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राजनीतिदक्षिण कोरिया

पिघल रही है दक्षिण कोरिया और जापान के संबंधों की बर्फ

८ मई २०२३

दक्षिण कोरिया और जापान के नेताओं की रविवार को सोल में हुई मुलाकात ऐतिहासिक थी. जिन देशों के रिश्ते ठंडे पड़ चुके थे, उनके नेता दो महीने में दूसरी बार मिले और संबंधों को बेहतर बनाने का वादा किया.

तस्वीर: Jung Yeon-je via REUTERS

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक यिओल और जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा की रविवार को हुई मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक थी. इस मुलाकात ने संबंधों के तापमान को इतना बढ़ाया है कि  सालों से दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने की शुरुआत हुई है. दो महीनों में यह दूसरी मुलाकात थी.

जापानी प्रधानमंत्री के बगल में खड़े होकर यून ने कहा कि दोनों देश अब सही रास्ते पर चल पड़े हैं, जिससे एक दूसरे के यहां आने-जाने की आदत फिर से पनप सकेगी. उन्होंने कहा कि ‘मित्रता और विश्वास' के आधार पर दोनों पक्ष करीबी रिश्ते बनाने की ओर बढ़ रहे हैं.

यून ने किशिदा के स्वागत में अपने राष्ट्रपति भवन में एक भव्य समारोह का आयोजन किया था, जिसमें किशिदा अपनी पत्नी युको किशिदा के साथ शामिल हुए. वह दो दिन की यात्रा पर सोल आए थे.

पांच साल में पहली बार

पांच साल में पहली बार जापान का कोई राष्ट्राध्यक्ष दक्षिण कोरिया की यात्रा पर गया है. मार्च में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून टोक्यो गए थे. तब किशिदा ने संबंधों को फिर से बेहतर बनाने की कोशिश तेज करने का वादा किया था. इसमें द्विपक्षीय सुरक्षा वार्ता को फिर से शुरू करने की बात भी थी, जो 2018 से बंद पड़ी है.

जापान और दक्षिण कोरिया के संबंधों में तब खटास आ गई थी जब एक ऐतिहासिक विवाद फिर से गर्म हो गया था. 1910 से 1945 के बीच जापान के साम्राज्यवादी शासन के दौरान कोरिया के पूर्व बंधुआ मजदूरों के कारण यह विवाद हुआ था. अब दोनों देश इस विवाद समेत सारी उलझनों को सुलझाना चाहते हैं.

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यून ने कहा कि अनसुलझे ऐतिहासिक विवादों का अर्थ यह नहीं है कि "आगे की ओर कोई कदम नहीं बढ़ाया जाएगा.”

इतिहास नहीं, भविष्य

यून दक्षिणपंथी नेता हैं और जब उन्होंने मार्च में जापान के साथ ऐतिहासिक विवादों को सुलझाने की कोशिशें शुरू करने की बात कही तो राजनीतिक विश्लेषक हैरान हुए थे. दक्षिण कोरिया अपने पूर्व बंधुआ मजदूरों के लिए जापान से मुआवजे की मांग दशकों से कर रहा है. यून ने इस विवाद को सुलझाने के लिए एक सरकारी फंड स्थापित करने की बात कही है. जापान ने इस योजना का स्वागत किया है.

हालांकि बहुत से दक्षिण कोरियाई लोग मानते हैं कि जापान ने साम्राज्यवादी अपराधों की स्वीकारोक्ति के लिए समुचित काम नहीं किया है. इसमें बंधुआ मजदूरों के अलावा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान युवा कोरियाई महिलाओं को यौनकर्म के लिए मजबूर किए जाने का मामला भी है.

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अपने देश के साम्राज्यवादी इतिहास के बारे में बात करते हुए किशिदा ने कहा कि जब भी वह जापान के शासनकाल में कोरियाई लोगों पर हुए जुल्मों के बारे में सोचते हैं तो उनका "दिल दर्द से भर जाता है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि पहले की जापानी सरकारों द्वारा जारी किए गए माफीनामे आज भी वैध हैं और वह दक्षिण कोरिया के साथ संबंधों की नई शुरुआत का स्वागत करते हैं.

अमेरिका के साथ सहयोग

किशिदा ने कहा, "हमने मार्च में जो फैसले लिए थे, उन पर प्रगति हो रही है.” दोनों देश अर्थव्यवस्था, विज्ञान और तकनीक जैसे क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करना चाहते हैं. इसके अलावा उत्तर कोरिया के परमाणु मिसाइल कार्यक्रमों के खतरों से भी दोनों देश मिलकर लड़ना चाहते हैं.

यून ने कहा कि किशिदा के साथ उनकी इस बात पर सहमति हुई है कि अमेरिका के साथ मिलकर त्रिपक्षीय सुरक्षा सहयोग जारी रहेगा. तीनों देश उत्तर कोरियाई मिसाइलों के बारे में सूचनाएं साझा करेंगे और इसकी रफ्तार को और बढ़ाएंगे.

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अमेरिका भी चाहता है कि जापान और दक्षिण कोरिया के बीच संबंध बेहतर हों क्योंकि वह उत्तर कोरिया और लगातार ताकतवर होते चीन के कारण अपनी एशियाई मौजूदगी को और मजबूत करना चाहता है.

वीके/एए (डीपीए, एएफपी)

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