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लाइफस्टाइलदक्षिण कोरिया

दक्षिण कोरिया ने कुत्ते के मांस पर लगाया प्रतिबंध

१० जनवरी २०२४

दक्षिण कोरिया की संसद ने एक ऐतिहासिक कानून पास करते हुए सदियों से चली आ रही कुत्तों का मांस खाने की परंपरा को अवैध घोषित कर दिया है.

दक्षिण कोरिया में कुत्तों का फार्म
दक्षिण कोरिया में ओद्यौगिक पैमाने पर कुत्तों के मांस का उत्पादन होता हैतस्वीर: Ahn Young-joon/AP/picture alliance

दक्षिण कोरिया में कुत्तों का मांसबेचने और मांस के लिए कुत्ते पालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मंगलवार को पास हुए एक कानून के तहत 2027 से देश में कुत्तों को मांस के लिए पालना, बेचना और उनका मांस बेचना अवैध हो जाएगा.

जीव अधिकार कार्यकर्ता लंबे समय से इस कानून की मांग कर रहे थे क्योंकि उनका कहना था कि इस परंपरा के कारण देश की छवि खराब होती है. लेकिन कुत्तों के व्यापारियों और उन्हें मांस के लिए पालने वाले किसानों को यह कानून नागवार गुजरा है और वे इसके विरोध में याचिका दायर करने की योजना बना रहे हैं. कानून में कुत्तों के मांस के व्यापार में लगे लोगों को अपने उद्योग-धंधे बंद करने और दूसरे विकल्पों को चुनने में मदद का आश्वासन दिया गया है.

सजा का भी प्रावधान

कानून में कुत्तों के मांस के व्यापार पर सजा का प्रावधान रखा गया है. ऐसा करने के अपराध में दो से तीन साल तक की सजा हो सकती है. हालांकि कुत्ते का मांस खाने पर किसी तरह की सजा का प्रावधान नहीं है.

कोरियाई प्रायद्वीप में सदियों से कुत्तों का मांस खाया जाता है. लोगों के बीच यह धारणा है कि गर्मी के दिनों में कुत्तों का मांस शारीरिक शक्ति के लिए अच्छा होता है. लेकिन हाल के दिनों में इस परंपरा को लेकर लोगों में विरोध बढ़ा था. कुछ सर्वेक्षणों के मुताबिक आधे से ज्यादा लोग इस पर बैन के समर्थक थे. अधिकतर लोग कुत्तों का मांस नहीं खाते थे.

फिर भी, एक तिहाई लोग ऐसे हैं जो भले ही इस मांस को खाते नहीं हैं लेकिन वे इस पर प्रतिबंध के खिलाफ हैं. संसद में यह कानून सर्वसम्मति से पारित हुआ है. 208 सांसदों ने इस बिल का समर्थन किया जबकि किसी ने इसका विरोध नहीं किया.

खुश हैं कार्यकर्ता

कानून के मसौदे के मुताबिक, "यह कानून प्राण अधिकारों के मूल्यों को समझने, जीवन का सम्मान करने और इंसान व जानवरों के एक साथ सौहार्द से रहने के मकसद से लाया गया है.”

बिल पारित होने की खुशी में दर्जनों कार्यकर्ता मंगलवार को नेशनल असेंबली के सामने जमा हो गए. वे अपने साथ कुत्तों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें लाए थे और ‘कुत्ते के मांस से मुक्त कोरिया आ रहा रहा है' जैसे नारे लगा रहे थे.

एक संस्था एचएसआई के कोरिया निदेशक जुंग आ शाए ने कहा, "मैंने सोचा नहीं था कि अपने जीवन में मैं दक्षिण कोरिया में इस क्रूर कुत्ता मांस उद्योग पर प्रतिबंध देख पाऊंगा. लेकिन जानवरों के लिए यह ऐतिहासिक जीत इस बात का प्रमाण है कि प्राणियों की सुरक्षा के लिए हम कितने प्रतिबद्ध हैं.”

"आई एम नॉट फूड" कह रहे हैं कुत्ते

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कुत्तों का मांस एशिया के कई देशों में खाया जाता है. चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और उत्तर कोरिया इनमें प्रमुख हैं. इसके अलावा अफ्रीका के कुछ देशों में भी यह मांस खाया जाता है. लेकिन दक्षिण कोरिया में पिछले कुछ सालों के दौरान यह एक बड़ी बहस का मुद्दा बन गया था क्योंकि बहुत से लोग इसे सांस्कृतिक छवि से जोड़कर देखते हैं.

लाखों कुत्तों का व्यापार

इसके अलावा, दक्षिण कोरिया एकमात्र ऐसा देश है जहां ओद्यौगिक पैमाने पर कुत्ते के मांस का उत्पादनऔर व्यापार होता है. वहां ऐसे कई विशाल फार्म्स हैं जिनमें 500 से ज्यादा कुत्ते एक वक्त में पाले जाते हैं. जुलाई में एसोसिएटेड प्रेस ने एक फार्म पर रिपोर्ट छापी थी जिसमें 7,000 कुत्ते थे.

हालांकि कुत्तों की संख्या और उद्योग के आकार को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन प्राणी अधिकार कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि हर साल देश में लाखों कुत्ते मारे जाते हैं.

नए कानून को लेकर कुत्ता पालने वाले किसान सख्त नाराज हैं. एक किसान सन वोन हाक ने कहा, "य़ह सरकार की हिंसा का मामला है और वे हमारे व्यवसाय चुनने के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं. हम हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठेंगे.” किसानों के एक संगठन के पूर्व अध्यक्ष सन वोन ने कहा कि वह जल्द ही अन्य किसानों से मिलेंगे और इस कानून के विरोध में याचिका दायर करेंगे.

वीके/सीके (एपी)

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