैं और ग्रिड की खपत को कम करना चाहते हैं. जलवायु बचाने में ये सब काम ही आता है.”
तस्वीरों मेंः अब ऐसे बनेंगे हवाई जहाज
अब ऐसे हवाई जहाज बनेंगे
भविष्य में ऐसे विमानों की जरूरत होगी जिनमें ईंधन की खपत कम से कम हो. इसलिए विशेषज्ञ ऐसे हवाई जहाजों के डिजाइन तैयार करने पर काम कर रहे हैं.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
डिजाइन है अहम
विशेषज्ञों का कहना है कि विमान का सही डिजाइन ईंधन की कम खपत में मददगार साबित हो सकता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए जर्मन एयरोस्पेस सेंटर डीएलआर ने "ब्लैंडिड विंग बॉडी" डिजाइन बनाया है. इसमें विमान के कैबिन और पंखों को जोड़ दिया गया है.
तस्वीर: DLR
साफ स्वच्छ उड़ान
दुनिया भर में कार्बन डाई ऑक्साइड का तीन प्रतिशत उत्सर्जन विमानों के आवागमन से होता है. यूरोपीय आयोग ने 2050 तक इसमें एक तिहाई की कमी करने की मांग की है. इस तस्वीर में बिजली से उड़ने वाले एक विमान के डिजाइन की कल्पना की गई जो जहरीली गैस के उत्सर्जन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
ताकतवर इलेक्ट्रिक इंजन
इलेक्ट्रिक विमानों को जमीन से आसमान में ताकतवर इंजनों की मदद से ही पहुंचाया जा सकता है. इन इंजनों में केबल और वायरिंग बिजली मुहैया कराने में किसी किस्म की रुकावट पैदा नहीं करेगी. लेकिन इसके लिए बैटरियों का वजन आज के मुकाबले कम करना होगा.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
जेट इंजन नहीं, बड़े प्रोपेलर
आधुनिक शक्तिशाली इंजनों के मुकाबले घूमने वाले ओपन रोटर्स ज्यादा असरदार साबित होंगे. ये एक टरबाइन या प्रोपेलर की तरह काम करते हैं. प्रयोगों से साबित होता है कि इस तरह ईंधन की और 20 फीसदी तक बचत हो सकती है. ये रोटर्स व्यास में पांच मीटर तक हो सकते हैं.
तस्वीर: DLR
कम खर्च लेकिन शोर बहुत
बेहतर होगा कि इन खुले हुए टोटर्स को विमान के पीछे वाले हिस्से में लगाया जाए. ईंधन की बचत के साथ ऐसे विमानों में सफर करना आजकल के मुकाबले कुछ धीमा होगा. यानी जिस सफर में अभी दो घंटे लगते हैं, उसके लिए इस विमान में आपको सवा दो घंटे लगाने होंगे. लेकिन इन खुले रोटर्स का नुकसान ये है कि इसमें शोर बहुत होगा.
तस्वीर: DLR
सूरज की रोशनी से उड़ान
यह है सौर ऊर्जा से उड़ने वाले सोलर इंपल्स विमान. दुनिया का चक्कर लगाने वाले इस विमान से भी भविष्य की झलक मिलती है. लेकिन अभी तो यह एक घंटे में सिर्फ 70 किलोमीटर उड़ता है और भारी वजन भी साथ नहीं ले जा सकता है.
तस्वीर: Reuters
बंद होने वाले विंग्स
पतले और लंबे पंख एयरोडाइनामिक्स के लिए बहुत अच्छे होते हैं. इस तरह भी ईंधन की बचत हो सकती है. सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान के पंख 63 मीटर लंबे हैं. हालांकि ऐसे हवाई जहाज हर हवाई अड्डे पर नहीं उतर सकते. बंद होने वाले पंख बना कर इस समस्या को हल किया जा सकता है.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
दो मंजिला हवाई जहाज
"बॉक्स विंग" नाम के इस विमान के पिछले हिस्सों मे बड़े बड़े पंखे या प्रोपेलर लगे हैं और इसके पंख बेहद पतले हैं. इस डबल डेकर या कहिए दो मंजिला हवाई जहाज का डिजाइन एक तीर की तरह है. इससे ईंधन की बचत भी होती है और ये तेज रफ्तार उड़ान भी भर सकता है. इसके पंख छोटे हैं ताकि यह आम हवाई अड्डों पर भी उतर सके.
तस्वीर: Bauhaus-Luftfahrt e.V.
यूरोप से ऑस्ट्रेलिया 90 मिनट में
व्यस्त लोगों के पास समय की बहुत कमी होती और उनकी प्राथमिकताएं भी अलग होती हैं. डीएलआर का ये स्पेसलाइन रॉकेट इंजनों वाला यात्री विमान है. आप इसमें 2050 के बाद ही सफर कर पाएंगे. लेकिन इससे यूरोप से ऑस्ट्रेलिया सिर्फ 90 मिनट यानी डेढ़ घंटे में पहुंचा जा सकेगा. अभी यह दूरी 20 घंटे से ऊपर है.
तस्वीर: DLR
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रोखास ग्राहकों से बात करते हैं, सौर पैनलों को उनकी जरूरत के हिसाब से बनाते हैं. कभी-कभार वह छतों पर उन्हें लगाने में भी मदद करते हैं. हेगेल के मुताबिक, "फाबियान तेजी से सीख रहे हैं. अगले कुछ महीनों में उन्हें कुछ और व्यवहारिक अनुभव हासिल हो पाएगा. और तब चीजें और बेहतर हो जाएंगी.”
जर्मन सौर इंडस्ट्रीः मदद चाहिए
सौर ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए हेगेल को अपनी चार सदस्यों वाली टीम का विस्तार करना है. यह मांग 2000 के शुरुआती दिनों में जिस तेजी के साथ उभर कर आयी थी, वही स्थिति अब लौट आई है. जर्मनी में पांच गीगावाट वाले सौर ऊर्जा सिस्टम 2020 में लगाए गए थे. ऊर्जा क्षमता और बढ़ने की उम्मीद है. अध्ययन बताते हैं कि इस शताब्दी में वैश्विक तापमान को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक रखने के लिए सौर ऊर्जा में छह गुना विस्तार करना होगा, यानी हर साल 30 गीगावाट.
म्युनिख की बेवा आर.ई. कंपनी में सीओओ ग्युंटर हॉग कहते हैं कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सोलर इंडस्ट्री में ज्यादा लोग चाहिए. तेजी से बढ़ती ये कंपनी दुनिया भर में विशाल सोलर और विंड फार्म बना रही है. 2017 में कंपनी में 1100 कर्मचारी थे, आज 2700 हैं.
हॉग कहते हैं, "हमें इंजीनियरों, वित्त विशेषज्ञों, प्रोजेक्ट डेवलेपमेंट के लिए योग्य कर्मचारियों और कस्टमर सर्विस के लिए टेक्निकल ट्रेनिंग वाले लोगों की ज़रूरत है.” कर्मचारियों की तलाश और उन्हें नौकरी पर रखने के लिए हॉग कहते हैं कि "कंपनी अच्छा-खासा निवेश करने को तैयार है और अभ्यर्थियों को खुद ही ट्रेनिंग देने की भी इच्छुक है क्योंकि इस फील्ड में कुशल कारीगर नाकाफी हैं.”
देखिएः बेहतर दुनिया बनाने के 10 काम
इन 10 कामों से बेहतर होगी दुनिया
जलवायु में परिवर्तन की चेतावनियां हम लगातार सुनते रहते हैं. दुनिया के नेता ना नुकुर कर रहे हैं लेकिन बहुत से काम हैं जो हम खुद शुरू करके धरती के बढ़ते तापमान को कम कर सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Grubitzsch
बल्ब बदलिए
आप लैम्प तो अच्छा वाला ले आये हैं लेकिन इसमें बल्ब कौन सा है. अगर सामान्य टंगस्टन वाला बल्ब है तो इसे तुरंत एलईडी से बदल डालिए. ईमानदारी से कहें तो ये कोई बड़ा कदम नहीं लेकिन इस छोटे से कदम का असर बड़ा है. एलईडी बल्ब 90 फीसदी तक बिजली बचाते हैं.
तस्वीर: DW/Gero Rueter
कपड़े धूप में सुखाइए
वर्षा वाले और ठंडे देशों में यह थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन फिर भी पर्यावरण में बदलाव के कारण होने वाली मुश्किलों की तुलना में इनकी क्या बिसात. मशीनों से कपड़े सुखाने की तुलना में यही फायदेमंद है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Hussein Malla
रिसाइक्लिंग
दुनिया में हजारों लोगों ने रिसाइक्लिंग को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल किया है. रिसाइकिल की गयी चीजों का इस्तेमाल इस जहां को बेहतर बनाने में बहुत कारगर है. पर अफसोस सिर्फ इतने से ही नहीं होगा.
तस्वीर: Fotolia/TrudiDesign
कपड़े ठंडे पानी से धोएं
गर्म पानी से कपड़ों के सिकुड़ने का डर रहता है लेकिन इसके अलावा एक और वजह है ठंडे पानी से कपड़े धोने की. वाटर हीटर का इस्तेमाल तो कम होगा ही, साथ ही ठंडे पानी से कपड़ों की धुलाई में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है.
तस्वीर: Fotolia/Kzenon
हाइब्रिड कार चलाएं
अगर आप अपनी कार पूरी तरह से छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं तो हाइब्रिड कार की सवारी कीजिए. हालांकि ध्यान रखिएगा कि इन कारों को चलाने वाली बिजली मुमकिन है कि जीवाश्म ईेंधन से ही आ रही हो.
तस्वीर: picture-alliance/Photoagency Interpress
शाकाहारी बन जाइए
बीफ का उत्पादन दुनिया भर से जंगलों के घटने के पीछे एक बड़ा कारण है. खासतौर से इन पशुओँ के चारे के लिए. मांस वाले भोजन का कार्बन फुटप्रिंट भी शाकाहरी खाने की तुलना में करीब दुगुना होता है. अगर आप मांस खाना कम कर दें तो भी असर होगा.
तस्वीर: FOX BROADCASTING/The Simpsons
हरित ऊर्जा का उपयोग
दोबारा इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा का चलना नया है लेकिन अब भी हम ज्यादातर कोयले जैसी जीवाश्म ईंधनों पर ही निर्भर हैं. जर्मनी में आप अपने लिए ऊर्जा कंपनी चुन सकते हैं और इनमें से कुछ हैं जो दोबारा इस्तेमाल होने वाले संसाधनों का उपयोग कर रही हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Jin
अटलांटिक के उस पार मत जाइए
पर्यावरण में बदलाव की एक बड़ी वजह है हवाई सफर. नीतियां बनाने वाले इस असर को कम करने के उपायों पर विचार कर रहे हैं लेकिन तब तक हम अपनी ओर से इतना कर सकते हैं कि फ्लाइट लेने से पहले एक बार दोबारा सोच लें. खासतौर से अगर सफर समंदर पार का हो.
तस्वीर: picture-alliance/P. Mayall
कार छोड़िए साइकिल चलाइए
कार छोड़ना पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में आपका दूसरा सबसे बड़ा कदम है. साइकिल की सवारी प्रकृति के साथ ही आपको भी तंदुरुस्त रखेगी. नीदरलैंड्स जैसे देश दुनिया के लिए अच्छी मिसाल बन सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
कम बच्चे पैदा कीजिए
जिस माहौल में हम जी रहे हैं उसमें धरती की सेहत के लिहाज से बच्चे पैदा करने से बुरा शायद और कुछ नहीं लेकिन अगर आप पीछे बताये गए बाकी 9 काम पूरे मन से कर रहे हों तो आपका बच्चा एक बेहतर दुनिया में जी सकेगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Grubitzsch
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बर्लिन में यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेस में रिन्युएबल एनर्जी के प्रोफेसर फोल्कर क्वाशनिंग कहते हैं, "जर्मनी में इस समय फोटोवोल्टेयिक्स में करीब 50 हजार नौकरियां हैं.” वह कहते हैं कि कई लोग कोरोना संकट के चलते नयी नौकरियों की तलाश कर रहे हैं हैं. क्वाशनिंग ने डीडब्ल्यू को बताया, "इसे लेकर अपनी अप्रोच में हमें और स्मार्ट होना होगा, कुशल कारीगरों की कमी पूरी करने के लिए हमें ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू करने होंगे. वरना ये ऊर्जा रूपान्तरण कामगारों की कमी की वजह से फेल हो जाएगा.”
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छह करोड़ से ज्यादा नौकरियां
इंटरनेशनल रिन्युएबल एनर्जी एजेंसी (आईरेना) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में करीब एक करोड़ 15 लाख लोग पूरी दुनिया में रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर में काम कर रहे थे. इनमें से हर तीसरा व्यक्ति सौर ऊर्जा में था.
आईरेना का मानना है कि कोरोना संकट से उबरते देशों को अर्थव्यवस्था और जॉब मार्केट की बहाली के लिए होने वाले निवेशों में नयी ऊर्जा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. आईरेना के महानिदेशक फ्रांसेस्को ला कामेरा कहते हैं, "हमारा अनुमान है कि इस फील्ड में खर्च होने वाला हर डॉलर, फॉसिल ईंधन वाले ऊर्जा सेक्टर के मुकाबले तीन गुना ज़्यादा रोजगार सृजित करता है. बहुत सारे नीति-निर्माता, इस सेक्टर की जॉब देने की सामर्थ्य को पहचानने लगे हैं.”
सौर ऊर्जा अब बिजली उत्पादन का सबसे सस्ता माध्यम है. इसीलिए शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि भविष्य में ये ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में वैश्विक जगह बना लेगी. पूरी दुनिया में इस समय करीब 850 गीगावॉट की कुल क्षमता वाले फोटोवोल्टेइक सिस्टम लगे हैं. अनुमानतः वे 190 एटमी ऊर्जा संयंत्रों जितनी बिजली पैदा करते हैं.
देखिएः सौर ऊर्जा के चैंपियन देश
सौर ऊर्जा के चैंपियन देश
भारत सौर ऊर्जा के मामले में बेहद अच्छा प्रदर्शन रहा है. देश अब टॉप-10 सोलर एनर्जी उत्पादकों में शामिल हो चुका है. देखिए किसका कितना सालाना उत्पादन है.
तस्वीर: Fotolia/adimas
10. बेल्जियम
सौर ऊर्जा उत्पादन: 3,156 मेगावॉट
तस्वीर: DW
9. ऑस्ट्रेलिया
सौर ऊर्जा उत्पादन: 4,139 मेगावॉट
तस्वीर: Infinite Energy
8. स्पेन
सौर ऊर्जा उत्पादन: 5,376 मेगावॉट
तस्वीर: ISFOC
7. फ्रांस
सौर ऊर्जा उत्पादन: 5,678 मेगावॉट
तस्वीर: Franz Metelec / Fotolia
6. भारत
सौर ऊर्जा उत्पादन: 12,870 मेगावॉट
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Cytrynowicz
5. अमेरिका
सौर ऊर्जा उत्पादन: 17,317 मेगावॉट
तस्वीर: Getty Images
4. इटली
सौर ऊर्जा उत्पादन: 18,622 मेगावॉट
तस्वीर: AP
3. जापान
सौर ऊर्जा उत्पादन: 23,409 मेगावॉट
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Chinatopix
2. चीन
सौर ऊर्जा उत्पादन: 28,330 मेगावॉट
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Chinatopix
1. जर्मनी
सौर ऊर्जा उत्पादन: 38,250 मेगावॉट
तस्वीर: BELECTRIC.com
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अध्ययनों का अनुमान ये भी है कि वैश्विक, जलवायु-निरपेक्ष ऊर्जा आपूर्ति के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कम से कम 60 हजार गीगावॉट सौर ऊर्जा की जरूरत होगी. इस लिहाज से सौर ऊर्जा इंडस्ट्री को मॉड्यूल उत्पादन और असेंबली के अलावा सिस्टम की देखरेख और मरम्मत के लिए अगले दशक में छह करोड़ से ज्यादा नौकरियां निकालनी होंगी.
उत्सुक बनिए और यहां नौकरी पाइये
कोलोन में कार्यरत इंजीनियर फाबियान रोखास, सोलर और विंड पावर के साथ साथ ऊर्जा बचाने वाली नयी प्रौद्योगिकियों से खासे प्रभावित हैं. वह नियमित रूप से इन विषयों पर अपने एक अर्जेंटीनी दोस्तों के साथ वीडियो कॉल पर बातचीत करते हैं जो अमेरिका में सोलर पावर सिस्टम लगाने जा रहा है.
रोखास कहते हैं, "सौर ऊर्जा की जरूरत पूरी दुनिया में हैं और इसीलिए इस फील्ड में काम करने वालों की दुनिया भर में मांग बढ़ी हैं.” उनके मुताबिक यूरोप के अलावा ये बात एशिया और दक्षिण अमेरिका के लिए भी उतनी ही सच है.
इस इंडस्ट्री में काम करने के इच्छुक लोगों के लिए रोखास की सलाह है- प्रोएक्टिव बनने की. कहते हैं, "खुद को शिक्षित करो, इंटर्नशिप करो. खुशकिस्मती से इंटरनेट पर भी बहुत सारी जानकारी है.” दुनिया में दूसरी जगहों में भी वह सोलर सेक्टर में बहुत से मौके देखते हैं और अपना ज्ञान और अनुभव बांटने को भी तैयार हैं: "मैं यह देखने को बेताब हूं कि हमारे दरवाजे पर अगली दस्तक कौन देगा.”