रेडीमेड घर से हाउसिंग समस्या का समाधान
१६ नवम्बर २०१७Modular construction eases housing problem
जर्मनी में किराये पर मकान लेना चाहते है?
जर्मनी में दूसरे यूरोपीय देशों की तुलना में किराये पर मकान लेने का ज्यादा चलन है. यहां करीब 48 फीसदी लोग किराये के मकान में रहते हैं. आइए देखें कि यहां किराए मकान लेने के लिए क्या करना होता है.
जर्मनी में किराये पर मकान लेना चाहते है?
जर्मनी में दूसरे यूरोपीय देशों की तुलना में किराये पर मकान लेने का ज्यादा चलन है. यहां करीब 48 फीसदी लोग किराये के मकान में रहते हैं. आइए देखें कि यहां किराए मकान लेने के लिए क्या करना होता है.
किराये के बैरक
बर्लिन में मकानों की अंतहीन कतारों में कभी बहुत भीड़ रहा करती थी. बड़े बड़े परिवार एक या दो कमरों के फ्लैट में रहते थे. हाल के वर्षों में इन्हें आल्टबाउ या पुरानी इमारतें कहा जाने लगा है. इनमें काफी बदलाव हुआ है. प्रेंसलावरबर्ग के इलाके में 1990 के शुरुआती दशक तक ये मकान खाली और जर्जर थे. लेकिन अब हर कोई पुराने मकान ही किराये पर लेना चाहता है.
प्लाटेनबाउ
जब जर्मनी दो हिस्सों में बटा था तो पूर्वी जर्मनी में लगभग सभी मकान सरकार से किराये पर लिये जाते थे. पहले से बने कंक्रीट के इन मकानों को प्लाटेनबाउ कहा जाता था और ये कम्युनिस्ट देश में हर तरफ थे. ये मकान ना सिर्फ सस्ते थे बल्कि नहीं नल, गर्म पानी की सप्लाई, बिजली कनेक्शन और दूसरी सुविधाओं की वजह से इन्हें ज्यादा आरामदायक भी माना जाता था.
बालकनी
हाल ही में आये आंकड़े बताते हैं कि जर्मनी में 52 फीसदी लोग मकान मालिक हैं जबकि 48 फीसदी लोग किराये पर रहते हैं. किराये पर रहने वाले ज्यादातर लोग अपार्टमेंट में रहते हैं और अपनी बालकनी का खूब इस्तेमाल करते हैं. कुछ लोग उसका इस्तेमाल बारबेक्यू के लिए तो कुछ लोगों ने उसमें गार्डन बना रखा है.
कोर्टयार्ड
कुछ जर्मन शहरों में खासतौर से बर्लिन में किराये के मकानों के सामने और पीछे की इमारतों के बीच में आंगन होता है जो यहां रहने वाले लोगों के लिए एक तरह से सामुदायिक जीवन का जरिया बन जाता है. आंगन में लोग एक दूसरे की जिंदगी देखते हैं और वहां साइकिल खड़ी करते हैं, कपड़े सुखाते हैं.
नंबर की जगह नाम
जर्मनी में मकानों में नीचे ही हर फ्लैट का लेटर बॉक्स होता है. फ्लैट की पहचान उसमें रहने वाले शख्स के नाम से होती है. हैम्बर्ग में एक अपार्टमेंट वाली इमारत में इंटरकॉम पर लगी हुई नामों की ये पट्टी देखिए. इस पर कोई फ्लैट नंबर नहीं है. जर्मनी में आप अगर खत भेज रहे हों तो नाम साफ साफ लिखिए केवल नंबर लिखने से खत नहीं पहुंचेगा.
फ्लैट में हिस्सेदारी
वेगे, डब्ल्यूजी या वोहनुंग्सगेमाइनशाफ्टेन के नाम से जर्मनी में एक व्यवस्था है जिसके तहत कई लोग एक ही फ्लैट में रहते हैं. खासतौर से उन इलाकों में जहां अपार्टमेंट महंगे हैं और आबादी को देखते हुए घर कम हैं. खासकर स्टूडेंट किराया बचाने के लिए फ्लैट शेयर करते हैं. बर्लिन में तो इसकी भरमार है क्योंकि यहां कम खर्चे में काम चलाने वाले कलाकार और छात्रों की भरमार है.
जाते समय रंगरोगन
फ्लैट छोड़ते समय इसकी रंगाई पुताई करना जर्मनी की एक और परंपरा है. आने वाले किरायेदार के लिए साफ सुथरी चमकती दीवारें छोड़ना कोई बुरी बात तो नहीं लेकिन इसका मतलब है कि आपको जाने से पहले कई दिन दीवारों को तैयार करने में बिताना होगा. किराये के हर करार में ऐसी बात हो ये जरूरी नहीं है लेकिन मकान जिस हाल में मिला है उसी हाल में लौटाना बहुत जरूरी है.
अपनी रसोई
कुछ जर्मन शहरों में किराये के मकान में रसोई और उसके उपकरण शामिल नहीं होते. इसका मतलब है कि मकान किराये पर लेने वाले को इसे खरीदना और रसोई में फिट करवाना होगा. इसका एक दूसरा विकल्प ये भी है कि आप पहले वाले किरायेदार की रसोई उससे खरीद लें. अगर वो रसोई साथ नहीं ले जा रहा होगा तो आपको थोड़े सस्ते में ही ये मिल जाएगी.
पुराने मकानों में छोटे बाथरूम
पुरानी इमारतों की एक दिक्कत ये है कि इनमें बाथरूम नहीं होता था क्योंकि पहले बाथरूम सामुदायिक होते थे. इसका मतलब ये है कि आज के दिनों में इन घरों में बहुत छोटे छोटे बाथरूम मिलेंगे वो भी कुछ अटपटी जगहों पर फिट किये हुए. या फिर कुछ मामलों में बड़े बड़े कमरों को ही बाथरूम में तब्दील कर दिया गया है. बर्लिन के इस प्लैट में बाथरूम किचेन की कबर्ड को बदल कर बनाया गया है.
सारे कमरे सोने के लिए नहीं
फ्लैट चुनते समय आमतौर पर आप मकान में कमरों की संख्या और वर्गमीटर में दिये गये आकार का ब्यौरा देखेंगे. कमरों की संख्या में सिर्फ बेडरूम ही नहीं बल्कि लिविंग रूम की जगह भी शामिल होती है. किचन और बाथरूम का ब्यौरा अलग से होता है. म्युनिख, फ्रैंकफर्ट और श्टुटगार्ट में मकान बहुत महंगे हैं. नये किरायेदार को अमूमन 16 यूरो प्रति वर्ग मीटर की दर से भुगतान करना होता है.