वैज्ञानिकों ने चिली में 38,000 साल पहले आए एक विनाशकारी भूकंप के बारे में पता लगाया है जिसने देश के भूगोल को बदलकर रख दिया था. चिली में कई भयानक भूकंप आ चुके हैं.
विज्ञापन
38 हजार साल पहले 9.5 की तीव्रता का एक विनाशकारी भूकंप आया, जो अपने साथ सूनामी भी लाया. नतीजतन 66 फुट तक ऊंची लहरों ने चिली के आटाकामा मरूस्थल के तट पर आक्रमण किया. ताजा अध्ययन में पृथ्वी के इतिहास की यह रोमांचक जानकारी मिली है.
चिली यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में पता चला है कि विश्व के सबसे सूखे रेगिस्तान में 38 हजार साल पहले क्या हुआ था. बुधवार 6 अप्रैल को यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है. इसके मुताबिक नजाका और दक्षिण अमेरिकी टेक्टॉनिक प्लेटों के बीच घर्षण से एक विनाशकारी भूकंप आया था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 9.5 रही होगी. भूकंप के कारण सूनामी आई जिससे 15-20 मीटर ऊंची लहरें पैदा हुईं.
सात साल चला अध्ययन
शोधकर्ताओं में से एक गेब्रिएल ईस्टन ने बताया, "उत्तरी चिली और आंतोफगास्ता इलाकों के बीच ऐसे प्राचीन समुद्र तट हैं जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से चार से सात मीटर तक है. समुद्र के जलस्तर में हुए बदलाव से इन तटों के बने होने की बात समझ नहीं आती. ये टेक्टॉनिक प्लेटों में घर्षण के कारण आए भूकंप से ही बने हैं.”
50 साल बाद फटा कैनेरी द्वीप का ज्वालामुखी
03:39
एक अन्य पुरातत्वविद डिएगो सालजार कहते हैं, "हमारा मानना है कि इस घटना ने बहुत बड़ी संख्या में जानें ली होंगी. या फिर, इसके कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए होंगे और अन्य जगहों पर जाकर बस गए होंगे.”
साइंस पत्रिका में छपा यह अध्ययन सात वर्ष में पूरा हुआ है. इसका मकसद यह समझना था कि प्राचीन काल में इस तरह की भयानक प्राकृतिक आपदाएं कितनी बार आती होंगी.
विज्ञापन
चिली के भूकंप
चिली को तथाकथि ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर' पर बसा माना जाता है. ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर' के रूप में जाना जाने वालायह इलाका भूकंप के मद्देनजर बहुत सक्रिय माना जाता है. प्रशांत महासागर के किनारे पर फैले इस क्षेत्र में अलग-अलग प्लेटें पृथ्वी की सतह के नीचे मिलती हैं और आपस में टकराती रहती हैं. इस कारण इलस इलाके में भयानक भूकंप आते रहे हैं.
अब तक के सबसे विनाशकारी भूकंप
भूकंप, सबसे जानलेवा प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं. पृथ्वी के भीतर होने वाली ये शक्तिशाली भूगर्भीय हलचल अब तक करोड़ों लोगों की जान ले चुकी है. एक नजर, अब तक के सबसे जानलेवा भूकंपों पर.
तस्वीर: Reuters
शांशी, 1556
चीन के शांशी प्रांत में 1556 में आए भूकंप को मानव इतिहास का सबसे जानलेवा भूकंप कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक रिक्टर स्केल पर करीब 8 तीव्रता वाले उस भूकंप से कई जगहों पर जमीन फट गई. कई जगह भूस्खलन हुए. भूकंप ने 8,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
तांगशान, 1976
चीन की राजधानी बीजिंग से करीब 100 किलोमीटर दूर तांगशान में आए भूकंप ने 2,55,000 लोगों की जान ली. गैर आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक मृतकों की संख्या 6 लाख से ज्यादा थी. 7.5 तीव्रता वाले उस भूकंप ने बीजिंग तक अपना असर दिखाया.
तस्वीर: picture alliance / dpa
हिंद महासागर, 2004
दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता वाले भूकंप ने इंडोनेशिया में खासी तबाही मचाई. भूकंप ने 23,000 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकाली. इससे उठी सुनामी लहरों ने भारत, श्रीलंका, थाइलैंड और इंडोनेशिया में जान माल को काफी नुकसान पहुंचाया. सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया के सुमात्रा द्पीव में हुआ. कुल मिलाकर इस आपदा ने 2,27,898 लोगों की जान ली. 17 लाख लोग विस्थापित हुए.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
अलेप्पो, 1138
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक सीरिया में आए उस भूकंप ने अलेप्पो को पूरी तरह झकझोर दिया. किले की दीवारें और चट्टानें जमींदोज हो गईं. अलेप्पो के आस पास के छोटे कस्बे भी पूरी तरह बर्बाद हो गए. अनुमान लगाया जाता है कि उस भूकंप ने 2,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters/Hosam Katan
हैती, 2010
रिक्टर पैमाने पर 7 तीव्रता वाले भूकंप ने 2,22,570 को अपना निवाला बनाया. एक लाख घर तबाह हुए. 13 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. हैती आज भी पुर्नर्निमाण में जुटा है.
तस्वीर: A.Shelley/Getty Images
दमघान, 856
कभी दमघान ईरान की राजधानी हुआ करती थी. ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक करीब 12 शताब्दी पहले दमघान शहर के नीचे से एक शक्तिशाली भूकंप उठा. भूकंप ने राजधानी और उसके आस पास के इलाकों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. मृतकों की संख्या 2 लाख आंकी गई.
तस्वीर: Reuters
हैयुआन, 1920
चीन में आए करीब 7.8 तीव्रता वाले भूकंप के झटके हजारों किलोमीटर दूर नॉर्वे तक महसूस किये गए. भूकंप ने हैयुआन प्रांत में 2 लाख लोगों की जान ली. पड़ोसी प्रांत शीजी में भूस्खलन से एक बड़ा गांव दफन हो गया. लोगंदे और हुइनिंग जैसे बड़े शहरों के करीब सभी मकान ध्वस्त हो गए. भूकंप ने कुछ नदियों को रोक दिया और कुछ का रास्ता हमेशा के लिए बदल दिया.
तस्वीर: Reuters
अर्दाबिल, 893
ईरान में दमघान के भूकंप की सिहरन खत्म भी नहीं हुई थी कि 37 साल बाद एक और बड़ा भूकंप आया. इसने पश्चिमोत्तर ईरान के सबसे बड़े शहर अर्दाबिल को अपनी चपेट में लिया. करीब 1,50,000 लोग मारे गए. 1997 में एक बार इस इलाके में एक और शक्तिशाली भूकंप आया.
तस्वीर: AP Graphics
कांतो, 1923
7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने टोक्यो और योकोहामा इलाके में भारी तबाही मचाई. पौने चार लाख से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा. इसे ग्रेट टोक्यो अर्थक्वेक भी कहा जाता है. भूकंप के बाद चार मीटर ऊंची सुनामी लहरें आई. आपदा ने 1,43,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
अस्गाबाद, 1948
पांच अक्टूबर 1948 को तुर्कमेनिस्तान का अस्गाबाद इलाका शक्तिशाली भूकंप की चपेट में आया. 7.3 तीव्रता वाले जलजले ने अस्गाबाद और उसके आस पास के गांवों को भारी नुकसान पहुंचाया. कई रेलगाड़ियां भी हादसे का शिकार हुईं. भूकंप ने 1,10,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Siamak Ebrahimi
कश्मीर, 2005
भारत और पाकिस्तान के विवादित इलाके कश्मीर में 7.6 तीव्रता वाले भूकंप ने कम से कम 88 हजार लोगों की जान ली. सुबह सुबह आए इस भूकंप के झटके भारत, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन तक महसूस किए गए. पाकिस्तान में करीब 87 हजार लोगों की मौत हुई. भारत में 1,350 लोग मारे गए.
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Mahmood
सिंचुआन, 2008
87,000 से ज्यादा लोगों की जान गई. करीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए. 7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने 10,000 स्कूली बच्चों की भी जान ली. चीन सरकार के मुताबिक भूकंप से करीब 86 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
तस्वीर: Reuters
12 तस्वीरें1 | 12
2010 में चिली के दक्षिणी तटीय इलाके में 8.8 की तीव्रता का भूकंप आया था जिसने सैकड़ों जानें ले ली थीं. ईस्टन इस बात पर जोर देते हैं कि उत्तरी चिली में जब खतरों का आकलन किया जाता है तो इस क्षमता के भूकंप और सूनामी के बारे में सोचा जाना चाहिए. 6 अप्रैल, बुधवार को भी चिली और अर्जेंटीना के पास वाले समुद्री क्षेत्र में 6.4 की तीव्रता वाला भूंकप आया था जिसका केंद्र अर्जेंटीना के सान अंटोनियो डे लोस कोबरेस से 73 किलोमीटर दूर था.
22 मई 1960 को चिली में 9.4 की तीव्रता वाला भूकंप आया था जिसमें हजारों लोग मारे गए थे. इस भूकंप ने 25 मीटर तक ऊंची लहरों वाली सूनामी भी पैदा की थी. ‘ग्रेट चिलीयन अर्थक्वेक' के नाम से जाना जाने वाला यह भूकंप 10 मिनट तक जारी रहा था और इसने दक्षिणी चिली के वालदीविया शहर को तबाह कर दिया था.