आसियान का ऐलानः किसी के युद्ध का मैदान नहीं हैं हम
१४ नवम्बर २०२२
चीन और अमेरिका के बीच बढ़ती जोर-आजमाइश के बीच आसियान देशों ने कहा है कि वे इन शक्तियों का खिलौना बनने को तैयार नहीं हैं. आसियान सम्मेलन के दौरान इस बात पर चर्चा हुई.
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इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि दक्षिण-पूर्व एशिया को नए शीत युद्ध का मैदान नहीं बनने दिया जाएगा. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते कूटनीतिक व भोगौलिक तनाव के चलते दोनों ही शक्तियां आसियान देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में लगी हैं. ऐसे में एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस की अध्यक्षता संभालते हुए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति विडोडो ने कहा कि यह संगठन "किन्हीं भी शक्तियों का छद्म” नहीं बनेगा.
विडोडो ने कहा कि 10 देशों का यह संगठन कुल मिलाकर 70 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जो एक गरिमापूर्ण क्षेत्र होना चाहिए और जिसे ‘मानवीय व लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान' करना चाहिए. आसियान के लिए म्यांमार और कंबोडिया के रूप में इन मूल्यों के सम्मान की बड़ी चुनौतियां हैं. दोनों ही देशों पर मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं.
शी जिनपिंग ने चीन की सत्ता को अपनी मुट्ठी में कैसे किया
20वीं पार्टी कांग्रेस में शी जिनपिंग को तीसरी बार देश का राष्ट्रपति चुने जाने के पक्के आसार हैं. इसके साथ ही वो माओ त्से तुंग के बाद चीन के सबसे ताकतवर नेता होंगे. साम्यवादी देश में जिनपिंग ने यह सब कैसे संभव किया.
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पार्टी के शीर्ष नेता और देश के राष्ट्रपति
शी जिनपिंग एक दशक पहले चीन के शीर्ष नेता बने जब कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं कांग्रेस में उन्हें पार्टी महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग का चेयरमैन बनाया गया. कुछ ही महीनों बाद वो देश के राष्ट्रपति बने.
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सामूहिक नेतृत्व से सुप्रीम लीडरशिप की ओर
शी ने बीते सालों में अपने कुछ खास कदमों और गुजरते समय के साथ धीरे धीरे अपनी ताकत बढ़ाई है. चीन में सामूहिक नेतृत्व की परंपरा रही है जिसमें महासचिव पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति में समान लोगों में प्रथम होता है लेकिन अब शी के उदय के साथ देश सुप्रीम लीडरशीप की ओर बढ़ रहा है.
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आर्थिक नीतियों पर पकड़
चीन में आर्थिक नीतियां बनाने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री पर रहती आई थी लेकिन अलग अलग समूहों के चेयरमैन के रूप में शी जिनपिंग ने यह जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली. इनमें 2012 में शी के सत्ता में आने के बाद बनी "सुधार और खुलापन" नीति और आर्थिक मामलों से जुड़ा एक पुराना समूह भी शामिल था.
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विश्वासघाती, भ्रष्ट और बेकार अफसरों पर कार्रवाई
सत्ता में आने के बाद शी ने भ्रष्ट, विश्वासघाती और बेकार अफसरों पर कार्रवाई के लिए एक अभियान चलाया और इनकी खाली हुई जगहों पर अपने सहयोगियों को बिठाया. इस कदम से उनकी ताकत का आधार कई गुना बढ़ गया. इस दौरान करीब 47 लाख लोगों के खिलाफ जांच की गई.
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भरोसेमंद लोगों की नियुक्ति
शी ने पार्टी के मानव संसाधन विभाग का प्रमुख अपने भरोसेमंद लोगों को बनाया. संगठन विभाग के उनके पहले प्रमुख थे झाओ लेजी, जिनके पिता ने शी के पिता के साथ काम किया था. उनके बाद 2017 में चेन शी ने यह पद संभाला जो शी के शिनघुआ यूनिवर्सिटी में सहपाठी थे.
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सेना पर नियंत्रण
2015 में शी जिनपिंग ने चीन की सेना में व्यापक सुधारों की शुरुआत की और इसके जरिये इस पर भरपूर नियंत्रण हासिल किया. इस दौरान इसमें काफी छंटनी भी हुई. सेना पर नियंत्रण ने शी जिनपिंग की मजबूती और बढ़ाई.
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घरेलू सुरक्षा तंत्र की सफाई
शी जिनपिंग ने घरेलू सुरक्षा तंत्र में व्यापक "सफाई" अभियान की शुरुआत की. इस भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में बहुत सारे जजों और पुलिस प्रमुखों ने अपनी नौकरी गंवाई. सत्ता तंत्र पर नियंत्रण की दिशा में यह कदम भी बहुत कारगर साबित हुआ.
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संसद और सुप्रीम कोर्ट की सालाना रिपोर्ट
2015 में राष्ट्रपति जिनपिंग ने चीन की संसद, कैबिनेट और सुप्रीम कोर्ट समेत दूसरी संस्थाओं को अपने कामकाज की सालाना रिपोर्ट के बारे में उन्हें ब्यौरा देने का आदेश दिया.
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मीडिया पर लगाम
2016 में शी जिनपिंग ने सरकारी मीडिया को पार्टी लाइन पर चलने का हुक्म दिया इसके मुताबिक उनका "सरनेम पार्टी है." इसके बाद से मीडिया की आजादी तेजी से घटी और शी से संबंधित प्रचार तेजी से बढ़ा.
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पार्टी के सारतत्व
2016 में शी जिनपिंग ने खुद को औपचारिक रूप से पार्टी के "सारतत्व" के रूप में स्थापित किया. पार्टी में इसे सर्वोच्च नेता कहा जाता है.
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पार्टी के संविधान में संशोधन
शी जिनपिंग ने 2017 में पार्टी के संविधान में संशोधन कर चीनी स्वभाव में समाजवाद पर अपने विचार को जगह दी. इस लिहाज से वो पार्टी के शीर्ष पर मौजूद नेताओं माओ त्से तुंग और डेंग शियाओपिंग की कतार में आ गये.
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पार्टी ही सबकुछ
2017 में उन्होंने चीन में पार्टी की भूमिका सर्वोच्च कर दी. शी जिनपिंग ने एलान किया, "पार्टी, सरकार, सेना, लोग, शिक्षा, पूरब, दक्षिण, पश्चिम, उत्तर, मध्य, हर चीज में नेतृत्व पार्टी ही करेगी."
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राष्ट्रपति का कार्यकाल
2018 में चीन के संविधान में संशोधन कर उन्होंने राष्ट्रपति के लिए दो बार के निश्चित कार्यकाल की सीमा खत्म कर दी. इसके साथ ही जिनपिंग के लिए जीवन भर इस पद पर बने रहने का रास्ता साफ हो गया.
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पार्टी की वफादारी
2021 में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित कर पार्टी ने "टू एस्टबलिशेज" पर सहमति की मुहर लगा दी. इसके जरिये पार्टी ने शी जिनपिंग के प्रति वफादार रहने की शपथ ले ली. माओ त्से तुंग के बाद चीन में अब सिर्फ शी जिनपिंग हैं.
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विडोडो ने कहा, "आसियान को एक शांतिपूर्ण क्षेत्र बनना है जो वैश्विक स्थिरता के लिए काम करे, अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन सुनिश्चित करे और किसी का छद्म रूप बनकर ना रहे. आसियान को मौजूदा भू-राजनीतिक हालात को अपने क्षेत्र में शीत युद्ध में तब्दील नहीं होने देना है.”
चीन और अमेरिका का मुकाबला
हाल के सालों में चीन ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए हर तरह का तरीका आजमाया है. दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के साथ उसने बड़े समझौते किए हैं जिनमें व्यापारिक और सैन्य सहयोग भी शामिल है. इसके जवाब में अमेरिका ने भी इस क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दीहै.
कंबोडिया की राजधानी फ्नोम पेन में जब सप्ताहांत पर हुई आसियान देशों की बैठक चल रही थी, तब ताइवान के पूर्व में फिलीपीन सागर में क्वॉड देश – अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया सैन्य अभ्यास कर रहे थे.
ताइवान को मान्यता देने वाले चंद देश
कुछ देशों ने 1947 में भारत के आजाद होने से पहले ही ताइवान को राष्ट्र का दर्जा दे दिया. चीन की आपत्ति के बावजूद कई छोटे देश आज भी ताइवान को एक संप्रभु राष्ट्र का दर्जा देते हैं.
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ग्वाटेमाला
1933 से अब तक ताइवान को मान्यता.
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बेलीज
1989 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: picture-alliance/Sergi Reboredo
हैती
1956 से अब तक ताइवान को मान्यता.
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वेटिकन सिटी
1942 से अब तक ताइवान को मान्यता.
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होंडुरास
1985 से अब तक ताइवान को मान्यता.
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पैराग्वे
1957 से अब तक ताइवान तक मान्यता.
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सेंट लूसिया
1984-1997 और 2007 से अब तक ताइवान का मान्यता.
तस्वीर: Loic Venance/AFP/Getty Images
मार्शल आइलैंड्स
1998 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/U.S. Army
पलाऊ
1999 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Britta Pedersen/dpa/picture alliance
सेंट किट्स एंड नेविस
1983 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: CC BY-NC 2.0
तवालू
1979 से अब तक ताइवान को मान्यता.
तस्वीर: Tuvalu Foreign Ministry/REUTERS
सेंट विन्सेंट एंड ग्रैनेडंस
1981 से अब तक ताइवान को मान्यता
तस्वीर: Robertson S. Henry/REUTERS
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उसी दौरान शनिवार को चीन की सेना के 36 लड़ाकू विमानों ने ताइवान के आसपास के आसमान में चक्कर लगाए. ताइवानी अधिकारी बताते हैं कि इनमें से दस तो ताइवान खाड़ी में उस काल्पनिक रेखा के करीब तक आए, जो चीन और ताइवान के बीच समुद्र को बांटती है.
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साथ-साथ ईस्ट एशिया समिट भी
रविवार को ही ईस्ट एशिया समिट भी हुई, जिसमें अमेरिका और चीन दोनों के राष्ट्रपति शामिल हुए. इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जोर देकर कहा कि आवाजाही की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्वी चीन और दक्षिणी-चीन सागर में उड़ान के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए
बाइडेन ने कहा कि अमेरिका संपर्क और संवाद के रास्ते खुले रखते हुए चीन के साथ प्रतिद्वन्द्वता जारी रखेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि यह प्रतिद्वन्द्विता किसी तरह के विवाद में ना बदल जाए. उन्होंने कहा कि ताइवान की खाड़ी में शांति और स्थिरता उनकी प्राथमिकता है.
कितना ताकतवर है चीन
चीन को अमेरिका ने अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था. यह चुनौती कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा चीन की सैन्य और रक्षा क्षमताओँ पर एक नजर डालने से हो जाता है. देखिए, कितना ताकतवर है चीन.
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सबसे बड़ी नौसेना
नौसेना के आकार के मामले में चीन अमेरिका को पहले ही पीछे छोड़ चुका है. उसके पास 348 युद्धक जहाज हैं जबकि अमेरिका के पास 296 जहाज हैं. इसी साल जून में उसने फूजियान टाइप 3 विमान वाहक जहाज उतारा था जो उसका तीसरा विमानवाहक है. यह जहाज उसके इंजीनियरों ने खुद बनाया है.
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विशाल बजट
चीन का रक्षा बजट अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है. 2021 में उसने 270 अरब डॉलर रक्षा मद में खर्च किए, जबकि अमेरिका ने 768 अरब डॉलर. भारत तीसरे नंबर पर है और उसने 74 अरब डॉलर खर्च किए थे.
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परमाणु जखीरा
बीते साल नवंबर में अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने एक अनुमान जारी किया था जिसके मुताबिक 2030 तक चीन के पास अब से चार गुना ज्यादा यानी लगभग 1,000 परमाणु हथियार होंगे. यह अमेरिका के 5,550 हथियारों के मुकाबले काफी कम है लेकिन बढ़ने की रफ्तार बहुत तेज है.
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भविष्य के हथियार
कई रिपोर्ट कहती हैं कि चीन हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों जैसे हथियार विकसित कर रहा है जो दुनिया में कहीं भी, किसी भी सूरत में मार कर सकती हैं. हालांकि चीन हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने से इनकार करता है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल उसने दो रॉकेट परीक्षण के लिए दागे थे, जो असल में मिसाइल थे.
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर अटैक
यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें चीन बेहद तेजी से निवेश और विकास कर रहा है. उसकी सेना को भविष्य के युद्ध लड़ने के मकसद से तैयार किया जा रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के पास रोबोटिक सैनिकों जैसी अत्याधुनिक तकनीकें हो सकती हैं.
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इसी हफ्ते इंडोनेशिया के शहर बाली में जी20 में शामिल होंगे, जहां वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मिलेंगे.
जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने भी आसियान के नेताओं से मुलाकात की और चीन को लेकर चर्चा की. जापानी विदेश मंत्रालय के मुताबिक किशिदा ने इन नेताओं के सामने "आर्थिक जोर-जबरदस्ती के जरिए पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिशों” को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की. बयान के मुताबिक किशिदा ने आसियान के संयम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और ताइवान खाड़ी में शांति और स्थिरता की अहमियत पर जोर दिया.