खेती-किसानी, पुरुष प्रधान पेशा माना जाता है. महिलाएं खेतिहर मजदूरी का तो काम करती हैं, लेकिन कम ही होता है कि वो खुद किसान हों और खेत की भी मालिक हों. तमिलनाडु और केरल में सक्रिय महिला किसानों के साझा समूह, पारंपरिक तरीकों से खेती करके मुनाफा भी कमा रही हैं और महिला सशक्तिकरण में सराहनीय भूमिका भी निभा रही हैं. साथ ही, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही हैं.